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RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
रणविजय- अरे नाराज़ क्यों होती हो.. इस बारे में बाद में बात करते हैं ना.. ये जगह ऐसी बातों के लिए नहीं है।
ड्राइवर के सामने रणविजय ज़्यादा कुछ बोलना नहीं चाहता था.. इसलिए उसने प्रीति को भी चुप करा दिया.. मगर यहाँ दाल में कुछ कला तो जरूर है.. जो आपको बाद में पता चल ही जाएगा। अभी इनको जाने दो.. अब तक तो वो तीनों कमरे में पहुँच गए होंगे।
तीनों जय के कमरे में आ गए और रश्मि ने टेबल की दराज से कार्ड निकाल कर विजय को दे दिए।
जय- गुड्डी बता ना.. ये कार्ड का तुझे कैसे पता चला?
रश्मि- ओह.. भाई.. आप भी ना शाम को आप बाहर गए थे.. तब मैं आपके कमरे में आई थी। बस ऐसे ही किसी वजह से यहाँ देखा.. तो ये कार्ड मिल गए और वैसे भी मुझे कार्ड गेम पसन्द है। मैंने बताया था ना.. वहाँ हम अक्सर खेलते हैं।
जय- अच्छा ये बात है.. चलो अब गेम के बारे में भी बता दो।
रश्मि- देखो भाई.. ये कार्ड में से सबको एक-एक कार्ड दिया जाएगा और जिसका कार्ड का नंबर सबसे छोटा होगा.. वो हार जाएगा और जीतने वाला उसको कोई काम बोलेगा.. जो उसको करना होगा जैसे कोई गाना गाना या डान्स करना.. कुछ भी.. ओके?
रश्मि की बात सुनकर दोनों की जान में जान आई.. वो तो कुछ और ही समझ बैठे थे।
विजय- अरे ये गेम तो हमें अच्छे से आता है.. आज तो गुड्डी तुम ही हारोगी.. हर बार देखना..
रश्मि- अच्छा.. इतना घमण्ड.. तो लो आप ही कार्ड को बाँटो.. पता चल जाएगा कौन हारता है।
विजय ने कार्ड सबको दिए और खोलने पर विजय ही हार गया.. उसके पास सबसे छोटा पत्ता आया था।
रश्मि- हा हा हा.. देखा.. कैसे सेखी बघार रहे थे.. अब हार गए ना.. तो चलो लड़की की तरह चलकर दिखाओ।
विजय ने नानुकुर की.. मगर रश्मि के आगे उसकी एक ना चली और वो ठुमक-ठुमक कर चलने लगा।
जय और रश्मि ने उसका बहुत मजाक बनाया.. ऐसे ही कभी जय हारा.. तो कभी रश्मि.. काफ़ी देर तक ये खेल चलता रहा।
विजय- बस यार गुड्डी.. मैं तो थक गया हूँ.. मुझे नींद भी आ रही है.. तुम दोनों खेलो.. मैं तो चला सोने..
जय ने कहा- ठीक है तुम जाओ.. मुझे भी अब नींद आने लगी है..
विजय और रश्मि वहाँ से चले गए.. तो जय ने अपने कपड़े निकाले और बस एक बरमूडा पहन के लेट गया।
रश्मि अपने कमरे में गई.. उसने एक सफ़ेद टी-शर्ट और शॉर्ट निक्कर पहनी और बिस्तर पर लेट गई.. मगर उसको अजीब सी बेचैनी सी होने लगी.. उसके जिस्म में सुईयाँ जैसी चुभने लगीं और नींद का नामो-निशान उसकी आँखों में नहीं था।
कुछ देर बाद वो उठी और जय के कमरे के पास जाकर आवाज़ दी।
जय- अरे गुड्डी.. तुम क्या हुआ.. आ जाओ लॉक नहीं है।
रश्मि- भाई मेरे कमरे का एसी काम नहीं कर रहा है.. नींद ही नहीं आ रही है मुझे।
जय- ओह.. कल ठीक करवा दूँगा.. तुम ऐसा करो मॉम के पास चली जाओ..
