05-25-2019, 11:59 AM,
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RE: Kamukta Story सौतेला बाप
अब आगे **********
काव्या ने अपनी माँ की तरफ देखा जो बड़ी आशा भरी नज़रों से उसकी तरफ देख रही थी , ताकि वो चुदाई के लिए बिना कोई नखरा किए तैयार हो जाए बस...उसके बाद उसका भी नंबर लग ही जाएगा..
अपनी माँ की याचना भरी नज़रों से ज़्यादा तो उसे अपनी चूत से निकल रहे पानी की चिंता थी,जो उसे बह-बहकर चुदवाने के लिए उकसा रहा था..पर फिर भी अपनी माँ पर एहसान जताने के लिए वो बड़े ही सेक्सी तरीके से चलती हुई अपनी माँ तक आई और उसके नंगे जिस्म पर हाथ फेरती हुई बोली : "माँ ..क्या तुम चाहती हो की आज मैं विक्की के साथ सेक्स करू...???''
रश्मि (धीरे से) : "उम्म्म्म ....हाँ ....मेरी बच्ची .....कर ले ना.....प्लीज़ कर ले....''
वो परमिशन से ज़्यादा रीक़ुएस्ट लग रही थी..
वैसे भी काव्या ने पिछले कुछ समय से जो रूप देखा था अपनी माँ का, उसके बाद ऐसा बचकाना सवाल पूछना सही नही था...पर ऐसा बोलते हुए जो उत्तेजना से भरी तपिश रश्मि के बदन से निकल रही थी,वो उसके खुद के जज्बातों को सुलगाकर उन्हे आग के शोले में बदल रही थी...जिसमे आज वो विक्की को भून कर खा लेना चाहती थी..
काव्या (अपनी माँ की आँखो में देखते हुए) : "तो चलो ...उतारो मेरे कपड़े...और कर दो मुझे भी नंगा...अपनी तरह...फिर मैं दिखाती हूँ आपको..कैसे इस विक्की के लंड से असली मज़ा लेती हूँ मैं ...''
अपनी बेटी के भावना से भरे शब्दों को सुनकर रश्मि के हाथ बिजली की तेज़ी से चलने लगे..और पलक झपकते ही उसने अपनी फूल सी बेटी को उसी हालत में खड़ा कर दिया जैसी वो पैदा हुई थी...एकदम नंगी..
और उसके नशीले बदन की जवानी को देखकर एक पल के लिए तो रश्मि के मुँह से भी आह निकल गयी..और उसे अपनी जवानी के दिन याद आ गये जब उसके जिस्म से भी जवानी ऐसे ही फुट-फूटकर निकला करती थी...
और उसने भावावेश में आकर अपनी बेटी को बाहों मे भर लिया और उसके लरज रहे होंठों को ज़ोर-2 से चूसने लगी..
काव्या को वैसे तो ये सब अच्छा लगा पर उसे उम्मीद नही थी की उसकी माँ ये हरकत विक्की के सामने करेगी...और जब काव्या ने विक्की की तरफ देखा तो उसकी हँसी निकल गयी, वो अवाक सा होकर,अपना मुँह खोले हुए उन दोनो माँ -बेटी की इस हरकत को देख रहा था.
कुछ देर तक चूमने के बाद रश्मि ने काव्या को छोड़ दिया और बोली : "चलो...जल्दी जाओ वहाँ....''
काव्या भी उसकी अधीरता समझ रही थी, आख़िर उसके बाद वो खुद भी तो चुदने वाली थी विक्की से.
काव्या पलटी और मटकती हुई विक्की की तरफ चल दी, जो अपने लंड को जोरों से मसल कर अपनी तरफ आ रही हुस्न की मल्लिका के स्वागत के लिए तैयार बैठा था.
काव्या ने उसकी आँखों में देखते-2 उसके लंड पर अपनी उंगलियाँ जमाई और उसे मसलना शुरू कर दिया...और साथ ही साथ उसने झुककर अपने होंठों से उसके लंड को चूम लिया...
और फिर धीरे-२ उसकी आँखों में देखते हुए वो उसे किसी अजगर की तरह निगल गयी
और कुछ देर तक चुभलाने के बाद जोर-२ से सक्क करने लगी
विक्की के हाथ भी हरकत में आ गये और उसने नीचे हाथ करते हुए काव्या के लटक रहे अमरूद अपने सख़्त हाथों से मसलने शुरू कर दिए...उसकी उंगलियों की मसलन से जल्द ही वो हरे अमरूद लाल हो गये...और फिर काव्या ने उसके लंड को छोड़ते हुए उसके गीले होंठों को अपनी ब्रेस्ट पर लगा दिया और उपर मुँह करके किसी सियार की भाँति ज़ोर से चीख पड़ी...
''आआआआआआआअहह सककककककककक मीsssssssssssssssssssssssssssss .........''
विक्की तो उसके निप्पल की किसी चविंगम की तरहा चबा रहा था...उसके भरे हुए स्तन को पूरा मुँह में भरकर वो उसका पूरा रस निचोड़ रहा था..
रश्मि भी बेड पर आकर बैठ गयी और विक्की के हाथों अपनी फूल सी बच्ची का मर्दन देखते हुए अपनी चूत मसलने लगी..
काव्या को अपनी गोद में भरकर विक्की ने अपने उपर खींच लिया...और पीछे की तरफ होकर वो बेड पर लेट गया..काव्या ने अपनी दोनो टांगे उसके लंड के दोनो तरफ फेला दी और धीरे से अपनी गांड नीचे करते हुए उसके लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर लगाया...
यही वो लम्हा था जिसका विक्की ने न जाने कितने सालों से इंतजार किया था..
आज उसकी गली की वो अल्हड़ सी लड़की,जिसके पीछे वो आवारा कुत्ते की तरह घूमता था...उसे छेड़ता था...उसे चोदने के सपने देखता था...पूरी नंगी होकर उसके उपर लेटी थी...और उसके लंड को अंदर लेने की तैयारी में थी...
विक्की की नज़रों के सामने एक मिनट के अंदर ही पहले की पूरी लाइफ घूम गयी जिसमें ना जाने कितनी बार उसने काव्या की चूत मारने की सोची थी...और आज उसका वो खवाब सच होने जा रहा था, और अपने ख्वाब को सच होता देखकर वो कुछ ज़्यादा ही आवेश मे आ गया और उसने काव्या के दोनो चूतड़ों पर हाथ रखे और गुर्राया : "आज मिली है तू मुझे...इतने सालों के इंतजार के बाद...अब देख मैं तेरी कैसी चुदाई करता हूँ ..आज तेरी चीखें ना निकलवा दी तो मेरा भी नाम विक्की नही...''
उसके हिंसक रूप को देखकर एक पल के लिए तो काव्या सहम सी गयी...क्योंकि जो दबाव उसने उसकी गांड के उपर लगाया था उसे महसूस करके ही वो समझ गयी की आज उसकी कैसी चुदाई होने वाली है..पर अगले ही पल ऐसे रफ़ तरीके से चुदाई करवाने के ख़याल से ही उसमे रोमांच सा भर गया...क्योंकि उसने एक इंग्लीश मूवी में देखा था जब एक लड़का जबरदस्त तरीके से लड़की की चुदाई करता है, पहले तो वो लड़की बड़ा छटपटाती है पर बाद में वो जिस तरीके से उस वाइल्ड सेक्स को एंजाय करती है उसे देखकर काव्या की चूत तब पानी छोड़ गयी थी...और आज विक्की के हाथों वैसी ही चुदाई की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत एकदम से पनिया गयी...और उसमे से भरभराकर पानी बाहर की तरफ गिरने लगा जो नीचे खड़े हुए लंड के उपर जाकर गिरा..
