11-30-2020, 12:45 PM,
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RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
राज ने उसके गाल पर हल्का सा चुंबन जड़कर स्वयं को उससे अलग कर लिया।
-“अंधेरे से बचने के लिए तुम लाइट ऑन कर सकती हो।”
राज ने दीवार पर लाइट स्विच टटोला।
-“नहीं।” रंजना ने उसकी बाँह नीचे खींच ली- “मैं अपना चेहरा तुम्हें दिखाना नहीं चाहती। मैं रो रही हूँ। मैं खूबसूरत नहीं हूँ।”
-“इस्तेमाल किए जाने के लिए तुम काफी खूबसूरत हो।”
-“नहीं। खूबसूरती मीना में है।”
-“मीना के बारे में मैं नहीं जानता। उससे कभी नहीं मिला। मुझे तो तुम्हारा डर भागना है और तुम्हे डर से मुक्ति देनी है ''
रंजना ने अपने होंठो को दाँत से काटते हुए बड़े मादक अंदाज में राज से कहा '' मैं भी तो चाहती हूँ कि कोई मेरी इस तन्हाई को दूर करे और मुझे डर से मुक्ति दिलाए ''
इस खुले आमंत्रण से राज बहुत ही हॉर्नी हो चुका था,
वो जल्दी से रंजना को लेकर बैड बैठ जाता है और उसको चूमने लगता है , रंजना भी उसको पूरा सहयोग करती है , रंजना बहुत ही सेक्सी और चालाक
औरत थी उसको पता था की किसी को कैसे खुश करना है उसको सेक्स की हर कला आती है , वो राज को लिपलॉक किस करती है जो करीब 4 मिनिट चलती है ,
राज का लंड उसकी पेण्ट फाड़कर बाहर निकलने को होने लगता है तभी रंजना राज की पेण्ट को अधखुला करके उसके लंड को बाहर निकाल लेती है ,और बड़े ही सेक्सी अंदाज से सहलाने लगती है , राज का लंड प्रिकम की दो - तीन बूंद वीर्य की छोड़ देता है जिसको रंजना अपनी अँगुलियों में लेकर चाट जाती है ,
अब राज पागल हो जाता है वो रंजना के बूब पकड़ लेता है और मसलने लगता है रंजना उसको रोकती है और अपना टॉप उतार देती है साथ ही ब्रा भी ,
रंजना के बड़े-बड़े बूब अब खुलकर राज के सामने थे , राज एक बूब को मुंह में भर लेता है और दूसरे को अपने हाथ से मसलने लगता है , किसी के बूब मसलने का पहला अनुभव था , रंजना उसका लंड और बॉल सहलाने लगती है , अब राज से रुका नहीं जाता है वो सब छोड़ कर अपने कपड़े उतार फेंकता है ....
रंजना भी अपना स्कर्ट उतार देती है लेकिन जब पेंटी उतारती है तो उसकी चूत का छेद साफ़ दिख रहा था , उसकी चूत बहुत ही मस्त और साफ़
सुथरी थी और सबसे बड़ी बात उसकी चूत का छेद लाल था जिसको देख कर राज पागल हो गया .....
राज रंजना को अपनी बाँहों मे भर लेता है लेकिन रंजना उसको रुकने को कहती है फिर रंजना राज के बड़े से लंड को अपने सुंदर मुंह में भर लेती है उसके बाद रंजना लंड को ऐसे तरिके से चूसने लगती है की राज पागल ही हो जाता है , उसके मुँह से आहहहह आहहहहह की आवाज निकलने लगीं थी ,
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RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
राज तो मानो सातवें आसमान में था.... इतने में रंजना का ध्यान उसके आंडों पर गया... अब उसने राज के आंडों को एक एक करके अपने मुँह में भरकर चूसना शुरू किया..
वो गर्म होता गया और अब तो रंजना कभी कभी उसके दोनों आंडों को एक साथ लेकर चूस रही थी , राज ने आज से पहले अपने आंड कभी किसी को चुसवाये नहीं थे ,
आगे पढ़िये राज के शब्दों में.........
मुझसे अब और नहीं रहा गया,मैंने उसको अपने लंड से हटाया, उसकी पेंटी को उतार फेंका और उसे पेट के बल लिटाकर उसके गोरे, मुलायम चूतड़ों और चूत को दबाने और चूमने लगा.
कुछ देर बाद मैंने उसके दोनों पैरों को अलग करते हुए उसकी चूत के छेद को अपनी जीभ से सहलाने और चाटने लगा.