रश्मि- नहीं मॉम सुबह जल्दी उठ कर काजल करेगी और मुझे इतनी जल्दी नहीं उठना है।
जय- अरे तो मॉम काजल करेगी तुम्हें क्या.. तुम सोती रहना..
रश्मि- नहीं भाई.. आपको पता नहीं मॉम कमरे में बैठकर ही ज़ोर-ज़ोर से आरती करती हैं।
जय- अरे तो मेरी प्यारी बहना.. यहाँ मेरे कमरे में सो जाओ.. वैसे भी ये बिस्तर बहुत बड़ा है.. दोनों आराम से सो जाएँगे।
रश्मि ने कुछ सोचा और ‘हाँ’ कह दी।
जय ने चादर अपने ऊपर डाल ली और करवट लेकर सो गया। रश्मि भी दूसरी तरफ़ करवट लेकर लेट गई और कुछ सोचने लगी। अचानक उसे काजल की कहानी याद आई कि कैसे उसके भाई ने रात को उसके साथ सब किया था..
यह सोचकर वो थोड़ी डर गई और जल्दी से जय की तरफ़ करवट ले ली..
जय आराम से दूसरी तरफ़ लेटा हुआ था। उसको पता भी नहीं था कि रश्मि के दिमाग़ में क्या चल रहा है..
रश्मि अपने आपसे बात कर रही थी कि उसका भाई ऐसा नहीं कर सकता और इन्हीं ख्यालों में उसकी आँख लग गई।
बीच रात को अचानक रश्मि की आँख खुली तो वो जय से चिपकी हुई थी.. उसका घुटना जय के लंड पर था और हाथ सीने पर.. वो घबरा गई और जल्दी से जय से अलग हुई।
उसका जिस्म आग की तरह तप रहा था। उसने खुद को काबू किया.. मगर ना चाहते हुए भी उसका ध्यान जय के लंड पर गया.. जो तनकर बरमूडा में तंबू बना रहा था।
रश्मि- ओ माय गॉड.. ये क्या है.. मैं कैसे भाई के पास चली गई.. उनसे चिपक गई। मेरी वजह से वो सोए हुए भी कैसे गर्म हो गए.. मगर मैं तो उनकी बहन हूँ.. फिर उनका ‘वो’ कैसे टाइट हो रहा है..
तभी रश्मि को काजल की बात याद आई कि लंड और चूत किसी रिश्ते को नहीं समझते.. बस ये दोनों तो एक-दूसरे के लिए ही बने होते हैं।
यह बात ध्यान में आते ही रश्मि की चूत गीली हो गई उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है.. उसने सर को झटक कर दोबारा दूसरी तरफ़ करवट ले ली और सोने की कोशिश करने लगी।
मगर जैसे ही आँख बन्द करती.. उसको जय का लौड़ा टेंट बना हुआ दिखता.. उसने बहुत कोशिश की.. अपना ख्याल हटाने की.. मगर वो नजारा उसकी आँखों के सामने से हटने का नाम ही नहीं ले रहा था।
तो उसने कुछ सोचा और वापस जय की तरफ़ करवट ले ली।
दोस्तो, काजल की कही हुई बातें और रात की तन्हाई.. रश्मि को बहका रही थी। आख़िर वो भी एक जवान कमसिन लड़की थी और यह उमर तो होती ही ऐसी है.. कि कोई भी बहक जाए। खास तौर पर जबकि उसके एकदम पास कोई जवान लड़का सोया हुआ हो तो.. रश्मि की तो औकात ही क्या थी।
रश्मि ने मन में सोचा कि लंड आख़िर होता कैसा है.. एक बार छू कर देखने में क्या हर्ज है..
