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RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
हम अक्सर ऐसे ही शाम को एकत्ते हो कर एक दूसरे का अकेलापन दूर करते. एक दिन उन्होने मुझे पूछा की मैने कोई ब्लू फिल्म देखी है या नही. मेरे इनकार करने पर वो मुझ पर हँसने लगी. मानो मैं उनके सामने बहुत सब स्टॅंडर्ड वाली हूँ. मई उन्हे इस तरह हंसते देख झेंप गयी.
अगले दिन शाम को वो मुझे अपने घर बुलाई. मैं जब पहुँची तो उसने मुझे अपना एक गाउन पहनने को दिया. वो भी उस वक़्क्त एक झीना सा गाउन पहन रखी थी. मेरे पूछ्ने पर बताया कि इसे पहनने से काफ़ी खुला खुला महसूस होगा. मैं उनकी बातों को उस वक़्त तो समझ नही पे मगर जल्दी ही उनकी बातों का अभिप्राय समझ मे आ गया.
ड्रॉयिंग मे हम एक लंबे सोफे पर बैठ गये. उसने टी.वी. पर द्वड से एक फिल्म चलाया. जब टीवी पर फिल्म चलने लगी तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया. सामने ब्लू फिल्म चल रही थी. एक औरत के साथ दो व्यक्ति चुदाई कर रहे थे. एक आगे से उसके मुँह मे ठोक रहा था तो दूसरा उसके पीछे से चूत मे पेल रहा था. इतनी जबरदस्त चुदाई चल रही थी कि उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ बुरी तरह उच्छल रही थी. ये देख कर मुझे मज़ा आने लगा. वो भी मुस्कुरा कर मेरे बदन से सॅट गयी.
मेरा पूरा ध्यान टीवी पर ही लगा हुया था. इस तरह की फिल्म मैं पहली बार देख रही थी. मैं आस पास से एक दम बेफ़िक्र हो गयी थी. रत्ना जी काफ़ी खेलीखाई महिला थी. वो मुझे जान बूझ कर गर्म कर रही थी. मुझे उनके मन मे चल रही दाँव पेंच के बारे मे कोई भी अंदेशा नही था. अचानक मेरी चूचियो को रत्ना जी द्वारा मसले जाने से मुझे होश आया. मैने मूड कर देखा तो पाया रत्ना जी बिल्कुल नंगी हो चुकी थी. उसके हाथ मेरे गाउन के गिरेबान से अंदर घुस कर मेरी चूचियो को मसल रहे थे.
तभी वो फिल्म ख़त्म हो गयी. आख़िर मे दोनो आदमियों ने अपने अपने लंड से वीर्य की फुहार से उस औरत का चेहरा भिगो दिया.
रत्ना जी ने मेरे गाउन को नीचे से पकड़ कर उपर करना शुरू कर दिया. मैने सोफे से हल्का सा उपर उठ कर उसे उसके काम मे मदद किया. उसने मेरे गाउन को बदन से निकाल कर अलग कर दिया. अब हम दोनो बिल्कुल नंगी एक दूसरे से चिपक कर बैठी हुई थी.
अगला फिल्म जानवरों के साथ था. दिखाया जा रहा था की राह चलती एक औरत को चार लोग पकड़ कर ले आते हैं. उसे नंगी करके वो कमरे से बाहर जाने लगते हैं तो एक आदमी उसके हाथ बाँध देता है और उसे लिटा कर उसकी चूत मे वहाँ पड़ी एक कुर्सी के पाए को घुसा देता है. उसकी रखवाली के लिए एक लंबे चौड़े कुत्ते को वही छ्चोड़ कर सब बाहर चले जाते है.
उनके जाने के बाद वो औरत अपने बंधन खोल लेती है और जब वहाँ से भागने को होती है तो कुत्ता गुर्राने लगता है. कुत्ते को चुप करने के लिए वो औरत उस कुत्ते के लिंग को सहलाने लगती है. उसके बाद उसके लिंग को चूसने लगती है.
