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RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
मैंने अजय का मुँह मेरी ओर करके उसे घुटनों के बाल खड़ा कर लिया। अजय ने अपने हाथ अपने लण्ड पर रख लिए और आँखें बंद कर ली। अजय का करीब 10" लंबा और 3" मोटा लण्ड मेरी आँखों के आगे पूरा तना हुआ था। बिल्कुल सीधे लण्ड के आगे गुलाबी सुपाड़ा बड़ा प्यारा लग रहा था। उसके अंडकोष कड़े थे। अजय की झाँटें बहुत ही कम थीं, और उसकी दाढ़ी की तरह बहुत कोमल थीं। छोटे भाई के कठोर मस्ताने लण्ड को देखकर मुझे कोई शक नहीं रहा की मेरा भाई एक पूर्ण मर्द है। यह अलग बात है की उसके शरीर में कई लड़कियों वाले चिन्ह भी थे, जैसे बहुत हल्की दाढ़ी और मूंछे, लड़कियों जैसे फैले और चौड़े नितंब, त्वचा की कोमलता, शरीर में । खाशकर चेहरे पर कमसिनी, शर्मीलापन और सबसे बढ़कर बात की मर्दो को देने के लिए लालायित रहना जो उस जैसी उम्र की लड़कियों में कुदरती देन होती है।
मेरे छोटे भाई का 10” का मस्ताना लण्ड मेरे आगे तना हुआ था। लण्ड बिल्कुल सीधा और सपाट था। मैं बहुत खुश था की मेरा भाई एक पूर्ण मर्द है। मैं अजय के लण्ड को मुट्ठी में भींचकर उसकी कठोरता को महसूस करने लगा और बड़े चाव से उसे दबा-दबा के देख रहा था। उसके दोनों अंडकोषों को हथेली में रख ऊपर की ओर झटका दे रहा था। पीछे उसके गुदाज चूतड़ों पर हथेली रखकर उसे अपनी मर्दानी छाती पर दबा रहा था, और उसके लण्ड के कड़ेपन को छाती पर महसूस करके खुश हो रहा था।
विजय- “मुन्ना, जितनी मस्त तेरी गाण्ड है उतना ही मस्त तेरा यह प्यारा सा लण्ड है। तू तो पूरा जवान गबरू मर्द है रे। तेरे जैसे मर्दाने भाई की मस्ती करते हुए, बोल-बोलकर गाण्ड मारने में जो मजा है वो दूसरे किसी की मारने में थोड़ा ही है। अरे मारनी है तो किसी तेरे जैसे कमसिन लौंडे की मारो, जिसे मराने में मजा आता हो।
और खुशी-खुशी मराए, जिसे पूरा पता हो की उसके साथ क्या हो रहा है? कुछ लोग भोले भाले बच्चों को बहला फुसला के अपनी हवस मिटाते हैं, तो कुछ तो इतने गिर जाते हैं की हिंजड़ों को पैसे देकर उनकी ठोंकते हैं और कई तो ऐसे बूढ़ों की भी मिल जाती है तो ले लेते हैं, जिनकी जवानी ढल चुकी है और जिनका खड़ा तक नहीं होता। तेरे भैया तो ऐसे लोगों पर थूकते हैं। मुझे तेरे जैसा ही मस्त, मक्खन सा चिकना लौंडा चाहिए था जो पूरा मर्द हो और मराने का शौकीन हो। क्यों पूरा मस्त होकर मजा लेगा ना?”
अजय- “हाँ... भैया। जब आपने मुझे पटाकर पूरा बेशर्म बना ही लिया है तो मैं भी पीछे नहीं रहूँगा। अपने राजा भैया से खुलकर मजा लूंगा। आप भी तो अपना दिखाओ ना? मैं भी अपने प्यारे भैया के गुड्डे से खेलूंगा उसे । बहुत प्यार करूँगा..."
