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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
एक चुम्मी दे दे।” मखानी दांत फाड़कर कह उठा।
“यही तो तेरे में बुराई है, जरा-सी हंसकर बात की नहीं कि चुम्मी मांगने लगता है।”
मखानी ने झपट्टा मारा और कमला रानी की चुम्मी ले ली।
ये ठीक किया ।” कमला रानी बोली “तेरे को पहले भी समझाया है कि औरत से मांगते कुछ नहीं, आगे बढ़कर चुपचाप ले लेते हैं।”
“वाह री औरत।” मखानी ने गहरी सांस ली–“एक नम्बर की हरामी जात है।”
ये तेरे को अब पता चला।”
“पता तो पहले से ही था, पर सही तस्वीर तो तेरी देखी है। तूने तो औरतों की जात पर डंडा घुमा दिया।”
सब थोड़े न, मेरे जैसी दिलदार होती हैं।” तू तो...।" । तभी पीछे कुछ आहटें उभरीं। दोनों ने चलते-चलते गर्दन घुमाकर देखा पीछे। “ओह, देवा को क्या हुआ?” कमला रानी के होंठों से निकला।
एकाएक देवराज चौहान के मस्तिष्क में पीड़ा की तीव्र लहर उठी। देवराज चौहान के होंठों से हल्की-सी कराह निकली। दोनों हाथों से उसने सिर थाम लिया। आंखें बंद होती चली गईं। वो जोरों से लड़खड़ाया और घुटने मुड़ते चले गए। ये सब कुछ मात्र दो पलों में हो गया था। वो नीचे गिरने लगा तो पीछे आते पारसनाथ ने उसकी बिगड़ी हालत को पहचाना और उसके गिरने से पहले ही उसे थामकर संभाल लिया, फिर धीरे से नीचे बैठा दिया।
सब ठिठके।।
“क्या हो गया आपको?” नगीना के होंठों से चीख निकली और आगे बढ़कर उसने देवराज चौहान को संभाला।
देवराज चौहान के दोनों हाथ अभी भी सिर पर थे। आंखें बंद थीं। होंठ भिंचे हुए थे। उसे किसी का कोई स्वर सुनाई नहीं दे रहा था। उसके मस्तिष्क में तूफान उठा हुआ था।
बंद आंखों के पीछे आंधी उठती महसूस हो रही थी। आग की लपटों का भंडार था वो, जो कि हवा के रुख के साथ बहने की चेष्टा कर रहा था। वहां पहाड़ियां थीं। कठोर चट्टानों की पहाड़ियां मधे यम-सी ऊंची चोटी पर दो गुफाएं नजर आ रही थीं। इतनी बड़ी गुफाएं कि एक साथ दस आदमी भीतर प्रवेश कर सकें। दोनों गुफाओं के बीच दस फुट का फासला था। तभी उसे वो दोनों गुफाएं हिलती-सी महसूस हुईं। थोड़ा-सा हिल, फिर वो थम गईं। साथ ही हल्की सी कराह स्पष्ट तौर पर उसके कानों में पड़ी।
| देवराज चौहान की निगाह उन गुफाओं पर टिकी रही।
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
तभी देवराज चौहान की निगाह गुफाओं से साठ फीट नीचे पड़ी। वहां कुछ हिलता सा दिखा उसे।
अगले ही पल भरभराती हुई मध्यम-सी आवाज उसने सुनी।
आजाद करो मुझे। अब तो बहुत वक्त हो गया है।” एकाएक देवराज चौहान के मस्तिष्क में उठता तूफान थमने लगा। धीरे-धीरे सब कुछ शांत हो गया। देवराज चौहान गहरी-गहरी सांसें लेने लगा। सिर से दोनों हाथ खुद-ब-खुद हटते चले गए। आंखें खुल गईं। भिंचे होंठ ढीले पड़ते चले गए। चेहरे पर और शरीर पर पसीना ही पसीना बह रहा था।
क्या हो गया आपको?” नगीना परेशान-सी कह उठी।
वो...वो गुफाएं नहीं थीं, नाक के दो छेद थे।” देवराज चौहान गहरी सांसें लेता कह उठा।
नाक के छेद?” पारसनाथ बोला।
छोरे, लागो हो, देवराज चौहान भयंकरो माजरो देखो हो।”
हां, नाक के छेद थे बो।” देवराज चौहान की हालत अभी भी ठीक नहीं हुई थी—“पहाड़ पर लेटा हुआ था वो। वो उसका चेहरा था। पहले...पहले मैंने समझा वो...वो नाक के छेद गुफाएं हैं।” ।
“लेकिन वो था कौन?” मोना चौधरी बोली।
“मैं नहीं जानता।” देवराज चौहान सोचों में डूबा कह उठा–“मैं उसे पहचान नहीं पाया। शायद उसका चेहरा ठीक से देख ही नहीं सका मैं। उसकी नाक के छेद गुफा जैसे लग रहे थे। इसी से उसका आकार-प्रकार महसूस किया जा सकता है। परंतु वो पत्थर का था। लेकिन उसके होंठ हिल रहे थे, वो बोल रहा था।”
बोल्लो हो वो। पत्थरो का बुत बोल्नो हो? सुन लयो छोरो।”
सुनेला बाप ।”
“क्या बोल रहा था वो?” नगीना ने पूछा।
वो अपनी आजादी के लिए कह रहा था। कह रहा था कि बहुत वक्त हो गया है। मुझे आजाद कर दो।” देवराज चौहान ने सूखे होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा-“लेकिन मैं उसकी बात को जरा भी नहीं समझ पाया कि वो कैसी आजादी की बात कर रहा
“जथूरा की जमीन पर पहुंचते ही तुम्हारे मस्तिष्क ने ये सब देखा।” मोना चौधरी बोली-“ये सब पूर्वजन्म का असर है।”
“तो बेबी तुम्हें भी तो कुछ याद आना चाहिए।” महाजन ने कहा।
मुझे ऐसा कुछ याद नहीं हुआ।” देवराज चौहान उठ खड़ा हुआ।
अब आप ठीक महसूस कर रहे हैं?” नगीना व्याकुल थी। देवराज चौहान ने सहमति में सिर हिला दिया।
“तुम इन बातों से क्या अंदाजा लगाते हो?” पारसनाथ ने पूछा।
मेरे खयाल में वो मुझे बुला रहा था।” देवराज चौहान बोला-“मुझे आजादी के लिए कह रहा था।” \
और तुम्हें याद नहीं आया कि वो कौन है?” ।
“नहीं। मेरे मस्तिष्क ने जो देखा, उसके अलावा मुझे कुछ याद नहीं। मैं नहीं जानता वो कौन था।”
पत्थर का बुत था वो?”
नहीं जानता वो क्या था उसका नाक और होंठ देखे, वो मुझे पत्थर के लगे।”
शायद तुम्हें इसके अलावा और कुछ भी याद आ जाए।” मोना चौधरी ने कहा।
देवराज चौहान ने कुछ नहीं कहा। उसके चेहरे पर उलझन की छाया थी। फिर कह उठा।।
“उसके होंठ ऐसे थे कि जैसे कोई बड़ी दरार हो। जब भी वो होंठ खोलता तो बीच का खाली हिस्सा दरार जैसा लगता। वो किसी दैत्य जैसा था। मैं नहीं समझ पाया कि वो क्या था, कैसा था?”
“हमें चलते रहना चाहिए।” महाजन बोला–“इससे हमारा वक्त बचेगा।”
वो सब पुनः चल पड़े। “तुम खुद को ठीक महसूस कर रहे हो?” महाजन ने पूछा।
हां।” देवराज चौहान के होंठ हिले। ये सब क्या हो रहा है?* नगीना कुह उठी। “जो मुझे याद आया वो मेरे पूर्वजन्म का ही हिस्सा था। पूर्वजन्म की जमीन पर पांब रखते ही, पहला जन्म ताजा होने लगा परंतु आपको तो ठीक से कुछ भी याद नहीं।”
हां, ठीक से याद नहीं। लेकिन शायद बाद में कुछ याद आ जाए।”
सब चलते जा रहे थे। सबसे आगे कमला रानी और मखानी थे।
छोरे।” बांकेलाल राठौर मूंछों पर हाथ फेरकर रुस्तम राव के पास पहुंचा–“यो तो बोतो ही गम्भीरो बात हौवे ।”
क्या बाप?”
“उसके नाको के छेदो गुफाओं जैसो। होंठ खुलते हैं तो दरार जैसो दिखे।” ।
तुम्हें क्या परेशानी होईला बाप?”