इधर रत्ना मेरी टाँगों को फैला कर मेरी योनि को चूस रही थी. और मैं उत्तेजना मे सोफे पर कस्मसा रही थी. मैने उसके सिर को अपनी दोनो जांघों के बीच दबोच रखा था.
उसकी जीभ मेरी योनि के फांकों के बीच घूम रही थी. सामने चलते ब्लू फिल्म ने मेरी दबी आग को इतना भड़का दिया था की उस वक़्त मैं अपनी गर्मी शांत करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती थी.
सामने उस वक़्त उस औरत के द्वारा कुत्ते को चुदाई के लिए उत्तेजित करने का सीन चल रहा था. कुत्ते का लंड उस औरत की हरकतों से तन गया था अब वो औरत किसी कुतिया की तरह चौपाया हो गयी थी और वो कुत्ता उसकी चूत को सूंघ रहा था, उसके बाद उस कुत्ते ने उस औरत की कमर पर अपने दोनो पंजे रख दिए और अपने लंड को अंदर डालने की कोशिश करने लगा. मगर उसे सफलता नही मिल रही थी.
रत्ना की हरकतों से मेरे बदन मे सिहरन सी दौड़ रही थी. पूरे बदन के रोएँ उत्तेजना मे काँटों की तरह खड़े हो गये थे. अब मैं अपनी उत्तेजना को चिपचिपे धारा के रूप मे बह निकलने से नही रोक पाई. और मैने रत्ना के सिर को पकड़ कर अपनी योनि पर दबा लिया और अपनी योनि को सोफे से उपर उठा लिया.
“आआआआआअहह,,,,,माआआ” की आवाज़ के साथ मेरी योनि से रस की धारा बह निकली. रत्ना अपनी जीभ से उसे चाट चाट कर सॉफ कर रही थी. मैं निढाल सी सोफे पर पसार गयी.
रत्ना ने वापस मेरी टाँगों को फैला कर मेरी योनि को चाट चाट कर लाल कर दिया. मेरी योनि की फाँकें फूल कर मोटी मोटी हो गयी थी.
क्रमशः............
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RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
raj sharma stories
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -46
गतान्क से आगे...
अचानक किसी ने मेरे रेशमी बालों को पीछे से उठाया और मेरी गर्देन पर अपनी जीभ फिराने लगा. एक जीभ कभी मेरे एक निपल को हल्के से छुति तो कभी दूसरे निपल को. मेरा अपने बदन पर से कंट्रोल ख़तम हो चुक्का था. दोनो मुझे उत्तेजना की इतनी उँची शिखर तक ले गये थे कि अब मेरा कोई ज़ोर नही चल रहा था. मैं जानती थी कि अब क्या होने वाला है. दिमाग़ वॉर्निंग दे रहा था कि मैं अपने आप पर कंट्रोल कर लूँ नही तो वापस लौटने के सारे रास्ते बंद हो जाएँगे. मगर जिस्म तो इस कदर फूँक रहा था कि अगर वो मेरे साथ सेक्स करने से मना कर देते तो मैं किसी पागल शेरनी की तरह उनको नोच खाती. मैं खुद उनको रेप कर देती.
फिर दोनो ने मेरे एक एक निपल को अपने होंठों के बीच दबा लिया. दोनो के होंठ मेरे तने हुए निपल्स को चूसने मे व्यस्त थे और उनके हाथ मेरे पूरे बदन पर रेंग रहे थे. मैं धीरे धीरे बिस्तर पर लेट गयी. दोनो भी मेरे बदन से चिपके हुए मुझ पर पसर गये.
कुच्छ देर तक मेरे एक निपल से खेलने के बाद रत्ना मुहे छ्चोड़ कर उठी. मैने देखा मेरा निपल किसी अंगूर से भी बड़ा दिख रहा था. अब सेवकराम को तो पूरी छ्छूट मिल गयी थी उसने एक निपल को तो अपने मुँह मे भर ही रखा था, रत्ना के हटते ही दूसरे स्तन को अपनी मुट्ठी मे थाम कर उसे सहलाने लगा.