विजय- “हाँ मुन्ना, तो तू भैया का मुन्ना देखेगा। क्या भैया के साँप के साथ खेलेगा? पर देखना मेरा साँप बहुत जोर से फुफ्कार मारता है, और कहीं उसको तुम्हारा बिल दिख गया तो उसमें फौरन घुस जाएगा...” यह कहकर मैंने फौरन ब्रीफ टाँगों से बाहर कर दिया।
मेरा 11” का मस्ताना लण्ड अजय की आँखों के आगे हवा में लहरा उठा। काली-काली झांटों के घने गुच्छों के बीच से मेरा लण्ड बमबू की तरह एकदम सीधा होकर सिर उठाए हुए था। सुर्ख लाल सुपाड़ा फूलकर मुर्गी के अंडे जैसा बड़ा दिख रहा था। नीली नसें फूलकर ऐसे लग रही थीं, जैसे चंदन के तने पर नागिनें लिपटी हुई हों। मैंने अपनी स्पोर्ट गंजी भी खोल दी और अजय को मैंने अपने बगल में कर लिया और उसके सिर को अपनी छाती पर टिका लिया तथा उसे अपने लण्ड को जड़ से पकड़कर हिला-हिलाकर दिखाने लगा। मुन्ना अपने नये खिलौने को बड़े चाव से देख रहा था।
विजय- “मुन्ना, भैया का यह मस्ताना लण्ड ठीक से देख ले। खूब प्यार से इसके साथ खेल। क्यों पसंद आया
ना? बताना कैसा लगा भैया का लौड़ा?”
अजय- “भैया आपका तो बहुत बड़ा और मोटा है। मुझे अपनी मासूम गाण्ड में इसे लेने में बहुत दर्द होगा ना? भैया मैंने आज तक इतने तगड़े लण्ड से कभी नहीं मरवाई है। डर के मारे मेरी गाण्ड अभी से फटने लगी है...”
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RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ गई। लण्ड से पिघला लावा बहने लगा। मैंने 4-5 कस के धक्के मारे और मैं शिथिल । पड़ता गया। फिर मैं मुन्ना पर से उतरकर बेड पर बैठ गया। लण्ड से कंडोम निकालकर साइड टेबल पर रख दी। मेरा लण्ड काफी मुरझा चुका था। मैं पास में ही घुटनों के बल बैठकर अजय की ओर देख रहा था। मेरे चेहरे पर पूर्ण तृप्ति के भाव थे। मैं कई बार मूठ मारता रहता हूँ पर जीवन में आज जैसा मजा मिला वैसा कभी भी नहीं मिला।
विजय- “क्यों मुन्ना खाली लोगों को ही मजा देते हो, या इसका भी मजा लेते हो?” मैंने अजय के लण्ड को पकड़ते हुए उससे पूछा। अजय का लण्ड बिल्कुल तना हुआ था और फूलकर एकदम खड़ा था।
अजय- “भैया मेरे से करने के बाद वे लोग मेरी मूठ मार देते थे...”
विजय- “अरे तुम तो अपनी गाण्ड ठुकवाते हो और खुद मूठ मरवा के राजी हो जाते हो। क्या कभी बदले में उन दोनों मादरचोदों की नहीं मारी जो गाँव में मेरे प्यारे मुन्ना की मारते थे। मूठ तो तुम खुद ही मार सकते हो...”
अजय- “नहीं भैया मुझे खुद मूढ़ी मार के मजा नहीं आता दूसरे लोग मेरी मूठ मारते हैं तब मजा आता है...”
