RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
उधर अपनी पहली चुदाई कर रहे शंकर ने ताक़त लगाकर लंड पूरा अंदर डाल तो दिया, लेकिन उसके सुपाडे की सील जो अभी तक लंड से चिपकी हुई थी वो टाइट चूत की दीवारों की रगड़ से खुल गयी…
दर्द की एक तेज लहर उसके पूरे बदन में दौड़ गयी, और उसके मुँह से चीख निकल गयी…! वो दोनो बहुत देर तक एक दूसरे से यौंही चिपके पड़े रहे…!
हाईए रे शंकर.. बहुत बड़ा है रे तेरा.. उउउफफफ्फ़….मेरी तो दम ही निकाल दिया रे तूने बेटा… अपने दर्द पर काबू करते हुए रंगीली उसके गाल से अपना गाल घिसते हुए बोली – पर बेटा तू क्यों चीखा..?
पता नही माँ, मेरी भी सू-सू में बहुत तेज दर्द हुआ, मानो किसी ने उसे ब्लेड से काट दिया हो..!
वो समझ गयी, कि उसके लंड का कुँवारापन दूर हुआ है, वो मुस्काराकार उसे चूमते हुए बोली –
मुबारक हो मेरे लाल, आज तू मर्द बन गया, वो भी अपनी माँ की चूत फाड़कर..
अब दर्द तो नही हो रहा ना..? शंकर ने ना में अपनी गर्दन हिला दी..,
रंगीली – तो अब धीरे धीरे बाहर करके फिर से अंदर डाल, लेकिन आराम से हां.., वरना तेरी माँ का मूत निकल जाएगा, ये कहकर वो खुद ही शरमा गयी और अपने बेटे की चौड़ी छाती में अपना मुँह छिपा कर हँसने लगी..!
शंकर अपनी माँ के उपर से उठकर अपने घुटनों पर बैठ गया, और उसने धीरे-धीरे अपना लंड बाहर निकाला, उसका लंड खून से लाल हो गया था, जो उसी के लंड की खाल टूटने से निकला था…!
उसने डरते हुए कहा – माँ ये खून कैसा…?
रंगीली ने अपना सिर उठाकर उसके लंड की तरफ देखा और बोली – कुछ नही रे, ये तेरे लंड की सील टूट गयी है, अब नही कुछ होगा, अंदर डाल अब आराम से…!
माँ की बात मानकर उसने धीरे-धीरे अपना मूसल उसकी सुरंग में डाल दिया…!
धीरे-धीरे कसे हुए लंड के अंदर चलने से चूत की दीवारें एकदम कसी हुई थी जिसके मज़े में रंगीली की सिसकी निकल पड़ी, आअहह….सस्स्सिईइ….
हां..शाबाश ऐसे ही, अब धीरे-धीरे..फिर से बाहर निकालकर डाल..…!
आअहह…सस्सिईई…उउफ़फ्फ़…कितना कसा हुआ जा रहा है…ऐसे ही अंदर बाहर कर..उउउंम्म…मैयाअ…बहुत मज़ा आ रहा है…
दो-चार बार अंदर बाहर करने के बाद ही शंकर समझ गया, अब कुछ..कुछ उसे भी मज़ा आने लगा था सो अब वो खुद से ही उसे अंदर बाहर करने लगा…
रंगीली की चूत रस छोड़ने लगी, वो सिसकते हुए बोली – सस्स्सिईइ…आअहह…अब थोड़ा जल्दी-जल्दी कर मेरे लाल…
उसे भी अब मज़ा आने लगा था, सो खुद ही उसकी स्पीड बढ़ने लगी.. दोनो को अब दीन दुनिया से कोई वास्ता नही था…!
रंगीली अपनी गान्ड उच्छाल उच्छाल कर अपने बेटे को अपनी बातों से उत्साहित करते हुए और तेज चोदने के लिए बोलती हुई चुदाई का आनद लूटने लगी…!
शंकर का पिस्टन अपनी माँ के सिलिंडर में बुरी तरह से अंदर बाहर हो रहा था, साथ ही सिलिंडर से ग्रीस की फुआर भी फूटने लगी थी जिससे उसका पिस्टन पूरी तरह चिकना होकर आसानी से अंदर बाहर हो रहा था…!
शंकर के धक्कों की मार रंगीली ज़्यादा देर तक नही झेल पाई, और उसकी पिस्टन ने दम तोड़ते हुए, ढेर सारा आयिल पिस्टन के उपर छोड़ दिया, वो अपने बेटे के लंड से चिपक कर बुरी तरह से झड़ने लगी…!
शंकर को इस बात का कोई भान नही था, हां उसके लौडे को ज़रूर कुछ ज़्यादा गीलेपन का एहसास हुआ जिससे उसके मज़े में और इज़ाफा हो गया…
उसके धक्के बदस्तूर जारी थे, फुच्च..फुच्च…की आवाज़ के साथ चूत का सारा पानी बाहर निकल गया और अब वो सूखने लगी…
रंगीली की चूत में ग्रीसिंग कम हो गयी, और उसमें जलन सी होने लगी…
वो कराह कर बोली – थोड़ा रुक जा बेटा, अब तुझे दूसरे तरीके से मज़ा लेना सिखाती हूँ.., अपना लंड बाहर निकाल…
ना चाहते हुए भी बेचारे को रुकना पड़ा और अपना लंड बाहर खींच लिया…, जबकि उस पर तो इस समय जैसे चुदाई का भूत सवार हो चुका था…!
अब रंगीली, अपने घुटने टेक कर बिस्तर पर घोड़ी बन गयी, माँ की पीछे को निकली हुई मक्खन जैसी मुलायम चिकनी गान्ड के पाटों को देख कर शंकर ने अपना मुँह दोनो पाटों के बीच में डाल दिया…
आअहह…बेटे.. चाट .. ऐसे ही चाट अपनी माँ की गान्ड को…सस्सिईइ… देख वो एक छोटा सा छेद दिख रहा है ना,
उसको अपनी जीभ से कुरेद मेरे रजाअ..…हान्ं…ऐसे ही शाबास मेरे शेर… अब थोड़ा मेरी चूत को भी चाट के गीला करले …हहूऊंम्म…आअहह…सस्सिईईई….. अब डाल दे अपना लंड इसमें…
शंकर ने अपना एक घुटना बिस्तर पर टिकाया और अपना लोहे की रोड बन चुके लंड को अपनी माँ की गरम चूत में पीछे से डाल दिया…,
रंगीली ऊंटनी की तरह मुँह उपर करके अपनी चुचियों को मसल्ने लगी…,
लेकिन वो शंकर के ताक़तवर धक्कों को झेल ना सकी, और औंधे मुँह बिस्तर पर गिर पड़ी,
शंकर अपने मज़े में ये भी भूल गया कि उसके लंड के नीचे कॉन है, उसने उसके सिर को तकिये पर दबा कर दे दनादन उसकी उभरी हुई गान्ड देख कर चूत में धक्के लगाता रहा…
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