तभी रत्ना जी ने बिस्तर के साइड के टेबल से दो छ्होटी छ्होटी किसी देवता की मूर्तियाँ उठा कर मेरे दोनो हाथों मे थमा दी. तब मैने अपनी आँखें खोल कर देखा कि वो कर क्या रही थी.
“ लो इन्हे पाकड़ो. इन्हे अपनी मुट्ठी मे सख्ती से पकड़े रखना.” रत्ना ने मुझे कहा.
“ ये क्या हैं.” मैने कुच्छ ना समझ कर उससे पूछा.
“ ये देवता की मूर्तियाँ हैं. काम के देवता ये तेरे जिस्म मे इतनी आग भर देंगे कि तुझे ठंडा कर पाना किसी एक मर्द के बस का काम नही रह जाएगा.” उसने कहा.
मैने उन मूर्तियों को अपनी दोनो मुट्ठी मे थाम लिया. सेवकराम मुझे छ्चोड़ कर उठ चुका था. मैं बिस्तर पर नग्न लेटी हुई थी. सेवकराम आकर मेरे सामने खड़ा हो गया. सेवकराम कुच्छ सेकेंड्स तक मेरे निर्वस्त्र हुष्ण को सिर से पावं तक निहारता रहा. मैं भी उनके जांघों के बीच तने लिंग को अपनी आँखों से निहार रही थी और उनके अगले कदम का बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी.
रत्ना ने मेरी टाँगों को पकड़ कर फैला दिया. जिससे मेरी योनि भी बेपर्दा हो गयी.
“ देखो गुरुदेव…..इस के फूल से बदन मे कितनी वासना भरी हुई है. देखो इसकी चूत से कितना काम रस बह रहा है. इसकी चूत के दोनो होंठों को देखो कैसे काप रहे हैं इन्हे किसी मर्द के मोटे लंड का इंतेज़ार है. इसकी ये इच्छा आप ही पूरी कर सकते हैं. देव इस हुश्न की परी को निराश ना करें.” उसने कहा. सेवकराम की एक हथेली रत्ना ने अपने हाथों से पकड़ कर मेरी योनि के उपर फिराया. मैं कामोत्तेजना मे अपने निचले होंठ को अपने दाँतों से काट रही थी. इस हालत मे किसी गैर मर्द के सामने लेटे रहने की वजह से शर्म भी बहुत आ रही थी. मैने अपनी आँखें अपनी हथेलियों से ढँक ली थी.
फिर रत्ना ने मुझे सहारा देकर बिस्तर से उठाया. सेवक राम बिस्तर के पास ही खड़े थे. रत्ना ने मुझे घुटनो के बल ठंडे नग्न फर्श पर झुका कर बिठा दिया. सेवक राम जी पास आकर खड़े हो गये. रत्ना ने मेरे सिर को पकड़ कर उनके चरणो पर झुकाया.
“ चूमो इन्हें. इनके चरणो को अपने होंठों से चूमो. ये कोई आम आदमी नही हैं. इनका इस धरती पर आगमन ही हम जैसी महिलाओं के तन और मन को शांति प्रदान करने के लिए हुआ है. ” उसने कहा.
मैने अपने सिर को झुका कर उनके पैरों को चूम लिया. ऐसा करते वक़्त मेरे नग्न नितंब उपर की ओर उठ गये. सेवक राम ने उन्हे अपने हाथों से सहलाया. उनकी उंगलिया पल भर के लिए मेरे गुदा द्वार और योनि को उपर से सहलाई. मैं सिर उठाने लगी तो रत्ना मेरे सिर को पकड़ कर उनके लिंग के नीचे ले आई. रत्ना ने उनके लिंग को अपने हाथों से पकड़ कर मेरे सिर पर मेरी माँग पर रख कर आशीर्वाद दिया. ऐसा करते वक़्त उनके लिंग से टपकता रस मेरी माँग मे भर गया.
