05-06-2019, 11:34 AM,
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
टीपू उस आलिशान कमरे के एक कोने में, कालीन बिछे फर्श पर सिकुड़ कर बैठा हाँफ रहा था और उसकी लंबी लाल जीभ उसके जबड़े के किनारे से बाहर लटक रही थी। ये काले रंग का विशाल डोबरमैन कुत्ता थका हुआ लग रहा था और ये थकान बाहर फार्म में खरगोशों के पीछे भागने से नहीं थी बल्कि इसलिये थी क्योंकि उसके लंड और आँड ज़ाहिर रुप से अभी-अभी ही निचोड़ कर खाली किये गये थे। उसके आँड उसकी टाँगों के बीच में सिकुड़े हुए थे और उसका लंबा लंड फर्श पर लटका हुआ था। उसके लाल लंड का अग्रभाग अभी भी उसके बालों से ढके खोल में से बाहर झाँक रहा था और उसका नंगा लाल लंड उसके वीर्य से सना हुआ था। उसके चमचमाते वीर्य का एक नाज़ुक सी डोरी उसके लंड की नोक से कालीन पर गिरे उसके वीर्य के ढेर से मिल रही थी। ये विशाल कुत्ता थक कर चूर था पर अभी सो नहीं रहा था। उसकी आँखें खुली हुई थी और उसका एक कान चौकन्ना होकर खड़ा था और उसकी काली नाक उत्तेजना से हल्की सी फड़क रही थी। टीपू स्वयं तो खाली हो गया था पर उसका ध्यान अभी भी कमरे के बीच में बिस्तर पर चल रही गतिविधि पर था, जहाँ औरंगजेब अपनी बारी आने पर उसकी मालकिन को चोद रहा था।
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कमरे के बिल्कुल पीछे बने छप्पर से कुल्हाड़ी चलने की आवाज़ लगातार आ रही थी और शाजिया ख़ान जानती थी कि कुल्हाड़ी की आवाज़ के आते रहने का मतलब था कि उसका अरदली अभी भी लकड़ियाँ चीर रहा था और इस बात का खतरा नहीं था कि वो घर के अंदर आ कर बेडरूम के दरवाजे के बाहर से उसे वो करते हुए सुन या देख लेगा जो शाजिया को बहुत प्यारा था - कुत्तों से अपनी चूत चुदवाना और गाँड मरवाना। ।
शाजिया का पति भारतीय वायु सेना में विंग कमाँडर था और आजकल उसकी पोस्टिंग पूर्वी सीमा पर थी। हिमाचल में शिवालिक की पहाड़ियों में कसौली के पास उनका पुश्तैनी ५ फार्म हाउज़ था और शाजिया ज्यादातर यहीं अकेली रहती थी क्योंकि यहाँ एकाँत में वो । गोपनियता से कुत्तों से चुदवा सकती थी। पहले जब वो शहर में अपने पति के साथ रहती थी तो कई मर्दो से उसके नाजायज़ संबंध थे क्योंकि प्रकृति से ही वो चुदक्कड़ थी। लेकिन पिछले दो साल से उसे कुत्तों के लंड ज्यादा भाते थे। वैसे भी उसे वायूसेना की कई सुविधायें जैसे कि सरकारी जीप, अरदली इत्यादि उपलब्ध थीं। कुत्तों के अलावा । उसने अरदली और अन्य कामगारों से भी संबंध बना लिये थे पर कोई नहीं जानता था कि शाजिया कुत्तों से चुदवाती है। फार्म पर उसके साथ चौबीसों घंटे रहने वाला उसका अरदली, राज भी नहीं।
अभी कुछ देर पहले ही पास की छावनी के क्लब में एक पार्टी से नशे में शाजिया लौटी थी। एक ऑफिसर का ड्राइवर, शाजिया को और उसकी जीप को फार्म तक छोड़ गया था। अपने आलिशान बेडरूम में पहुँच कर उसने अरदली राज को बेडरूम के फॉयर-प्लेस में लकड़ी डाल कर आग जलाने को कहा था। उस समय कुछ ही लकड़ियाँ कटी हुई थी | जिनसे राज ने आग शुरू की। चूंकि इतनी लकड़ियाँ अधिक समय नहीं चल सकती थी, इसलिए राज घर के पीछे बने छप्पर में लकड़ियाँ काटने चला गया।