मैं- “अरे आज तो तूने मेरी तबीयत खुश कर दी। चल आज मैं तुझे ऐसा मजा दूंगा की तू भी क्या याद रखेगा की भैया ने तेरी फोकट में नहीं मारी...” यह कहकर अजय को मैंने मेरे सामने बेड पर घुटनों के बल खड़ा कर लिया और प्यार से उसके लण्ड को पकड़कर हल्के-हल्के सहलाने लगा। लण्ड की चमड़ी ऊपर-नीचे कर रहा था
और गुलाबी फूले सुपाड़े पर अपनी अंगुली फेर रहा था। तभी मैं नीचे झुका और मुन्ना के मस्त सुपाड़ा पर । अपनी जीभ फिराने लगा। फिर मुँह गोल करके सुपाड़ा मुँह के बाहर-भीतर करने लगा। जब लण्ड मेरे थूक से ठीक तरह से गीला हो गया तब मैं उसके लण्ड को धीरे-धीरे मुँह में लेने लगा।
अजय- “भैया यह क्या कर रहे हैं? इसे अपने मुँह से निकाल दीजिए। मेरे इस गंदे को मुँह में मत लीजिए। मुझे बहुत शर्म आ रही है.."
विजय- “अरे मुन्ना जिससे प्यार होता है उसकी किसी चीज से घृणा नहीं हो सकती। मैं तेरे से बहुत प्यार करता हूँ, तुम्हारी किसी चीज से घृणा नहीं हो सकती। फिर यह तो तुम्हारा इतना प्यारा लण्ड है। जितना प्यार मुझे तुमसे है, तुम्हारी गाण्ड से है, उतना ही तुम्हारे लण्ड से है, तुम्हारे लण्ड के रस से है। उन दोनों चूतियों का । क्या, उन्हें तो अपनी मस्ती करनी थी, सो तुम्हारी मारी और अलग हो गये। मूठ तो तुम्हारी इसलिए मार देते थे की उन्हें आगे भी तेरी गाण्ड मारनी थी। उन्हें तुमसे प्यार थोड़े ही था। अब कुछ भी मत बोल और देख भैया तुझे कैसा मजा देते हैं...”
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RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
रोज की तरह आज रात भी खाने खाने के बाद मैं, अजय और माँ तीनों टीवी के सामने आ बैठ गये।
विजय- "माँ, आज गाँव से चाचाजी का फोन आया था, कह रहे थे की हमारे खेत गाँव का सरपंच खरीदना चाह रहा है। 20 लाख में उससे बात हुई है। मैंने चाचाजी से कह दिया है की यहाँ से अजय सारे कागजात और पावर आफ अटार्नी लेकर गाँव आ जाएगा और रिजिस्ट्री का काम कर देगा। तो मुन्ना कल वकील से कागजात तैयार करा लेते हैं और कागज तैयार होते ही तुम गाँव के लिए निकल जाओ। कम से कम आधे पैसे तो खड़े करो।
क्यों माँ मुन्ना ही ठीक रहेगा ना?”
राधा- “हाँ, फिर वहाँ चाचाजी हैं, कोई फिकर की बात नहीं है। अजय कभी शहर में तो रहा नहीं है। यहाँ दो महीने हो गये उसे गाँव की याद आती होगी..."
विजय- “तभी तो मुन्ना को भेज रहा हूँ। वहाँ इसके खास दोस्त हैं। माँ यह वहाँ बहुत मस्ती करता था। यह अपने दो दोस्तों को तो बहुत ही खाश बता रहा था। कहता था की इसके दोनों दोस्त खेतों में पहले तो अच्छी तरह से सक्करकंदा सेंकते थे फिर इसे खिला-खिला के मजा देते थे। क्यों मुन्ना कभी माँ को भी सक्करकंदा खिलाते थे या सक्करकंदों का सारा मजा अकेले ही ले लेते थे। अब यहाँ शहर में तो इसे गाँव जैसे सक्करकंदा कहाँ मिलेंगे...”