“ ये देवता तुल्य हैं. इनकी जितनी तन और मन से सेवा करोगी तुम्हारे जिस्म को उतनी ही ज़्यादा शांति मिलेगी.” रत्ना ने कहा, “ और तुमने ही तो कई बार मुझसे रिक्वेस्ट भी किया था कि तुम्हारे बदन की आग को बुझाने का कोई इंटेज़ाम करूँ. बदन मे जल रही कामग्नी को ठंडा करने का उपाय इनसे अच्च्छा कोई नही कर सकता.”
मैं चुपचाप किसी बुत की तरह जैसा वो कहती जा रही थी कर रही थी. मेरा दिमाग़ सुन्न होता जा रहा था. बस याद थी एक कामुक उत्तेजना जो मैं किसी भी तरह शांत करना चाहती थी.
“ बिना किसी हिचक और आशंका के अपने आप को पूरी तरह इनकी चरणो मे समर्पित कर दो. तुम्हारी हर तड़प को उनके शीतल बदन की च्छुअन शांत कर देगी. इनके चर्नो पर अपना दिल रख कर अपनी ओर से पूर्ण समर्पण दिखाते हुए इन्हे अपने बदन को छूने की याचना करो. ” रत्ना कहती ही जा रही थी.
शांता ने सेवकराम के पैरों पर मेरी दोनो छातियो को निपल्स से पकड़ कर च्छुअया और उनको उनके पैरों पर रख कर सहलाया. ऐसे मे सेवक राम ने अपने अंगूठे और उसके पास की उंगली के बीच मे मेरे एक निपल को लेकर मसला.
“ देख देव, ये अपने दोनो फूलों को आपको समर्पित कर रही है और इनकी प्यास शांत करने के लिए आपसे विनती कर रही है.” कहते हुए शांता ने मेरी योनि और मेरे गुदा मे अपनी उंगलिया डाल कर उन्हे सेवक राम की ओर करके फैलाया.
रत्ना ने सेवक राम के लिंग को पकड़ कर मेरी आँखों पर, मेरे गालों पर, मेरे माथे पर, मेरे होंठों पर हर जगह फिराया. मैं अपने दोनो हाथों को अपने घुटनो पर रख कर घुटनो के बल फर्श पर बैठी थी. फिर रत्ना ने एक हाथ से मेरा सिर पकड़ा और दूसरे हाथ से सेवकराम का लंड और मेरे चेहरे को उसके लंड की ओर खींचा.
“इस लिंग को पहले प्यार करो. आज से ये लिंग तुम्हारी सेवा के लिए हर वक़्त तैयार रहेगा. चलो इसे चूमो. अगर शिष्य का अपने गुरु की हर तरह से सेवा करना धर्म होता है तो उसी तरह गुरु का भी कर्तव्य होता है अपने शिष्य की हर इच्छा को पूरा करना.”
मैने झुक कर उनके लिंग को अपनी होंठों से चूम लिया. वो पास बैठी उनके लिंग को सहलाने लगी थी. उसके सहलाने से सेवकराम जी के लिंग के सूपदे के उपर की चॅम्डी बार बार उपर नीचे हो रही थी. और बार बार उनके लिंग का टोपा अंदर बाहर हो रहा था.
रत्ना ने मेरा सिर पकड़ कर दोबारा उनके लिंग से सटा दिया. उसने मेरे सिर को कुच्छ देर उनके लिंग पर दबा कर थामे रखा जिससे कहीं मैं अपना सिर हटा ना लूँ. दूसरे हाथ की उंगलियों से वो मेरी योनि को सहला रही थी.