*अंम उसो की गर्दनो का अंदाजा लगायो कि वो कित्ती मोटी हौवे ।”
“काये को?” ।
“गर्दन तो उसो की मन्ने ही ‘वडनी' हौवे । इत्ती मोटी गर्दनो अंम कैसों वडो हो। ख़ासो हथियारों की जरूरत पड़ो हो ।”
आपुन तेरे साथ होईला बाप। उसकी गर्दन पर मोटा आरा चलाईला।”
म्हारे को सोचनो दयो उसो की गर्दनो के बारो में ।”
जब वे चले तो कमला रानी ने धीमे स्वर में मखानी से कहा।
तूने देवा की बात सुनी मखानी?”
हां।” ।
तेरे को उसकी बात सुनकर क्या लगता है कि वो किसकी बात कर्...।” ।
वो झूठा है।”
क्यों?”
कोई भी इतना बड़ा हो ही नहीं सकता कि उसकी नाक के छेद गुफाओं जैसे हों।” *
“तेरा मतलब कि देवा झूठ कहकर सबको भटकाने की चेष्टा में ये ही बात है। वो जरूर कोई चाल चल रहा है, तभी तो।”
“तू वहम का मारा है।”
“तू हमेशा मुझे ऐसा ही कहती है।”
तो गलत क्या कहती है। तू तो हर बात में शक ले आता है। तेरे को कोई बात भी सीधी नहीं लगती।”
“एक बात तो सीधी है।” मखानी मुस्कराया।
क्या?" ।
चुम्मी ।”
फिर तू...।।
अब तो दे दे।” ।
तेरे को कहा है न कि औरत से चुम्मी नहीं मांगते ।”
तो क्या मांगते हैं?” ।
कुछ भी नहीं मांगते ।” मखानी ने बाज की तरह झपट्टा मारा और कमला रानी की चुम्मी ले ली।
“अब तू समझदार होता जा रहा है।” कमला रानी मुस्करा पड़ी।
“हमें किसी पेड़ की छाया मिल जाए। तने की ओट मिल जाए तों...।”
“ये बातें औरत के साथ नहीं करते।”
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
तो क्या करते हैं?”
छाया और पेड़ पहले से ही ढूंढकर रखते हैं और औरत को उठाकर तने की ओट में ले जाते हैं।” कमला रानी मुस्कराकर बोली।
मखानी ने पीछे आते सब पर निगाह मारी और कह उठा।
इस समय ये सम्भव नहीं। कहीं वो सब भी मेरे पीछे, तने की ओट में न आ जाएं।”
मोमो जिन्न, लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा तेजी से आगे बढ़े जा रहे थे। सपन चड्ढा और लक्ष्मण दास की सांसें फूलने लगी थीं। जबकि मोमो जिन्न मस्ती से आगे बढ़ा जा रहा था। ये पेड़ों से घिरा इलाका था, परंतु जंगल जैसा नहीं था। काफी देर हो गई थी उन्हें इस तरह चलते हुए।
रुक भी जा।” सपन चड्ढा आखिर कह उठा–“मैं थक गया हूँ।” कहकर सपन चड्ढा ठिठका।।
“मैं भी।” लक्ष्मण दास भी रुक गया। दोनों नीचे जा बैठे। मोमो जिन्न ठिठककर पलटा और बोला।
तुम दोनों इंसान बहुत कमजोर हो।”
तू हमें उठा क्यों नहीं लेता?”
“ऐसे ही ठीक है। तुम दोनों आराम कर लो।” मोमो जिन्न कह उठा–“वो सब हमें ढूंढ़ रहे होंगे, कि हम कहां चले गए।”
“नाम मत लों उनका।” सपन चड्ढा कह उठा_“मुझे तों कमला रानी और मख़ानी से डर लगता रहा कि कहीं वो बदला न ले लें हमसे। हमें मार न दें। हर वक्त हमें घूरते रहते थे।”
“मेरे होते हुए वो तुम दोनों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते।” मोमो जिन्न ने कहा।
“तुमने तो हमारे लिए मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। दिल्ली में हम कितने सुखी थे।” लक्ष्मण दास बोला–“वो दिन कितना अच्छा था कि हम दोनों मौज-मस्ती के लिए दिल्ली से बाहर निकले थे, परंतु तुम पत्थर के रूप में हमारी कार में आ घुसे और हम दोनों को अपने इशारे पर चलने को मजबूर कर दिया।
“ऐसा इसलिए हुआ कि तुम देवा को जानते थे।” मोमो जिन्न मुस्कराया।
मैं तो नहीं जानता था ।” सपन चड्ढा ने तीखे स्वर में कहा। तुम, इसके दोस्त हो। तुम्हारा भी अच्छा इस्तेमाल किया मैंने।”
“हमें दिल्ली पहुंचा दो, बहुत मेहरबानी होगी तुम्हारी ।”
सोबरा से कहकर पहुंचा दूंगा। जब तक हम सोबरा के पास नहीं पहुंचते, तब तक खतरे में रहेंगे।”
कैसा खतरा?”
“जासूसी यंत्र सोबरा को बता सकता है कि हम कहां हैं।”
जासूसी यंत्र-ये क्या होता है?” ।
सैटलाइट जैसा होता है। जथूरा ने आकाश में कई जासूसी मंत्र छोड़ रखे हैं। उनसे अपनी जरूरत के काम लेता है, किसी को खोजना हो तो जासूसी यंत्र उसे खोज लेता है। आदेश देने भर की देर है।”
सैट लाईट?” सपन चड्ढा ने अजीब-से स्वर में कहा। जथूरा महान है।”
कमाल है। जथूरा सैटलाइट का इस्तेमाल भी करता है और जिन्नों का भी।”
वो सच में महान है।”
हम उसके सैटलाइट से कैसे बच सकते हैं?” लक्ष्मण दास ने पूछा।
जल्दी से जथूरा की जमीन से बाहर निकलकर।” मोमो जिन्न ने कहा।
कोई और रास्ता नहीं?”
“नहीं।” ।
जब उन्हें पता चलेगा कि तुम उन सबके साथ नहीं हो तो वो तुम्हें जरूर ढूंढेंगे।”
इस बात की पूरी आशंका है।” मोमो जिन्न गम्भीर हुआ।
इसका मतलब तुम्हारे साथ रहने में हम दोनों भी मुसीबत में फंस सकते हैं।”
मोमो जिन्न ने दोनों को घूरा।।
“तुम दोनों के विचार बहुत घटिया हैं। मैं तुम्हें अपना यार कहता हूं और तुम मुझे मुसीबत कह रहे हो।”
मैंने ऐसा कब कहा।”
“तुम्हारा मतलब तो ऐसा ही था।”
नहीं, तुम गलत समझे हो, मैं तो...।”
“याद रखो, जब तक मैं तुम लोगों के साथ हूं, तब तक ही तुम लोग सुरक्षित हो।” मोमो जिन्न बोला।
नहीं तो क्या होगा?