अजय- “भैया नहीं जाना मुझे और ना ही सक्करकंदा खाने। मुझे तो यहाँ के बड़े-बड़े केले अच्छे लगते हैं। मैं तो यहीं स्टोर में रोज नये दोस्तों से केले लेकर खाया करूंगा। सक्करकंदे का इतना ही शौक है तो गाँव आप चले जाओ...” अजय ने मेरी ओर देखकर मुश्कुराते हुए कहा।
विजय- “भैया के रहते तुझे दोस्तों से केले लेकर खाने की क्या जरूरत है? भैया क्या तेरे लिए केलों की कभी भी
कमी रखेगा। तुझे दिन में और रात में जितने केले खाने हैं, मैं खिलाऊँगा। अभी तो तुम गाँव जाओ और वहाँ खेतों में मजा लो। तूने तो माँ को कभी सक्करकंदा खिलाए नहीं, पर मैं माँ के लिए केलों की कमी नहीं रबँगा...” हम इसी तरह काफी देर बातों का मजा लेते रहे। फिर माँ अपने कमरे में चली गई तो हम दोनों भाई अपने कमरे में आ गये। मैं अपने कमरे में आदमकद शीशा लगी ड्रेसिंग टेबल के सामने सिंगल सीटर सोफे पर बैठ गया।
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RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
अजय- “भैया आप बड़े वो हो। माँ के सामने ऐसी बातें करने की क्या जरूरत थी? कल मैंने कहा तो था की मुझे उन सब कामों की लिए अब किसी भी दोस्त की जरूरत नहीं है। जब आप जैसा बड़ा भैया मौजूद है तो मुझे नहीं जाना किसी दोस्त के पास। अब से मैं तो अपने सैंया भैया का मूसल ही अपनी गाण्ड में ठुकवाऊँगा.."
विजय- “अरे अजय तू कौन से उन सब कामों की बात कर रहा है, मैं कुछ समझा नहीं...” मैंने अजय का हाथ पकड़कर उसे खींचकर अपनी गोद में बैठा लिया और बहुत प्यार से पूछा।
अजय- “वही जो कल आपने अपने छोटे भाई के साथ किया था। शुरू में तो कल आपने जान ही निकाल दी थी ओर अब पूछ रहे हैं की कौन सा काम?”
विजय- “अरे भाई कुछ बताओ भी तो की मैंने तेरे साथ ऐसा कल क्या कर दिया था? कहीं कुछ गलत सलत हो
गया तो बड़ा भाई समझकर माफ कर दे...”
अजय- “कल आपने अपना केला मेरे में दिया तो था। 11' का सिंगापुरी केला छोटे भाई के पीछे में देते समय दया नहीं आई और अब माफी माँग रहे हैं। अभी भी गोद में बैठाकर अपना केला खड़ा करके नीचे गाण्ड में धंसा रहे हैं...”
विजय- “मुन्ना बताओ ना कल मैंने अपनी कौन सी चीज तेरी किस में दी थी?"
अजय- “भैया आप मुझे अपने जैसा बेशर्म बनाना चाहते हैं। आपने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में दिया था। आप मेरे ऊपर सांड़ की तरह चढ़ गये थे और मेरी गाण्ड हुमच-हुमच कर मारी थी। जाइए मैं आपसे और ऐसी बातें नहीं करूंगा...”
विजय- “अरे तू मेरा प्यारा भाई तो है ही पर अब से तू मेरा गाण्ड दोस्त भी बन गया। जब हम आपस में गाण्ड मारा मारी का खेल खेलने लग गये तो हम दोनों एक दूसरे के गाण्ड दोस्त हो गये। जब तुझे अपनी गाण्ड मराने में शर्म नहीं है तो लण्ड, गाण्ड, मारना, चूसना इन सबकी खुलकर बातें करने का मजा ही ओर है...”
अजय- ठीक है भैया।।
विजय- “चल मुन्ना उठ, अपनी पैंट खोल...”
अजय- “किसलिए भैया?”
विजय- “तेरे जैसे मस्ताने लौंडे से जब मेरा जैसा पक्का लौंडेबाज पैंट खोलने के लिए कहता है तो तू मतलब
समझ...”
अजय- “भैया मुझे आज नहीं मरानी..."
विजय- "देखा, समझ आ गई ना। पर मराएगा नहीं तो क्या अपनी माँ चुदाएगा?”
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