वो भी उसको उकसाने के लिए बोली : "अबे जा ना...बड़े देखे है तेरे जैसे ...मेरी चीखे निकलवाने के लिए स्टील का लंड चाहिए...समझा...''
बस...इतना बहुत था, विक्की के अंदर के जानवर को पूरी तरह से जगाने के लिए...उसने आव देखा ना ताव और उसकी गांड को नीचे की तरफ ज़ोर से धक्का मारकर उसने अपना खड़ा हुआ लंड एक ही झटके में पूरा का पूरा उसकी गीली चूत में उतार दिया...
ऐसा लगा जैसे कोई मूसल किसी पानी से भरे ग्लास में जाकर फंस गया हो....क्योंकि लंड के अंदर जाने से उसकी चूत से निकल रहे पानी की छींटे छपाक की आवाज़ के साथ बाहर की तरफ उछल आये ...
और साथ ही निकली काव्या के मुँह से वो दर्द भरी और मज़े से भरपूर चीख
''आआआआआआआआआआआअहह मअरर्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईई.........उम्म्म्ममममममममममममममममम ओह विक्की .............. साले जानवर .........धीरे कर कमीने....''
जिसे सुनकर पास बैठी रश्मि भी मस्ती में आकर अपनी चूत को ऐसे मसलने लगी जैसे उसे रगदकर अंदर से जिन्न निकालेगी...
पर विक्की अब कहाँ मानने वाला था....उसने तो अपना मुँह उसके मुम्मे पर लगाया और उसे चूसते हुए नीचे से उसकी चूत के अंदर अपना लंड ठोंकने लगा..काव्या का पूरा शरीर उसके तेज झटकों से बुरी तरह से हिल रहा था...ऐसे झटके तो अभी तक महसूस नही किए थे उसने एक हफ्ते की चुदाई में ....समीर के बाद नितिन ने और उसके बाद उस राह चलते आदमी ने भी उसकी चूत बड़े आराम से मारी थी...पर ये विक्की तो साला एकदम से पागल निकला...जानवरों की तरहा झटके मार रहा है...पर एक बात उसने नोट की,हर झटके से जो घर्षण उसकी चूत की अंदरुनी दीवारें महसूस कर रही थी,उसमे उसे ज्यादा आनंद मिल रहा था, तेज झटकों से उन दीवारो को मिल रही रगड़ाई भी जोर से हो रही थी,जो उसे अंदर से असली मजा दे रही थी
पर ऐसा ही तो वो खुद चाहती थी....ऐसा ही कुछ तो काव्या ने उस इंग्लीश मूवी में देखा था,और अब ठीक वैसा ही अपने साथ होता देखकर वो खुशी से पागल हो उठी...और उसने विक्की के बालों को खींचकर अपने स्तनों से उसके मुँह को छुड़वाया ...और उसके होंठों और पूरे चेहरे को अपनी जीभ से किसी पालतू बिल्ली की तरह से चाटने लगी...और ऐसा करते हुए उसने अपने मुँह की लार से उसके चेहरे को भिगो भी डाला...
और अपने मुँह पर उसकी जीभ की पुताई करवाकर विक्की और जंगली हो उठा और उसने अपनी उंगली पीछे की तरफ लेजाकर उसकी गांड में पेल डाली...और वो चिहुंक उठी ....और साथ ही साथ उसके शरीर में एक अजीब सी तरंग भी दौड़ गयी...वो ये भी समझ गयी की जब उसकी गांड की बारी आएगी तो ऐसा ही एहसास महसूस करेगी वो...पर अभी के लिए तो वो अपनी चूत के अंदर पिलाई करवाकर ही खुश थी...
काव्या ने उसके सिर को नीचे दबाकर एक बार फिर से उसके उपर उछलना कूदना शुरू कर दिया...
पर अचानक विक्की उसको गोद में लिए-2 ही खड़ा हो गया...शायद वो किसी अलग एंगल से उसको चोदना चाहता था अब...उसकी भुजाओं में इतनी ताक़त थी की काव्या को गोद में लेने के बाद भी वो उसे हवा में ही कुछ देर तक चोदता रहा...काव्या भी उसके गले में बाहें डालकर अपनी टांगे फेलाए हुए हवा मे लटकी कुतिया की तरह उसके लंड को अंदर बाहर ले रही थी...
और ऐसे ही चोदते -2 विक्की ने उसे बेड पर पटक दिया और उसे घुमाकर डोगी स्टाइल में कर दिया और फिर उसकी फेली हुई गांड को देखते-2 उसकी चूत के छेद पर एक बार फिर से अपने गीले लंड को लगाया और पहले जैसा तेज धक्का मारकर अंदर दाखिल हो गया...
घोड़ी बनी हुई काव्या का शरीर एक बार फिर से उसके सतरंगी झटके से हिल कर रह गया..
पर पिछली बार की तरह वो इस बार भी सिर्फ़ सिसकारियाँ मारकर रह गयी..
''आआआआआआआहह .... ओह येसस्स्स्स्स्स्सस्स... विकी.......चोदो मुझे ..............ऐसे ही .............ज़ोर से ............... अपने लंबे लंड से .............. अंदर तक उतार जाओ मेरी चूत के ............. अहह ... येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स .....''
और विक्की ने फिर से अपनी रेलगाड़ी उसकी चूत की पटरी पर दौड़ा दी..
काव्या ने बेड पर बिछी चादर को पकड़कर अपना बेलेन्स बनाना चाहा पर झटके ही इतनी तेज थे की बेचारी को ढंग से झुके रहने का भी मौका नही मिल रहा था...हर झटके से वो बेड पर फ्लेट सी होकर लेट जाती और फिर वापिस अपनी गांड हवा में उभारकर घोड़ी बनती..अगले झटके से फिर से धराशायी होकर नीचे गिर जाती...ऐसा करते-2 करीब 5 मिनट हो गये..और इन 5 मिनटों में ना जाने वो कितनी बार झड़ी,वो भी नहीं जानती
सामने उनकी चुदाई की रासलीला देख रही रश्मि से सब्र नही हो रहा था...वो सोच रही थी की ऐसे तो ये पूरा दिन लगा रहेगा गे फिर भी झड़ेगा नही...इसलिए विक्की को उत्तेजना के शिखर तक ले जाने के लिए वो भी मैदान में कूद पड़ी..
और अपनी बेटी की चुदाई कर रहे विक्की की बगल में जाकर उसे स्मूच करते हुए उसके बदन को सहलाने लगी...
एक तरफ काव्या की नरम चूत और दूसरी तरफ रश्मि के गर्म होंठ...वो रश्मि के होंठों को चूसता हुआ उसके मुम्मे भी दबा रहा था...और साथ ही साथ काव्या की चूत भी मार रहा था..
और रश्मि का आइडिया जल्द ही रंग लाया....विक्की के लंड ने जल्द ही जवाब दे दिया और वो ज़ोर से चिल्लाया..
''आआआआआआआअहह काव्या .................आई एम कमिंग ..............''