मेरे होंठ उनके लिंग से सटे हुए थे. रत्ना ने जब देखा कि मेरे होंठ कुच्छ देर तक बंद ही रहे तो अपने दूसरे हाथ को मेरी योनि से हटा कर उनके लंड की चॅम्डी को नीचे खींच कर लाल लाल सूपदे को बाहर निकाला. फिर मेरे सिर को पकड़ कर उनके लिंग की पर वापस दबाया. मेरे हाथ दोनो ओर फैले हुए थे उनमे वो दोनो मूर्तियाँ बंद थी.
“ चलो मुँह खोल कर इसे अपने मुँह मे ले लो.” रत्ना ने कहा.
मैने अपना मुँह खोल कर उसके लिंग को अपने मुँह मे भर लिया. उनका लिंग मेरे मुँह मे जितना अंदर तक जा सकता था मैने ले लिया. अपनी जीभ से उसके लिंग को एक बार सहला कर देखा. मैने अपने हज़्बेंड का लिंग ही सिर्फ़ एक बार उनके बहुत ज़ोर देने पर अपने मुँह मे लिया था. मैं इसे एक गंदी हरकत मानती थी. मगर सेवकराम जी के लिंग को मुँह मे लेने के बाद मुझे लगा कि मैं अब तक ग़लत थी. इस तरह किसी को प्यार करना कोई बुरी चीज़ नही था.
मुख मैथुन किस तरह किया जाता है उससे मैं बिल्कुल अंजान थी. मैं लिंग को मुँह मे भर लेने को ही मुख मैथुन समझती थी. रत्ना ने मुझे इस कार्य से इतनी तसल्ली से अवगत कराया कि मैं कुच्छ ही देर मे एकदम एक्सपर्ट हो गयी. रत्ना ही मेरे सिर को पकड़ कर उनके लिंग पर आगे पीछे कर रही थी. वो उनके लिंग पर मेरे सिर को इतनी ज़ोर से दबाती की कुच्छ पलों के लिए मेरा दम घुटने लगता. फिर जैसे ही वो अपने हाथ को ढीला करती मैं साँस लेने के लिए अपने सिर को पीछे हटती. इसी तरह कुच्छ देर तक मैं उनके लिंग को अपने मुँह मे लेती रही.
कुच्छ देर बाद मे बिना किसी के मदद के ही मैं उनके लिंग को चूसने लगी. मैं उनके लिंग को चूसने चाटने मे इतना मसगूल हो गयी कि रत्ना को मेरे सिर को बालो से पकड़ कर सेवकरामके लिंग से हटाना पड़ा.
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RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -48
गतान्क से आगे...
“ देवी आपने अपने पति देव से पर्मिशन लिया था?” सेवक राम जी ने मेरी रिक्वेस्ट पर मुस्कुराते हुए पूछा. उन्हों ने मेरे होंठो पर अपने होंठ रखते हुए कहा,
“ एक बार और सोच लो जब भी कहूँगा जिससे कहूँगा तुम्हे चुदवाना होगा. “
ऐसे समय मे मैं क्या किसी की भी सोचने समझने की छमता ख़त्म हो जाती है. मेरा जिस्म सेक्स की आग मे जल रहा था. निपल्स एग्ज़ाइट्मेंट मे खड़े खड़े दुखने लगे थे. योनि के दोनो होंठ उत्तेजना मे खुल बंद हो रहे थे. योनि के अंदर सिहरन खुजली का रूप ले ली थी. ऐसे समय मे तो बस एक ही चीज़ मुझे याद थी वो था उनका किसी खंबे की तरह खड़ा लंड. मेरी योनि तो बस एक चीज़ ही माँग रही थी…. जम कर ठुकाई, जिससे जिस्म की आग बुझ सके, चूत की खुजली मिटे. मेरा पति मेरा ग्यान मेरा परिवार सब धुंधले हो चुके थे दिमाग़ से. सेक्स मे तड़प्ते किसी जानवर जैसी हालत थी मेरी.
