Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
08-19-2018, 03:05 PM,
#11
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
9
काजल बचपन से ही बहुत चुलबुली और शरारती थी. लोग कहते है रूप रंग मे वो बिल्कुल अपनी माँ पर गयी थी. उसका चेहरा बहुत ही मासूम और भोला भाला और खूबसूरत था. बड़े होकर वकील बन ना ही उसका सपना था जिसे वो पूरा कर रही थी.

इन्ही सब ख़यालो मे खोई हुई काजल को देख कर कारण ने उसकी आँखो के सामने चुटकी बजाई, “हेलो....कहाँ खो गयी...”

“वो भैया बस ऐसे ही पुराने दिन याद आ गये.....वैसे यह आल्बम आपको मिला कहाँ से....और इसमे आपकी तो कही तस्वीर है ही नही...” काजल ने आल्बम का आख़िरी पन्ना पलट ते हुए कहा.

“यह आल्बम मुझे माँ ने दिया था. माँ की यह मेरे पास आख़िरी निशानी थी और यही मेरे दिल के सबसे करीब थी.....और रही बात तस्वीर की तो आख़िर एक अनाथ की तस्वीर कोई क्यू खीचेगा...खैर मैने सोचा था कि इस साल तेरे बर्थ’डे पर तुझे अपने दिल के सबसे करीब चीज़ ही गिफ्ट करू सो यह आल्बम ले आया..”

करण के अनाथ बोलने पर काजल को करण के लिए बहुत बुरा लगा, “मैं हू ना आपकी माँ....और अगर आपने फिर अपने आप को अनाथ बोला तो आपके यह माँ आपको बहुत मारेगी...समझे.” कहते हुए काजल करण के गले लग गयी.

अर्जुन से यह सब बर्दाश्त नही हो रहा था. भले ही समय के साथ उसके दिल मे करण के लिए कड़वपन कम हो गया हो पर वो अभी भी करण को पसंद नही करता था.

“देखो अर्जुन भैया....करण भैया ने अपने सारे बचपन में इसी आल्बम को संजोए रखा जबकि इंसमे वो है भी नही...तस्वीर में सिर्फ़ मैं आप पापा और मम्मी है....फिर तुम कहते हो करण भैया हमारे परिवार का हिस्सा नही है..” काजल उठी और वो आल्बम को संभाल के अपने रूम मे रख आई. 

अर्जुन के दिल मे कही ना कही करण के लिए एक भाई का प्यार था तो ज़रूर पर वो यह सबके सामने स्वीकारना नही चाहता था कि वो अपने सौतेले भाई से प्यार करता है. करण ने काजल को उसके जितना ही बराबर प्यार दिया था ज्सिके लिए वो करण का शुक्रगुज़ार था.

“चलो भाई लोग अब सोया जाए...आज बेडरूम मे ना सोकर यही सोते है....यहाँ तीन सोफे है और तीनो लोग आराम से इन तीनो सोफे पर फिट हो जाएँगे... गुडनाइट.” बोलकर काजल ने रूम की लाइट ऑफ कर दी और तीनो लोग चादर ओढ़ कर सो गये.
अभी उनको सोए कुछ घंटे ही हुए थे कि...

“करन्न्न्न………बचाओ मुझे……मैं यहाँ इस अंधेरी खौफनाक गुफा मे बंद हू…मेरे बेटे बस एक तुम ही हो जो मुझे यहाँ से बाहर निकाल सकते हो………” इस बार सपना अर्जुन को नही करण को आया था.

“माआआआ……………” हल्की सी चीख मार कर करण उठ गया.

करण के उठते ही सभी जाग गये. करण का भी वही हाल था जो कल रात अर्जुन का था, उसके चेहरे पर पसीने के बूँदें सॉफ झलक रही थी.

“क्या हुआ करण भैया.......” काजल तुरंत करण के पास गयी और अपनी नाइटी से उसके चेहरे का पसीना पोछने लगी.

“फिर वोही सपना.....” करण गहरी साँस लेता हुआ बोला.