काव्या तो करीब 3 बार झड़ चुकी थी...इसलिए उसे कोई चिंता नही थी...पर वो विक्की के रस को अपने मुँह में लेना चाहती थी,क्योंकि रिसोर्ट में जबसे उसने विक्की के लंड का रस चखा था तबसे वो उसकी दीवानी हो गयी थी..वो भी चिल्लाई..
''विक्कीईईईईईईईईईईईईईईई.....मेरे मुँह में निकालना.....प्लीज़......मेरे मुँह में .....''
और आख़िर के 5-6 झटके जोरों से मारने के बाद एकदम से विक्की ने अपना लंड बाहर खींचा और उसी पल काव्या भी पलटकर उसके सामने बैठ गयी...और विक्की ने अपने हाथ से मसलते हुए अपना गाड़ा और मीठा रस काव्या के मासूम से चेहरे पर बिखेरना शुरू कर दिया...कुछ उसके खुले हुए मुंह में गया और बाकी उसके गालों और आँखों पर
ऐसा लग रहा था जैसे काजू बरफी का गाड़ा घोल काव्या के चेहरे पर आ गिरा है...जिसे वो धीरे-2 अपनी उंगलियों में समेट कर चाटती चली गयी..
और फिर अच्छी तरह से उसके लंड को चूसने के बाद काव्या और विक्की उसी बेड पर गिरकर अपनी साँसे संभालने की कोशिश करने लगे..
पर अपनी साँसे संभाल रहा विक्की बेचारा ये नही जानता था की रश्मि की गिद्ध जैसी नज़रें अब उसके मुरझाए हुए लंड पर आकर टिक गयी है....जिसे वो जल्द से जल्द अपने लिए तैयार करके वही करवाना चाहती थी जिसके लिए वो कब से तरस रही थी..
अपनी चुदाई....
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05-25-2019, 12:00 PM,
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RE: Kamukta Story सौतेला बाप
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उसकी देखा देखी विक्की और काव्या भी वही सो गये...विक्की के लंड में तो वीर्य की एक बूँद भी नही बची थी...और उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसका सारा खून भी निचोड़ लिया है इन माँ -बेटियों ने..इसलिए अपने घर की चिंता भुलाकर वो भी गहरी नींद में सो गया.. रश्मि की नींद उसके मोबाइल की बेल से खुली...समीर का फोन था...उसने टाइम देखा रात के 10 बजने वाले थे. उसने फोन उठाया. समीर : "हैल्लो माय डार्लिंग....क्या कर रही हो जानेमन...'' रश्मि : "उम्म्म.....बस जी....आपका इंतजार कर रही हूँ ...'' उसने अपनी चूत को मसलते हुए कहा, जो अभी तक चिपचिपा रही थी.. समीर काफ़ी मस्ती के मूड में लग रहा था...और लगता भी क्यों नही, इस वक़्त वो अपने ऑफीस से घर की तरफ आ रहा था....और उसकी सेक्रेटरी रोज़ी उसकी बगल में बैठकर उसके लंड को मसल रही थी...और उसका दोस्त लोकेश इस वक़्त गाड़ी चला रहा था...जो समीर के साथ ही सुबह से उसके ऑफीस में में था, होली के प्रोग्राम में ..और दोनो ने 1-1 बार रोज़ी की चूत को बुरी तरह से पेल भी दिया था.. और अब समीर उसे लेकर अपने घर जा रहा था...क्योंकि पिछले कुछ दिनों में उसके घर के हालात जिस तरह से बदले थे,उसके बाद उसके मन में काफ़ी एक भयंकर ग्रूप सेक्स की कल्पना चल रही थी..अपनी बीबी के अलावा अपनी बेटी काव्या को तो वो चोद ही चुका था..और उसका दोस्त लोकेश भी उसकी बीबी रश्मि की चूत बजा चुका था..इसलिए अब समीर चाहता था की इस खेल को अगले चरण तक ले जाया जाए, जिसमें सभी मिलकर एक ही बिस्तर पर जिसे चाहे चोदे और एक दूसरे के साथ मस्ती करे... ऑफीस में पीने का अरेंजमेंट भी था, इसलिए रोज़ी ने भी काफ़ी शराब पी और उसके बाद जब उसने समीर के केबिन में चुदाई करवाई तो समीर ने उसे भी साथ ही ले जाने की सोची...क्योंकि वो उनके बीच तड़के जैसा काम करने वाली थी...ऐसी झक्कास लड़की को अपने घर लेजाकर अपनी ही बीबी और बेटी के सामने चोदना कोई मामूली बात नही थी और ऐसी हिम्मत सिर्फ़ पीने के बाद ही आ सकती है.. और इसलिए अब रोज़ी उनके साथ ही समीर के घर जा रही थी.. समीर और रश्मि बाते कर रहे थे और रोज़ी अपना सेक्रेटरी वाला धर्म निभा रही थी..अपने बॉस का लंड मसलते हुए. समीर : "बस...अब तुम्हारा इंतजार ख़त्म हुआ डार्लिंग...आ रहा हू मैं ...अब हम सब मिलकर होली मनाएँगे...'' रश्मि : "हम सब....और कौन आ रहा है..?'' समीर (हंसते हुए) : "लोकेश है मेरे साथ....एंड कोई और भी है....'' रश्मि की उत्सुकतता बढ़ने लगी, वो बोली : "कौन है....किसे ला रहे हो आप अपने साथ...'' उसकी चूत की धड़कन एकदम से बढ़ने लगी...ये सोचकर की शायद एक नया लंड आ रहा है उसकी सेवा करने के लिए.. समीर : "इतनी उतावली मत बनो डार्लिंग...जब घर आऊंगा तो देख लेना...'' रश्मि : "ओके ....मत बताओ...वैसे यहाँ भी मेरे और काव्या के अलावा कोई और है...जो आज की मस्ती में शामिल हो सकता है...'' रश्मि ने उसी सस्पेंस वाली टोन में समीर से कहा,जैसे उसने कहा था..