जिसके कारण उसके चूत का छेद खुलने लगा. मैं उसकी गुलाबी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा.
अब रंजना भी एकदम गर्म हो चुकी थी और वो बोलने लगी - राज मेरे प्यार , और कितना तड़पाओगे ? जल्दी से अपना मस्त और बड़ा लंड मेरी चूत में डालो और उसकी आग बुझाओ,
फिर उसकी चूत के छेद पर मैंने बहुत सारा थूक लगाया और लंड को रगड़ते हुए कहा- हां रंजना , मेरी जान, इस चूत को चोदने में मेरे लंड को बहुत मजा वाला है,
आज तेरे चूत का भोसड़ा बनाके ही दम लूँगा ....
मुझको सेक्स करते वक्त गालिया देना और सुनना दोनों ही पसंद है ,
मैंने अपना लंड धीरे धीरे से रंजना की लाल चूत में घुसाना शुरू किया.... सिर्फ टोपा ही अन्दर गया था कि उसने कहा- आह… राज .. आराम से, मुझे चूत मरवाए बहुत दिन हो गए हैं...(यह रंजना का नाटक था राज को उकसाने के लिए )
उसकी बात को मैंने अनसुना कर दिया और एक जोर का झटका दिया... आधे से ज्यादा लंड उसके चूत में घुस चुका था.
रंजना चीखते हुए बोली - बहनचोद, धीरे से कर.. वरना मेरा छेद फट जाएगा साले...
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- रंजना मेरी जान , मैं तो धीरे कर रहा हूँ, पर मेरे लंड को कौन समझाए...
इतना कहकर मैं धीरे धीरे उसकी चूत की चुदाई करने लगा... बस 5 मिनट में ही उसकी चूत ढीली हो गई और मेरा लंड पूरा अन्दर जाने लगा....
अब रंजना को भी मजा आने लगा था,
रंजना बोली - आह.. राज .. और जोर से करो, अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर पूरा घुसा दो,
मैं- आज तो तेरे चूत को फाड़ कर ही दम लूँगा मेरी रंजना...
फिर मैंने उसे डॉगी पोज में आने को कहा और अपना लंड पूरा बाहर निकालता और पूरा अन्दर घुसाता...
उसकी चूत पूरी तरह खुल चुकी थी... अन्दर का लाल भाग साफ दिख रहा था... ऐसा करने में मेरे लंड को बहुत मजा आ रहा था,
मेरा लंड लोहे जैसा सख्त हो गया था,
फिर मैंने उसे पलटा और मेरे फेवरेट पोज मिशनरी में.. उसे चोदने लगा.... रंजना भी अब खुल कर मेरा साथ दे रही थी ,
करीब 15 मिनट तक मैं उसे इसी पोज में चोदता रहा... अब रंजना भी अपना लंड हिलाने लगी थी , पूरा कमरा खचपच की आवाज से भर चुका था,
मैंने रंजना को इशारा किया कि मेरा पानी निकलने वाला है... तो उसने मुझे रोका और मुझे लेटने को कहा और वो मेरे लंड के ऊपर बैठकर अपनी चूत को ऊपर नीचे करने लगी ,
मैं- यार रंजना तुम तो बहुत ही सेक्सी हो कितना मस्त मजा दे रही हो ऐसा मैंने आज तक नहीं किया था ,
रंजना - अब तो आपने देखा ही क्या है. .. अब तो आपसे रोज नई चीजें करवाउन्गी... और बताउन्गी भी कर के ,
यह कहकर उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी, उसके चूतड़ों के मेरी जांघों से टकराने के कारण छपछप की आवाज आने लगी. हमारी चुदाई को करीब आधा घंटा हो चुका था.
मैंने उससे कहा- अब और नहीं रोक पाऊँगा रंजना में अपने आप को झड़ने से,
तो वो उठकर अपने पैरों पर किसी प्यासी रंडी की तरह जीभ बाहर निकालकर मेरे लौड़े को देखने लगी ,
मैं खड़ा हुआ और अपने लंड को हिलाने लगा... कुछ ही पलों में मेरा पानी निकला, तो मैंने अपना लंड सीधा उसके मुँह में दे दिया,
उसने मेरा पूरा पानी किसी रंडी की तरह पी लिया और लंड को चूसचूस के साफ करने लगी ,
मैंने एक बड़ी लम्बी सांस ली और अपने आधे खड़े लंड से उसका मुँह चोदने लगा,
अब रंजना ने फिर अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगी और साथ ही जोर जोर से मेरा लंड भी चूसने लगी कुछ ही देर में उसका पानी निकल गया
जो बेड पर गिर गया और फिर हम एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे को बांहों में भरकर लेट गये.... क्यूंकि हम इस चुदाई से बहुत ही थक चुके थे
कुछ देर आराम करने के बाद राज ने अपने कपड़े पहने और जाते हुए रंजना से गुडनाइट कहा
-“गुड नाइट।” संक्षिप्त मौन के पश्चात वह बोली- “अब मैं सॉरी तो नहीं कहूँगी लेकिन कुछेक पल के लिए मेरा दिमाग घूम गया था। कौशल को अक्सर रात में देर तक काम करना पड़ता है। उसके घर आने पर मैं ठीक हो जाऊँगी। मुझे घर पहुंचाने का शुक्रिया।”
-“डोन्ट मैनशन इट।”
-“अगर मीना तुम्हें मिल जाती है तो फौरन मुझे बताओगे न?”