उसने डरते हुए जय के लंड को छुआ तो उसको 440 वोल्ट का झटका लगा। अचानक से उसकी चूत से पानी ज़्यादा रिसने लगा।
रश्मि- ओह.. गॉड.. कपड़े के ऊपर से टच किया.. तो पूरे जिस्म में करंट पैदा हो गया.. आख़िर ऐसा क्या है इसमें.. इसने तो मेरी हालत खराब कर दी।
अब रश्मि का मन बेचैन हो गया था.. वो दोबारा धीरे से लौड़े को टच करने लगी।
जय गहरी नींद में सोया हुआ था और रश्मि की हवस बढ़ती ही जा रही थी, वो लंड को ऊपर से नीचे तक धीरे-धीरे दबाने लगी थी.. उसकी लंबाई का जायजा लेने लगी थी।
अब उसके मन में लंड को देखने का विचार था.. मगर कैसे? यह उसकी समझ में नहीं आ रहा था। अगर जय जाग गया तो क्या होगा..? वो क्या कहेगी उसको?
यह सोच कर वो वापस लेट गई और सोने की कोशिश करने लगी। मगर उसकी चूत से गिरता पानी उसको बेचैन कर रहा था।
रश्मि- ओह.. गॉड.. यह क्या हो गया मुझे मेरी पैन्टी पूरी गीली हो गई है.. लगता है बाथरूम जाकर साफ करना ही होगा.. नहीं तो प्राब्लम हो जाएगी, यह पानी ऐसे गिरता रहेगा।
रश्मि उठी और बाथरूम में जाकर बैठ गई और अपना ध्यान इस बात से हटाने की कोशिश करने लगी।
दोस्तो, एक बहुत पुराना राज.. जो अब तक सामने नहीं आया.. आज उसका भी समय आ गया है।
रश्मि बाहर आए तब तक साजन के पास चलते हैं.. आज वहीं उस राज का पता लगेगा।
शाम को रंगीला ने फ़ोन किया और साजन को कहा कि वो उसके पास आएगा.. पीने का बंदोबस्त रखना.. कुछ जरूरी बात भी करनी है उसको..
साजन तो हुक्म का गुलाम था.. उसने सब बंदोबस्त करके रखा।
जब रंगीला आया तो साजन खुश हो गया, दोनों बैठकर पीने लगे।
रंगीला- साजन अब तक तो सब ठीक चल रहा है.. बस ये साली रश्मि मान जाए किसी तरह से..
साजन- अरे मानेगी क्यों नहीं भाई.. हमने उस साले जय को अच्छा फँसा लिया है.. अब वो उसको कैसे भी मना लेगा।
रंगीला- अरे वो तो कोशिश करेगा.. साथ में हमें भी उसका साथ देना होगा। यह रश्मि कुछ ज़्यादा ही सीधी है।
साजन- हाँ उससे मिलकर मुझे भी ऐसा लगा था.. मगर कोई तो होगा साली का आशिक.. ऐसा तो नहीं है.. मज़ा लेने के लिए कुछ तो करती ही होगी साली..
रंगीला- अरे कुछ नहीं करती वो.. मुझे उसकी सारी खबर है.. उस हॉस्टल में मेरी एक आइटम है.. जो मुझे उसकी सब खबर देती है.. वो उसके पास वाले कमरे में रहती है।
साजन- अच्छा इसका मतलब आपने उसका गेम भी बजाया होगा?
रंगीला- साले उसकी आरती उतारने के लिए उसको नहीं पटाया.. जब खर्चा करता हूँ.. तो मज़ा तो लूँगा ही ना..
साजन- हाँ ये भी सही है भाई.. उसके जरिए साली रश्मि को भी पटा लेते तो ये गेम का चक्कर ही नहीं होता।
रंगीला- अबे.. वो साली हाथ आने वाली नहीं है.. एक बार मेरी आइटम ने बताया.. कि वो घर जा रही है और रश्मि की रूम पार्टनर भी जा रही है.. और आज की रात वो काजल के साथ रहेगी.. जो बहुत बड़ी चुदक्कड़ है.. मेरी आइटम के साथ रोज लेसबो करके मज़ा करती थी। आज रश्मि को वो जरूर नंगा कर देगी.. बस यही सोचकर में हॉस्टल में घुस गया था।
साजन- क्या बात करते हो भाई.. अन्दर घुस गए? मगर कैसे.. किसी ने देखा नहीं क्या आपको?