मैं नहीं जानता क्या होगा। जथूरा की इस जमीन पर तरह-तरह के खतरे भरे पड़े हैं। तुम दोनों किसी भी खतरे में फंसकर अपनी जान गवां सकते हो। मैं तुम दोनों को उन खतरों से बचाकर, आगे बढ़ रहा हूं। यही वजह है कि तुम्हें खतरों का एहसास नहीं हो रहा। वरना तुम लोग तो अब तक मर चुके होते ।”
जथूरा और लक्ष्मण दास की नजरें मिलीं।
कहता तो ये ठीक है।” लक्ष्मण दास बोला।
“हमें इसकी पूरी इज्जत करनी चाहिए।” सपन चड्ढा कह उठा।
कर तो रहे हैं। अब इसे हम मुसीबत नहीं कहेंगे। मोमो जिन्न तो हमारा यार है।”
सच्चा यार ।”
पक्का यार ।” लक्ष्मण दास ने मुस्कराकर मोमो जिन्न को देखा–“अब तो खुश हो जा।”
“मैं नाराज ही कहां हुआ था। वो तो मैं यूं ही बोला था जानता हूँ कि तुम दोनों दिन के अच्छे हो, परंतु कभी-कभी लाइन से फिसल जाते हो। इस वक्त तुम दोनों को हिम्मत रखनी चाहिए।” मोमो जिन्न प्यार से बोला-“मैं तुम दोनों का भला चाहता हूं। अगर जथूरा के हाथ पड़ गए तो वो तुम दोनों से सेवकों के काम लेने लगेगा।”
“तुम्हारा मतलब कि इतना बड़ा बिजनेसमैन नौकर बन जाएगा।” लक्ष्मण दास बोला।
मैं भी?” सपन चड्ढा सकपकाया।
“तभी तो कहता हूं कि आराम मत करो। चलते रहो। सोबरा के पास पहुंचकर आराम ही आराम है।”
दोन फुर्ती से उठ खड़े हुए। “चलो।” । वो तीनों फिर चल पड़े।
“मुझे बस यही चिंता है कि जथूरा के जासूसी यंत्र हमें न खोज लें ।” मोमो जिन्न कह उठा।
जथूरा की नगरी 100 मील के घेरे में थी। चारदीवारी हुई पड़ी थी, पूरे घेरे पर। नगरी में शानदार और खूबसूरत शहर बसा था। सड़कें थीं, दुकानें थीं, फैक्ट्रियां थीं। जरूरत की हर चीज वहां थी। इसके अलावा यहां-वहां बड़े-बड़े महल बने नजर आ रहे थे। लाल पत्थरों के महल। कोई छोटा था तो कोई बड़ा, जैसे कि जरूरत के हिसाब से बनाया गया था उन्हें। परंतु किसी भी महल के पास कोई पहरेदार नजर नहीं आ रहा था, खड़ा नहीं था। यदा-कदा लाल वर्दी में सिपाही अवश्य आते-जाते दिखाई दे जाते थे। उनकी कमर पर कटार जैसा हथियार बंधा दिखता था।
इस तरह की जथूरा की कई नगरियां थीं, परंतु ये नगरी अहम इसलिए थी कि यहां पर जथूरा के विशेष काम होते थे। इन महलों जैसी जगह के भीतर आम नागरिक का जाना मना था। सिर्फ जथूरा के सेवकों का ही आना-जाना लगा रहता था।
इस वक्त दोपहर का एक बजा था। | जिस महल को बड़ा महल कहा जाता है, हम उसी के भीतर चलते हैं।
बड़े महल के एक खास कमरे में।
कमरे का दरवाजा बंद था। भीतर कोई नहीं था। छोटी-सी गोल टेबल के गिर्द तीन खाली कुर्सियां पड़ीं नजर आ रही थीं। दूसरी तरफ एक चार फुट ऊंचे से स्टैंड की दो हथेली जैसी शाखाएं निकल रही थीं। उनमें एक पर चांदी का कलश रखा था और दूसरे पर सोने का। उन कलशों में चांदी में चांदी के रंग की और सोने में, सोने के रंग वाली गोलियां पड़ी थीं। सोने के कलश में तीन गोलियां, चांदी के कलश में मात्र दो गोलियां।
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03-20-2021, 11:45 AM,
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
तभी दरवाजा खुला।। परंतु कोई दिखा नहीं । फिर दरवाजा बंद हो गया।
जथूरा महान है।” वहां पर पोतेबाबा की मध्यम-सी आवाज गूंजी।
स्पष्ट था कि पोतेबाबा ने भीतर प्रवेश करके, दरवाजा बंद कर दिया था।
इसके साथ ही मध्यम-सी कदमों की आहट, कलशों की तरफ बढ़ने लगी।
कलशों के पास पहुंचकर आहट थमी फिर चांदी के कलश से एक गोली उठकर हवा में तैरती महसूस हुई। अगले ही पल वो गोली हवा में लुप्त हो गई, जो कि पोतेबाबा के मुंह में चली गई थीं। | उसके बाद मध्यम-सी आहट गूंजी जो कि कुर्सियों की तरफ बढ़ रही थी। फिर एक कुर्सी पीछे को खींची गई और कुर्सी पर पड़े दबाव से लगा जैसे कोई उस पर बैठा हो।
वक्त बीतने लगा। दौड़ते पल मिनटों में बदलने लगे।
मात्र पांच मिनट ही बीतें होंगे कि पोतेबाबा की मध्यम-सी कराह वहां गूंजी।।
“आह। कितना तकलीफदेह है अदृश्य होना और फिर अपने असली रूप में लौटना। कितना दर्द होता है।”
एकाएक कुर्सी पर हल्का-सा खाका उभरने लगा। खाका उभरता और गायब हो जाता।। साथ ही पातेबाबा की कराहें सुनाई दे रही थीं।
कभी पोतेबाबा का दाढ़ी से भरे चेहरे का खाका उभरता तो कभी सिर का, कभी पेट, बांह या टांग का।
खाका उभरता और लुप्त हो जाता। पोतेबाबा की मध्यम-सी कराह रह-रहकर उठ रही थी।
‘जथूरा महान है। उस जैसा दूसरा कोई नहीं।' कराहों के बीच, बड़बड़ाहट यूँजी पोतेबाबा की।
तभी पोतेबाबा की बांई टांग एकाएक स्पष्ट हो उठी।
टांग पर न तो कोई कपड़ा था और न ही पांवों में कुछ पहना था।
फिर दूसरी टांग स्पष्ट नजर आने लगी।
उसी पल पोतेबाबा के होंठों से तीव्र कराह पूंजी और चेहरा स्पष्ट दिखाई देने लगा। सिर भी। आंखें बंद थीं। सिर के बाल चांदी की तरह सफेद और काले, मिक्स थे। जो कि पीछे की तरफ थे। गर्दन तक पहुंच रहे थे। माथे पर चंदन का तिलक लगा था। चेहरे पर सफेद दाढ़ी थी। थोड़ी लम्बी दाढ़ीं, जो छातीं तक आ रहीं थी।
पोतेबाबा के होंठ खुले और तीखी चीख निकली। लगा जैसे कुछ छटपटाया हो। | फिर उसका गला, छाती और कमर का हिस्सा स्पष्ट हो उठा। बांहें भी नजर आने लगीं।
पोतेबाबा अब सशरीर सामने मौजूद था।
आंखें बंद थीं उसकी। वो गहरी-गहरी सांसें ले रहा था। गले में मालाएं पड़ी दिखाई दे रही थीं। वो कमर में धोती पहने था। कई पलों तक पोतेबाबा बंद आंखों की मुद्रा में ही रहा। |
‘कितना कष्ट से भरा है अदृश्य होना और फिर वापस शरीर के साथ दिखाई देना।' वो बड़बड़ाया।
अगले ही पल जथूरा ने आंखें खोलीं। उसकी आं में किसी महात्मा जैसी चमक थी। चंद पल वो सामने देखता रहा फिर उसने अपने हाथों-पैरों पर निगाह मारी और कुर्सी से उठकर, दोनों हाथ छत की तरफ करके मुस्कराया और मधुर स्वर में कह उठा। \
“जथूरा महान है। उस जैसा दूसरा कोई नहीं।” फिर उसने बांहें नीचे कीं और दरवाजे की तरफ बढ़ गया। दरवाजा खोला। बाहर निकला। आगे राहदारी में बढ़ गया। होंठों पर बराबर मुस्कान ठहरी हुई थी।
तभी सामने से लाल वर्दी में महल का कर्मचारी आता दिखाई दिया।
“ओह, पोतेबाबा।” पोतेबाबा को देखकर वो ठिठका–“आप कब आए?
पोतेबाबा रुका नहीं । पास से निकलता कह उठा।
“जथूरा महान हैं।”
“ओह।” कर्मचारी एकाएक इस तरह संभला जैसे भूली बात याद आ गई हो। वो फौरन कह उठा–“जथूरा महान है।
” | पोतेबाबा आगे बढ़ता हुआ राहदारी मैं मुड़ा तो सामने से आते
दो कर्मचारी उसे देखकर ठिठके।
जथूरा महान है।” वो दोनों एकाएक कह उठे।
उस जैसा, दूसरा कोई नहीं ।” बिना रुके कहता पोतेबाबा आगे बढ़ता चला गया।
इसी तरह कुछ रास्तों को पार करके पोतेबाबा स्नानघर में पहुंचा।
जो कि बंद दीवारों के बीच खुले में था। तालाब जैसी बहुत बड़ी जगह बनी हुई थी। जिसके भीतर तीन-चार फुट पानी था, जिसमें वे केवड़े की महक उठाकर, वहां के वातावरण को मदहोश बनाए हुए थी।
। कमर में कपड़ा बांधे वहां एक सेवक टहल रहा था जो कि पोतेबाबा के देखते ही संभला।
“जथुरा महान है।” वो कह उठा।
उस जैसा दूसरा कोई नहीं।” पोतेबाबा ने मुस्कान भरे स्वर में कहा।
आप कब आए?” उसने आदर भरे स्वर में पूछा।
सीधा यहीं आ रहा हूं गुलाम अली। मुझे स्नान की जरूरत है।” पोतेबाबा ने कहा-“मेरी पीठ को अच्छी तरह रगड़ना।”
जो हुक्म।”
पोतेबाबा ने गले में पहन रखी मालाएं उतारकर एक तरफ रखीं, फिर धोती उतारी और केवड़े के खुशबूदार जल में प्रवेश करता चला गया।
पानी में पहुंचकर डुबकी लगाई। फिर गुलाम अली से कहा। “भीतर आ जाओ। मेरी पीठ रगड़ो।”
जी।” गुलाम अली पीठ रगड़ने वाले सामान के साथ फौरन पानी में उतर आया और पीठ रगड़ने लगा।
“यहां कैसा चल रहा है गुलाम अली?”