-“जरूर।”
राज बाहर निकला। कार में सवार होकर वापस शहर की ओर ड्राइव करने लगा।
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RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
रोज एवेन्यू अपने नाम के अनुरूप गुलाबों की खुशबू से महक रहा था।
कार से उतर कर राज दोनों ओर उगी गुलाब की झाड़ियों के बीच बने रास्ते पर चल दिया। एक ऊँचे फव्वारे के चारों ओर बारह काटेजनुमा घर बने थे। प्रत्येक के आगे मौजूद पोर्च के बाहर भी गुलाब उगे थे। अधिकांश घरों में रोशनी थी और संगीत के स्वर सुनाई दे रहे थे। लेकिन छह नंबर में अंधेरा और खामोशी थी।
दरवाजे को हाथ लगाते ही वो अंदर कि ओर खुल गया।
राज ने हाथ में पकड़ी टार्च जलाई।
लॉक के आसपास दरवाजे का हिस्सा टूटा हुआ था।
राज ने भीतर दाखिल होकर कोहनी से दरवाजा बंद कर दिया।
मीना छह दिन से गायब थी। यह ख्याल आते ही राज ने यूँ नाक से सांस खींची मानों मौत की गंध ले रहा था। लेकिन उसके नथुनों से जीवन की बासी गंध टकराई - सिगरेट के पुराने धुएँ, शराब और परफ्यूम की मिली-जुली।
टार्च की रोशनी दीवारों और फर्नीचर पर घूमने लगी। नंगी औरतों की पेंटिंग्स, अंजता एलोरा स्टाइल से लकड़ी पर उकेरी गई सहवासरत स्त्री पुरुषों की आकृतियाँ, फायर प्लेस में रखा रूम हीटर, नावलों से भरा बुक रैक, छोटी सी आलमारी, कोने में बनी बार, आरामदेह सोफा सेट वगैरा सब नए और मूल्यवान थे।
आलमारी खुली थी। लॉक टूटा हुआ। उसमें पेपर्स और लिफाफे भरे थे। सबसे ऊपर रखे लिफाफे पर मर्दाना लिखावट में मिस मीना बवेजा लिखा था और वो खाली था।
बैडरूम और बाथरूम की ओर जाने वाले छोटे से गलियारे में खुले मेहराबदार दरवाजे पर परदा झूल रहा था। बैडरूम छोटा और जनाना था। ड्रेसिंग टेबल और आरामदेह पलंग भी नए और कीमती थे। लापरवाही से बनाए गए बिस्तर की एक साइड दबी थी और चादर सिकुड़ी हुई थी। मानों उस खास जगह पर कोई बैठा रहा था। बैड साइड टेबल पर हीरे जड़ी सोने की रिस्टवाच रखी थी।
पलंग के नीचे कुछ नहीं था। ड्राअर्स चैस्ट में भी अंडर गारमेंट्स के अलावा कोई खास चीज नहीं थी। ब्रेजियर्स, अंडरवीयर्स, स्विम सूट्स वगैरा के ढेर से जाहिर था मीना को इन चीजों का खास शौक था और इन पर काफी पैसा वह खर्चती रहती थी।
बाथरूम में जाकर राज ने लाइट स्विच ऑन किया। बाथ टब के ऊपर बने टावल रैक में तौलिये, बेदिंग गाउन भरे थे। वाश बेसिन के ऊपर मैडिसन केबिनेट में लोशन, क्रीम, परफ्यूम वगैरा के अलावा एक डिब्बे में तनाव कम करने और नींद लाने वाली गोलियाँ भरी थीं।
राज ने उसे बंद कर दिया।
बगल वाले फ्लैट से आता संगीत का शोर ऊँचा हो गया था।
बाथरूम की तलाशी लेते राज को वहाँ कहीं भी टूथब्रश नजर नहीं आया।
वह वापस बेडरूम में पहुंचा।
ड्रेसिंग टेबल से भी कुछेक ऐसी चीजें गायब थीं जो कि वहां होनी चाहिए थीं। लिपस्टिक, फेस पाउडर, क्रीम, आई ब्रो पैंसिल वगैरा।
अभी तक कोई लेडीज पर्स या हैंडबैग भी कहीं नजर नहीं आया था।
राज बाहरी कमरे में लौटा।
बारीकी से तलाशी लेने पर कोई पर्सनल चीज नहीं मिली। अलबत्ता पुराने बिल और बिजनेस लैटर्स काफी सारे और सही ढंग से रखे मिले। आधी इस्तेमाल की गई चैक बुक में मौजूद आखिरी एंट्री के मुताबिक मीना का बैंक बैलेंस करीब दो लाख रुपए था। आखिरी पैमेंट सात अक्टूबर को यानी आठ रोज पहले किसी मिस रीटा सैम्सन को की गई थी।