“कैसा सपना....?” काजल ने पूछा

“एक सपना है जो मुझे करीब दो महीनो से हर रात आता है....उसमे हमारी माँ किसी अंधेरी गुफा मे बंद है और वो मुझे मदद के लिए पुकार रही है...” करण ने अपना सर पकड़ लिया.

उसकी बातें सुनकर काजल और अर्जुन दोनो हक्के बक्के रह गये. बार बार एक ही सपना आना कोई इतेफ़ाक़ हो सकता है. पर अगर वो ही सपना दो लोगो को एक साथ आए तो ज़रूर इसके पीछे कोई गहरा रहस्य होगा.

“करण भैया आप विश्वास नही करोगे पर अर्जुन भैया को भी यही सेम टू सेम सपना हर रात को करीब दो महीने से आ रहा है....” काजल बोली.

अब हैरान होने की बारी करण की थी. वो आश्चर्य से अर्जुन की ओर देख रहा था.
“इसका क्या मतलब हो सकता है....” करण बोला.

“इसका एक ही मतलब है कि माँ ज़िंदा है और आप दोनो को मदद के लिए पुकार रही है. काजल बोली और करण को अर्जुन के सपने के बारे मे पूरी बात बता दी.

“ना जाने ईश्वर का यह कैसा खेल है पर अगर हमारी माँ को हमारी ज़रूरत है तो हम ज़रूर जाएँगे....चाहे उसके लिए पाताल तक ही क्यू ना जाना पड़े.” कारण ने कहा.

“अगर यह सब का कुछ भी मतलब है तो हम अपनी माँ को ज़रूर ढूँढेगे...” अर्जुन भी जोश मे बोला.

काजल को तो बस यही देखना था, उसे आज उसके बर्थ’डे का रियल गिफ्ट मिल गया था कि उसके दोनो भाई पहली बार किसी भी बात पर एक साथ सहमत हुए है. उसे इस से ज़्यादा और क्या चाहिए था.

अगली सुबह उनके लिए एक नयी उम्मीद ले कर आई थी. बाहर का मौसम तो अब भी बहुत खुशनुमा था. चारो ओर घने काले बादल छाये थे और टिप टिप बारिश अभी भी हो रही थी. मुंबई मे मानसून कुछ ज़्यादा देर तक चलता है. सुबह हो जाने के बावजूद सूरज को काले काले बादलो के पीछे से नही देखा जा सकता था. काफ़ी ठंडी हवायें बह रही थी जिस से जुलाइ के महीने मे भी थोड़ा ठंड जैसा महॉल बन गया था.

टू बी कंटिन्यूड...
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#12
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JemsbondSuper memberPosts: 4730Joined: 18 Dec 2014 12:09
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Unread post by Jemsbond » 27 Oct 2015 06:11

9 A


“यह सब जो भी है वो हमारे सपने से जुड़ा हुआ है...तो क्यू ना हम बहुत पहुचे हुए आचार्य श्री सत्य प्रकाश जी के पास चले...वो इस बारे मे ज़्यादा जानकारी रखते है...” अर्जुन सोफे पर से उठते हुए बोला.

“यह सत्य प्रकाश कौन है भैया.....इनका कभी नाम नही सुना..” काजल बोली.

“वो बहुत पहुचे हुए और सिद्ध पुरुष है...पब्लिसिटी और फेम से उनका कोई लेना देना नही है...वो तो बस यहाँ से दूर एक छोटे से गाओं मे अपने आश्रम मे रहते है....बहुत कम ही लोग है जो उनके बारे मे जानते है..” अर्जुन बोला.

“पर भैया क्या आपको पक्का पता है कि यह बाबा जी हमारी मदद कर सकते है..?”

“हाँ काजल....मुझे पूरा विश्वास है क्यूकी मुझे याद है जब मैं छोटा था तो माँ मुझे इनके पास इनका आशीर्वाद दिलाने ले जाती थी....”