अब समीर के लंड में भी एक अलग तरीके का तनाव आ गया...वो भी सोचने लगा की शायद कोई नया माल आया है घर में ..शायद रश्मि की कोई सहेली या रिश्तेदार...या फिर काव्या की कोई सहेली .... दोनों अपने -2 दिमाग़ मे अपने से ऑपोसिट सेक्स के बारे में सोच रहे थे , पर दोनो ही नही जानते थे की उन्हे क्या देखने को मिलेगा.. समीर ने फोन रख दिया और लोकेश से जल्दी गाड़ी चलाने को कहा...लोकेश तो पहले से ही तेज गाड़ी चला रहा था...क्योंकि आज तो उसके चेहरे के आगे सिर्फ़ और सिर्फ़ काव्या की ताज़ा चुदी चूत घूम रही थी...क्योंकि आज ही रोज़ी की चुदाई एक साथ करते हुए समीर ने उसे बताया था की उसने काव्या की सील तोड़ दी है...और लोकेश अच्छी तरह से जानता था की पिछली 1-2 बार में काव्या की यही मंशा थी की वो लोकेश से तभी चुदवायेगी जब वो समीर से पहली बार चुदवा लेगी...इसलिए अब उसका रास्ता क्लीयर था. कुछ ही देर मे समीर का घर आ गया. तीनों दरवाजे तक पहुँचे और समीर ने बेल बजाई...रश्मि ने हमेशा की तरह अपना नंगा शरीर चादर से ढँका और दरवाजा खोल दिया..विक्की और काव्या अभी तक बेसूध होकर सो रहे थे. दरवाजे पर लोकेश और समीर के साथ रोज़ी को खड़ा देखकर रश्मि चोंक गयी... उसने सोचा की शायद आज ये दोनो किसी घस्ती को उठा लाए हैं...ग्रूप सेक्स करने के लिए...क्योंकि पहनावे से वो लग ही एक कॉल गर्ल रही थी..पर थी भी बड़ी सुन्दर ... समीर : "रश्मि...इससे मिलो, ये है मेरी नयी सेक्रेटरी, रोज़ी...'' रश्मि : "ओहो...तो ये है रोज़ी...मैने समझा की...हा हा ...चलो छोड़ो ...आओ अंदर आओ...'' थोड़ी मायूसी ज़रूर हुई थी उसे ,क्योंकि वो तो एक नये लंड की कल्पना कर रही थी...इसलिए अब उसकी नज़रें लोकेश की तरफ थी...और दोनो ही एक दूसरे को देखकर मंद-2 मुस्कुरा दिए. सभी अंदर आ गये.. अंदर आते ही समीर और लोकेश के मुँह से एकसाथ निकला : "काव्या कहाँ है...'' और इस बार वो दोनो एक दूसरे को देखकर रहस्यमयी ढंग से मुस्कुरा दिए.. शायद ये सोचकर की जैसे हर बार वो दोनो मिलकर एक साथ मज़े लेते हैं, अब काव्या के साथ भी वही सब करेंगे.. और तभी जैसे समीर को कुछ याद आया..वो बोला : "और कौन है घर में ...जिसके बारे में तुम बता रही थी फोन पर...'' रश्मि : "खुद ही चलकर देख लो.....अपने बेडरूम में ...'' रश्मि अभी तक उसे सस्पेंस मे रख रही थी... समीर अपने बेडरूम की तरफ चल दिया...और उसके पीछे-2 रोज़ी और लोकेश भी...और लास्ट में रश्मि भी मटकती हुई बेडरूम की तरफ चल दी...उसने अब अपनी चादर उतार फेंकी थी...और वो ऐसे ही चलती चली जा रही थी...नंगी. बेडरूम मे पहुँचकर समीर ने लाइट ऑन करी तो देखा की उसके बिस्तर पर उसकी बेटी काव्या नंगी सो रही है...और साथ ही एक नौजवान लड़का,वो भी पूरा नंगा...पूरे कमरे में सेक्स की महक फेली हुई थी...समीर को समझते देर नही लगी की वो लड़का कोई और नही बल्कि विक्की है...काव्या का बाय्फ्रेंड. वो लड़की के बदले कोई लड़का निकला,इस बात का अफ़सोस ज़रूर हुआ समीर को...पर उसने उसे अपने चेहरे पर नही आने दिया, उसका ध्यान एक बार फिर से रोज़ी की तरफ चला गया...आज सुबह उसकी चूत मारते हुए उसने उसकी गांड मे उंगली करी थी पर उसने वहां कुछ भी करवाने से मना कर दिया था..अब उसका मिशन था रोज़ी की गांड ,जिसे वो आज किसी भी कीमत पर मार लेना चाहता था..और इसके लिए माहौल में पहले से ही काफ़ी गर्मी थी,देरी थी तो बस रोज़ी को उस गर्मी में पिघालने की. उसने रोज़ी को इशारे से कपड़े उतारने को कहा और उसने बिना कुछ बोले अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए...वोड्का का नशा उसपर अब धीरे-2 चढ़ने लगा था..और रास्ते में भी कार में बैठकर उसने समीर के उफनते हुए लंड पर जिस तरह अपनी थिरकती उंगलियो का कमाल दिखाया था, उसकी तरंगो से कार की सीट तक गीली हो चुकी थी...इसलिए वो अपनी चूत के चारों तरफ की घुटन को जल्द से जल्द उतार देना चाहती थी. रश्मि तो पहले से ही नंगी खड़ी थी पीछे की तरफ, वो आगे की तरफ आई और उसने लोकेश को चारों तरफ से अपनी गिरफ़्त में ले लिया..और लोकेश की नज़रें तो बेड पर सोई हुई काव्या को आँखो से चोदने में लगी हुई थी..जिसके उभरे हुए कूल्हे देखकर उसके लंड का बुरा हाल था. रश्मि ने पीछे से हाथ लाकर उसके लंड वाले हिस्से को टटोला,और उसमे उफान मार रहे अजगर को अपनी उंगलियों से दबोच लिया...वो समझ चुकी थी की वो उसकी बेटी काव्या को देखकर उत्तेजित हो रहा है...इसलिए वो उसके कान में फुसफुसाई : "सोच क्या रहे हो...आगे बडो...देखो उसकी चूत कैसे मचल-2 कर तुम्हे बुला रही है...'' वो उसे और ज़्यादा उत्तेजित करना चाहती थी ताकि उसके कड़क लंड को अपनी चूत में ले सके..अब ये तो वो समझ ही चुकी थी की आज इस कमरे मे सेक्स का नंगा नाच होगा...इसलिए उसे भी अपनी बेटी को लोकेश से चुदवाने में कोई प्राब्लम नही थी...ये तो वो हमाम था जिसमे आज सब नंगे थे. समीर भी अपने कपड़े उतार कर सोफे पर जा बैठा और अपनी सेक्रेटरी को शॉर्ट हेंड पर लगा दिया.. यानी लंड चुसाई पर.. और वो भी बड़े चाव से अपनी फेली हुई गांड को पीछे की तरफ फेलाकर समीर के लंड को अपने नाज़ुक मुँह में लेजाकर चाटने लगी. रश्मि ने एक अच्छी भाभी की तरह अपने खास देवर लोकेश के सारे कपड़े एक-2 करके उतार दिए...और धीरे से धक्का देकर उसे बेड पर लिटा दिया..और खुद लपककर उसकी टाँगो के बीच बैठ गयी...और एक झटके में ही उसके बाहुबली लंड को मुंह से निगल गयी..
