RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
सुप्रिया – बस भाभी जिस दिन उसने प्रिया दीदी की जान बचाई थी…, फिर वो उसे सारी बातें डीटेल में बताती चली गयी और ये भी कि वो क्यों उसने शंकर से संबंध बनाए है..
सुषमा के बच्चे का राज तो सुप्रिया के लिए अब राज नही रहा था, सो उसने कहा –
भाभी मेरी तो मजबूरी ये है कि मेरा पति गान्डु है, उसे अपनी गान्ड की खुजली मिटाने को ही किसी का लंड चाहिए…
लेकिन आपके सामने कोन्सि मजबूरी है जो आपने शंकर का अंश अपने पेट मे पाल रखा है…!
सुषमा ने बड़ी गहरी नज़रों से उसे घूरा और बोली – क्या बता सकती हो तुम्हारे भैया का दूसरा ब्याह क्यों हुआ था…?
सुप्रिया – हां ! ताकि इस घर को वारिस मिल सके…!
सुषमा – फिर भी क्यों नही मिला, तुम्हारी छोटी भाभी अभी तक प्रेग्नेंट क्यों नही हुई, और मे ही दोबारा कैसे माँ बन गयी, जबकि मे तो इस काबिल थी ही नही..
सुप्रिया – आपका कहने का मतलब कल्लू भैया….???
सुषमा – तुम ठीक समझी, तुम्हारे कल्लू भैया भी अब नपुंसक हो चुके हैं, अपनी ग़लत आदतों की वजह से..,
वो तो शुरुआत में ही ना जाने कैसे गौरी मेरे पेट में आ गयी…, वरना वो भी नही हो पाती अगर कुछ दिन और लेट करते तो.…!
सुप्रिया – सच में भाभी, हम दोनो एक ही नाव में सवार हैं, भला हो शंकर का जो निस्वार्थ हमारी इच्छाओं का मान करते हुए अपने जीवन को दाव पर लगा रहा है…
सुप्रिया – उस दिन से जब उसने सांड़ को पटखनी दी थी, उसके ठीक पहले हम दोनो गन्ने के खेत में ही थे, तभी मेने उसे अपने मन की बात कही थी…
फिर जब मे उसके हाल-चाल जानने गयी, तो रंगीली काकी ने हम दोनो को अकेला छोड़ दिया और खुद सलौनी को लेकर वहाँ से चली गयी…, एक तरह से रंगीली काकी ने ही हमारा मिलन कराया..
वैसे भाभी मे उसे बचपन से ही चाहती हूँ, लेकिन कम उम्र होने की वजह से मेरी शादी से पहले बस मे उसे दिल ही दिल में पसंद करती थी…
सुषमा – सच में रंगीली काकी हम दोनो के लिए देवी स्वरूपा हैं, उनका बेटा तो हीरा है हीरा, अपनी माँ की इच्छा के विरूद्ध कोई काम नही करता…!
सुप्रिया – सच कह रही हो भाभी, वो दोनो माँ-बेटे ही हमारे लिए वरदान स्वरूप हैं, वरना ना जाने इस जीवन में मे कभी नारी सुख भी ले पाती या नही…!
सुषमा – वैसे तुम्हें क्या उम्मीद लगती है, अपने गर्भ को लेकर..?
सुप्रिया – शायद आ भी गया हो, क्योंकि यहाँ आने से एक हफ्ते पहले ही मेरे पीरियड्स ख़तम हुए थे.., अब तो वो डेट भी आ गयी है शायद कल या परसों की है…
अगर पीरियड्स नही आए तो समझो मेरा भी बेड़ा पार हो ही जाएगा आपकी तरह…!
सुषमा ने उसके बाजू पकड़ कर उसे अपने सीने से लिपटा लिया और रुँधे स्वर में बोली - ईश्वर करे तुम्हारी गोद भी जल्दी भर जाए…, कम से कम जीवन काटने के लिए कुछ तो सहारा हो…!
लेकिन ननद रानी जैसे ही ये बात कन्फर्म हो जाए, फ़ौरन यहाँ से रवानगी डाल देना, जिससे तुम्हारे घर वालों को कोई शक़ सूबा ना हो…!
सुप्रिया – मे भी यही सोच रही थी, दो दिन में अगर नही आया, तो मे शंकर को लेकर चली जाउन्गि…!
सुषमा ने गहरी नज़र से उसको घूरते हुए कहा – शंकर को क्यों..? उसको हमेशा के लिए साथ रखने का इरादा है क्या…? ये कहकर मुस्कराते हुए उसने उसको चिकोटी काट ली…
सुप्रिया खिल-खिलाते हुए बोली – अरे नही भाभी, वो प्रिया दीदी पिताजी से बोलकर गयी है, कि मेरे साथ शंकर को भेज देना, वो उसके घर भी घूम आएगा..!