यह सब सुन कर करण ने कहा, “अगर यह आचार्य हमारी मदद कर सकते है तो हमे इनसे ज़रूर मिलना चाहिए...”

“ठीक है भैया आप लोग के साथ मैं भी चालूंगी...” काजल बोली.

“छुटकी...इस सफ़र मे बहुत से ख़तरे हो सकते है और हम नही चाहते कि तुम ख़तरो मे पडो....तू यही रह कर पढ़ाई कर...मैं और करण देख के आते है कि इन सपनो का चक्कर क्या है....” अर्जुन बोला.

इस बात पे काजल भड़क गयी, उसने कमर पर हाथ रखते हुए अर्जुन को घूर घूर के देखा, “अर्जुन भैया शायद आप भूल रहे हो कि जिस औरत की तलाश मे आप दोनो जा रहे हो वो मेरी भी माँ है....तो मेरा आना भी बनता है...हो सकता है मैं आपके कुछ काम आ सकु...”

“काजल तू हमारी क्या मदद करेगी...बल्कि हमे ही हर वक़्त तेरी सुरक्षा की चिंता लगी रहेगी...” करण ने काजल को समझाते हुए बताया.

“आप तो अर्जुन भैया से और ना ही वो आपसे कभी खुल के बात करेंगे....तो आपस मे मिलकर क्या खाक काम करोगे.....अगर मैं चलूं तो आप दोनो की मन की बात आप लोगो को बता सकती हू....” काजल के इस बात का जवाब ना ही अर्जुन के पास था और ना ही करण के पास.

दोपहर तक तीनो तय्यार थे. ज़रूरत का सारा समान ले लिया था उन्होने. अर्जुन ने अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी निकाली और जेब मे अपने बिना लाइसेन्स वाले दो देसी कट्टे (रेवोल्वेर/पिस्टल) रख लिए कि पता नही कब उनकी ज़रूरत पड़ जाए. वो तीनो सफ़र पर निकल पड़े.

“पर हम जाएँगे कहाँ....अर्जुन भैया क्या आपको आचार्य जी के आश्रम का पता मालूम भी है या हम बस ऐसे ही चलते जा रहे है...” काजल बोली, वो बगल की सीट पर बैठी हुई थी.

“मुझे सब कुछ याद है...बचपन की कुछ बातें जल्दी नही भूलती...इन्ही यादो मे से एक है आचार्य का आश्रम जहाँ माँ मुझे ले जाया करती थी...” अर्जुन गाड़ी चलाते हुए बोला.

रात हो चली थी. सुनसान सड़क को चीरती हुई उनकी स्कॉर्पियो चली जा रही थी. बारिश ऐसी जो थमने का नाम ही नही ले रही थी. तेज़ हवायें ऐसी जो मानो पेड़ो को जड़ से उखाड़ देना चाहती हो. ऐसे ही खराब मौसम के बीच करीब 6 घंटे गाड़ी चलाने के बाद हाइवे से नीचे उतर कर एक गाँव आया.

अर्जुन ने गाड़ी नीचे उतार ली. गाँव बहुत ही छ्होटा सा था. घर नाम मात्र के थे और उनमे आपस की दूरी भी बहुत थी. खेतो मे बारिश की वजह से कीचड़ हो गयी थी जिसपे स्कॉर्पियो धीरे धीरे हिचकोले खाती चली आ रही थी.

आख़िरकार गाड़ी एक छोटे से आश्रम के बाहर रुकी. रात काफ़ी हो गयी थी और उपर से तेज़ बारिश हो रही थी इसलिए हर तरफ सन्नाटा पसरा था.

“यही है वो आश्रम....चलो अंदर चलते है...” अर्जुन ने गाड़ी से उतरते हुए कहा.

तीनो लोग आश्रम के अंदर आ गये. बाहर ही आचार्य मानो उनका इंतेज़ार ही कर रहे थे.