लोकेश का सिर काव्या की गद्देदार गांड पर जा टकराया...वो अपने पेट के बल सोई हुई थी...लोकेश को तो ऐसे लगा जैसे कोई मखमली पिल्लो आ गया है उसके सिर के नीचे...और उसकी चूत के इतने करीब आ जाने की वजह से वहां से आ रही भीनी - 2 खुश्बू ने उसे पागल सा कर दिया... लोकेश ने अपना सिर नीचे खिसकाया और ज़ोर लगाकर काव्या की एक टाँग उठा कर अपना मुँह उसकी जांघों के बीच खिसका दिया...और उसकी चूत को ठीक अपने होंठों पर लगा लिया...काव्या गहरी नींद में थी,इसलिए इतनी उथल-पुथल के बावजूद उसकी नींद नही खुली. लोकेश ने अपनी जीभ से उसकी चूत को कुरेदना शुरू कर दिया. बेड पर लेटे हुए लोकेश का लंड रश्मि चूस रही थी और उसकी बेटी ओंधी होकर अपनी चूत के बल लोकेश के मुँह के उपर पड़ी हुई थी. और अपनी चूत के अंदर लोकेश की गर्म जीभ को महसूस करते ही वो धीरे-2 सुलगने लगी...भले ही गहरी नींद में थी वो पर अपनी गांड को हिला-2 कर वो अपनी चूत के अमृत को उसके मुँह में आराम से पहुँचा रही थी... इसी बीच समीर का लंड पूरी तरह से तैयार था, पर रोज़ी की गांड मारने से पहले वो उसकी गांड को तर कर देना चाहता था, अपनी लार से..ताकि अंदर जाने में उसे कोई परेशानी ना हो.. इसलिए उसने उसे उठाया और बेड की तरफ चल दिया...बेड के अगले हिस्से में तो लोकेश एंड कंपनी ने कब्जा जमा रखा था, इसलिए वो उनके पीछे की तरफ चला गया, जहाँ विक्की आराम से सो रहा था.. समीर ने रोज़ी को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत पर अपने होंठ लगा दिए. वो ज़ोर से चीख उठी.. ''आआआआआआआआहह ..... ओह बोस्स्सस्सस्स... उम्म्म्मममममममममम ........ एसस्स्स्स्सस्स..... ऐसे ही .............. अहह ...'' घोड़ी बनी रोज़ी के मुँह के ठीक सामने विक्की का मुरझाया हुआ लंड पड़ा था, जो कब उसने निगल लिया उसे भी पता नही चला... विक्की की नींद इतनी गहरी नही थी,इसलिए अपने किले पर हमला होते ही वो एकदम से जाग गया...और वो चोंककर उठ बैठा... और जब अपने चारों तरफ उसने नज़र दौड़ाई तो उसका दिमाग़ भी चकरा गया..वो तो आराम से चुदाई करने के बाद काव्या के साथ नंगा सो रहा था, एकदम से ये कौन-2 आ गया है कमरे में .. उसने रश्मि को देखा जो बड़े ही चाव से लोकेश के लंड को चूसने में लगी थी..उसने आँखो का इशारा करके उसे बस मज़े लेने को कहा.. फिर उसने लोकेश को देखा, जिसका चेहरा तो दिख ही नही रहा था, क्योंकि उसके उपर तो काव्या अपनी चूत फेला कर सो रही थी..और फिर उसने अपने लंड को चूस रही हसीना की तरफ देखा, जिसके रेशमी बालों ने उसके चेहरे को ढका हुआ था, पर उसके लटक रहे खरबूजे और निकली हुई गांड देखकर वो इतना ज़रूर समझ गया की माल काफ़ी जबरदस्त है वो..और उसके ठीक पीछे समीर को उसकी चूत चूसते हुए देखकर वो समझ गया की ज़रूर काव्या का बाप अपने साथ कोई जुगाड़ लेकर आया है...और ये दूसरा आदमी शायद लोकेश ही है, जिसके बारे में काव्या ने उसे बता रखा था. अब उसे क्या फ़र्क पढ़ रहा था...वो तो पहले से ही मज़े लेने के लिए आया था आज...ऐसे में अगर उसे एक्सट्रा मज़ा मिल रहा हो तो उसे भला क्या प्राब्लम हो सकती थी. सो वो आराम से अपने सिर के पीछे हाथ लगाकर अपने लंड की चुसाई का मज़ा लेने लगा. और इसी बीच लोकेश ने एक जोरदार हमले से काव्या की चूत को पूरा अपने मुँह में निगल लिया और दांतो से काट भी लिया.
और ऐसा हमला अपनी चूत पर होता देखकर गहरी नींद में सो रही काव्या भी एकदम से उठ गयी...उसे तो ऐसा लगा की शायद सोते हुए कोई कीड़ा उसकी चूत में घुस गया है...और वो छिटककर एकदम से अलग हो गयी.. और जैसा झटका थोड़ी देर पहले विक्की को लगा था, ठीक वैसा ही काव्या को भी लगा...एकदम से कमरे मे इतने लोग देखकर वो भी घबरा सी गयी...अपनी माँ को लोकेश अंकल का लंड चूसता देखकर और रोज़ी को विक्की का लंड चाटते देखकर वो समझने की कोशिश कर रही थी की हो क्या रहा है...रोज़ी से वो मिल चुकी थी एक बार जब वो अपने पापा के ऑफीस गयी थी...पर नंगी होकर वो इतनी जबरदस्त निकलेगी, ये उसने नही सोचा था...और उसके प्यारे पापा इस वक़्त अपनी सेक्रेटरी की चूत चूसने में लगे थे.. लोकेश : "अब इतना हैरान होने की ज़रूरत नही है काव्या...चलो जल्दी से वापिस उपर आओ ...अभी तो मज़ा आना शुरू हुआ था...'' काव्या तो सुबह से यही करने में लगी हुई थी...इसलिए उसे दोबारा कहने की ज़रूरत नही पड़ी, वो उछलकर अपने लोकेश अंकल के मुँह पर सवार हो गयी...और अपनी चूत पहले की तरह एक बार फिर से चुसवाने लगी.आख़िरकार सेक्स से उसे उतना ही प्यार हो गया था जितना अपनी माँ से था अब तक. समीर ने अपनी जीभ का डायरेक्शन अब रोज़ी की चूत से हटाकर उसकी गांड पर कर दिया...सुबह तो वो अपने बॉस को एक बार मना कर चुकी थी वहां किसी भी प्रकार की एंट्री के लिए..पर इस बार वो ऐसा नही करना चाहती थी..और वैसे भी माहौल इतना गर्म हो रहा था की अब उसने मन ही मन अपने दूसरे छेद का उद्घाटन करने की बात को सोचना शुरू कर ही दिया था. और इस वक़्त उसके सामने इतना जवान लंड भी तो था..विक्की का...जो अपनी कमीनी आँखो से उसके सेक्सी से चेहरे को अपने लंड को चूसता हुआ देखकर आँहे भर रहा था. काव्या तो लोकेश के मुँह पर अपनी चूत ऐसे घिस रही थी मानो घुड़सवारी कर रही हो...उनके बालों को पकड़कर वो अपना मुँह उपर करते हुए जोरदार चीखो से कमरे मे संगीत का रंगारंग कार्यकर्म प्रस्तुत कर रही थी. ''ऊऊऊऊओह अहह ओह अंकल ...............सकक्क मी..एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ... ऐसे ही ..............अहह अंदर तक.......... जीभ से .................डालो .....आआआआआआआआआआआआआआआआआईयईईईईईई....'' उसने अब तक 2-3 बार लोकेश अंकल से उपर-2 के मज़े लिए थे...जिसे वो आज पूरी तरह से लेना चाहती थी. पर उसके लंड पर तो पहले से ही उसकी माँ रश्मि ने कब्जा किया हुआ था...जो चूस्कर लंड को शायद अपनी चूत के लिए तैयार कर रही थी.. काव्या खिसक कर नीचे की तरफ आ गयी...अपनी गीली चूत को लोकेश की छाती से रगड़ते हुए...उसके पेट पर मसलते हुए..उसके लंड से आ टकराई...और अपनी माँ के चेहरे से भी... और एकदम से अपनी बेटी की सिसक रही चूत को अपने चेहरे के सामने देखकर बेचारी माँ का दिल पसीज गया और उसने अपनी चुदाई कुर्बान करते हुए लोकेश के खड़े हुए लंड को धीरे से काव्या की चूत के मुहाने पर लगाया और बाकी का काम काव्या ने कर दिया, एक झटके से नीचे की तरफ होकर.. ''आआआआआआआहह अंकलssssssssssssssssssss ..................... कब से तरसी हूँ आपके लिए ................अब बुझेगी मेरी प्यास.........'' एक बाप को जब ये सुनना पड़े की उसकी बेटी उसके ही दोस्त के लिए कब से चुदवाने के लिए तरस रही है तो उसके दिल पर क्या बीती होगी इसका अंदाज़ा आप खुद लगा सकते है...पर समीर ऐसा नही था...उसे इन बातों से कोई फ़र्क नही पड़ता था...पर ये सुनकर की काव्या लोकेश के लिए कब से तरस रही थी,उसे अचंभा ज़रूर हुआ, क्योंकि आज तक तो उसने सिर्फ़ यही सोचा था की वो सिर्फ़ उसके लंड के लिए तरस रही थी.. इन बातों को नरंदाज करते हुए उसने अपनी जीभ से रोज़ी के गांड के छेद की आयिलिंग करनी स्टार्ट रखी...और अब धीरे-2 रोज़ी को भी एक अजीब सी जलतरंग महसूस होने लगी थी अपनी गांड के अंदर... रश्मि के हाथ से एक खड़ा हुआ लंड निकल गया था...वो उठी और बेड के दूसरी तरफ चल दी, जहाँ विक्की लेटा हुआ था..और उसके लंड को रोज़ी घोड़ी बनकर चूस रही थी..