मैने कहा, “हाआँ हाआँ….आप जो कहोगे मैं करूँगी……जिससे कहोगे मैं कार्ओौनगी प्लीईससस्स मुझ पर रहम करो…..प्लीईसए इस अवस्था मे मुझे मत छ्चोड़ो. आअहह…… रतनाआआ……..ईनसीए कहूऊऊ मेरी चुउत पर चींतियाअँ चल रहिी हैं. ” मैं अपनी टाँगे मोड़ कर बार बार अपनी कमर को उनके लिंग को छ्छूने के लिए उचकाने लगी. अपने हाथों से उनके लिंग को पकड़ कर अपनी योनि मे डालने को छॅट्पाटा रही थी. मैने अपनी टाँगों को अपने सीने से चिपका लिया जिससे मेरी योनि उनके सामने हो गयी. मैने अपने ही हाथों से अपनी योनि की फांकों को फैला कर उनकी आँखो मे झाँका. हम दोनो की नज़रें एक दूसरे से चिपक गयी थी. मैने आँखो ही आँखो मे उनसे निवेदन किया कि अब और ना तरसाएँ.
सेवकराम ने मेरी योनि पर अपना लिंग रखा. रत्ना ने एक हाथ से उनके लिंग को थामा और दूसरे हाथ से मेरी चूत को खोल कर उनके लिंग को मेरी योनि के मुँह पर रखा. सेवकराम ने एक मजबूत धक्के मे अपना पूरा लिंग जड़ तक मेरी योनि मे पेल दिया. मेरी योनि रस से चुपड़ी हुई थी. उनका लिंग भी मेरे रस से गीला था लेकिन फिर भी उनके लिंग का साइज़ ऐसा था कि मेरे मुँह से “ आआआआआआआहह……….माआआ……..मर गइईईईईई” जैसी आवाज़े निकल पड़ी.
मैं छॅट्पाटा उठी. उनके अंडकोष मेरी योनि के नीचे मेरे जिस्म से चिपके हुए थे. फिर उन्हों ने एक झटके मे पूरा लिंग बाहर निकाला. ऐसा लगा मानो मेरे पेट से सब कुच्छ निकल कर बाहर आ गया और मेरी योनि एक दम खाली हो गयी हो. फिर उन्हों ने दोबारा अपने लिंग को एक झटके मे अंदर घुसा दिया. इस बार उन्हे अपने लिंग को योनि के मुँह पर सेट करने की ज़रूरत नही पड़ी. दोनो के बीच सामंजस्या ऐसा हो चुक्का था की धक्का मारते ही लिंग अपनी जगह ढूँढ कर अंदर चला गया.
मैने अपनी टाँगों को अपने सीने से चिपका कर अपनी कमर को उपर की ओर उठा रखा था इसलिए अपनी योनि मे प्रवेश करता हुआ उनका मोटा लिंग मुझे साफ साफ दिखा रा था. मैने जी भर कर अपनी ठुकाई देखने के बाद अपनी टाँगे नीचे कर के फैला दी.
उन्होने मेरे नग्न जिस्म पर लेट कर मेरे होंठों पर वापस अपना होंठ रख दिए. मैने अपने हाथों से उनके सिर को थाम कर उनके मुँह मे अपनी जीभ डाल दी और उनकी जीभ से अठखेलिया करने लगी. उनकी जीभ भी मेरी जीभ को सहला रही थी. उस वक़्त उनके हाथ मेरे दोनो स्तनो को बुरी तरह मसल रहे थे.
उसके बाद लगातार ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे. हर धक्के मे पूरे लिंग को टोपे समेत बाहर निकालकर वापस जड़ तक पेल देते थे. मैं उनके हर धक्के से उच्छल उच्छल जा रही थी. काफ़ी देर तक इसी तरह करने के बाद मुझे पीछे घुमाया और मेरी कमर को खींच कर उपर कर लिया. मेरा सिर तकिये मे धंसा हुआ था. वो पीछे से मेरी योनि मे धक्के मारने लगे.