ठीक उस वक्त जब राज निराश होकर सीधा खड़ा होने वाला था आलमारी के शैल्फ पर बिछे मोटे पेपर के नीचे रखा एक मुड़ा लिफाफा उसके हाथ आ गया। करीब साल भर पहले उसे विशालगढ़ से पोस्ट किया गया था। उसमें रखा लैटर सस्ते होटल की स्टेशनरी के एक पेपर के दोनों ओर पैंसिल से लिखा था। लिखने वाले का नाम था- मनोहर।
राज ने बाथरूम में जाकर दरवाजा बंद करके खत पढ़ना शुरू किया।
प्यारी मीना,
मेरा खत पाकर तुम हैरान हो जाओगी खुद मुझे भी हैरानी हो रही है। पिछली दफा जो कुछ तुमने कहा था उसकी वजह से खत लिखना तो दूर रहा मैंने सोचा तक नहीं था कि मैं तुमसे दोबारा मिलूंगा। लेकिन मैं यहां विशालगढ़ के इस घटिया होटल में फंसा हुआ हूं। जिस शिप का मुझे इंतजार करना पड़ रहा है वह तूफान में घिर जाने की वजह से कल सुबह से पहले नहीं पहुंचेगा। इसलिए मैं विशालगढ़ के इस घटिया होटल के कमरे में रात गुजारने को मजबूर हूँ हालांकि तुम मेरे पास नहीं हो लेकिन तुम्हारा चांद जैसा चेहरा मेरे सामने हैं....तुम मुस्करा क्यों नहीं रही हो मीना?
लगता है तुम मुझे सनकी या पागल समझती हो। लेकिन मैंने आज रात न तो शराब पी है न ही कोई नशा किया है। मैं सड़कों पर घूमता रहा हूं। यहां औरतों की कमी नहीं है। रात भर के लिए मैं आसानी से हासिल भी कर सकता था मगर उनमें कोई दिलचस्पी मेरी नहीं है। उस दफा तुम्हारे साथ के बाद से किसी भी और औरत की ओर मैंने देखा तक नहीं है। अगर तुम चाहो तो मैं तुमसे शादी कर लूंगा। मैं जानता हूं, पैसे के मामले में मेरा हाथ तंग है। शराब के धंधे में लगी उस खास पार्टी के साथ मुकाबला मैं नहीं कर सकता। लेकिन मैं एक वफादार दोस्त हूं। उस खास पार्टी से तुम्हें भी सावधान रहना चाहिए मीना। वह ऐसा आदमी है जिस पर तुम भरोसा नहीं कर सकतीं। मैंने यह भी सुना है कि उसकी माली हालत खराब होने वाली है। उसकी पत्नि का पैसा ज्यादा देर नहीं चलेगा।
मैं जानता हूं तुम अपने काबिल मुझे नहीं समझतीं। लेकिन मैं यकीन दिलाता हूं तुम्हारे ‘उससे’ मैं लाख दर्जे बेहतर हूं। तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं और करूंगा, मीना।
यह धमकी नहीं है। मैंने कभी तुम्हें धमकी नहीं दी। मेरे गुस्से और दीवानगी को तुम नहीं समझी थीं। जैसा कि तुमने कहा था वो जलन या ईर्ष्या नहीं थी। मैं दुखी था। तुम्हारे लिए फिक्रमंद था। मैं सारी रात तुम्हारे घर के बाहर खड़ा रहा था। जब ‘वह’ तुम्हारे साथ अंदर मौजूद था। मैंने बहुत दफा ऐसा किया था। मैं तुम्हें बताना चाहता था। लेकिन यह राज तुम्हें कभी नहीं बताया। चिंता मत करना कभी किसी को बताऊंगा भी नहीं।
मैं तुम्हें प्यार करता हूं मीना- दिलोजान से। लाइट ऑफ करने के बाद अंधेरे में भी तुम्हारा चांद सा चेहरा मेरी आंखों के सामने रहेगा।
तुम्हारा वफादार दोस्त
मनोहर
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11-30-2020, 12:46 PM,
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RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“वह पहुंच सैनी के मामले में तुम्हें भी प्रभावित कर सकती है?” राज ने और ज्यादा कुरेदते हुए पूछा।
इस दफा इन्सपैक्टर पर सीधा और तुरंत असर हुआ। उसकी कनपटी पर एक नस तेजी से फड़कती नजर आई।
-“तुम्हें कुछ ज्यादा ही सवाल करने की आदत है।”
-“मैं वही सवाल करता हूं जिनके जवाब जानने जरूरी होते हैं।”
-“मत भूलो कि तुम मुझसे बात कर रहे हो?”