वो उसकी तरफ आई और 69 की पोज़िशन में उसके उपर लेट गयी...और ऐसा करते ही उसका चेहरा भी रोज़ी के करीब आ पहुँचा जो विक्की के लंड को चूस रही थी...दोनो ने आँखो-2 में इशारा किया...और मुस्कुरा दी...और फिर दोनो मिलकर विक्की के लंड पर जीभ चलाने लगी.. पूरे कमरे में सड़प -2 की आवाज़ें गूँज रही थी... विक्की के मुँह की आवाज जो रश्मि की रसीली चूत को चूस रहा था..रश्मि और रोज़ी के मुँह की आवाज जो उसके ओज़ार को अपनी लार और भीगी जीभ से नहला रही थी...समीर के मुँह से जो रोज़ी की संकरी गांद के छेद को अपनी गीली जीभ से भिगो कर गांद मारने के लिए तैयार कर रहा था...और साथ में गूँज रही थी काव्या और लोकेश की सिसकारियाँ... लोकेश तो इस जवानी से भरे जिस्म को चोदकर फूला नही समा रहा था....ऐसी कच्ची कली, जो अभी कुछ दिन पहले ही चुदवाना सीखी हो, उसकी चूत मारने का मज़ा अलग ही है..वो उसकी भरी हुई गांड को हाथों में भरकर ,उसके मुम्मों को चूसता हुआ, नीचे से दनादन धक्के मार रहा था.. ''आआआआआआआअहह .....ऊऊऊऊऊऊहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .... ऑश काव्या ......................कितनी टाइट है ..................उम्म्म्मममममममममममममम ........'' लोकेश के भारी भरकम धक्को से उसका नन्हा जिस्म बुरी तरह से हिचकोले खा रहा था...पर एक बात उसने नोट की थी...भले ही इन बूढ़े लोगो में जवान लंड के मुक़ाबले ज़्यादा ताक़त नही होती..पर मज़ा इनसे ही मिलता है...इनके झटके देने का स्टाइल...इनका चूमने और चूसने का तरीका जवान लड़को से अलग ही होता है...आख़िर इतनी चूतें मारने का एक्सपीरियन्स भी तो होता है इन्हे.. समीर अब उठ खड़ा हुआ और उसने अपने लंड पर ढेर सारी थूक लगाकर उसे रोज़ी की गांड पर टिका दिया...दर्द की कल्पना करते हुए रोज़ी ने विक्की के लंड को चूसना छोड़ दिया...और समीर के धक्के की प्रतीक्षा करने लगी..और वो धक्का आ भी गया...समीर ने अपनी पूरी ताकत लगाकर धक्का तो नही मारा, पर अपना ज़ोर पीछे से लगाकर इंच -2 करते हुए अपने लंड को उसकी गांड में खिसकाने लगा... गांड मारने का यही सही तरीका होता है...ये वो अच्छी तरह से जानता था...और ऐसा करते हुए वो सामने लगे शीशे में रोज़ी के चेहरे के एक्शप्रेशन देख रहा था...उसका मुँह खुला का खुला रह गया...ऐसा लग रहा था जैसे पीछे से उसके जिस्म में कोई दाखिल हो रहा है...दर्द और मज़े का मिला जुला मिश्रण हो रहा था उसे...पर मुँह से कोई आवाज़ नही निकल रही थी. और पूरे 1 मिनट की मेहनत के बाद समीर का लंड उसकी गांड की तह से जा टकराया...और तब जाकर रोज़ी के मुँह से सिसकारी फूटी ''आआआआआआआआहह ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओह समीर सर..................... उम्म्म्मममममममममममममममम ममम........ येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... मज़ा आ गया सच में ...............आप सही कहते थे........यहा का मज़ा अलग ही होता है.................... अहहssssssssssssssssssssssssssss ......'' रश्मि की चूत भी अब कुलबुलाने लगी...वो नीचे लेट गयी और विक्की को अपने ऊपर खींच लिया, विक्की ने भी अपना लंड उसकी चूत पर लगाया और उसे अंदर सरकाता चला गया ..उसकी चूत तो विक्की के लंड को पहचानती थी, इसलिए बिना किसी इंट्रोडकक्षन के उसके लंड को निगल गयी...और रश्मि उसके लंड से चुदने लगी ,....ठीक वैसे ही जैसे काव्या चुद रही थी लोकेश के लंड से... समीर भी अब अपनी लय में आ चुका था...पहले धीरे-2 और फिर तेज झटके मारकर वो अब अच्छी तरह से रोज़ी की गांड मार रहा था.. पूरे कमरे में एक साथ 3 चुदाईयाँ चल रही थी...मर्दों के मुँह से तो ज़्यादा नही पर लड़कियों ने पूरे कमरे को सर पर उठा रखा था...तीनो में जैसे कम्पीटीशन चल रहा था की कौन चुदाई करते हुए कितना चीखता है.. काव्या : "आआआआआआआआहह येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स अंकल....और ज़ोर से........ अहहssssss ....... कमाल का चोदते हो आप अंकल .............बिल्कुल पापा की तरह .......उन्होने भी ऐसे ही चोदा था मुझे ...................आहह...... सच में ................कमाल का लंड है आपका .................. और पापा का भी ............'' रोज़ी ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाई : "येस्ससस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ..काव्या ......सही कहा ..............सर का लंड सच में जबरदस्त है ....................आई केन फील इट .................इन मी . .............. आआआआआआअहह बड़ा जबरदस्त चोदते है ये दोनो ...................अहह .......'' रश्मि : "ये दोनो के साथ-2 विक्की भी जबरदस्त है ....................उम्म्म्ममममममममममम.....क्या लंड है इसका .................... सुबह से कितनी मेहनत कर चुका है ................फिर भी देखो ...............अहह कितना मज़ा दे रहा है ....................अहह मन तो करता है इसे घर में ही रख लू .................सुबह शाम चुदवाउ इससे ...................... अहह चोद साले ..................ज़ोर से मार मेरी चूत .................. और तेज .............. हाँ .....ऐसे ही ................. आआआआआआआहह'' और इतना कहते -2 वो झड़ने के करीब आ गयी...................और अगले ही पल झड़ती चली गयी..........
