मेरी प्रियंका दीदी फस गई...
04-13-2019, 01:57 AM, (This post was last modified: 04-13-2019, 09:08 PM by babaasandy.)
#1
मेरी प्रियंका दीदी फस गई...
हेलो... दोस्तो, मेरा नाम अंशुल है.... और मैं उत्तर प्रदेश के एक शहर का रहने वाला हूँ। गोपनीयता के चलते अपने शहर का नाम नहीं बता सकता लेकिन बस इतना समझ लीजिये कि यह शहर गुंडागर्दी और अराजकता के लिये बदनाम है। मेरी दो बड़ी बहन है.... रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी.... रूपाली दीदी की उम्र 29 साल है.... उनकी शादी 3 साल पहले हो चुकी है.... मेरी रूपाली दीदी एक बच्चे की मां भी बन चुकी है अब तक..... मेरी प्रियंका दीदी  की उम्र 24 साल  हो चुकी है... मेरी प्रियंका दीदी पूरी जवान हो चुकी है...... जब मैं छोटा था तभी मेरे पापा की मृत्यु हो गई थी...... मेरी मां टेलरिंग का काम करती है..... हमारे मोहल्ले में ही उनकी दुकान  है... मेरी दोनों दीदी  बेहद खूबसूरत हैं...... मोहल्ले का हर मर्द मेरी दीदी के हुस्न का दीवाना है...  मेरी रूपाली दीदी की शादी होने के बाद मोहल्ले के सारे मर्द मेरी प्रियंका दीदी के पीछे पड़े हुए थे.... पर  मेरी प्रियंका दीदी ने किसी को भी  अपने  हसीन बदन को हाथ नहीं लगाने दिया.... मुझे पूरा यकीन था कि मेरी  दीदी अभी भी कुंवारी है... जवानी भी क्या टूट  कि आई थी मेरी प्रियंका दीदी पर..... बड़े-बड़े   विशाल पर्वत जैसी उनकी चूचियां उनकी कुर्ती में हमेशा पहाड़ बना कर रखते थे... और मेरी दीदी की गांड जैसे दो बड़े-बड़े तरबूज....यह बात साल भर पहले की है जब हम अपने पुराने मुहल्ले को छोड़ कर नये मुहल्ले में शिफ्ट हुए थे।हमारा मुख्य घर शहर से तीस किलोमीटर गांव में था लेकिन मम्मी की टेलरिंग की दुकान शहर में थी तो हम किराये के मकान में यहीं रहते थे। इसी सिलसिले में हमें पिछला मकान खाली करना पड़ा था और नये मुहल्ले में शिफ्ट होना पड़ा था। मेरी प्रियंका दीदी की उम्र तक 24 साल थी और वह शहर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज से पढ़ाई कर रही थी.यहां जब मैं यह कहानी इस मंच पर बता रहा हूँ तो मुझे यह भी बताना पड़ेगा कि मेरी प्रियंका  दीदी छोटे कद की, सांवली सलोनी बेहद खूबसूरत है...., जिसके लिये मैंने अक्सर लड़कों के मुंह से ‘क्या माल है’ जैसे कमेंट सुने थे, जिन्हें सुन कर गुस्सा तो बहुत आता था लेकिन मैं अपनी लिमिट जानता था तो चाह कर भी कुछ नहीं कह पाता था।
शक्ल सूरत से मैं भी अच्छा खासा ही था लेकिन कोई हीरो जैसी न पर्सनालिटी थी और न ही हिम्मत कि गुंडे मवालियों से भिड़ जाऊं. फिर मेरी दोस्ती यारी भी अपने जैसे दब्बू लड़कों से ही थी।
कुछ दिन उस मुहल्ले में गुजरे तो वहां के दबंग लड़कों के बारे में तो पूरी जानकारी हो गयी थी और खास कर राकेश नाम के लड़के के बारे में, जो उनका सरगना था। उनमें से ज्यादातर हत्यारोपी थे और जमानत पर बाहर थे लेकिन उनकी गुंडागर्दी या दबदबे में कमी आई हो, ऐसा कहीं से नहीं लगता था। उनमें से ज्यादातर और खास कर राकेश को राजनैतिक संरक्षण भी हासिल था, जिससे उसके खिलाफ पुलिस भी जल्दी कोई एक्शन नहीं लेती थी।
और रहा मैं … तो मेरी तो हिम्मत भी नहीं पड़ती थी कि जहां वह खड़ा हो, वहां मैं रुकूं… जबकि वह कुछ दिन में मुझे पहचानने और मेरे नाम से बुलाने लगा था। परचून की दुकान पे खड़ा होता तो जबरदस्ती कुछ न कुछ ले के खिला ही देता था। थोड़ी न नुकुर तो मैं करता था लेकिन पूरी तरह मना करने की हिम्मत तो खैर मुझमें नहीं ही थी।
