08-01-2016, 10:21 PM,
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desiaks
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RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
अपडेट 97
जूली, रंजू भाभी, यास्मीन, पिंकी .....अभी कुछ देर पहले.... मैं सभी को खूब याद कर रहा था .....
रंजू भाभी को जमकर चोदकर आया था ..... और यास्मीन को ऑफिस जाकर चोदने की सोच रहा था ...
जूली कैसे अपने आशिकों के साथ मजे कर रही होगी ...वो सोच रहा था .....
और पिंकी की चूत के बारे में सोच सोच कर लार टपका रहा था ........
इतना सब पास होने के वावजूद ...एक ही पल में इस लिजी की सेक्सी और मस्त जवानी ने सब कछ भुला दिया था .............
जब तक लिजी पास रही .......कुछ याद ही न यही रहा .....केवल लिजी लिजी और लिजी .....
पर अब उसके जाते ही....... मैं फिर से धरातल पर आ गया था ........
अब मुझे फिर से सब कुछ याद आ गया था .......
मैं तेजी से गाड़ी चलाकर ऑफिस पहुंचा .......
वहां पहुँच कर एक झटका लगा .......
अरे आज यास्मीन आई ही नहीं थी ...........
पर उसने मुझे बताया क्यों नहीं ..???????????
तभी पिंकी केबिन में आई ......
हलके हरे, प्रिंटेड शिफॉन की साडी में वो क़यामत लग रही थी ......
स्लीवलेस ब्लाउज और नाभि के नीचे बाँधी हुई साड़ी उसको और दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा सेक्सी दिखा रही थी .......
शायद कल की घटना ने उसको काफी बोल्ड बना दिया था ........
और वो मुझे रिझाना चाह रही थी .......
ये नहीं भी हो सकता था ...ये तो केवल मेरी सोच थी ...
हो सकता है वो नार्मल ऐसे ही कपडे पहन कर आई हो ..पर मुझे पहले से ज्यादा सेक्सी लग रही थी ....
मैं पिंकी की ख़ूबसूरती को निहार ही रहा था ......
कि वो मेरी नजरों को देखते हुए ....मुस्कुराते हुए बोली ....
पिंकी: आज कहाँ रह गए थे सर .??? बड़ी देर कर दी ...
मैं उसकी बातों को सुनकर मुस्कुराया ...
वाकई कल कि घटना ने उसको बहुत ज्यादा खोल दिया था ...
पहले वो कभी मुझसे ऐसे नहीं बोली थी ....
..................
वल्कि बहुत डर कर बोलती थी ....उसको ऑफिस में आये हुए समय ही कितना हुआ था ...केवल १ महीने में वो केवल हाँ हूँ का ही जवाब देती थी ....
पर कल हुई घटना ने उसको बिंदास बना दिया था ...
अब उसको मुझसे डर नहीं लग रहा था बल्कि प्यार ही आ रहा था ....
मैं उसकी चूची और चूतड़ों को सहला चूका था ...
और उसकी नजर में........ मैं उसको पूरा नंगा देख चुका था ...
उसने भी मेरे लण्ड को पकड़ लिया था ....
मेरे ख्याल में जब नारी को ये लगने लगता है कि इस आदमी ने तो मेरे को पूरा नंगा देख ही लिया है ...
और वो उसको पसंद भी करती हो ...तो शायद वो उससे पूरी खुल जाती है ....
फिर उसके सामने उसको नंगे होने में शर्म नहीं आती ...
यही ख्याल मेरे दिल में आ रहे थे .....कि शायद पिंकी अब दोबारा मेरे सामने नंगा होने में ज्यादा नखरे नहीं करेगी ....
पर वो एक शादीशुदा नारी थी ...और उसने अभी तक बाहर किसी से सम्बन्ध नहीं बनाये थे ....
इसलिए मुझे बहुत ध्यान से उस पर कार्य करना था ...
मेरी एक गलती से वो बिदक भी सकती है ....
मेरा लण्ड मुझे सयम नहीं करने दे रहा था ...
वो पेंट से अंदर बहुत परेसान कर रहा था ....
मैंने सोचा था कि ऑफिस जाते ही यास्मीन को पेलूँगा ...
पर उसने तो मुझे धोखा दे दिया था ....
पता नहीं उसको क्या काम पर गया था .....
मैंने पिंकी को ही अपने सीसे में उतारने की सोची ...
मैं: अरे पिंकी ये यास्मीन कहाँ है आज ....
पिंकी: क्यों उसने बताया नहीं आपको ....बोल तो रही थी .....कि वो फोन कर लेगी आपको .....