“आओ बेटा आओ....ना जाने कितने साल हो गये तुम्हे देखे बिना...” आचार्य ने तीनो को आश्रम के अंदर बुलाया. आचार्य का बालिश्ट शरीर, केसरी रंग की धोती, लंबी सफेद दाढ़ी और चेहरे पर एक तेज था. अंदर के महॉल मे मन को जो शांति मिल रही थी वो तीनो भी महसूस कर सकते थे.

“क्या करू आचार्य जी जबसे माँ का स्वरगवास हुआ है तब से यहाँ वापस आने का मौका ही नही मिला...” अर्जुन ने आचार्य के पाँव छुए और चारपाई पर बैठ गया.

“कोई बात नही बेटा...सब उपर वाले की महिमा है....वैसे मुझे पहले से ही आभास हो गया था कि तुम आने वाले हो.....पर यह बाकी लोग कौन है..”

“आचार्य क्या आप इसे भूल गये...यही तो है छुटकी....मेरी प्यारी बहन काजल..एक दो बार यह भी आश्रम आ चुकी है पर उस समय यह बहुत छोटी थी...” अर्जुन ने आचार्य को अतीत याद करवाया.

“अरे याद आया...काजल बेटी...अरे देखो तो कितनी बड़ी हो गयी है...बिल्कुल अपनी माँ पर गयी है....” आचार्य ने प्यार से काजल के सर पर हाथ फेरते हुए कहा जिसके उपरांत काजल ने उनके पाँव छु लिए.

“और यह महाशय कॉन है....” आचार्य करण की तरफ इशारा करते हुए बोले.

“आप इनको नही जानते होंगे....यह कभी आश्रम मे नही आए...” अर्जुन ने आचार्य को बीच मे ही रोकते हुए बोला.

“प्रणाम आचार्य मैं इन दोनो का दोस्त हू....” झूट बोलते हुए कारण ने भी आचार्य के पैर छू कर आशीर्वाद लिया. वो नही चाहता था कि आचार्य को पता चले कि वो उसकी माँ की नाजायज़ औलाद है.

टू बी कंटिन्यूड...
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#13
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“और यह महाशय कोन है....” आचार्य करण की तरफ इशारा करते हुए बोले.

“आप इनको नही जानते होंगे....यह कभी आश्रम मे नही आए...” अर्जुन ने आचार्य को बीच मे ही रोकते हुए बोला.

“प्रणाम आचार्य मैं इन दोनो का दोस्त हू....” झूट बोलते हुए करण ने भी आचार्य के पैर छू कर आशीर्वाद लिया. वो नही चाहता था कि आचार्य को पता चले कि वो उसकी माँ की नाजायज़ औलाद है.

अब आगे................................

“वैसे अर्जुन बेटा....इतनी रात को और वो भी इतनी तेज़ बारिश मे यहाँ आने को कोई खास वजह ?....देखो तुम लोग भीग भी चुके हो...” आचार्य बोले.

“वजह है आचार्य...और इसी लिए तो हम सब आपकी मदद लेने यहाँ आए है...”

“ठीक है बेटा पर तुम मुझे पहले पूरी बात बताओ...”

“आचार्य पिच्छले कुछ दो महीनो से मुझे माँ का एक ही सपना रोज़ रात मे आता है जिसमे माँ एक अंधेरी काली गुफा मे फसि है और मुझे मदद के लिए पुकार रही है...पर समझ मे नही आता क़ी मा की मौत के 12 साल बाद यह सब का क्या मतलब हो सकता है...कही माँ जिंदा तो नही है ???”

“बेटा होने को तो कुछ भी हो सकता है...हम सब उपर वाले के हाथ की कट्पुतली है...वो जब चाहे तब हमे अपने इशारो पर नचाता है...उसके मर्ज़ी के बिना धरती का एक भी पत्ता नही हिलता...”

“आचार्य वो सब तो ठीक है...पर मुझे यह नही समझ आ रहा कि हम वो गुफा ढूंढ़ेंगे कैसे...उस गुफा को ढूँढने मे हमे आपकी मदद चाहिए...अगर आपने हमारी मदद कर दी तो हम आपका यह एहसान कभी नही भूलेंगे क्यूकी इस बार दाव पर हमारी माँ की जान लगी है...”