एक…..दो…..तीन….. इस चुदाई के दौरान मैं तीन बार स्खलित हो चुकी थी. मगर उनकी रफ़्तार मे अभी तक कोई कमी नही आई थी. मेरी टाँगे थकान से काँपने लगी. मेरा मुँह खुल गया था और आँखे भी थकान से बंद हो गयी थी. घंटे भर तक बिना रुके, बिना रफ़्तार मे कोई कमी करे इसी तरह मुझे चोद्ते रहे.
“आआहह…गुउुुरुउुजिइीइ बुसस्स्स……बुसस्स्स..गुरुजिइइई बुसस्स…..अब मुझ पर्र्र्ररर रहम करूऊऊ”
लेकिन सेवकराम ने मेरी मिन्नतों पर कोई ध्यान नही दिया. करीब घंटे भर बाद उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि से निकाला. रत्ना ने मुझे खींच कर सीधा किया और मेरे चेहरे को उनके लिंग के सामने ले आई. फिर उन्हों ने ढेर सारा वीर्य मेरे चेहरे पर मेरे स्तनो पर और मेरे बालों मे भर दिया. कुच्छ वीर्य मेरे मुँह मे भर गया था. मेरी नाक पर भी वीर्य लगा होने की वजह से मैं साँस नही ले पा रही थी. मैने अपनी हथेली से उनके वीर्य को सॉफ कर उसे अपनी जीभ से चाट लिया.
मैं अपने हाथों से पेट के नीचे अपनी दुखती कोख को दबाते हुए वहीं बिस्तर पर लुढ़क गयी. करीब पंद्रह मिनूट तक मैं इसी तारह बिना हीले दुले पड़ी रही. मानो अब शरीर मे कोई जान नही बची हो. पंद्रह मिनूट बाद जब आँखें खोली तो पाया कि सेवक राम जी जा चुके हैं. रत्ना मेरे सिरहाने पर बैठ कर मेरे बालों को सहला रही है.
“ कैसा लगा? मज़ा आया?” रत्ना ने पूछा.
“हाआँ डीडीिई……..बहुत मज़ा आया.” मैं अब तक उत्तेजना मे अपनी कमर उच्छाल रही थी. मगर अब अपनी नग्नता का अहसास और किसी गैर मर्द के साथ सहवास याद आते ही मैने शर्म से अपना चेहरा अपनी हथेलियों मे छिपा लिया.
“ कभी किसी और के साथ ऐसी खुशी ऐसी शांति ऐसा पूर्णता का अहसास हुया है क्या?”
“ नही…. रत्ना. आज तक मैने इतना सुख कभी हासिल नही किया था. दीदी मेरी सेक्स की भूख इन्होंने ऐसी मिताई कि मैं दीवानी हो गयी हूँ इनकी.”
“ मैं कहती थी ना कि एक बार इनके संपर्क मे आओगी तो जिंदगी भर की गुलाम बन जाओगी इनकी.” रत्ना ने मुस्कुरा कर कहा.
मैने उनकी सहायता से किसी तरह अपने कपड़े पहने और वहाँ से उठकर उनके बदन का सहारा लेकर लड़खड़ाते कदमो से घर आई.
आज मुझे इतना मज़ा आया था जितना मैने कभी महसूस नही किया था. मेरे बदन रोम रोम खुशी से काँप रहा था. मेरे बदन पर जगह जगह से मीठी मीठी कसक उठ रही थी. रात को पता नही कब तक मैं जागती रही अपने इस संभोग के बारे मे सोच सोच कर करवटें बदलती रही. जब तक ना मैने अपनी उत्तेजना को अपने ही हाथों से निकाल नही दिया मुझे नींद नही आई.
दो दिन तक मेरा बदन दुख़्ता रहा लेकिन मैं इस दर्द से बहुत खुश थी. ऐसी चुदाई के लिए अब हमेशा मन तड़पने लगा. अब तो शाम को मैं खुद हमारे बीच की डॉली को कूद कर सेवकराम जी के पास चली जाती थी. देव जब घर पर होता तो हम बहुत सांय्याम बरतते थे. जिसे उसके मन मे शक़ के बीज नही पैदा हों.