मैं: अरे तो क्या वो आई थी ....फिर कहाँ चली गई ...उसको तबियत तो सही है ना ....
पिंकी: अर्र्र्र्र रे हाँ सर ....वो बिलकुल ठीक है .....उसके किसी दोस्त का एक्सीडेंट हुआ है शायद ....
मुझे बताकर गई थी ....कोई 2 घंटे पहले ....
मैं: ओह ....
मैंने सोचा उसको फोन करके पूछ लूँ कि किसी चीज कि जरुरत तो नहीं ...
पर उसका फोन ही नहीं लगा ...
लगता है यास्मीन के फोन कि बैटरी डाउन हो गई ..इसीलिए मुझे भी कॉल नहीं कर पाई ....
.................
पिंकी: हाँ सर ....यही लगता है .....मैं भी try कर रही थी ....पर नहीं लग रहा था ....
कोई काम हो तो बता दीजिये सर ....
मैं कर देती हूँ .....
मैं: अरे यास्मीन वाला काम तुम नहीं कर पाओगी ...
वो बिना सोचे समझे बोल गई ......
पिंकी: क्यों नहीं कर पाउंगी सर ...???
आप बोल कर तो देखिये .......
मैं: हा हा हा हा…………. मैं हसने लगा .......
अब उसका मुहं देखने लायक था ............
वो समझ गई कि मैं किस काम के लिए कह रहा था ...
मगर उसमे कुछ गुरुर के भाव भी थे ...जो उसको झुकने नहीं दे रहे थे ....
इसीलिए उसने अब भी हामी भरी ....
पिंकी: अरे आप हंस क्यों रहे हैं ....मैं यास्मीन से कमजोर नहीं हूँ ...ऑफिस का कोई भी काम कर सकती हूँ ....
मैं उसकी बातों का मंतवय समझते हुए ही उससे खेलने की सोचने लगा ....पिंकी के मासूम चेहरे को देखते हुए ...मैं सोच रहा था कि इसको बहुत प्यार से टैकल करूँगा ....
इस समय वो बहुत मासूम लग रही थी .....
फिर मैंने पिंकी के साथ सभी ऑफिस के काम डिस्कस किये ....
यास्मीन ने उसको सभी कार्य बहुत अच्छी तरह समझा दिए थे ......
और सबसे बड़ी बात वो आसानी से सब समझ गई थी ...
उसने सभी काम अच्छी तरह किये थे .....
मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि चलो मझे एक और हैंड अपने काम करने के लिए मिल गया था ....
अब मेरी ऑफिस की चिंता कुछ और कम हो जाने वाली थी ...
यास्मीन और पिंकी मिलकर मेरे सारे काम आसानी से कर सकती थीं ...
यास्मीन ने तो पूरी ज़िंदगी निकाह ना करने की कसम खाई थी ....
उसने कई बार मुझसे कहा था कि वो ऐसे ही काम करती रहेगी ....भले ही मुझसे निकाह मत करो पर मैं तुम्हारी बेगम की तरह ही रहूंगी ...और ऑफिस में काम करती रहूंगी ....
अब पिंकी भी उसी तरह काम सँभालने को राजी थी ...भले ही उसकी शादी हो गई थी ....पर वो लम्बे समय तक काम कर सकती थी ..
मैं उस पर भरोसा कर सकता था .........
अब अगर वो यास्मीन की तरह ही मेरे मस्ती में भी साथ देने लगे...... तो मजा आ जाये ....
ऑफिस के काम करते हुए मैं पिंकी से थोड़ी बहुत छेड़छाड़ भी करने लगा ...
जिसका वो बुरा नहीं मान रही थी ...
एक बार मुझे कुछ बताने के लिए.... जब वो.मेरे बराबर में खड़ी थी ...मैंने यास्मीन की तरह ही उसके गोल मटोल चूतड़ों पर हाथ रख दिया ...
उसने तिरछी नजरों से मुझे देखा ....और बोली ....
पिंकी: सर आपके हाथ फिर से गलत प्रॉपर्टी पर जा रहे हैं ...
मैंने मुस्कुराते हुए उसके चूतड़ों के चारों ओर अपनी हथेली को घुमाया ....
और ..........
मैं: दूसरे की प्रॉपर्टी कैसे ...मेरे ऑफिस में जो भी है ,,वो तो मेरी प्रॉपर्टी हुई ....यास्मीन ने तो कभी ऐसा नहीं कहा ....मेरी होंटों पर एक मुस्कान थी ....
