RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
रंगीली सोचने लगी, कि यही सही समय है इसे वो रास्ता सुझाने का जिसपर इसे ले जाने का मेने सोचा है, वो मन ही मन अपनी कामयाबी पर खुश होते हुए बोली –
रास्ते बनाने पड़ते हैं बहू रानी, चलना चाहो तो तुम्हारे तो बिल्कुल सामने ही एक शानदार सड़क है, अगर चल सको तो…
लाजो तपाक से रंगीली के हाथों को अपने हाथों में लेकर बोली – बताओ ना काकी किस सड़क की बात कर रही हो, मे हर वो रास्ता अख्तियार करने को राज़ी हूँ, जिससे इस हवेली को वारिस दे सकूँ…!
रंगीली उसका उतावला पन देख कर मंद-मंद मुस्कराते हुए बोली – मालिक के बारे में क्या ख़याल है आपका…?
लाजो विश्मय से उसके चेहरे की तरफ देखते हुए बोली – आपका मतलब ससुरजी से है..?
रंगीली – हां ! क्यों क्या कमी है उनमें ? देखा नही आज भी उनके चेहरे का तेज, किसी जवान मर्द से ज़्यादा चमकता है उनका ललाट…,
अरे अभी उनकी उमर ही क्या है, मर्द तो 60 साल में भी बच्चे पैदा कर देते हैं…, वो तो अभी इससे बहुत कम हैं…!
लाजो – ऐसा आपने सोच भी कैसे लिया, कि मे अपने पिता समान ससुर से संबंध बना लूँगी,
रंगीली – क्यों ? अपने पिता समान ससुर से संबंध नही बना सकती और मेरा बेटा तो एक नौकरानी का बेटा है उससे संबंध बना सकती हो…!
सोच लो, मेने रास्ता बता दिया है, चलना ना चलना आपके उपर है, वैसे आप पहली औरत नही हो जो ऐसा कर रही हो, बहुत से उदाहरण मे दे सकती हूँ,
महाभारत में महारानी कुंती के पाँचों पुत्रों में से एक भी राजा पांडु के अंश से पैदा नही था… सबके सब पिता तुल्य देवो से ही पैदा हुए थे…
लाजो – वो तो उनके आशीर्वाद मात्र से ही पैदा हो गये थे…!
रंगीली – सब कहने की बातें हैं, किसी ने देखा था क्या…, जो काम जिस तरीक़े सो होता है उसी से होगा ना…!
अगर ऐसा ही संभव होता, तो परमात्मा ये चीज़ें बनाता ही क्यों..?
लाजो उसके तर्क सुनकर सोच में पड़ गयी, उसे सोचते देख कर रंगीली बोली – आप सोचो, मे चली बहुत काम पड़े हैं मेरे लिए…!
फिर वो जैसे ही चलने को मूडी, लाजो ने फ़ौरन उसका हाथ पकड़ लिया और बोली – लेकिन काकी, मे ससुरजी के सामने तक नही पड़ी अभीतक, फिर ये कैसे संभव होगा…!
रंगीली – तो सामने पड़ना शुरू करो, नयी-नयी जवान लड़की हो, थोड़ा बहुत अपनी जवानी के जलवे बिखेरो उनके सामने…
औरत अगर अपनी पे आजाए तो अच्छे-अच्छों का ताप भंग कर देती है, मालिक तो फिर भी आम इंसान ही हैं, आओ मेरे साथ, उनकी ठंडाइ तैयार है, लेके जाओ उनके पास…
पुच्छे तो कह देना, रंगीली काकी उनके लिए (कल्लू) ठंडाइ बना रही हैं, इसलिए मे ही ले आई , कुछ देर उनके साथ समय बिताओगी तो अपने आप झिझक कम होगी..
लाजो को ठंडाइ का ग्लास थामकर उसका कंधा दबाते हुए रंगीली ने उसे हौसला देकर बैठक की तरफ भेज दिया..
उसे जाते हुए देखकर वो कुछ देर वहीं खड़ी खड़ी अपनी कामयाबी पर मुस्कुराती रही…., और फिर कुछ देर बाद खुद भी उसी तरफ चल दी…!
सेठ धरमदास इस वखत अपने बही खातों में उलझे थे, अभी कुछ देर पहले ही मुनीम जी, सारा हिसाब किताब समझाकर गये थे..., जिसे वो फिर से चेक कर रहे थे…!
तभी उन्हें बैठक में पायल की झणकार सुनाई दी, उन्होने अपना सिर उठाकर दरवाजे की तरफ देखा, सिर पर पल्लू डाले, उनकी छोटी बहू हाथ में ठंडाइ का ग्लास पकड़े उनकी तरफ आ रही थी…
थोड़े से घूँघट जो कि उसकी नाक तक ही था, उसमें से उसके लाल-लाल लिपीसटिक से पुते मोटे-मोटे होंठ और उसकी गोरी गोरी थोड़ी दिखाई दे रही थी…!
धीरे – धीरे अपनी पायल छन्काति हुई वो उनके पास आकर खड़ी हो गयी, और ग्लास उनकी तरफ बढ़ाती हुई बड़ी मधुर आवाज़ में बोली – पिताजी आपकी ठंडाइ…!
लाला जी ने कुछ देर उसके घूँघट में छुपे चेहरे पर नज़र डाली, फिर उसके हाथ से ठंडाइ का ग्लास लेते हुए उन्होने अपनी नज़र घूमकर अपने खातों पर कर ली,
ग्लास पकड़ने के बहाने उनकी उंगलियाँ लाजो के हाथ से छू गयी…
लाला के गरम-गरम हाथ का स्पर्श पाकर लाजो अंदर तक सिहर गयी, ग्लास को उसके हाथ से लेते हुए वो बोले – अरे बहू तुमने क्यों कष्ट किया, रंगीली कहाँ गयी…?
लाजो – वो पिताजी रंगीली काकी उनके लिए भी ठंडाइ बना रही हैं, इसलिए मे ही ले आई, अगर आपको अच्छा ना लगा हो तो आइन्दा नही लाउन्गि…!
लाला – अरे..अरे.. नही बेटा ऐसी कोई बात नही है, हम तो बस ऐसे ही बोले, की तुमने आने की तक़लीफ़ क्यों कि किसी और नौकर के हाथ भिजवा देती,
अगर तुम्हारा मन करता है यहाँ हमारे पास आने का तो ज़रूर आओ, तुम्हारा अपना घर है, कहीं भी आने जाने के लिए तुम्हें किसी की इज़ाज़त की ज़रूरत नही है…!
आओ थोड़ी देर बैठो हमारे पास, हम अभी ग्लास खाली करके देते हैं…, लाजो घुटने टेक कर उनके सामने बैठ गयी, और उन्हें अपने पैर आगे करने को कहा –
पिताजी अपने पैर दीजिए, हमें आपके पैर पड़ना है,
लाला ने अपने पैर आगे करते हुए कहा – अरे बहू इसकी क्या ज़रूरत है, हमारा आशीर्वाद तो वैसे ही हमेशा तुम्हारे साथ है…!
लाजो ने अपने ससुर के पैर छुने के लिए जैसे ही अपने हाथ आगे किए, उसका आँचल धलक गया, चौड़े गले से उसके 34” की गोरी-गोरी मोटी चुचियाँ कसे हुए ब्लाउस से बाहर को छलक पड़ी…
दोनो आमों के बीच की खाई पर नज़र पड़ते ही, लाला का लंड धोती में सिर उठाने लगा, उन्होने अपनी टाँगें जान बूझकर फैला रखी थी,
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