सब ठीक है। पहले की तरह।”
स्नान के लिए तो यहां अक्सर सारे आते होंगे?” पौतेबाबा ने पूछा।
। “सब नहीं। बाकी दूसरे स्नानघर में जाते हैं। यहां आने की सबको इजाजत नहीं है।”
तो नई खबर क्या है। तुम्हारी तो यहां आने वालों से बातें होती होंगी।”
“नई खबर कुछ भी नहीं है। सब ठीक चल रहा है।” पीठ रगड़ते गुलाम अली ने कहा-“हर कोई इसी बात के कयास लगा रहा है कि आप देवा-मिन्नो को यहां ला पाने में सफल हो पाते हैं। या नहीं।”
पोतेबाबा के होंठों पर मुस्कान थी।
गलती माफ हो तो पूछे कुछ?”
देवा-मिन्नों के बारे में?” सही अंदाजा लगाया आपने ।”
जथूरा महान है। उस जैसा दूसरा कोई नहीं ।” पोतेबाबा श्रद्धा भरे स्वर में कह उठा–“जथूरा का हाथ मेरी पीठ पर है। मैं अपने काम में सफल होकर लौटा हूं।”
“ओह, तो आप देवा-मिन्नो को ले आए?” गुलाम अली खुश हो उठा।
“हो ।”
ये तो बहुत खुशी की बात है, अब...।”
सब ठीक हो जाएगा।” पोतेबाबा कह उठा।
अवश्य ठीक होगा। जथूरा के आप जैसे सेवक हैं तो उसकी महानता में और भी बढ़ोत्तरी होगी।”
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“अवश्य। जथूरा की महानता को बढ़ने से, कोई भी रोक नहीं सकता।” पोतेबाबा ने मुस्कराते हुए मधुर स्वर में कहा “मैं गरुड़ के बारे में कुछ सुनना चाहता हूं गुलाम अली। उसके बारे में बताने का कुछ है तो कहो।”
“आपके जाने के बाद सब कुछ उसने ही संभाल रखा है। मेरे खयाल में गरुड़ अच्छा काम कर रहा है। वो जथूरा का सच्चा सेवक है। आपने उसे चुनकर कोई गलती नहीं की।” गुलाम अली ने सोच-भरे स्वर में कहा“परंतु उसके हाव-भाव में कुछ घमंड के भाव अवश्य आ गए हैं।”
पोतेबाबा ने सिर हिलाया।
क्या कहना चाहते हों?”
गरुड़, जथूरा की बेटी से मिलने के प्रयत्न में रहता है। वो हमेशा उससे बात करने की चेष्टा में रहता है।”
पोतेबाबा ने अपना मुस्कराता चेहरा थोड़ा-सा घुमाकर गुलाम अली को देखा। “ऐसा?”
“हां पोतेबाबा। ये बात मेरी पत्नी ने बताई जो कि जनाना स्नानघर संभालती है।” गुलाम अली बोला।
“ये तो गलत बात है। तवेरा से मिलने का प्रयत्न करना हर कर्मचारी के लिए मना है। तवेरा किसी से मिलना चाहे तो वो जुदा बात है। गरुड़ को ऐसा नहीं करना चाहिए।” कहते हुए पोतेबाबा ने सिर हिलाया।
“गरुड़ कल यहां आया तो मैंने ये बात उससे कही थी कि सुनने में आया है कि आप जथूरा की बेटी से सम्बंध बढ़ाने की चेष्टा में हैं तो गरुड़ ने मेरे को डांट दिया कि ये बात कहने की मेरी हिम्मत कैसे हुई।”
ऐसा कहा उसने ।”
हां।” ।
“उसे ऐसा नहीं कहना चाहिए। किसी भी कर्मचारी को ऐसा कहने का उसे अधिकार नहीं है। ठीक है अब तुम मेरी नई धोती ले आओ। तब तक मैं नहा लेता हूं। बहुत काम करने हैं मुझे।”
“जी ।” गुलाम अली पानी से बाहर निकलता कह उठा-“देवा-मिन्नो कहां पर हैं?” ।
“यहीं जथूरा की जमीन पर ।”
क्या वो यहां आएंगे?” ।
“अवश्य। वो यहां पहुंचेंगे। यूं समझो कि उन्हें यहां लाया जा रहा है।”
गुलाम अली चला गया।
पोतेबाबा नहाकर पानी से बाहर निकला तो गुलाम अली कपड़े ले आया।
पोतेबाबा ने धोती बांधी फिर बालों में कंघी की। इस दौरान पोतेबाबा बेहद शांत था और मुस्कान ओढ़े हुए था। जब पोतेबाबा वहां से चलने को हुआ तो गुलाम अली बोला। जथूरा महान है।”
उस जैसा कोई दूसरा नहीं।” पोतेबाबा ने कहा और बाहर निकलता चला गया।
महल की कई राहदारियां पार करके वो एक कमरे में प्रविष्ट हुआ।
वहां करीब 60 की उम्र जैसी एक औरत मौजूद थी।
आप आ गए।” वो पोतेबाबा को देखते ही कह उठी। *अभी पहुंचा हूं।”
ये पहली बार है कि आप सीधा मेरे ही पास आए हैं।” वो मुस्कराई।
कुछ काम था लक्ष्मी। पता चला है कि गरुड़ का झुकाव, तवेरा की तरफ है।” ।
“ओह।”
“मालूम करो कि ये बात सच है या झूठ? बेहतर होगा कि तवेरा से ही बात करो।” ।
“मैं अभी तवेरा के पास जाती हूं।” । मैं तुम्हारे पास फिर आऊंगा लक्ष्मीं ।”
बैठेंगे नहीं । खाना तो खा लीजिए।”
अभी फुर्सत नहीं है। कई काम करने हैं।” कहकर पोतेबाबा बाहर निकल गया।
वो बहुत बड़ा कमरा था।
वहां पर 25-30 लोग लाल वर्दी में व्यस्त नजर आ रहे थे। दीवारों पर छोटी-छोटी स्क्रीनें लगी हुई थीं, जो कि रोशन थीं और हर स्क्रीन में कुछ-न-कुछ नजर आ रहा था। | पोतेबाबा के वहां प्रवेश करते ही जथूरा महान है, जथूरा महान है, के स्वर गूंज उठे।
पोतेबाबा ने ये कहकर जवाब दिया कि “उस जैसा कोई दूसरा नहीं'।
पोतेबाबा ने वहां का नजारा लिया।
फिर वो आगे बढ़ा और एक बंद पड़ी स्क्रीन के सामने खाली कुर्सी पर जा बैठा। सामने कुछ बटन लगे थे। उसकी उंगलियां उस पर चलने लगीं। अगले ही पल स्क्रीन रोशन हो उठी। वहां चमचमाते बिंदु दिखने लगे।
तभी एक व्यक्ति पास आ पहुंचा।
इस स्क्रीन पर सैटलाइट के द्वारा समस्या आ रही है।” उस व्यक्ति ने कहा।
कैसी समस्या?”
स्क्रीन सिग्नल नहीं पकड़ रही।”
“सॉफ्टवेयर कौन-सा हैं?” पोतेबाबा ने पूछा।
*2+1 का है।” 47+1 का सॉफ्टवेयर डालो।” वो व्यक्ति तुरंत काम में जुट गया। मिनट-भर में ही उसने अपना काम पूरा किया। तभी स्क्रीन रोशन हो उठी।। पोतेबाबा कई बटनों को दबाता उस व्यक्ति से कह उठा।
सैटलाइट पुराना हो गया है। इस वजह से वो कभी-कभी समस्या दे देता है।”
“नया सैटलाइट तो कब का तैयार हो चुका है। उसे ऊपर छोड़ा जाना बाकी है। थोड़ा अन्य काम बचा था, जो कि अब तक पूरा हो गया होगा।” पोतेबाबा के हाथ की उंगलियां बटनों पर खेल रही थीं और नजरें स्क्रीन पर थीं।
अब स्क्रीन पर जमीनी दृश्य नजर आने लगे थे। *आप क्या ढूढ़ रहे हैं?” उस व्यक्ति ने पूछा।
देवा और मिन्नों को सर्च कर रहा हूं। स्क्रीन पर ।”
वों आ गए?”