काव्या और रोज़ी ने भी देर नही की..................उनका भी काम तमाम हो गया....और तीनो गहरी साँसे लेने लगी.... अब तीनो मर्दों ने एक दूसरे को देखा और आँखो ही आँखो मे इशारा करके सबने अपने लंड एक साथ बाहर निकाल लिए....और बेड पर खड़े हो गये....और तीनो को अपने बीच में बिठा लिया...और अपने-2 लंड उनके उपर खड़े होकर रगड़ने लगे... वो तीनो समझ गयी की अब उनके उपर चिपचिपी बारिश होने वाली है....और वो शुरू हो भी गयी....पहले लोकेश के लंड से....उसके माल की धार सीधा आकर काव्या के चेहरे पर गिरी....उसकी आँखो पर...बालों पर...और बाकी की 2-4 पिचकारियाँ उसने रोज़ी और रश्मि की तरफ फेंक दी... समीर ने भी ऐसे ही किया...पहले अपनी सेक्रेटरी को भिगोया और फिर अपनी बेटी और बीबी को .... विक्की सबसे आख़िर मे झड़ा...और रश्मि के चेहरे को पोतने के बाद काव्या और रोज़ी को अपने गर्म माल से सज़ा दिया. उसके बाद सभी उसी बेड पर गिरकर सुसताने लगे.. ऐसा सेक्स का नंगा नाच आज से पहले किसी ने नही देखा था... और ये अब चलते ही जाना था...और चला भी.. पूरी रात सभी एक दूसरे के पार्टनर्स को चेंज करके चोदते रहे...पता नही कहाँ से हिम्मत आ रही थी सबमे..पर आज की रात को वो यादगार बना देना चाहते थे.. और उस दिन के बाद ऐसा अक्सर होने लगा, जिसे भी मौका मिलता वो चुदवा लेता काव्या अब अच्छी तरह से जानती थी की समीर उसके बस में आ चुका है...और अब वो उसकी माँ और उसपर किसी भी तरह का हुक्म नही चला सकता..उसने अपने जिस्म का इस्तेमाल करके अपनी जिंदगी को एक नयी दिशा की तरफ मोढ़ दिया था..पहले समीर उनपर अपना दबदबा बनाकर अपना हुक्म चलाता था और अब काव्या अपनी कच्ची जवानी और रश्मि अपने नशीले बदन का सही तरीके से इस्तेमाल करके उसे अपने इशारों पर नाचते थे..सेक्स होती ही ऐसी चीज़ है, अच्छे से अच्छे इंसान को घुटनों पर ले आती है..जो बदला वो समीर से लेना चाह रही थी,वो इस तरह से भी पूरा हो सकता है ये अब वो जान गयी थी...समीर को पूरी उम्र के लिए अपने हुस्न का गुलाम बनाकर... और इन सबमे समीर भी खुश था,जो अपनी इच्छा अनुसार अब खुलकर अपनी बेटी और पत्नी के सामने और साथ में कुछ भी कर सकता था..जिंदगी में ऐसी खुशी हर किसी को नही मिलती. और अपनी जिंदगी को ऐसे ही मजे में जीते हुए काव्या , रश्मि और समीर ख़ुशी - 2 जिंदगी बिताने लगे ************** समाप्त ************* दोस्तों, मन तो नही कर रहा, पर अब इस कहानी को यहीं समाप्त कर रहा हू...आशा करता हू की आपको मेरी दूसरी कहानियों की तरह ये भी पसंद आई होगी. इस कहानी को पढ़ने और मेरा साथ देने के लिए धन्यवाद।
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01-01-2020, 06:17 PM,
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SANJAYKUMAR
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RE: Kamukta Story सौतेला बाप
Good
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05-04-2021, 02:59 PM,
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RE: Kamukta Story सौतेला बाप
(05-25-2019, 11:32 AM)sexstories Wrote: फ्रेंड्स ये कहानी अशोक ने दूसरे फोरम मे लिखी है और अभी रन्निंग कन्डीशन मे है
सौतेला बाप
लेखक- अशोक
ये कहानी है मुम्बई में रहने वाली माँ-बेटी की
माँ का नाम है रश्मि , उम्र 38 साल , भरा हुआ शरीर, गोरी-चिट्टी
और उसकी बेटी काव्या, 12th में पड़ने वाली , उम्र **, छातियों के उभार अभी उभरने शुरू ही हुए हैं , पर इसके लम्बे निप्पल दूर से ही दिख जाते हैं
काव्या जैसी ही स्कूल से घर आयी, उसकी माँ रश्मि ने उसे अपने पास बिठा लिया.
वैसे तो ऐसे मिलकर बैठना माँ-बेटी का रोज का काम था पर आज शायद कुछ ख़ास बात थी, क्योकि अपनी माँ रश्मि को काव्या ने इतना परेशान कभी नहीं देखा था.
अपने पिता को पांच साल पहले एक एक्सीडेंट में खो देने के बाद उसने अपनी माँ को कभी खुश नहीं देखा था, वो हमेशा गुम-सुम सी रहती थी, पापा के बदले उन्हें उसी कम्पनी में ऑफिस कोर्डिनेटर कि जॉब मिल गयी थी जिसकी वजह से उनके घर का खर्च जैसे - तैसे चल रहा था , वो घर का भी सारा काम करती और उसकी देख भाल करती, खाना खाती और सो जाती .. बस यही दिनचर्या थी उसकी माँ कि.
पर पिछले कुछ दिनों से उनमे काफी बदलाव आये थे , वो थोडा सज धज कर ऑफिस जाने लगी थी, गाने भी गुनगुनाती रहती थी, हंसने भी लगी थी और ये सारे बदलाव काव्या को काफी अच्छे लग रहे थे.
काव्या के स्कूल से आने के बाद दोनों माँ बेटी घंटो एक दूसरे से गप्पे मारती...
पर आज फिर से अपनी माँ को परेशान देखकर काव्या के मन में डर सा बैठ गया कि कही कोई प्रॉब्लम तो नहीं है.
वैसे प्रॉब्लम दूर करने कि उसकी खुद कि कोई उम्र नहीं है , सिर्फ 12th में पड़ने वाली काव्या भला अपनी माँ कि परेशानियों को कैसे दूर करेगी.
काव्या : "क्या हुआ मॉम ?? आप इतनी परेशान क्यों हो !! ''
रश्मि : "काव्या , वो .... मुझे तुझसे एक जरुरी बात करनी थी ''
काव्या : "हां मॉम बोलो न "
रश्मि थोड़ी देर तक चुप रही और फिर एकदम से बोली : "मैं शादी कर रही हु ''
रश्मि कि बात सुनकर थोड़ी देर तक तो काव्या को समझ नहीं आया कि वो क्या करे
उसकी माँ शादी कर रही है , इस उम्र में..
38 कि उम्र वैसे तो ज्यादा नहीं होती पर उनकी एक जवान बेटी है , ऐसा कैसे कर सकती है वो..
पर फिर उसने अपनी माँ के नजरिये से सोचा, अभी तो उनके सामने पूरी जिंदगी पड़ी है , वो खुद एक दिन पराये घर चली जायेगी, फिर पीछे से उसकी माँ का ध्यान कौन रखेगा ,इस बात कि चिंता तो हमेशा उसे रहती थी और जब आज उसका समाधान सामने आया है तो वो ऐसे क्यों बिहेव कर रही है..