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया की चूत में तो आग लगी ही हुई थी और ये मौका भी अच्छा था। राज के बाहर जाते ही शाजिया टीपू को पहले बुलाया और कपड़े उतार कर वहीं कालीन पर अपने हाथों और घुटनों के बल झुक गयी थी। फिर उसने टीपू को अपनी पीठ और चूतड़ों पर चढ़ा कर अपनी चूत में उसे धुंआधार चुदाई के लिए फुसला लिया था। जब तक टीपू शाजिया की चूत में अपना लंड पेलता रहा तब तक औरंगजेब भी भौंकता हुआ, अपना कठोर लंड झुलाता उनके इर्द-गिर्द उछलता हुआ बेसब्री से अपन अपने अवसर की। प्रतीक्षा करने लगा। बीच-बीच में औरंगजेब कभी शाजिया का मुँह चाटता और कभी शाजिया के पीछे जा कर उसके सैंडलों और पैरों को चाटने लगता। शाजिया के पैर और हाई-हील वाले सैंडल, औरंगजेब के थूक से सराबोर हो गये थे।
जैसे ही टीपू ने अपने टट्टों का सारा माल शाजिया की चूत में खाली किया था, शाजिया उसका लंड अपनी चूत में से निकाल कर खड़ी हो गयी थी। फिर औरंगजेब के थूक से भीगे सैंडल पहने हुए ही बिस्तर पर आ गयी थी जहाँ वो इस समय औरंगजेब से दूसरी मुद्रा में अपनी पीठ के बल लेट कर चुदवा रही थी। औरंगजेब भी टीपू जैसा ही बड़ा और काले रंग । का था और वैसा ही जोशिला और ताकतवर था।
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शाजिया का सुंदर और सुडौल बदन बिस्तर पर पसरा हुआ था, उसकी कमर कमान की तरह मुड़ी थी और उसके घुटने मुड़े हुए थे। शाजिया की लजीज़ जाँधे, चोदते हुए कुत्ते के दोनों तरफ फैली हुई थीं और उसने अपने कुल्हे ऊपर को ठेले हुए थे जिससे कि उस चुदक्कड़ कुत्ते का लंड पूर्णतः उसकी चूत मे समा सके। शाजिया के काले, लंबे घने बाल बिस्तर पर । फैल गये थे और उसके मादक रसीले होठों पर आनंदमय मुस्कान और सिसकारियाँ थी।
औरंगजेब की चुदाई कि ताल बाहर कुल्हाड़ी की आवाज़ के साथ सध गयी लगती थी। । “खट... खट... खट’ कुल्हाड़ी की आवाज़ आती जब कुल्हाड़ी की तेज़ धार लकड़ी के लट्ठों को टुकड़ों में चीरती और जब भी बाहर यह लकड़ी चीरने की आवाज़ ठंडी और तेज़ हवा को चीरती, तो औरंगजेब अपना लंड नशे और वासना में चूर शाजिया की चूत में इतनी ताकत से ठेलता कि उसका लंड भी शाजिया की चूत को दो हिस्सों में चीरता हुआ प्रतीत होता।।
लेकिन शाजिया की लचीली चूत भी उस चीते के आकार के कुत्ते का पूरा लंड लेने में सक्षम थी, जितना भी वो उसकी चूत में ठेल सकता था। शाजिया को तो बस चूत में विशाल पश्विक लौड़े की चाह थी।
- स्वयं भी किसी जानवर की तरह ही सिसकती और रिरियाती हुई शाजिया उस कुत्ते के धक्कों का उतने ही आवेश और ताकत से जवाब दे रही थी। जैसे ही वो कुत्ता अपना लंड उसकी चूत में कूटता, शाजिया भी अपनी सैंडलों की ऐड़ियाँ बिस्तर में गड़ाकर अपनी चूत आगे ढकेल देती और जब वो अपना लंड बाहर खींचता तो शाजिया भी अपने भारी चूत्तड़ घुमा-घुमाकर अपनी चूत उस खिसकते हुए लंड पर मरोड़ते हुए अंदर-बाहर के घर्षण में । और भी रगड़ उत्पन्न कर देती।