“हां पहुंच गए।”
उन्हें लाने में बहुत समस्या आई होगी आफ्को ।”
“ज्यादा नहीं।” पोतेबाबा का स्वर शांत था।
“क्या देवा-मिन्नो यहां आएंगे?”
“आना तो उन्हें यहीं चाहिए।” एकाएक स्क्रीन पर उन्हें हिलते हुए कुछ बिंदु दिखे।
पोतेबाबा ने उन हिलते बिंदुओं को ‘जूम' में लिया तो एकाएक स्क्रीन पर वो सब नजर आए।
ये तो बहुत सारे हैं।” वो व्यक्ति कह उठा। ।
“हां। देवा-मिन्नो के साथी भी हैं। इन सबके ग्रहों की चाल ऐसी है कि एक पूर्वजन्म में आए तो सबको ही पूर्वजन्म में आना पड़ता है।” पोतेबाबा ने शांत स्वर में कहा।।
कौन-कौन हैं साथ में?" ।
बेला, नगीना के रूप में है। भंवर सिंह है, त्रिवेणी है, परसू-नीलसिंह है। कमला रानी और मखानी है।”
कमला रानी और मखानी के बारे में नहीं सुना?”
ये दोनों कालचक्र का हिस्सा हैं।” पोतेबाबा के हाथ बटनों पर चल रहे थे।
“ये कम लोग हैं। पनडुब्बी में तो ज्यादा लोग थे।”
वो बोला। हां। मोमो जिन्न, लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा भी थे।” वों कहां गए?”
मालूम नहीं।” पोतेबाबा मुस्कराया—“ये बात मैं उनसे पूछंगा, जो इन पर नजर रखे हुए हैं।”
क्या मैं उनसे पता करके आऊँ?”
“नहीं। मैं जाऊंगा उनके पास ।”
“आप इस वक्त क्या देखने की चेष्टा में हैं।”
मैं किसी तरह का धोखा नहीं खाना चाहता। इसलिए इन सब का परिचय मैं सॉफ्टवेयर द्वारा चैक करना चाहता हूं।” ।
“ओह, क्या धोखा खाने की गुंजाइश है कि ये लोग ये न होकर कोई और हो सकते हैं?" ।
गुंजाइश नहीं है, परंतु मैं अपनी तसल्ली करना चाहता हूं।” तभी स्क्रीन पर देवराज चौहान दिखा।
ये तो देवा है।”
कैसे पहचाना?” पोतेबाबा ने पूछा।
इसे मैंने पनडुब्बी में बैठे देखा था। तब पता चला था कि ये देवा है।”
तभी पोतेबाबा ने सामने लगा एक स्विच दबा दिया।
उसी पल स्क्रीन पर एक तरफ कुछ लिखा हुआ दिखाई देने लगा।
जो कि इस प्रकार था। नाम–देवराज चौहान।। जन्म स्थान–जयपुर।। कद–पांच फुट ग्यारह इंच। पूर्वजन्म का नाम देवा।।
“यै ठीक है।” पोतेबाबा कह उठा फिर उसने दूसरा बटन दबाया तो स्क्रीन पर मिन्नों दिखने लगी।
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03-20-2021, 11:46 AM,
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
उसके बारे में भी इसी प्रकार लिखा आया। नाम–मोना चौधरी। जन्म स्थान दिल्ली।। कद–पांच फुट, सात इंच। पूर्वजन्म का नाम मिन्नो। इसी प्रकार पोतेबाबा ने एक-एक करके सबके बारे में जाना।
आखिरकार पोतेवावा कुर्सी से उठता कह उठा। “सब ठीक है।”
जग्गू, गुलचंद इनमें नहीं हैं।” उस व्यक्ति ने पूछा।
उनके बारे में अभी मुझे खबर नहीं। परंतु इतना जानता हूं कि वो दोनों, कालचक्र से निकलकर, जथूरा की जमीन पर आ पहुंचे हैं।”
पोतेबाबा नजरें दौड़ाता कह उठा–“गरुड़ कहां है?”
सुबह वो जिन्नों के महल में जाने को कहकर निकला था।” पोतेबाबा ने सिर हिलाया और आगे बढ़ गया। उस हाल को पार करके बो अन्य हाल में पहुंचा। वहां पर आठ-दस लोग ही थे।
“जथूरा महान है।” अपने काम में व्यस्त एक लाल वर्दी वाला उसे देखते ही कह उठा।
उस जैसा दूसरा कोई नहीं।” पोतेबाबा ने जवाब दिया। सबके साथ इसी प्रकार शुरुआती बात हुई।
मोमो जिन्न कहां है?” पोतेवाबा कुर्सी पर बैठे एक व्यक्ति के पास पहुंचकर बोला।
“वो पनडुब्बी में जथूरा की जमीन पर आ पहुंचा है अन्य सबके साथ।” उस व्यक्ति ने कहा “उसके साथ लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा हैं। वो तीनों उन सबको छोड़कर, कहीं चले गए हैं।”
पता करो, वो कहां हैं?” पोतेबाबा बोला।। उस व्यक्ति की उंगलियां बटनों से खेलने लगीं।
आधे मिनट के बाद ही स्क्रीन पर मोमो जिन्न, लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा नजर आए। जो कि तेजी से जंगल में आगे बढ़ते जा रहे थे। ये देखकर वो कह उठा।
“ये रहे, वो कहीं जा रहे हैं शायद। पता करता हूं कि वो किधर की दिशा में हैं।"
उसकी उंगलियां पुनः बटनों पर चलीं। तभी स्क्रीन पर लिखा आया। मोमो जिन्न सोबरा के इलाके की दिशा की तरफ बढ़ रहा है।
मोमो जिन्न तो उन दोनों के साथ सोबरा के इलाके की तरफ जा रहा है।” उसके होंठों से निकला।।
पोतेबाबा मुस्करा पड़ा। उस व्यक्ति ने गर्दन घुमाकर पोतेबाबा को देखा और पूछा।
क्या मोमो जिन्न को उस दिशा में जाने का कोई काम सौंपा गया है?”
“नहीं।”
तो वो उस तरफ क्यों जा रहा है?”
जाने दो उसे ।”
मोमो जिन्न का चैकअप करूं। कुछ गड़बड़ लग रही है। पोतेबाबा।”
कुछ मत करो। जग्गू और गुलचंद के बारे में पता लगाओ।” उनकी आखिरी स्थिति क्या थी?” ।
“वो दोनों कालचक्र से बाहर निकल आए हैं।” उस व्यक्ति की उंगलियां पुनः स्विचों पर चलने लगीं। पोतेबाबा शांत-सा खड़ा रहा। चेहरे पर सोचों के भाव थे। इसी प्रकार पांच मिनट बीत गए।
तभी उस व्यक्ति के होंठों से निकला।
ये रहे। ये तो तीन हैं।”
तीन कौन?”
तीसरी औरत है कोई ।” कहने के साथ ही उसने कोई स्विच दबाकर दो पल का इंतजार किया तो फिर स्क्रीन पर नानिया का चेहरा दिखने लगा, जो कि पसीने से भरा था। वो तेजी से आगे बढ़ती जा रही थी।
“मैं इस औरत को नहीं पहचानता।”
वो व्यक्ति बोला–“मैं नहीं...।”
ये कालचक्र की नानिया है। जिसे सोबरा ने रानी साहिबा बना रखा था।”
ओह, तो जग्गू और गुलचंद के साथ ये भी बाहर आ गई है।”
पता करो, क्या ये तीनों इसी तरफ आ रहे हैं?” पोतेबाबा ने कहा।
वो पुनः स्विचों के साथ खेलने लगा। मिनट-भर बाद बोला।
ये तीनों भी सोबरा की जमीन की तरफ बढ़ रहे हैं।”
“ये नहीं हो सकता।” पोतेबाबा के होंठों से निकला।
सैटलाइट तो ये ही सिग्नल दे रहा है।” पोतेबाबा की नजरें स्क्रीन पर जा टिकीं ।
एक बार फिर चैक करो।” मैं सही कह रहा हूं।”
‘हैरानी है कि ये क्यों सोबरा की जमीन की दिशा की तरफ जा रहे हैं।” पोतेबाबा ने कहा।
“इन्हें रोकें क्या?” पोतेबाबा के चेहरे पर सोंच के भाव उभरे।
इन पर आंधी छोड़कर इन्हें भटका देते हैं।” वो व्यक्ति बोला।
“अभी कुछ मत करो।” पोंतेबाबा ने कहा-“ये कब तक सोबरा की जमीन पर पहुंच जाएंगे?” ।
“रात तक। मेरे खयाल में नानिया ही इन्हें रास्ता दिखा रही है,
वो आगे चल रही है।” ।
“मैं सोच रहा हूं क्या ये सोबरा के पास पहुंचकर, जथूरा को कोई नुकसान पहुंचा सकते हैं?” पोतेबाबा ने कहा।
“इस बारे में तो आप ही बताएंगे।”
देवा-मिन्नों, नगरी की तरफ आ रहे हैं। हमें इनकी परवाह नहीं करनी चाहिए।”
मोमो जिन्न का सोबरा के पास जाना हैरानी वाली समस्या है
।
मोमो जिन्न की कोई समस्या नहीं।”
जग्गू और गुलचंद का क्या करूं?”