उसकी इस कृपा का असली कारण तो मुझे बाद में समझ में आया था कि वह बहुत बड़ा चोदू था और उसकी नजर मेरी  प्रियंका दीदी पर थी। उसकी क्या मुहल्ले के जितने दबंग थे, उन सबकी नजर उस पर थी और शायद राकेश का ही डर रहा हो कि वे एकदम खुल के ट्राई नहीं कर पाते थे।मेरे पिछले मुहल्ले का माहौल ऐसा नहीं था तो यहां सब थोड़ा अजीब लगता था और गुस्सा भी आता था। कई बार जब आते जाते लड़कों को मेरी प्रियंका दीदी को इशारे करते या फब्तियां कसते देखता तो आग तो बहुत लगती थी लेकिन फिर इस ख्याल से चुप रह जाता था कि वहां तो बात-बात पे छुरी कट्टे निकल आते थे तो ठीक भी नहीं था मेरा बोलना।
 मेरी प्रियंका दीदी के लिए यहां जिंदगी बड़ी मुश्किल थी क्योंकि उन्हें कालेज के बाद कोचिंग के लिये भी जाना होता था जहां से शाम को वापसी होती थी और गर्मियों में तो फिर उजाला होता था वापसी में तो चल जाता था लेकिन जब दिन छोटे होने हुए शुरू हुए तो जल्दी ही अंधेरा हो जाता था जिससे उन्हें वापसी में बड़ी दिक्कत होती थी।
 इस बारे में तो उन्होंने मुझे बाद में बताया था पर कहानी के हिसाब से मेरा यहां बताना जरूरी है कि गर्मियों के दिनों में तो फिकरे ही कसते थे लोग लेकिन जब से वापसी में अंधेरा होना शुरू हुआ तब से मेरी प्रियंका दीदी का फायदा उठाकर  वह लफंगे ना सिर्फ यहां वहां हाथ लगाते थे, बल्कि मेरी दीदी की चूची भी  मसल देते थे...कई बार तो तीन चार लड़के पकड़ कर, दीवार से टिका कर बुरी तरह मसल डालते थे मेरी दीदी  के अंग अंग को....
ऐसे ही एक दिन शाम को वापसी में मैंने इत्तेफाक से यह नजारा देख लिया था. मेरा घर एक लंबी बंद गली के अंत में था और गली के मुहाने पर यूँ तो एक इलेक्ट्रिक पोल था जो रोशनी के लिये काफी था लेकिन शाम को उस टाईम तो अक्सर कटौती की वजह से लाईट रहती ही नहीं थी।
तो उस टाईम मैं भी इत्तेफाक से घर की तरफ आ रहा था और शायद थोड़ा पहले ही मेरी प्रियंका दीदी भी गली में घुसी होगी। अंधेरा जरूर था मगर इतना भी नहीं कि कुछ दिखाई न और लाईट हस्बे मामूल गायब थी। तो गली में घुसते ही मुझे वह तीन लड़के किसी को दीवार से सटाये रगड़ते दिखे जो मेरी आहट सुन के थमक गये थे।
फिर शायद उन्होंने मुझे पहचान लिया और वे उसे छोड़ के मेरे पास से गुजरते चले गये। मैं आगे बढ़ा तो समझ में आया कि वह मेरी प्रियंका दीदी है, उन्होंने भी मुझे पहचान लिया था और बिना कुछ बोले आगे बढ़ गयी थी। हम आगे पीछे कर में दाखिल हुए थे और वह चुपचाप अपने कमरे में बंद हो गयी थी।
 मैं उनकी मनःस्थिति समझ सकता था, इसलिये कुछ कहना पूछना मुनासिब नहीं समझा।

अगले दिन दोपहर में जब हम घर पे अकेले थे तब मैंने उनसे पूछा कि क्या प्राब्लम थी तो पहले तो वह कुछ बोलने से झिझकी। जाहिर है कि हम भाई बहन थे और हममें इस तरह की बातें पहले कभी नहीं हुई थी… लेकिन फिर उसने बता दिया कि उनके साथ क्या-क्या होता था और वह अब सोच रही थी कि कोचिंग छोड़ ही दे।
 मैंने उन्हें भरोसा दिलाया - अभी रुक जाओ, मैं देखता हूँ कुछ।
मैंने सोचा था कि राकेश से कहता हूँ… वह बाकी लौंडों को तो संभाल ही लेगा और जाहिर है कि खुद अपने जुगाड़ से लग जायेगा. लेकिन मुझे अपनी बहन पर यकीन था कि वह उसके हाथ नहीं आने वाली और इसी बीच उनका मास्टर डिग्री भी कंप्लीट हो जाएगा...
