05-06-2019, 11:42 AM,
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sexstories
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
उसने अपना चिकना हाथ वापस खींचा और अपने चेहरे के सामने ला कर उस चिपचिपे वीर्य में अपनी जीभ डुबा दी। शाजिया की आखें सिकुड़ गयी और उसकी लंबी पलकें फड़फड़ाने लगी। उसने अपने खुले होंठ अपने हाथ पर दबा कर गधे का वीर्य अपने मुँह में अंदर सुड़क लिया। वो पदार्थ इतना गाढ़ा और चिपचिपा था कि शाजिया को लगा जैसे उसके मुँह में कच्ची झींगा मछली हो। फिर वो पदार्थ शाजिया की गरम जीभ पर पिघल गया और वो रिरियाते हुए उसे पी गयी।
गधे ने सिर घुमा कर शाजिया को देखा। उसकी जाँचें थरथराने लगी और उसका लंड आगे निकल कर हवा में लहराते हुए अपने मूत-छिद्र से और वीर्य छलकाने लगा।
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हाथ से चाटने के बावजूद गधे का वीर्य बहुत स्वादिष्ट था और शाजिया लालच से कराहने लगी। उसकी लंड चूसने की इच्छा तीव्र हो गयी थी।
शाजिया ने झुक कर अपनी जीभ गधे के लंड के सुपाड़े पर फिरानी शुरू कर दी। उसकी
गुलाबी जीभ तरलता से लंड के काले माँस पर फिसलने लगी और उस पर चुपड़ा हुआ | चिपचिपा पदार्थ चाटने लगी। गधा उत्तेजना से कांपने लगा। गधा समझ नहीं पा रहा था कि हो क्या रहा है - इस औरत की मुख-मैथुन की रूचि उस बेवकूफ गधे के लिये रहस्य थी - पर उसे बहुत ही निराला आनंद महसूस हो रहा था।
गधे का लंड फिर से लहराने लगा और और उसका सुपाड़ा शाजिया के होंठों पर फिसलने । लगा। शाजिया ने उसके लंड की लंबी और चमड़े जैसी छड़ को चाटना शुरू कर दिया और वो अपनी जीभ उस पर लपेट कर फिराती हुई मग्न हो कर चाट रही थी। फिर वो अपनी जीभ सपाट करके गधे के लंड की नीचे की फड़कती हुई मोटी नस पर सरकाती हुई पीछे लंड की जड़ तक ले गयी और फिर कुछ समय उसके फूले हुए टट्टों पर जीभ फिराने में बिताया।
गधे का उपेक्षित लंड फिर कूदने लगा। शाजिया को डर था कि कहीं वो गधा जल्दी ही अपना वीर्य ना छोड़ दे। वीर्य की भूखी वो औरत चाहती थी कि चिपचिपे वीर्य के झरने के फुटने के वक्त, उसका मुँह सही जगह पर हो। शाजिया उसके लंड की छड़ पर अपने होंठ कस कर उसकी बांसुरी बजाती हुई आगे की तरफ चाटने लगी। उस विराट लंड के
भारी सुपाड़े पर अपने होंठ आगे खिसकाते हुए शाजिया का मुँह उस लंड के तीखे पर ॥ रसभरे स्वाद से सनसना रहा था।
लंड के सुपाड़े के निचले हिस्से पर अपनी जीभ और होंठ सपाट करके शाजिया उसके उस नाज़ुक स्थान को सहलाने लगी जहाँ लंड की छड़ की मोटी नस सुपाड़े के नीचे त्रिकोण में फैलती है। फिर उसने अपना मुँह सुपाड़े के इर्द-गिर्द खोलना शुरू कर दिया।
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उस सुनसान वातावरण में शाजिया को घर की तरफ से कुत्तों के गुर्राने और भौंकने की धुंधली सी आवाज़ आ रही थी। शाजिया सोच रही थी कि औरंगजेब और टीपू शायद उसे चोदने की प्रतीक्ष में उत्तेजित हो रहे होंगे पर उसे बिल्कुल भी आभास नहीं था कि उसके कुत्ते उसकी सहेली को चोद कर मतवाले हो रहे हैं।
शाजिया ने अपने जबड़े चौड़े फैलाये और एक भयानक क्षण के लिये शाजिया को लगा कि गधे का लंड उसके मुँह में समाने के लिये काफी बड़ा है। वो कुण्ठा से कराही। उसने सोचा कि उसे लंड के सुपाड़े पर अपना मुँह लगा कर रखना पड़ेगा और अपने होठों से लंड को रगड़ कर उसे स्खलित करना पड़ेगा। शाजिया को यह उपाय भी अच्छा लगा पर उसे ज्यादा मज़ा तब आता जब झड़ते समय गधे का चोदता हुआ लंड ठीक उसके मुँह के अंदर हलक तक होता।
परंतु फिर शाजिया के होंठ उस चिकने सुपाड़े के चारों ओर फैल गये और उसका निचला जबड़ा भी फैल कर लगभग उसकी चूचियों तक पहुँच गया और फिर सुड़कता हुआ गधे के लंड का सुपाड़ा शाजिया के मुँह में लुप्त हो गया।
गधा तो जैसे पागल हो गया। उसका पूरा बदन उत्तेजना और आनंद से उछलने लगा। पहली बार उसे औरत के मुँह से अपना लंड चुसवाने के आनंद का एहसास हुआ था। उसका सुपाड़ा फूल कर शाजिया के कण्ठ में भर गया।
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