“अर्जुन बेटा अगर ऐसी बात है तो मैं हर संभव तुम्हारी मदद करने को तय्यार हू...तुम्हारी माँ रत्ना मेरी भी शिष्या रह चुकी है...पर सबसे पहले तुम सब आज रात को यही आराम कर लो...कल सुबह बात करेंगे क्यूकी अभी बहुत रात हो गयी है...” आचार्य ने घड़ी देखा तो आधी रात से भी ज़्यादा का वक़्त हो रहा था.

आचार्य सत्या प्रकाश के कहे अनुसार उनकी पत्नी और उनकी बेटी ने करण अर्जुन और काजल को उनका कमरा दिखा दिया. वो तीनो वही अपना डेरा डाल के लेट गये.
खिड़की से बाहर घने बादलो के बीच चाँद को देखते हुए करण बोला, “मुझे तो लगता है हम यहाँ अपना समय बर्बाद कर रहे है...इस से अच्छा होता अगर हम पोलीस की मदद लेते...”

अर्जुन तो वैसे ही करण को नापसंद करता था सो उसकी इस बात पर वो भड़क गया, “देखो करण, हम तुम्हे यहाँ ज़बरदस्ती नही लाए है....अगर तुम्हे यहाँ नही रहना तो दफ़ा हो जाओ यहाँ से...मैं अकेले ही अपनी माँ को ढूँढ लूँगा...”
बात बिगड़ता देख काजल बीच बचाव करने लगी, “अर्जुन भैया प्लीज़...अब यहाँ पे कोई तमाशा मत खड़ा करो...”

“वाह! तमाशा मैं खड़ा कर रहा हू ???....तमाशा तो यह करण खड़ा कर रहा है....अगर यह पैदा ही नही हुआ होता तो आज हमे इस मुसीबत का सामना नही करना पड़ता...मनहूस कही का...हुहह.” अर्जुन दाँत पीसता हुआ बोला.

काजल ने अपना सर पीट लिया, “अब भी वही रट लगा रखे हो...बोला ना पुरानी यादो को भूल जाओ...अभी माँ को हम सब की ज़रूरत है...देखते है आख़िर आचार्य जी कल हम से क्या कहते है...तब तक के लिए प्लीज़ सो जाओ...” और फिर करण को बोलते हुए, “सॉरी कारण भैया...मैं अर्जुन भैया की तरफ से आपसे माफी मांगती हू...”

करण ने कुछ ना कहा और सब सो गये लेकिन अर्जुन की कड़वी बातो से करण की आँखो मे आए आँसू कोई नही देख सका.

अगली सुबह जब तीनो उठे तो आचार्य किसी हवन या यज्ञ का बंदोबस्त कर रहे थे. मौसम सॉफ और सुहाना था.

“आओ बेटा...मैं तुम लोगो के उठने का ही इंतेज़ार कर रहा था...”

“यह यज्ञ किस लिए है आचार्य...?” अर्जुन ने आचार्य को प्रणाम करते हुए कहा.

“इसी यज्ञ के बाद ही हम तुम्हारी माँ के बारे मे कुछ जान सकते है...” कहते हुए आचार्य सत्या प्रकाश हवन सामग्री लेकर अपने स्थान पर बैठ गये और तीनो को भी वही बैठने को बोला.

सूरज की पहली किरण के साथ ही आचार्य का यज्ञ शुरू हुआ. तीनो कारण अर्जुन और काजल बस आचार्य को देखे जा रहे थे. करण को तो इन सब बातो पे विश्वास नही था पर यह उसकी माँ के तलाश की बात थी इसीलिए वो हर वो कदम उठाने को तय्यार था जो उसे उसकी माँ तक पहुचा दे.