सुषमा मुस्कराते हुए बोली – लगता है बड़ी ननद रानी की चूत भी गीली हो गयी होगी हमारे गबरू शेर को देख कर.., इस बात पर वो दोनो खिल-खिलाकर कर हँसने लगी…
फिर सुप्रिया भी अपने कमरे में आ गई, उस दिन वो दोनो ही दोपहर तक सोती रही !
उसी दिन दोपहर का काम ख़तम करके रंगीली अपने घर में लेटी हुई थी, सलौनी अभी स्कूल से नही आई थी, शंकर और रामू खेतों पर ही थे…
तभी लाजो वहाँ आ धमकी, रंगीली ने वकायदा आदर के साथ उसे बिठाया…
लाजो सकुचती हुई उससे बोली – काकी, आपके कहने से मेने पिताजी से भी अपने नाजायज़ संबंध बना लिए, लेकिन दो साल के बाद भी कोई फ़ायदा नही हुआ..,
रंगीली ने मन ही मन मुस्कराते हुए कहा – हो सकता है उनकी अब उमर हो गयी है, तो शायद अब वो आपको बच्चा देने में असमर्थ होंगे…,
आपने कल्लू भैया के साथ सोना बंद कर दिया है क्या..?
लाजो – नही तो, मे तो अब ज़्यादातर उनके साथ ही सोती हूँ, लेकिन उनसे भी कुछ नही हो पा रहा.., वो तो अब भी मुझे अधूरा ही छोड़ देते हैं…!
रंगीली – फिर बड़ी बहू उम्मीद से कैसे हो गयी…?
लाजो – यही तो मेरी समझ में नही आ रहा है…?
रंगीली – बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ छोटी बहू..! मुझे लगता है, तुम कुछ ज़्यादा ही गरम औरत हो,
जल्दी से तुम्हारा रज नही छूटता होगा, और जबतक छूट’ता होगा तब तक पुरुष के कीड़े ख़तम हो जाते होंगे…!
लाजो – क्या ऐसा भी होता है..?
रंगीली – अब मेने तो अपने गाओं में बड़ी-बुढ़ियों से यही सुना था…!
लाजो – एक बार शंकर भैया के साथ कोशिश करके देखूं तो…?
रंगीली ने थोड़ा तल्ख़ लहजे में कहा – देखो छोटी बहू, हम नौकर हैं तो इसका मतलब ये नही है, कि तुम्हारी कोई भी जायज़-नाजायज़ बात मान लेंगे…!
मे पहले भी कह चुकी हूँ, मेरे बेटे से अलग ही रहो, वो नादान है अच्छे-बुरे की पहचान नही है उसे, मे अपने बेटे को किसी मुसीबत में नही डाल सकती…!
मेरे जीवन का एकमात्र सहारा है मेरा बेटा, मे उसे खोना नही चाहती, मालिक को या किसी को भनक भी लग गयी, तो वो उसको सूली पर लटका देंगे..,
लाजो मायूस होकर बोली – तो फिर मे क्या करूँ..?
रंगीली – किसी जानकार को दिखा क्यों नही लेती, शायद कोई उपचार हो इसका..?
लाजो – आप जानती हैं किसी को…?
रंगीली – पता लगा सकती हूँ, कई औरत होती हैं जो इन बातों की जानकारी होती है उन्हें..,
लाजो – तो आप जल्दी से पता करके बताइए ना काकी, मेरी भी गोद सुनी ना रहे…!
रंगीली – भगवान करे आपको भी एक चाँद सा बेटा हो, मेरी तो यही इच्छा है..!
उसको सांत्वना देकर रंगीली ने उसे विदा किया, जब वो चली गयी तो पीछे से उसके चेहरे पर एक ऐसी मुस्कान आ गई, जिसका मतलब निकालना हर किसी के बस की बात नही थी…..!
दो दिन तक भी सुप्रिया को पीरियड्स नही आए सो उसने अपने माता-पिता को अपने लौटने के बारे में कहा – लाला जी ने शंकर को बुलाकर अपनी बेटी के साथ जाने के लिए कहा जो उसने अपनी माँ के उपर छोड़ दिया…!
रंगीली को इसमें भला क्या एतराज हो सकता था, उसे तो अपने बेटे को हर तरह से दुनियादारी सिखानी थी,
कहीं आएगा-जाएगा तो कुछ नया जानने को ही मिलेगा सो उसने सहर्ष अपनी स्वीकृति दे दी…
तीसरे दिन हसी-खुशी वो शंकर को लेकर अपनी ससुराल के लिए निकल पड़ी… जहाँ देखते हैं क्या-क्या धमाल मचाने वाला है अपना बब्बर शेर….! || रंगीली का शंकर ||
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