देव बहुत खुले विचारों का था. लेकिन मैं डर की वजह से उनको बता नही पाई. मैने सेवकराम जी से उनकी मुलाकात करवाई. सेवकराम जी ने उनके साथ मेलजोल बढ़ाना शुरू कर दिया. फिर धीरे धीरे उन्हे भी आश्रम बुलाया. उनकी वहाँ की औरतों ने इतनी आवभगत की कि वो भी उस आश्रम से बँध कर रह गये. आश्रम की शिष्याओं का जादू ही ऐसा होता है कि किसी साधु महात्मा भी उनके प्रेम पाश मे फँसे बिना नही रह सकता.
रत्ना मुझे बाद मे चटखारे ले लेकर सुनाती थी. किस तरह उसने भी देव के साथ सेक्स किया. हम दोनो मे एक मूक समर्थन सा बन गया. दोनो साथ साथ आश्रम मे जाते फिर अंदर दोनो अलग अलग हो जाते. दोनो को पता ही नही रहता कि दूसरा कहा और किससे अपनी जिस्मानी भूख मिटा रहा है. धीरे धीरे हम अपने आपस के सेक्स के गेम के दौरान आश्रम मे घटी घटनाओ को फॅंटिज़ करने लगे. जब हम दोनो साथ बिस्तर पर होते तो एक दूसरे के साथ हुए सेक्स के गेम का वर्णन सुनते हुए सेक्स का आनंद लेते थे.
मैं तो सेवकरम की गुलाम बन ही चुकी थी. बिना उनके साथ संभोग किए मेरे बदन की आग नही बुझ पाती थी. उन्हों ने मुझे काम्सुत्र मे एक्सपर्ट बना दिया था. उन्हों ने मुझे ऐसे ऐसे आसान सिखाए जिनकी मैने कभी कल्पना भी नही की थी. लेकिन एक बात मुझे हमेशा कचोटती थी. उन्हों ने कभी मेरी योनि के अंदर डिसचार्ज नही किया था. वो हमेशा मेरे चेहरे पर मेरे मुँह मे मेरे स्तनो पर यहाँ तक की कई बार मेरे गुदा मे भी डिसचार्ज किया था मगर मेरी योनि मे डिसचार्ज के अहसास से मुझे हमेशा मरहूम रखा था.
एक दिन हम तीनो लंबी चुदाई के बाद नग्न बैठे बातें कर रहे थे तो मैने सेवकराम जी से पूछा, “ एक बात बताएँ गुरुजी, आप मेरी योनि के अंदर अपना रस क्यों नही भर देते. मेरी बहुत तमन्ना है कि आप ये ढेर सारा रस मेरी योनि मे डालें जिससे मेरी योनि की प्यास बुझ जाए. मैं चाहती हूँ कि आपका रस मेरी योनि से छलक छलक कर बाहर रिसे.”
“ नही दिशा हम ऐसा नही कर सकते. जब तक स्वामी जी का रस तुम्हारी कोख को भर नही देता और वो तुम्हे दीक्षा नही देदेते उनका कोई भी शिष्य ये काम नही कर सकता. हम सबसे पहले सब महिलाओं पर उनका अधिकार है. पहले उनका प्रसाद तुम्हे ग्रहण करना पड़ेगा. तुम्हारी योनि मे डिसचार्ज करने का पहला अधिकार सिर्फ़ और सिर्फ़ उनका है. फिर हम सबका.” सेवकराम जी ने कहा
रत्ना दीदी ने बताया कि कुच्छ दिनो मे आश्रम के सबसे बड़े गुरु श्री श्री त्रिलोकनंद जी पधार रहे हैं. वो ही मुझे दीक्षा देकर आश्रम मे शामिल करेंगे. मैं ये सुनकर बहुत खुश हुई.
क्रमशः............
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