करीब तीन घंटे की लंबी पूजा के बाद आचार्य बोले, “अर्जुन बेटा इस पवित्र अग्नि को अपना रक्त भेट करो...ताकि मैं तुम्हारे रक्त से तुम्हारी माँ रत्ना की ताकत को आपस मे अपने मस्तिष्क मे जोड़ सकु...”

बिना एक पल गवाए अर्जुन पास मे रखे चाकू से अपनी दाए कलाई की नस काटकर उसमे से दो चार बूँद खून की उस अग्नि कुंड मे डाल दिया. काजल को अर्जुन की फ़िक्र हो रही थी मगर अर्जुन ने उसे शांत करवा दिया.

जैसे ही कुछ पल की साधना के बाद आचार्य का यज्ञ पूरा हुआ उनकी आँखे क्रोध और गुस्से से तिलमिला गयी. इसे देख के तीनो घबरा गये. अर्जुन ने पूछा, “क...क्या...हुआ आचार्य...???”

आचार्य अपने स्थान से उठ खड़े हुए और बोले, “तुम्हारी माँ रत्ना सच मुच मे जिंदा है...हम ने थोड़ा बहुत उस से मानसिक संपर्क बनाने की कोशिश की थी..”

यह बात सुनकर तीनो बच्चो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी. पर वो मुस्कान ज़्यादा देर तक नही टिकी जब आचार्य ने आगे बोलना शुरू किया, “तुम्हारी माँ जिंदा तो है पर वो बहुत बड़े संकट मे है..."

“संकट कैसा संकट...???” चिंता की लकीरे ना सिर्फ़ अर्जुन पर बल्कि काजल और करण दोनो के माथे पर भी दिख रही थी.

आचार्य गंभीर स्वर मे बोले, “तुम्हारी माँ नदी मे कूद कर मरी नही थी...बल्कि उसका अपहरण हुआ था...”
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#14
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
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“तुम्हारी माँ जिंदा तो है पर वो बहुत बड़े संकट मे है...”

“संकट कैसा संकट...???” चिंता की लकीरे ना सिर्फ़ अर्जुन पर बल्कि काजल और कारण दोनो के माथे पर दिख रही थी.

“तुम्हारी माँ कभी नदी मे कूद कर मरी नही थी...उसका अपहरण हुआ था...” आचार्य गंभीर स्वर मे बोले.

अब आगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


आचार्य के मूह से यह शब्द निकलते ही तीनो के पाँवो तले ज़मीन खिसक गयी, “यह आप क्या कह रहे है आचार्य...हमें तो हमारे दादा दादी ने बताया था कि माँ की नदी मे कूदने से उनकी मौत हुई थी...” अर्जुन बोला.

“मैं जो भी कह रहा हू सही कह रहा हू...” आचार्य फिर गरज कर बोले.

“पर किसने किया रत्ना जी का अपहरण...???” इतने देर से चुप चाप खड़े करण ने आचार्य से पूछा. करण ने जान बूझ कर रत्ना जी कहा ताकि आचार्य को यह ना पता चल सके कि रत्ना उसकी भी माँ है.

पर आचार्य सत्य प्रकाश अंतर्यामी थे. करण का यह झूट उनसे ज़्यादा देर तक छुप ना सका, “करण अब मुझसे और झूट बोलने की ज़रूरत नही है...मैं जान गया हू कि तुम रत्ना के बेटे हो उसके पहले पति से...”

करण को यह सुनकर ज़ोर का झटका लगा. अभी तक वो इन बाबा लोगो पर विश्वास नही करता था पर अब उसे थोड़ा थोड़ा यकीन होने लगा था.

फिर आख़िरकार करण ने हिम्मत जुटा के पूछा, “पर आपने बताया नही कि आख़िर किसने किया हमारी माँ का अपहरण...???”

“तांत्रिक त्रिकाल.......!!!”

“यह कौन है आचार्य...?” अर्जुन ने इस बार पूछा.