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05-06-2019, 11:35 AM,
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया लालसा से टकटकी लगाये उसे घूरती हुई मुस्कुराने लगी। वो अच्छी तरह जानती थी कि ज़रा सा चूस कर वो उस भयानक लंड को वापिस दनदनाता छड़ बना सकती थी। फिर उसने कमरे के कोने में टीपू की तरफ नज़र घुमायी और देखा कि कुछ देर पहले निचुड़ा हुआ उसका लंड नवीन जोश और ताकत का आशाजनक संकेत दे रहा था।
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शाजिया की इच्छा हुई कि काश उसके पास इन दोनों कुत्तों को फिर से चोदने का समय होता। लेकिन तभी कुल्हाड़ी के आखिरी वार की आवाज़ आयी और उसके बाद बाहर सन्नाटा हो गया। शाजिया ने खुद को समझाया कि उसे कुत्तों से चुदवाने के लिये अगले आ मौके का इंतज़ार करना पड़ेगा।
अपनी इस गुप्त और विकृत चुदाई के मलाईदार प्रमाण को छिपाने के लिये शाजिया ने । बिस्तर से उतर कर अपने नंगे सुडौल बदन पर छोटा सा रेश्मी गाऊन डाल लिया। कुत्तों के गाढ़े वीर्य और उसकी खुद की चूत के रस के मिश्रण ने उसकी चूत पर झाग सा फैला रखा था और उसकी भीतरी आँघों को भी भिगो रखा था। इसे छिपाने के लिए शाजिया ने गाऊन के फ्लैप अपने चारों ओर खींच लिए। उसे महसूस हो रहा था जैसे कि उसका बदन गाऊन के नीचे दमक रहा था। जब वो चली तो उसे लगा कि वो अपनी चूत में | कुत्तों के वीर्य की 'पिच पिच' सुन सकती थी।
‘चूतिये साले' शाजिया ने मन में कहा। “इन चोद कुत्तों ने कम से कम एक बाल्टी वीर्य तो मेरी चूत में आज डाल ही दिया होगा। अगर कुत्ते का वीर्य हवा से हल्का होता तो मैं अभी बादलों में उड़ रही होती। इसी लिए तो कुत्तों की खुराक का खास ख्याल रखा जाता था। दूध, मीट, अंडों के अलावा बादाम, काजू, अखरोट इत्यादि सूखे मेवे हर रोज़ कुत्तों की खुराक में शमिल थे।
फिर उसने अपने सुंदर चेहरे को सुव्यवस्थित करके गंभीर और नम्र भाव लाये और अपने अरदली राज का कमरे में लकड़ियाँ ले कर आने का इंतज़ार करने लगी। वो राज से । अनेक बार चुदवा चुकी थी पर चुदाई के अलावा बाकी समय उनका रिश्ता सामान्य नौकर-मालकिन का ही था। जब शाजिया का मन हो तभी वो उसके साथ संभोग कर सकता था। राज को खुद से चुदाई की पहल करने की छूट नहीं थी। शाजिया उस पर अपना रौब और अधिकार बनाये रखती थी और उसके साथ सामान्य और गंभीर रहती थी। राज को । उसे 'मैडम' कह कर ही संबोधित करना पड़ता था लेकिन इसके बिल्कुल विपरीत, चुदाई के समय शाजिया का दूसरा रूप होता था। चुदाई के वक्त वो एक गर्म रॉड की तरह पेश आती थी और उस समय मैडम’ नहीं, बल्कि गंदी गंदी गालियाँ पसंद करती थी।
कुत्तों से चुदने के बावजूद इस वक्त शाजिया का दिल और चूत दोनों कुछ ज्यादा उदारता महसूस कर रहे थे। शायद वो आज राज को भी चुदाई का मौका दे दे। यही सोच कर शाजिया ने अपनी टाँगों के बीच लगा वीर्य और चूत रस का लिसलिसा मिश्रण अपने हाथ से पोंछा और फिर अपने हाथ पर से उस पदार्थ को बड़े चाव से अपनी जीभ से चाटने लगी।।
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