रंगीला- अबे मेरी आइटम ने चोर रास्ता बता दिया था मुझे.. जिससे अक्सर वो मुझसे मिलने बाहर आती थी।
साजन- फिर क्या हुआ भाई.. कुछ किया अपने वहाँ जाकर?
रंगीला- अबे सुन तो साले.. मैं किसी तरह उनके रूम के पास गया और की होल से अन्दर झाँक कर दोनों की बातें सुनने लगा। काजल ने बहुत पटाया साली को.. मगर वो मानी ही नहीं और काजल साली अपनी प्यास बुझाने बाहर निकली तो मैं किसी तरह छुप गया और साली काजल का ही गेम बजा दिया। उसके बाद मैं तुमसे मिलने आया था याद है ना?
साजन- क्या बात करते हो भाई.. सब याद है मुझे.. मगर वो ऐसे ही कैसे मान गई?
रंगीला ने उसे सारी बात बताई कि कैसे उसने काजल को चोदा था.. जिसे सुनकर साजन का लंड अकड़ गया, उसका भी मन चुदाई के लिए मचल गया।
साजन- भाई प्लीज़ मुझे भी वो रास्ता बताओ ना.. मैं भी वहाँ जाकर अपने लौड़े को ठंडा कर आऊँगा..
रंगीला- अबे चुप साले.. अभी वहाँ कोई नहीं है.. सब अपने घर चली गई हैं.. तू बस अपने गेम पर ध्यान दे। अब सुन जय को मैंने कहा कि वो रश्मि को क्लब में लाए.. वहाँ तुम्हें कुछ नाटक करना होगा.. ताकि वो साली रश्मि गेम के लिए ‘हाँ’ कहे..
साजन- कैसा नाटक भाई आप बताओ?
रंगीला ने आगे का गेम उसको समझा दिया। उसके बाद कुछ देर वहाँ पीने का प्रोग्राम चला और रंगीला वहाँ से चला गया।
दोस्तो, शुरू में जिस नकाबपोश ने काजल की चुदाई की थी.. वो रंगीला था। यह आप समझ गए होंगे..
तो चलो वहाँ हमारी रश्मि का मन मचल रहा है… अब वो जय के साथ क्या करती है.. यह भी देख लेते हैं।
रश्मि जब वापस बाहर आई.. तो जय नींद में ही अपने बरमूडा में हाथ डाल कर खुजा रहा था.. शायद उसको लंड के पास खुजली हो रही होगी।
यह देख कर रश्मि के होंठों पर हल्की मुस्कान आ गई। वो धीरे से बिस्तर पर आकर जय के पास बैठ गई।
कुछ देर बाद जय ने अपना हाथ बाहर निकाल लिया और सीधा लेट गया। उसका लौड़ा अभी भी खड़ा हुआ था।
रश्मि- ओह गॉड.. लगता है आज तो फँस गई.. पता नहीं मुझे ये क्या हो रहा है.. ऐसा लगता है एक बार भाई के लंड को बिना कपड़ों के देखूँ.. उसको पकडूँ.. मगर कैसे करूँ.. कहीं भाई जाग गया तो क्या होगा?
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RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
दोस्तो, रानी का छोटा सा घर था.. एक कमरा.. उसके पास ही रसोईघर और छोटा सा आँगन.. उसके पास एक बाथरूम नहाने के लिए.. बाकी हाजत के लिए तो ज़्यादातर गाँव वाले खुले में ही जाते थे। घर के ऊपर छत.. बस जहाँ वो कपड़े सुखाते थे।
रानी अपनी माई के साथ एक ही कमरे में सोती थी। वहाँ दो चारपाई थीं.. कोई मेहमान आ जाए तो इन्होंने उसके लिए छत पर भी एक चारपाई रखी हुई थी।
वैसे गरीबों के यहाँ कौन मेहमान आता है.. बेचारे खुद ही एक वक्त का खा पाते हैं बाकी वक्त तो भूखे ही रहते हैं। यही गरीबी की हक़ीकत है।
चलिए आगे देखते हैं..