उसने सारी नेगेटिव बातों को अपने सर से झटक दिया और चेहरे पर ख़ुशी के भाव लाते हुए बोली : "वाव, ये तो बहुत अच्छी बात है माँ , कौन है वो , मेरा मतलब , मेरे होने वाले पापा , किससे शादी कर रही हो, कब कर रही हो , कैसे डिसाईड किया आपने ये सब , बताओ न ??''
काव्या के चेहरे पर आयी ख़ुशी और इतने सारे सवाल और उसकी उत्सुक्तता देखकर रश्मि ने चैन कि सांस ली, वो डर रही थी कि उसकी बेटी क्या सोचेगी अपनी माँ के बारे में, पर उसने समझदारी से उसकी बात समझकर रश्मि के सर से एक बोझ उतार दिया था..
रश्मि ने बताना शुरू किया
"देख काव्या , तू तो जानती है, तेरे पापा के जाने के बाद से हमारे घर कि हालत कैसी थी, अगर मुझे उसी कम्पनी में ये नौकरी न मिली होती तो शायद हमारी हालत इससे भी बुरी होती, तेरा स्कूल, घर का खर्च, कुछ भी ढंग से नहीं हो पाता, और ये सब हुआ है कंपनी के मालिक समीर सर कि वजह से, उन्होंने अगर सही समय पर सहारा नहीं दिया होता तो आज ये सब नहीं होता, और पिछले हफ्ते ही उन्होंने मुझसे शादी करने कि बात कही है , उनका तलाक हो चूका है, और वो अपने घर पर अकेले रहते है, पर मैंने उन्हें साफ़ कह दिया था कि जब तक मेरी बेटी इस शादी के लिए राजी नहीं होगी, मैं ये शादी नहीं करुँगी, पर आज तूने अपनी सहमति जताकर मेरे सर से इतना बड़ा बोझ उतार दिया है , थेंक्स बेटा …''
और फिर माँ काव्या से लिपट कर अपनी भावनाओ पर काबू पाते हुए सुबकने लगी..
और काव्या अपनी माँ कि बाते सुनने के बाद अपनी आँखे चौड़ी करके आपने वाले दिनों के सपने बुनने लगी,
उसने भी देखा था समीर सर को , करीब 45 कि उम्र थी उनकी, उन्हें हँसते हुए कभी नहीं देखा था काव्या ने, हमेशा सीरियस रहते थे, एक बार उनके घर में हुई पार्टी में काव्या अपनी माँ के साथ उनके बंगले पर गयी थी, इतना आलिशान घर उसने सिर्फ फिल्मो में ही देखा था, घर के पीछे कि तरफ स्विमिंग पूल भी था, और लगभग दस कमरे थे पुरे बंगले में , और रहने वाला सिर्फ एक .
काव्या से मिलते हुए भी समीर सर के चेहरे पर कोई ख़ुशी नहीं थी, इसलिए पहली नजर में ही काव्या को अपनी माँ का बॉस एक खडूस इंसान लगा था.
पर आज वही खडूस इंसान उसका पिता बनने जा रहा है, और वो अपनी माँ के साथ उसी घर में रहेगी जिसे देखकर उसकी आँखे चुंधिया गयी थी , वो भी नए -२ फेशन करेगी , शौपिंग पर जाया करेगी, अपनी अमीर सहेलियों कि तरह..
और अमीर सहेलियों का ख्याल आते ही उसके दिमाग में सबसे पहले अपनी ख़ास सहेली श्वेता का ध्यान आया, वो सबसे पहले ये बाते उसे बताना चाहती थी
उसने अपनी माँ से कहा : "माँ, मुझे बहुत ख़ुशी है कि आप दूसरी शादी कर रही है, आप उन्हें अभी फ़ोन करके हाँ बोल दो, और तब तक मैं ये बात श्वेता को बताकर आती हु ''
इतना कहकर वो बिना अपने कपडे बदले घर से बाहर कि तरफ भाग गयी
श्वेता के पापा पुलिस में एक ऊँची पोस्ट पर थे और वो पास कि ही एक सोसाईटी में काफी बड़े फ्लैट में रहते थे.
जैसे ही वो सड़क तक पहुंची, सामने से उसे विक्की आता हुआ दिखायी दिया, वो उसकी गली में ही रहता था और आते-जाते हमेशा काव्या को गन्दी नजरों से देखकर भद्दी-२ बातें कहकर उसे छेड़ता था
विक्की : "हाय मेरी फुलझड़ी, कहा चली अपनी तोपें लेकर ''
उसका इशारा काव्या के नुकीले निप्पलस कि तरफ था
काव्या वैसे तो उससे कभी बोलती नहीं थी, पर आज उसने उसे मजा चखाने का मन बना लिया : "जहाँ जा रही हु वहाँ पर ना तो ऐसी गंदगी होगी और और ना ही तेरे जैसे कुत्ते ''
हमेशा चुप रहने वाली काव्या के मुंह से ऐसी बाते सुनकर विक्की भी हैरान रह गया , वो कुछ बोल पता इससे पहले ही काव्या वहाँ से निकल गयी
श्वेता के घर पहुंचकर वो उससे लिपट गयी और एक ही सांस में उसे पूरी बात बता डाली
श्वेता अपनी उम्र के हिसाब से काफी पहले जवान हो चुकी थी, उसकी उम्र 18 साल थी, और अपने नशीले और जवान शरीर का इस्तेमाल कब और कहा करना है, उसे अच्छी तरह से पता था , पर वो थी अब तक कुंवारी
श्वेता भी उसकी बात सुनकर काफी खुश हुई और फिर वो दोनों सहेलियां मिलकर बातें करने लगी कि क्या - २ होगा आने वाले दिनों में ।
काव्या के जाने के बाद रश्मि आईने के सामने जाकर खड़ी हो गयी, उसने अपने पुरे शरीर को निहारा, और फिर ना जाने क्या सोचकर उसने अपनी साडी उतारनी शुरू कर दी, ब्लाउस में फंसे हुए उसके मोटे मुम्मे बाहर निकलने कि गुहार कर रहें थे, उसने उनकी बात मानते हुए अपने ब्लाउस के हुक भी खोल दिए और उसके बाद अपनी ब्रा को भी उतार फेंका, अपने ही पसीने कि गंध उसके नथुनो में समा गयी , जो उसे हमेशा से बहुत अच्छी लगती थी, इन्फेक्ट उसका पति भी उसकी गंध का दीवाना था, रश्मि को अभी भी याद है कि उसे चोदते हुए वो उसके दोनों हाथों को ऊपर करके जब झटके मारता था तो अपना मुंह उसकी बगल में डालकर वो जोर से साँसे लेता था, और वो गंध सूंघकर वो और भी ज्यादा उत्तेजना के साथ उसकी चुदाई करता
वो सब बाते याद करते-२ उसकी चूत गीली होने लगी
उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया , और फिर कच्छी भी, पूरी नंगी हो गयी वो एकदम से
पूरी तरह से नंगी होने के बाद वो घूम-घूमकर अपने पुरे शरीर का मुवायना करने लगी और फिर खुद से ही बाते करने लगी : "ओहो …कितनी मोटी हो गयी हु मैं, पेट भी निकल आया है, ब्रैस्ट भी मोटे हो गए है, लटक भी गए है, और पीछे से तो , ओहो इन्हे अब जल्द ही कम करना होगा ''
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