अभी इन्हें कुछ मत कहो। इन पर नजर अवश्य रखो।”
जो हुक्म।”
पोतेबाबा के चेहरे पर सोच के भाव थे।
“मुझे मखानी और कमला रानी के बारे में पता चला। इन दोनों के बारे में पहले कभी सुना नहीं।”
“कालचक्र का हिस्सा हैं ये।”
परंतु कालचक्र में इनका नाम कभी नहीं आया।”
भौरी और शौहरी को जानते हो?”
“अवश्य।”
भौरी और शौहरी ने जरूरत के मुताबिक इन दोनों को बाहरी दुनिया से इकट्ठा किया है।”
तो अब ये दोनों कालचक्र के बीच ही गिने जाएंगे?”
“हां। कालचक्र इन्हें स्वीकार कर चुका है। तुम जग्गू-गुलचंद, नानिया पर नजर रखो।” पोतेबाबा ने कहा और वहां से आगे बढ़ गया। उस हाल से बाहर निकला तो एक राहदारी में चल पड़ा। | सामने से जो भी आता ‘जथूरा महान है' के शब्दों के साथ आगे बढ़ जाता था।
पांच मिनट बाद कई राहदारियां पार करने के पश्चात पोतेबाबा नीचे जाते रास्ते की तरफ बढ़ गया, जो कि महल के नीचे तहखाने की तरफ जाता था। चौड़ा रास्ता, सुनसान था। नीचे जाकर रास्ता दाएं-बाएं दो भागों में बंट रहा था। पोतेबाबा दाईं तरफ वाले रास्ते पर बढ़ गया। ये रास्ता अब अंधेरे से भरा होने लगा।
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03-20-2021, 11:46 AM,
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
आगे जाकर रास्ता एक तरफ मुड़ा तो बिल्कुल ही अंधेरे से भर गया। परंतू वहां पहले से ही मशाल दीवार पर लगे हुक में फंसी जल रही थी। उसकी रोशनी पर्याप्त थी वहां।। |ज्योंही पोतेबाबा ने मशाल को पार किया, तभी वहां पर कठोर आवाज गूंजी।
कौन है?”
“जथूरा महान है।” पोतेबाबा के होंठों पर शांत मुस्कान उभरी।
उस जैसा महान दूसरा कोई नहीं ।” वो ही आवाज कानों में पड़ी—“मुझे खुशी है कि आप वापस आ गए पोतेबाबा।”
वापस तो आना ही था।” आगे बढ़ता पोतेबाबा कह उठा।
“क्या देवा और मिन्नो को ला सके अपने साथ?”
“जथूरा का हाथ मेरी पीठ पर है तो क्यों न लाऊंगा उन्हें ।” पोतेबाबा ने कहा।
“ओह, ये तो अच्छी खबर है।”
रास्ते के अंत पर पहुंचकर पोतेबाबा ठिठका। सामने दीवार थी।
पोतेबाबा ने अपनी दाईं हथेली दीवार पर टिका दी। अगले ही पल दीवार में जैसे जान आ गई और वो दीवार धीरे-धीरे एक तरफ सरकतीं चली गई।
रास्ता बन गया। पोतेबाबा भीतर प्रवेश कर गया।
ये एक कमरा था। दीवार पर कई स्क्रीनें लगी थीं। जिनमें अलग-अलग तरह के दृश्य नजर आ रहे थे। उस गैलरी का दृश्य भी नजर आ रहा था, जहां से होकर, पोतेबाबा यहां तक पहुंचा था। चार-पांच लोग वहां पर काम कर रहे थे। तभी एक आदमी पास पहुंचकर, मुस्कराकर बोला।
“आपको सामने पाकर प्रसन्नता हुई।” ।
तुम्हें देखकर मुझे भी अच्छा लगा रातुला।” पोतेबाबा मुस्करा रहा था—“महाकाली के बारे में बताओ।”
वों वहीं है, जहां आप उसे रख गए थे।”
गई नहीं वहां से?”
“नहीं।”
पोतेबाबा सामने नजर आते रास्ते में बढ़ गया। वो आदमी पीछे चल पड़ा।
“अब तो आपको महाकाली की चिंता नहीं होनी चाहिए।” बों बोला।
क्यों?” क्योंकि देवा-मिन्नो, जथूरा की जमीन पर आ पहुंचे हैं।”
देवा-मिन्नो अपना काम पूरा करेंगे और मैं अपना। मैं अंत तक पूरी चेष्टा करूंगी कि महाकाली अपनी जिद छोड़ दे।”
वो नहीं मानेगी।” । पोतेबाबा ने कुछ नहीं कहा। आगे बढ़ता रहा वो। फिर नीचे जाने को सीढ़ियां दिखाई दीं तो पोतेबाबा नीचे उतरने लगा।
वो व्यक्ति सीढ़ियों के पास टिठकता कह उठा।
मैं आऊ क्या?” ।
नहीं।” पोतेबाबा नीचे उतरता बोला।
सीढ़ियां उतरकर पोतेबाबा थोड़ा-सा और चला और अंधेरे से भरे कमरे में जा पहुंचा। | कुछ पल खड़ा वो अंधेरे को देखता रहा फिर ऊंचे स्वर में बोला।।
*अंधेरे में क्यों बैठी है महाकालीं?”
तेरा अफसोस मना रही हूं।” औरत की बेहद तीखी आवाज वहां गूंजी।
नाराज लगती है।”
तू देवा-मिन्नो को ले आया।”
मैं तेरे से कहकर गया था कि देवा-मिन्नो को लेकर ही लौटुंगा।”
तूने ठीक नहीं किया।”
मैंने ठीक किया है।” पतेबाबा शांत स्वर मैं कह उठा_“रोशनी कर। जरा तेरे को देखें तो सही।”
उसी पल वो सारी जगह रोशन हो उठी।
वो हाल जैसा कमरा था। सामान के नाम पर ज्यादा कुछ नहीं था। कमरे के बीचोबीच चकोर टेबल पर कांच का जार रखा था। उस जार में छोटी-सी मात्र ढाई इंच की बहुत खूबसूरत औरत टहलती दिखाई दे रही थी। | पोतेबाबा आगे बढ़ा और उस टेबल के पास पड़ी कुर्सी पर जा बैठा। नजरें जार पर थीं ।
जार में टहलती वो ठिठकी और गुस्से-भरी निगाह से पोतेबाबा को देखने लगीं।
“तू पहले की तरह ही खूबसूरत है।”
“तूने क्या सोचा था कि यहां रहकर मुरझा जाऊंगी।”
“तू स्वयं जार में होती तो अवश्य मुरझाजाती। परंतु ये तेरी परछाई है।”
“मुझे कैद करने के सपने मत देख पोतेबाबा। मैं किसी के हाथ नहीं आने वाली।”
तेरे जाने के यहां के सारे रास्ते खुले हैं। तू चली क्यों नहीं जाती?”
चालाकी वाली बातें मत कर। मैं इस तरह जाने वाली नहीं ।”
तो तवेरा को ले के जाएगी तू?"