रानी- माई तो सो गई.. चलो हम ऊपर जाकर बातें करेंगे।
दोनों ऊपर जाकर बैठ गए.. जेम्स का मूड कुछ और ही था, वो रानी के कंधे से होता हुआ उसकी चूची सहलाने लगा।
रानी- अरे यह क्या कर रहे हो.. दोपहर में तो इतना दबाया था.. क्या तुम्हारा उससे मन नहीं भरा था।
जेम्स- अरे रानी.. तू तो मेरी बरसों की तपस्या है.. ना जाने कब से इन रसीले अनारों को देख कर खुश होता था कि कब इनको दबाने का मौका मिलेगा.. कब इनका रस मेरे होंठों पर लगेगा.. और तू मना कर रही है।
रानी- बस अब रहने दो.. इतना वक़्त नहीं है मेरे पास.. माई ने क्या कहा.. सुना नहीं था क्या?
जेम्स- हाँ पता है.. जल्दी आने को कहा था.. मगर काकी एक बार सो जाए तो कहाँ उठती है।
रानी- तो इसका मतलब हम सारी रात यहाँ बैठ कर बातें करेंगे?
जेम्स- अरे मेरी भोली रानी.. बातों में क्या रखा है.. दोपहर में चुदाई अधूरी रह गई थी.. उसको पूरा करने करने आया हूँ।
रानी- चल हट बदमाश.. इतनी तो चुदाई करी थी.. अब मैं कुछ नहीं करूँगी।
जेम्स- अरे मान जा ना.. तेरे चक्कर में वो सुखिया की बीवी को ‘ना’ कहकर आया हूँ.. वो आज के लिए तैयार थी।
रानी- तू बहुत हरामी हो गया है रे… किस-किस को चोदेगा.. मुझसे प्रेम करता है तो ये सब बन्द कर दे..
जेम्स- अरे बंद कर दिया.. तभी तो उसको मना किया है। वैसे भी इस गाँव में ऐसा तगड़ा लौड़ा किसी के पास नहीं है और जिस-जिस को इसकी खबर लगी.. बस अपनी चूत मेरे आगे कर दी.. सबको बड़ा.. लौकी टाइप का लंड चाहिए होता है।
रानी- हाँ ये तो है.. तू चोदता भी देर तक है.. मज़ा भी खूब देता है। मुझे एक बात समझ नहीं आई.. कि मैं चुदी हुई थी.. तब भी तेरे लौड़े ने मेरी जान निकाल दी.. तो निधि तो मुझसे बहुत छोटी है और कुँवारी भी है.. वो कैसे सह गई तेरे इस मोटे लौड़े को?
जेम्स- अरे सहती कैसे नहीं.. उसको इतना गर्म कर दिया था और चूत को चाट-चाट कर साली को 2 बार झाड़ा.. उसके बाद जाकर कहीं लौड़ा पेला.. साली बहुत चिल्लाई.. मगर मैंने मुँह बन्द कर दिया उसका.. और चोदता रहा। पता है साली बेहोश तक हो गई थी.. मगर मैंने हार नहीं मानी और चोदता रहा। जब झड़ा तो ऐसा झड़ा कि मेरे लवड़े ने इतना पानी फेंका.. जितना पहले कभी ना फेंका हो। उसकी चूत से खून भी बहुत निकला था।
जेम्स एक हाथ से अपने लौड़े को मसलता हुआ ये बात बता रहा था। उसका लंड निधि की चुदाई को याद करके तन गया था।
रानी- हे राम.. बेचारी बहुत रोई होगी ना.. कितना दर्द हुआ होगा उसको… वो यहाँ आई कैसे?
जेम्स- अरे तू क्या करेगी सब जानकर.. क्यों मुझे तड़पा रही है.. चल आजा ना.. मेरे लौड़े को ठंडा कर दे.. उसके बाद जो पूछना है.. पूछ लेना..