“इस सदी का सबसे बड़ा, दुष्ट, पापी और ख़तरनाक तांत्रिक...यह भगवान शिव की आराधना छोड़ कर शैतान की पूजा करता है जिस से यह पहले से ज़्यादा ताक़तवर हो गया है...काला जादू कर के यह शैतान को प्रसन्न करना चाहता है ताकि जो इसे भगवान शिव से ना मिल सका वो इसे शैतान द्वारा मिल जाए यानी वो अजय अमर हो जाए....” आचार्य की आँखो मे डर सॉफ देखा जा सकता था.

तांत्रिक त्रिकाल के बारे मे सुनकर तीनो हक्के बक्के रह गये. किसी को कुछ भी समझ मे नही आ रहा था पर आचार्य की बात सुनकर तीनो को अब डर ज़रूर लगने लगा था.

आचार्य ने उन तीनो के चेहरो पर जब हैरानी के भाव देखा तब उनको लगा कि उनको जो भी यज्ञ कर के जानकारी मिली है वो बता देनी चाहिए.

“बात करीब 25-26 साल पहले की है. तुम लोगो की माँ रत्ना बड़े खानदान की एक रूपवान युवती थी. उसके कुंडली मे दोष था इसलिए कोई भी उस से शादी नही करता था. इसी वजह से रत्ना के घरवालो ने त्रिकाल की मदद ली क्योकि उनको लगता था कि एक त्रिकाल ही है जो उनकी बेटी की कुंडली को दोषमुक्त कर सकता है.

लेकिन जब त्रिकाल आया तो मदद करने की बजाए उस दुष्ट की वहशी नज़र रत्ना पे पड़ गयी. रत्ना और उसके घरवाले तो यही सोच रहे थे कि त्रिकाल उनकी मदद कर रहा है जबकि त्रिकाल तो अपनी काम वासना रत्ना के साथ शांत करना चाह रहा था.

इन सबसे अंजान रत्ना के परिवार वालो ने अमावस्या की रात को अकेले उसे त्रिकाल के साथ भेज दिया इस उम्मीद मे कि शायद त्रिकाल की पूजा करने के बाद रत्ना की कुंडली से दोष निकल जाएगा. पर अनहोनी होनी तो अभी बाकी थी. रत्ना को अकेला पाकर उस पापी ने उसपर अपना वहशिपन दिखा दिया और उस कुवारि युवती का जनवरो की तरह रात भर बलात्कार किया...” आचार्य ने एक साँस मे अतीत को अपने शब्दो द्वारा बयान कर दिया.

करण अर्जुन और काजल तीनो की रूह काँप गयी ऐसा सुनकर. काजल तो वही बैठ गयी, उसकी माँ के साथ ऐसा दुराचार सुन ने के बाद उसके पाओ मे थोड़ा भी दम नही रहा. पर करण को इन सब पर विश्वास नही था, उसे तो यह आचार्य कोई पाखंडी लगता था जो उसकी माँ के बारे मे ऐसी गंदी बाते उनको सुना रहा था.

गुस्से से भरे करण ने फ़ौरन ही आगे बढ़ कर आचार्य का गला पकड़ लिया, “पाखंडी साधु...तेरी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी माँ के बारे मे ऐसे अपशब्द बोलने के...अपना यह ढोंग बंद कर वरना...”

“वरना क्या बेटा...मैं तो वही बता रहा हू जो सत्य है...अगर मेरे हाथ मे कुछ भी होता तो मैं समय मे पीछे जाकर वो सब बदल देता...” गर्दन पकड़े जाने पर भी आचार्य की बोली मे मीठास और विनम्रता थी.

“करण छोड़ आचार्य को.....इसमे इनकी कोई भी ग़लती नही है....” अर्जुन ने आचार्य को करण से छुड़ाते हुए बोला, “काजल, करण को ले जा यहाँ से...”

काजल ने किसी तरह करण को वहाँ से हटाया. अर्जुन ने आचार्य को वही बैठाया और उनको पानी पिलाया, “मुझे माफ़ कर दीजिए आचार्य...करण की तरफ से मैं आपसे माफी माँगता हू...”