हां। जथूरा की बेटी मुझे दे दे। फिर दोबारा कभी नहीं लौटुंगी।”
“इसके अलावा कुछ और मांग ले। पूरा कर दूंगा।”
तेरे को पता है कि मुझे कुछ और नहीं चाहिए। तवेरा ही चाहिए।”
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03-20-2021, 11:46 AM,
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
कुछ खामोश रहकर पोतेबाबा कह उठा।
महाकाली। तेरी ये इच्छा कभी भी पूरी नहीं हो सकती।”
“तो फिर भूल जा कि जथूरा कभी आजाद होगा। मैं वो ही करूंगी, जो मुझे सोबरा ने कहा है।”
तू सोबरा के हुक्म की गुलाम है।”
“पागलों वाली बातें मत कर। मैं चाहूं तो अपना मनचाहा भी कर सकती हूं। जथूरा को आजाद कर सकती हूं।”
कर दे आजाद ।”
“तवेरा मुझे दे दे।”
“सम्भव नहीं है तेरी ये मांग। जथूरा की आजादी की एवज में तेरे को जो चाहिए मैं दूंगा, परंतु तवेरा नहीं।”
“बाकी सब कुछ मेरे लिए बेकार है।”
महाकाली की परछाई जार के भीतर से कह रही थी—“तवेरा विद्वान है। वो तंत्र-मंत्र को बहुत ही बेहतरीन तरीके से जानती है। मुझ जैसी जादूगरनी को तवेरा की ही जरूरत है। वो मेरी सहायता करेगी, तंत्र-मंत्र में। मुझ भी कुछ आराम मिलेगा।” महाकाली ने कहा। _
“पिता की आजादी की खातिर, बेटी को तेरा गुलाम बना दें। ये कैसे सम्भव है।”
“तू क्यों चिंता करता है पोतेबाबा। दे दे मुझे तवेरा। तू तो नौकर है जथूरा का।”
“मैं नौकर नहीं, जथूरा का रखवाला हूँ। उसकी आजादी के बदले तवेरा तेरे को नहीं दे सकता। तवेरा को सुरक्षित रखना मेरी ही जिम्मेवारी है। जथूरा ने मुझ पर जो भरोसा किया, उस पर खरा उतरना चाहता हूं।”
। “ऐसी नगरी का क्या फायदा, जिसका राजा 50 बरसों से बंदी बना हुआ हो।”
“जथूरा के बिना भी सब ठीक चल रहा है, तू चिंता न कर।” पोतेबाबा शांत स्वर में कह उठा–“देवा-मिन्नो आ चुके हैं अब तेरा खेल ज्यादा नहीं चलेगा। जाकर सोबरा से कह दे।” ।
“मैं क्यों कहूं सोबरा से। मेरा काम तो जथूरा को कैद रखना है। तू तवेरा दे दे, सब ठीक हो जाएगा।” ।
“बकवास मत कर ।” पोतेबाबा उठ खड़ा हुआ।
तेरी जिद तुझे ले डूबेगी।”
“धमकी देती है।”
देवा-मिन्नों आ गए हैं तो अब मैं चुप नहीं रह सकती।” महाकाली कह उठी।
“क्या करेगी?”
सीधा वार करूंगी तवेरा पर् ।”
वो तेरे बस का नहीं।”
तू मेरी ताकत को अच्छी तरह समझता है पोतेबाबा कि मेरे बस में क्या-क्या हैं।”
“तवेरा की ताकतें भी कम नहीं हैं।”
“मेरे से कम ही हैं। वो मेरा मुकाबला नहीं कर सकती।”
तेरे वार से तो बच सकती है।”
हर बार नहीं ।”
“मैं तो तेरे को समझाने आया था कि देवा-मिन्नो आ गए हैं। तू जथूरा को छोड़कर चली जा। अब तेरी खैर नहीं। परंतु तू मेरी बात नहीं समझ रही। मैं चाहता हूं कि झगड़ा न हो, परंतु तेरी जिद बुरा कर देगी महाकाली ।”
महाकाली हंस पड़ी।
“क्यों हंसी?”
“देवा और मिन्नो बच्चे हैं मेरे। मैं उन्हें चुटकी बजाकर, काबू में कर लूंगी। तू उनकी धौंस मत दे मुझे।”
पोतेबाबा पलटा और वापस चल पड़ा।
“तवेरा मुझे दे दे। फिर कभी मैं जथूरा के रास्ते में न आऊंगी। वादा करती हूं।”
तवेरा तुझे कभी नहीं मिलेगी।” जाते-जाते पोतेबाबा बोला। सुन तो।” पोतेबाबा ठिठककर पलटा और जार में मौजूद महाकाली की परछाईं को देखा।
“सोबरा को भी सबक सिखा दूंगी कि वो जथूरा से झगड़ा न करे। बस, तवेरा मुझे चाहिए।”
| पोतेबाबा ने कुछ न कहा और वहां से बाहर निकलता चला गया।
‘देवा-मिन्नो।' महाकाली बड़बड़ा उठी–‘कब से इंतजार था इन दोनों के आने का।
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पोतेबाबा लक्ष्मी के पास पहुंचा।
क्या पता किया तूने?”
‘गरुड़ की नजर तवेरा पर है।” लक्ष्मी बोली “शायद वो जथूरा का दामाद बनना चाहता है।”
उसके ये विचार हैं तो पछताएगा।” पोतेबाबा ने कठोर स्वर में कहा-“गलत इरादे हैं उसके।”
लक्ष्मी कुछ न बोली। उसे देखती रही। तवेरा के इरादे, गरुड़ के बारे में क्या हैं?”
“तवेरा का गरुड़ के बारे में कोई इरादा नहीं लगता।” लक्ष्मी ने कहा।
“ठीक हैं। गरुड़ को समझाने की चेष्टा करूंगा।”
“वो न समझा तो?” ।
तो उसकी परवाह न करके, उसे कैद में डालना होगा।”
वो आपके बाद जथूरा का सर्वश्रेष्ठ सेवक है।”
इससे उसे इस बात की आज्ञा नहीं मिल सकती कि बो तवेरा पर नजर रखे। जथूरा पास में होता तो मुझे इस बात से कोई मतलब नहीं था। परंतु अब तवेरा की देखभाल की जिम्मेवारी मुझ पर है। मेरा फर्ज है कि जथूरा की गैरमौजूदगी में सब ठीक रखें।”
“वो आप रख ही रहे हैं।”
“तवेरा का मामला भी ठीक रखना मेरा फर्ज हैं। गरुड़ को मैं इस तरह की कोई इजाजत नहीं दे सकता।” पोतेबाबा ने गम्भीर स्वर में कहा—“तुम मुझे खाना खिलाओ, उसके बाद मैं गरुड़ से मिलूंगा।”
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
तवेरा।। जथूरा की बेटी।
उसने तंत्र-मंत्र की विद्या में महारथ हासिल कर रखी थी। परंतु वो महारथ, महाकाली के मामले में कम थी । सोबरा ने जथूरा को कैद करके, महाकाली को पहरे पर बैठा रखा था।
तवेरा परेशान रहती थी, अपने पिता, जथूरा की आजादी को लेकर।।
उसने जथूरा को आजाद कराने के कई प्रयत्न किए थे, परंतु महाकाली के आगे उसकी एक न चली।
पचास बरस बीत गए थे, ये सब होते-होते। परंतु तवेरा ने हौंसला न छोड़ा था।
इस वक्त भी वो एक कमरे में, जथूरा से बात करने के लिए, किसी मंत्र को बड़बड़ा रही थी। वो खूबसूरत थी। ऐसी कि देखने वाला देखता रह जाए। परंतु अपने पिता के बारे में इस कदर चिंतित थी कि अपने बारे में सोचने की उसके पास फुर्सत ही नहीं थी। वो हमेशा अपने पिता को आजाद कराने की उधेड़-बुन में लगी रहती। जिस कुर्सी पर वो बैठी थी, वो एकाएक कांपी। जोरों से हिली । तवेरा के होंठों से निकलने वाले मंत्र रुक गए। उसकी निगाह सामने एक फूल पर जा टिकी, जो कि धीरे-धीरे अपना रंग बदलने लगा था। तवेरा के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। तभी उसके कान में जथूरा का तेज स्वर पड़ा।
कौन है?”
मैं हूं पिताजी। मैं तवेरा।” तवेरा का स्वर् कांप उठा था।
“ओह तुम। तुमसे कितनी बार कहा है कि मंत्रों की धार पर मुझसे इस तरह बात मत किया करो। मुझे तकलीफ होती है। पहले से ही महाकाली मुझे बहुत तकलीफें देती है। अब और नहीं सहा जाता।” जथूरा का स्वर वहां गूंज उठा था।
आप तो बहुत बहादुर हैं पिताजी । हिम्मत कब से हारने लगे।”
450 बरसों की कैद ने मुझे थका दिया है।”
“आप हिम्मत रखिए।”
वों ही तो अब नहीं रही।” तवेरा के चेहरे पर दर्द के भाव आ ठहरे।
आप मुझे भी नहीं बताते मैं कैसे आपको आजाद कराऊं?” तवेरा बोली।
फूल बराबर रंग पर रंग बदले जा रहा था।
“मैं नहीं जानता। महाकाली ने सारे रास्ते सख्ती से बंद कर रखे हैं। वो बहुत कठोर है।”
“सोंबरा के आदेश पर, महाकाली ने आपको कैद किया है। मैं सोबरा से बात करूं क्या?”