रानी- नहीं मुझे उसकी पूरी कहानी बताओ.. कैसे वो तेरे झाँसे में आई थी।
जेम्स- ठीक है बताता हूँ.. मगर एक शर्त पर.. तू मेरा लौड़ा चूसती रह.. मैं कहानी सुनाता रहूँगा।
रानी उसकी बात मान गई। वो चारपाई पर बैठ गया.. उसके नीचे रानी उकड़ू बैठ गई और उसके लौड़े को चूसने लगी, उसने लौड़ा मुँह में लेते ही आँख से जेम्स को बोलने का इशारा किया।
जेम्स- तू भी मानेगी नहीं.. आह्ह.. आराम से चूस मेरी रानी.. कहीं दाँत लग गए तो कई लड़कियाँ विधवा हो जाएंगी.. मेरे लौड़े के बिना.. हा हा हा..
रानी बड़े प्यार से लौड़े को चूसने में लग गई थी।
जेम्स- आह्ह.. अब मज़ा आ रहा है.. ऐसे ही चूस.. और सुन तू तो जानती ही है.. निधि का बड़ा भाई पक्का शराबी है.. रात-रात भर घर से बाहर रहता है और उसकी भाभी वासना की आग में जलती रहती है। बस इसी मौके का फायदा उठा कर मैंने उसकी बीवी को पटा लिया और अक्सर उसके घर के पिछवाड़े झाड़ियों में उसको चोदने जाता था।
एक दिन साली निधि.. पेशाब करने रात को उधर ही आ गई और हम दोनों को चुदाई करते हुए उसने देख लिया। उसकी भाभी बहुत डर गई कि अब सुबह पक्का हंगामा होने वाला है.. हमारी चुदाई भी अधूरी रह गई। वो निधि तो वहाँ से भाग गई.. मगर उसकी भाभी को डर था कि अभी किसी तरह उसको समझाती हूँ.. यही बोलकर वो वहाँ से चली गई।
रानी- बाप रे रात को झाड़ियों में.. डर नहीं लगता था तुमको?
जेम्स- अरे रानी जब चूत मिलती है ना.. तो मखमल के गद्दे नहीं.. बस मौका चाहिए.. जगह चाहे कैसी भी हो.. चलती है.. अब तू लौड़ा चूस और आगे का हाल सुन-
निधि नादान थी.. नासमझ थी.. उसको बस उस वक्त यही समझ आया कि जो हो रहा था.. वो बहुत गंदा था मगर वो खुद बहुत डर गई थी।
रात को तो उसकी भाभी ने उसे किसी तरह समझा दिया कि वो किसी को ना बताए और हुआ भी वैसा ही.. सुबह उसने किसी को कुछ नहीं बताया..
मगर अब वो अपनी भाभी से थोड़ा रूखा बर्ताव करती थी और एक डर हमेशा उसकी भाभी को लगा रहता था कि ना जाने कब ये राज खोल दे..
बस इसी के चलते उसने मुझसे कहा कि किसी तरह इस निधि को चोद कर अपनी गुलाम बना लो.. ताकि हमारी चुदाई में कोई रुकावट ना आए।
रानी लौड़े को चूसे जा रही थी और जेम्स की बातों से उसकी चूत भी गीली होने लगी थी, उसने इशारे से कहा कि आगे क्या हुआ?
जेम्स- सस्स.. आह्ह.. चूसती रह.. आह्ह.. मेरी गोटियाँ भी अपने हाथ से सहलाती रह.. तुझे आगे का हाल सुनाता हूँ.. आह्ह.. उफ़फ्फ़..।
एक दिन उसके घर में कोई नहीं था.. बस वो दोनों ही थे.. मैं वहाँ गया..
दोस्तो, उधर का सीधा हाल सुनिए।
भाभी- अरे आओ आओ जेम्स, कैसे आना हुआ है?
जेम्स- वो भाभी, मुझे निधि से कुछ बात करनी थी.. अगर आप बुरा ना मानो तो?
भाभी कुछ कहती, इसके पहले निधि ने कहा- मुझको तुमसे कोई बात नहीं करनी है!
मगर भाभी के ज़ोर देने पर वो मान गई।
निधि- बोलो क्या बात है?