-“मैं बिल्कुल भी नहीं भूल रहा हूं।”
-“तो फिर तुम सिचुएशन को नहीं समझ रहे हो।”
-“कौन सी सिचुएशन?”
-“तुम्हारी इस फ्लैट में मौजूदगी सरासर गलत और गैर कानूनी है। दरवाजे का ताला तोड़कर तुम्हें यहां घुसने के जुर्म में मैं हवालात में डाल सकता हूं।”
-“यह जुर्म मैंने नहीं किया। मुझसे पहले ही किया जा चुका था।”
-“सच कह रहे हो?”
-“बिल्कुल सच। मेरे आने से पहले ही यहां सेंध लगाई जा चुकी थी। और सेंधमार कोई मामूली नहीं था।
बैडरूम में टेबल पर बड़ी कीमती रिस्टवाच पड़ी है। जबकि चोरी की नीयत से आने वाले सेंधमार ने घड़ी यहां नहीं छोड़नी थी। दूसरी भी जो चीजें गायब हैं उन्हें भी वह नहीं ले गया होगा।”
-“कौन सी दूसरी चींजे?”
-“पर्सनल। टूथब्रुश, पाउडर काम्पैक्ट, लिपस्टिक, पर्स वगैरा। मेरा ख्याल है मीना बवेजा कहीं वीकएंड मनाने गई थी और वापस नहीं लौटी। फिर किसी ने यहां सेंध लगाई, डेस्क का ताला तोड़ा और उसकी जाती जिंदगी से जुड़ी कई चीजें ले गया- लैटर्स एड्रेस बुक, टेलीफोन नंबर....।”
-“अगर दरवाजे का ताला तुमने नहीं तोड़ा तो भी यहां घुसने का कोई हक तुम्हें नहीं था। तुमने कानूनन....।”
-“मैंने यहां तलाशी लेने की इजाजत ले ली थी।”
-“किससे?”
-“तुम्हारी पत्नि से।”
-“उसका इससे क्या ताल्लुक है?”
-“उसकी बहन गायब है और निकटतम रिश्तेदार होने की वजह से....।”
-“वह तुम्हें कहां मिली?”
-“कोई घंटाभर पहले बवेजा की कोठी से मैंने उसे उसके घर पहुंचाया था।”
-“उससे दूर ही रहो।” इन्सपैक्टर कड़े स्वर में बोला- “सुना तुमने। मेरे घर और मेरी पत्नि से दूर ही रहना।”
-“बेहतर होगा कि तुम अपनी पत्नि को मुझसे दूर रहने की हिदायतें दे दो।”
राज को फौरन अहसास हो गया उसे ऐसा नहीं कहना चाहिए था।
कुपित इन्सपैक्टर का रिवाल्वर वाला हाथ उस पर लपका। नाल का प्रहार राज की ठोढ़ी पर पड़ा। सर पीछे दीवार से टकराया और वह चकराकर फर्श पर जा गिरा।
चंद क्षणोपरांत उठा। हाथ के पृष्ठ भाग से ठोढ़ी से खून साफ किया।
-“इसके लिए तुम्हें पछताना होगा, इन्सपैक्टर।”
इन्सपैक्टर का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था।
-“इससे पहले कि दोबारा मेरा हाथ उठे दफा हो जाओ।”
राज थके से कदमों से चलता हुआ खुले दरवाजे से बाहर निकल गया।
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