पर वो थोड़ा अलग हटकर खड़ी हो गई ...मेरा हाथ उसके चूतड़ों से हट गया ....पर इस दौरान मैंने महसूस किया कि उसने कच्छी नहीं पहनी है ...
पतली सी साड़ी और पेटीकोट जो उसने इतने कसकर बांधे थे कि ..चूतड़ों पर पूरी तरह कसी थी ...
शायद चूतड़ों का उभार दिखने के लिए ....
मुझे ऐसा ही लगा जैसे नंगे चूतड़ों पर हाथ फिराया हो ...मगर मेरे हाथ को कहीं कच्छी का अहसास नहीं हुआ ...
मतलब साडी के नीचे वो नंगी चूत लिए घूम रही है ...
अगर पिछले दिन मैंने उसकी कच्छी नहीं देखी होती तो ज्यादा शक नहीं होता ....नार्मल ही लगता ....क्युकि जूली भी कच्छी कौन सा पहनती है ...
और हो सकता है वो भी इस समय अपने स्कूल में ऐसे ही विकास के ऑफिस में अपने चूतड़ उससे सहलवा रही हो ..........
जूली की याद आते ही मुझे पिंकी से सेक्स की बातें करने का एक बहुत अच्छा आईडिया आ गया ...
मैं: क्या हुआ ??????? अरे यार ऐसे कैसे काम कर पाओगी ....
इतनी दूर से ...
पिंकी: सॉरी सर ...ऐसी बात नहीं है ....पर आपके हाथ रखते ही ..पता नहीं क्यों सनसनी सी हो जाती है ...
वो क्या है कि मैं बहुत अलग रही हूँ ....और ऐसा मैंने कभी नहीं किया ...
मैं: अरे जी ...तो मैं ऐसा क्या कर रहा हूँ ...???
मैं तो केवल काम ही देख रहा हूँ ...
और ये तो मेरी आदत ही है ...
अच्छा एक बात बताओ आज कच्छी नहीं पहनी ना तुमने ...
....................
पिंकी बुरी तरह शरमा गई ...और अपनी गर्दन नीचे झुकाये हुए ही बोली ...
क्या सर ...आप भी ना .....बहत गंदे हैं ....
मैं: अरे नहीं भई ....यकीन मनो मेरी कोई गन्दी मनसा नहीं है ....
मैं जो भी करता हूँ वो कभी तुमको कोई नुक्सान नहीं पहुंचाएगा ...
और यकीन मानना मैं बही सब करूँगा जिसमें तुम्हारी मर्जी होगी और तुमको अच्छा लगेगा ....
इसके आलावा कुछ भी नहीं करूँगा ....
मैंने कसम खाने वाले अंदाज़ में कहा ...
पिंकी मुझे देख जोर से हंसी ...और अचानक उसने मेरी माथे पर चूम लिया ...
वो फिर से वहीँ ...मेरी पास आकर खड़ी हो गई ....
पिंकी: आप सच बहुत अच्छे हैं ....
मैं: एक बार सही से डिसाइड कर लो ....कि अच्छा हूँ या गन्दा हूँ ...हा हा
वो भी हसने लगी ....मैंने हस्ते हुए ही उसकी कमर में हाथ डाल कर उसको अपने पास किया ...और उसके चेहरे को झुका उसके माथे का एक चुम्बन ले लिया ...
उसने कोई विरोध नहीं किया ....
पिंकी: अब ये क्या है ..???????
मैं: जो तुमने किया ....मैं कुछ अपने पास नहीं रखता ...वल्कि सूद समेत वापस कर देता हूँ ...समझी ...
तुमने मेरी किस किया सो मैंने भी ....
जैसे कल कि बात याद है ना ...जब मैंने तुमको सुसु करते देखा था ...तो तुम्हारे सामने खुद भी दिखाया था ना .....
अब उसके चेहरे पर एक कातिल सी मुस्कान आ गई थी ...
वो कल की तरह ही खुलने लगी थी ....
कभी लगता था कि उसको पटाने में समय लगेगा ...और कभी ये लगता था कि वो तैयार है ...
बस साडी उठाओ और डाल दो लण्ड........
पर मैंने कोशिश जारी रखी ...
उसकी एक झिझक... मेरी बीवी जूली से भी हो सकती है ...
तो उसको जूली के बारे में बताने के लिए मैंने खुद जूली को फोन करने की सोची ....
मैंने फोन उठाया ही था ....
कि रंजू भाभी का फोन फिर आ गया था ....
अब वो फिर से क्या बताने या दिखाने जा रही थी ....
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