जेम्स- वो निधि.. उस रात तुमने हमें देख लिया था ना.. भगवान की सौगन्ध.. उसके बाद हम दोबारा वहाँ नहीं गए.. तुम यह बात किसी को बताना मत.. हाँ.. और अपनी भाभी से ऐसे बर्ताव ना किया करो।
निधि- अगर बताना होता तो कब का बता देती.. मगर मुझे पता है इस बात से घर में झगड़ा होगा और तुम क्या कर रहे थे.. उससे क्या होता है.. मुझे ज़्यादा समझ भी नहीं आया.. बस बहुत गंदा लगा..
भाभी की नज़र मुझसे मिली.. उसने इशारे में कहा कि चिड़िया दाना चुग गई.. अब इसको जाल में फँसाना कोई मुश्किल काम नहीं है।
भाभी- अरे निधि.. वो बहुत मज़े का खेल है.. उसमें गंदा कुछ नहीं है।
निधि- खेल.. कैसा खेल भाभी.. और आप दोनों तो नंगे थे न उस समय?
भाभी- अरे मेरी भोली ननद.. जैसे नहाते समय हम नंगे होते हैं और पानी बदन पर गिरता है.. तो कितना मज़ा आता है.. वैसे ही उस खेल में भी नंगा होकर ही मज़ा आता है.. समझी मेरी प्यारी ननद..
निधि- अच्छा भाभी.. सच्ची में अगर ऐसा है.. तो मुझे भी ये खेल खेलना है..
जेम्स- अरे क्यों नहीं निधि.. तेरी जैसी कच्ची कली के साथ तो इस खेल का मज़ा ही दुगुना हो जाएगा।
भाभी- जेम्स.. यहाँ नहीं.. तू निधि को अपने साथ खेत ले जा.. वहाँ तुम दोनों जितना मर्ज़ी ये खेल का मज़ा ले लेना.. यहाँ तो कोई ना कोई आ जाएगा.. वैसे सब घर वाले तो दूसरे गाँव शादी में गए हैं रात देर से आएँगे। तुम आराम से निधि को सब सिखा कर लाना।
जेम्स- अरे सब बाहर गए हैं तो यहीं खेलता हूँ ना.. इसके साथ..
भाभी- नहीं जेम्स.. बात को समझो.. यहाँ आस-पड़ोस की औरतें आती रहती हैं और यह एकदम कुँवारी है.. शोर भी ज़्यादा करेगी.. तू इसको खेत पर ही ले जा।
निधि बेचारी कहाँ उनकी बातें समझ रही थी, उसको तो बस ये सब खेल ही लग रहा था।
निधि- चलो ना जेम्स.. खेत में ही चलते हैं शाम तक मज़ा करेंगे.. यहाँ कोई आएगा.. तो अपना खेल रुक जाएगा।
जेम्स ने ‘हाँ’ कह दी और निधि को ले जाने को तैयार हो गया।
भाभी- देखो जेम्स.. अभी निधि बहुत छोटी है.. और तुम्हारा गन्ना बहुत बड़ा और मोटा है.. ज़रा संभाल कर करना कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए।
जेम्स- डरो मत भाभी मेरा गन्ना बड़ा जरूर है.. मगर मैं बहुत आराम से करूँगा.. देखना शाम तक इसको ऐसा बना दूँगा कि ये तुमसे बड़ी खिलाड़ी बन जाएगी।
निधि- ओह्ह.. सच्ची… कहाँ है गन्ना..? मुझे चूसना है भाभी.. बताओ ना..
भाभी- जेम्स के पास है.. इसके साथ जा.. वहाँ तुम्हारा जितना जी चाहे.. जाकर खूब चूसना..
जेम्स चालक लड़का था उसने निधि को पहले बाहर भेज दिया और खुद बाद में निकला.. ताकि किसी को कोई शक ना हो।
आगे चलकर वो उसके साथ हो गया और अपने खेत पर ले गया।
जेम्स की कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी.. रानी लौड़े को चूसने के साथ-साथ हाथ से आगे-पीछे भी कर रही थी।
जेम्स- आह्ह.. चूस.. मेरी रानी.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. उफ़फ्फ़.. तेरा मुँह भी किसी चूत से कम नहीं है आह्ह..
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