कोई फायदा नहीं होगा।”
पोतेबाबा से कहूं कि वो सोबरा से बात करे।”
नहीं। बात का वक्त अब रहा ही नहीं।” जथूरा की आवाज में तकलीफ के भाव थे—“मैं नहीं जानता था कि कालचक्र को पकड़ लेने की मुझे ये सजा मिलेगी। तब सोबरा ने कहा था परंतु मैं नहीं माना। सोचा व झूठ कहता है।”
“आपको आजाद कराने का एक रास्ता है पिताजी।” तवेरा ने सोच-भरे स्वर में कहा।
“बोल बेटी।” ।
“महाकाली चाहती है कि मैं उसके साथ उसके काम में शामिल हो जाऊँ।” ।
“कभी नहीं। मैं तुझे बुरी जिंदगी जीने की इजाजत कभी नहीं दूंगा।” जथूरा का तड़प-भरा स्वर सुनाई दिया–“तू महाकाली की ये बात कभी नहीं मानेगी। तेरे को अपनी मर्यादा में रहना होगा।”
मैं आपके कहे के बाहर कभी नहीं जाऊंगी।”
मुझे आजाद करा...मुझे...ठहर, महाकाली आई है।” उसके बाद वहां खामोशी छा गई। सामने पड़ा फूल बराबर रंग बदले जा रहा था। तवेरा की निगाह फूल पर टिकी हुई थी। चेहरे पर गम्भीरता थी।
लम्बी खामोशी के बाद जथूरा की आवाज सुनाई दी। महाकाली चली गई। वो कुछ नया बताकर गई है।”
“क्या?"
“देवा और मिन्नो मेरी जमीन पर आ पहुंचे हैं।”
न...हीं...5-5-5।” तवेरा की आवाज कांप उठी। वो झूठ क्यों कहेगी।” ये तो आपके लिए खुशी की बात है पिताजी, देवा और मिन्नो...।”
“मेरे लिए खुशी का दिन वो होगा, जब मैं आजाद हो जाऊंगा।”
आप...आप आजाद हो जाएंगे। पोतेबाबा नहीं लौटा। वो आ गए...।”
पोतेबाबा भी आ गया है।” जथूरा की आवाज सुनाई दी।
“ओह, और मुझे खबर नहीं । आप आराम कीजिए पापा। मैं अब आपको आजाद कराकर रहूंगी। देवा-मिन्नों के आने का ही तो इंतजार था। वो दोनों...।”
महाकाली को कम मत समझ ।”
“मैं उसे कम नहीं समझ रही। वो...” ।
देवा-मिन्नो भी चूक सकते हैं। ये जरूरी नहीं कि वो दोनों उस तिलिस्म को तोड़ने में सफल हो ही जाएं। वो भी मर सकते हैं। रास्ते में पग-पग में खतरे भरे पड़े हैं।” जथूरा की आवाज में थकान थी।
“आप आराम कीजिए पिताजी ।”
तू अपनी जिंदगी जी तवेरा। मेरी फिक्र मत कर। मैं तो...।”
तवेरा ने पूरी बात सुनी ही नहीं और हाथ आगे बढ़ाकर फूल को छू लिया।
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03-20-2021, 11:46 AM,
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desiaks
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
फूल का रंग बदलना उसी पल थम गया। इसके साथ ही जथूरा से बातचीत का सम्बंध खत्म हो गया था। तवेरा उठी और आगे बढ़कर कमरे का बड़ा-सा दरवाजा खोला। बाहर दो सेविकाएं खड़ी थीं।
पोतेबाबा को संदेश भेजो कि मैं मिलना चाहती हूं।”
क्या वो आ पहुंचे हैं?”
हो।” एक सेविका फौरन सिर हिलाकर, वहां से चली गई।
“अब तुम भीतर आ सकती हो।” तवेरा ने दूसरी सेविका से कहा और भीतर चली गई।
सेविका ने भीतर प्रवेश करते हुए कहा।
जब आप कमरे में बंद थीं तो गरुड़ आया था।”
वों बार-बार मेरे पास आने की चेष्टा क्यों करता है?” तवेरा ने नाराजगी से कहा।
“आप खूब समझती हैं।”
लेकिन मुझे ये सब बातें पसंद नहीं। अबकी बार आए तो उसे कह देना।” ।
“जरूर कह दूंगी। अब तो देवा-मिन्नो आ गए हैं। आपके पिता कैद से आजाद हो जाएंगे?”
“जरूर आजाद हो जाएंगे।” तवेरा दृढ़ स्वर में कह उठी। “वों दिन कितना खुशी से भरा होगा जब...।”
“मुझे उस कमरे में जाना होगा।” एकाएक तवेरा बोली-“महाकाली से दोटूक बात करनी है कि...।” ।
“मैं आ गई तवेरा।” तभी वहां महाकाली की आवाज गूंज उठी। तवेरा और सेविका की नजरें घूमी। परंतु महाकाली कहीं भी न दिखी। “मुझे ढूंढ़ तो जानू ।” महाकाली का खिलखिलाने का स्वर गूंजा।
ये खेल खेलने का वक्त नहीं है।” तवेरा कठोर स्वर में बोली-“तेरे खेल अब ख़त्म होने जा रहे हैं।”
“खूब तो तू मेरे खेल खत्म करेगी।”
“कोई भी करे, तेरा खेल खत्म हो के ही रहेगा।” तवेरा का स्वर कठोर ही रहा।
मैं कुर्सी पर बैठी हूं।”
तवेरा और सेविका की निगाह कुर्सी की तरफ उठीं। वहां पर ढाई इंच की छोटी-सी, महाकाली दिखाई दी। “तूने अपनी परछाई भेजी है। स्वयं नहीं आई।”
क्या करूं, बहुत व्यस्त हूं। इसलिए अपनी परछाई को भेज दिया।”
तभी तवेरा ने होंठों ही होंठों में कुछ बुदबुदाया।
उसी पल ढाई इंच की महाकाली की परछाई कुर्सी से उछलकर नीचे जा गिरी।।
तूने मुझे कुर्सी से क्यों उतारा?” महाकाली की आवाज गूंजी।
तवेरा आगे बढ़ी और उसी कुर्सी पर बैठते हुए कह उठी।
“तू कुर्सी पर बैठने के काबिल नहीं है। मेरी कुर्सी पर बिल्कुल ही नहीं।”
ढाई इंच की महाकाली की परछाई, सिर उठाए, कुर्सी पर बैठी तवेरा को देखती रही फिर बोली।
तू तंत्र-मंत्र की विद्या में बहुत तेज है। परंतु वो विद्या तेरे किस काम की ।”
| क्यों?”
“विद्या का इस्तेमाल करने का मौका तो तुझे मिलता नहीं। तू मेरे पास आ जा। मैं तेरे को और भी तेज बना देंगी।”
फिक्र मत कर। तवेरा कड़वे स्वर में बोली-“मेरे को अब जल्द ही मौका मिलेगा।”
सेविका शांत-सी खड़ी थी।
अच्छा—वो कैसे?”
“तिलिस्म तोड़ने देवा और मिन्नो आ पहुंचे हैं। मैं उनके साथ रहूंगीं ।”
महाकाली हंस पड़ी।
“तो ये बात है। आज की बच्ची है तू और मेरे से मुकाबले की सोच रहीं है।”
तवेरा के होंठ भिंचे रहे।
जवाब दे तवेरा।”
मेरे पिता को छोड़ दे। अब तेरी भलाई इसी में है।” तवेरा बोली।
तो तू मुकाबले का फैसला कर चुकी है।”
“हो ।”
मैं तेरी जान नहीं लेना चाहती। अगर तूने मेरा मुकाबला किया तों, तुझे मारना पड़ेगा।”
“मैं तेरा मुकाबला करूंगी। देवा- मिन्नों आ चुके हैं। उन्हीं के इंतजार में तो मैं कब से बैठी थी।”
“देवा-मिन्नों मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। वो दोनों अपनी जान गंवा बैठेंगे।”
। “मेरे पिता की आजादी की चाबी उन दोनों के पास है।”
मैं उन्हें वहां तक पहुंचने दूंगी तब न?” महाकाली के हंसने की आवाज आई।
तवेरा ने होंठ भींच लिए।
बेवकूफ हो तुम सब। तू मेरे पास आ जा। उसके बाद सब ठीक हो जाएगा। जथूरा को मैं आजाद कर देंगी ।”
कभी नहीं ।”
तो अब हमारा मुकाबला पक्का है तवेरा?”
हां।”
बच्चों से मुकाबला करना मुझे अच्छा नहीं लगता। अब तू नहीं मानती तो मैं क्या करूं।” ।
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