मैंने ऐसा ही किया. अगले दिन मौका पाते ही राकेश को पकड़ लिया और दीनहीन बन कर उससे फरियाद की, कि वह मुहल्ले के लड़कों को रोके जो मेरी बहन को छेड़ते हैं। उसकी तो जैसे बांछें खिल गयीं। ऐसा लगा जैसे वह चाहता था कि मैं उससे ऐसा कुछ कहूँ। उसने मुझे भरोसा दिलाया कि मेरी बहन अब उसकी जिम्मेदारी… बस एक बार मैं उससे मिलवा दूं और बता दूं कि राकेश अब उसकी हिफाजत करेगा और फिर किसकी मजाल कि कोई उसे छेड़े।
मुझे उस पर पूरा यकीन नहीं था लेकिन फिर भी मैंने डरते-डरते  प्रियंका दीदी को राकेश से यह कहते मिलवा दिया कि वह मुहल्ले का दादा है और अब वह किसी को तुम्हें छेड़ने नहीं देगा
इसके दो दिन बाद मैंने अकेले में प्रियंका दीदी से पूछा कि क्या हाल है अब तो उन्होंने बताया कि अब लड़के देखते तो हैं लेकिन बोलते नहीं कुछ और कोचिंग से वापसी में राकेश उसे खुद से पिक कर के दरवाजे तक छोड़ने आता है। मैं मन ही मन गालियां दे कर रह गया. समझ सकता था कि राकेश अपने मवाली साथियों को मेरी दीदी के बारे में क्या बताया होगा..
बहरहाल, इस स्थिति को स्वीकार करने के सिवा हमारे पास चारा भी क्या था। कम से कम इस बहाने वह मवालियों से सुरक्षित तो थी।
धीरे-धीरे ऐसे ही कई दिन निकल गये।

फिर एक दिन इत्तेफाक से मैं उसी टाईम वापस लौट रहा था जब वह वापस लौटती थी। वह शायद आधी गली पार कर चुकी थी जब मैं गली में दाखिल हुआ। लाईट हस्बे मामूल गुल थी और नीम अंधेरा छाया हुआ था। इतना तो मैं फिर भी देख सकता थाा...
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  A Fresh Perspective on Indian Live Sex and Live Porn India desiaks 0 16,399 03-13-2024, 01:53 PM
Last Post: desiaks
  Saali Adhi Gharwali - 2 ratanraj2301 1 16,563 03-12-2024, 11:57 AM
Last Post: volohan
Bug Jannath Ke Hoor's sashi_bond 0 4,828 02-29-2024, 12:54 PM
Last Post: sashi_bond
  महारानी देवरानी aamirhydkhan 211 352,481 12-20-2023, 03:29 AM
Last Post: aamirhydkhan
  गुलाबो Peacelover 19 31,698 12-04-2023, 06:42 PM
Last Post: Peacelover
Exclamation Meri sagi mom ki chudai-1 (How I became Incest) gotakaabhilash 6 51,533 12-02-2023, 01:36 PM
Last Post: gotakaabhilash
  दीदी को चुदवाया Ranu 101 540,830 11-27-2023, 01:13 AM
Last Post: Ranu
  Sach me Saali adhi Gharwali - Part 1 ratanraj2301 0 8,820 11-22-2023, 09:58 PM
Last Post: ratanraj2301
  Maa ka khayal Takecareofmeplease 25 243,417 11-08-2023, 01:58 PM
Last Post: peltat
  FFM sex series Part 1 सपना Popcorn 4 11,461 11-08-2023, 12:16 AM
Last Post: Popcorn



Users browsing this thread: 1 Guest(s)