“कोई बात नही बेटा...करण की जगह अगर कोई और होता तो वो भी यही करता...इसमे उसका कोई कुसूर नही है...” आचार्य ने विनम्रता से कहा.

“पर आचार्य यह सब हमारे दादा दादी ने तो हमें कभी नही बताया.” अर्जुन ने उत्सुकतावश पूछा.

“यह बात शर्म और लज्जा से तुम्हारी माँ ने अपने घरवालो से भी छुपा ली थी तो तुम्हारे दादा दादी को यह बात पता होना तो नामुमकिन था...”

“लेकिन त्रिकाल का क्या हुआ...?” अर्जुन ने पूछा.

“त्रिकाल की हवस तुम्हारी माँ के बलात्कार के बाद भी कम नही हुई...जब रत्ना तुम्हारे पिताजी के साथ एक सुखी और खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही थी तो त्रिकाल वापस लौट आया... फिर उस दुष्ट ने तुम लोगो की माँ का अपहरण कर लिया....” आचार्य बोले.

अर्जुन का भी यह सब सुनकर खून खौल रहा था, “आचार्य बस यह बताइए कि त्रिकाल का अड्डा कहाँ पर है....मैं उस दुष्ट से अपने परिवार को दिए हुए हर कष्ट का बदला लूँगा...”

“अर्जुन बेटा तुम तांत्रिक त्रिकाल को कम मत समझना...वो इस सदी का सबसे बड़ा तंत्रिका है जिसे काला जादू करने मे महारत हासिल है...और इसी काले जादू के प्रयोग से उसने अपने अड्डे को मेरे जैसे संत महात्मा की नज़रो से बचा के रखा हुआ है...इसीलिए तांत्रिक त्रिकाल कहाँ मिलेगा यह तो तुम लोगो को ही ढूँढना पड़ेगा...”

“आचार्य अगर वो पाताल मे भी होगा तब भी मैं उसे ढूंड निकालूँगा....बस आप मुझे अपना आशीर्वाद दीजिए...” कहते हुए अर्जुन ने आचार्य के पाओ छु लिए.

“बेटा मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ ही नही बल्कि करण और काजल के साथ भी है...अब यहाँ से लड़ाई तुम तीनो की है....” आचार्य ने प्यार से अर्जुन के सर पर हाथ फेरा और उसे अपना शिर्वाद दिया.

टू बी कंटिन्यूड...
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#15
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“पर आचार्य आप हमें कोई ऐसा हथियार नही देंगे जिस से हम त्रिकाल पर विजय प्राप्त कर सके...”

“बेटा भाई भाई का प्यार ही वो ऐसा हथियार है जो तुम दोनो को हर ख़तरे से दूर रखेगा....मैं यह बात जानता हू कि तुम अपने भाई करण को पसंद नही करते पर जिस राह पर तुम दोनो निकले हो वो बहुत कठिन है...जिसमे अगर तुम सब एक जुट होकर नही रहोगे तो कभी त्रिकाल को नही हरा पाओगे....मेरी एक बात याद रखना अर्जुन, त्रिकाल की नफ़रत की काट सिर्फ़ तुम तीनो भाई बहेन का प्रेम ही है...वो तुम दोनो को चाहे कितना भी नुकसान पहुचा सकता है पर तुम दोनो के प्रेम को कभी कम नही कर सकता...” आचार्य ने अर्जुन को आख़िरी बात समझाई जो अब उसके कानो मे गूँज रही थी.

तीनो आश्रम से बाहर निकल कर स्कॉर्पियो पर बैठ चुके थे.

“तुम्हे आचार्य के साथ ऐसा नही करना चाहिए था...” अर्जुन गाड़ी स्टार्ट करते हुए करण से बोला.

“मैं उस घटना के लिए बहुत शर्मिंदा हू...पर उस समय मुझे बहुत गुस्सा आ गया था...” करण पीछे की सीट से बोला.

“आप दोनो लोग छोड़ो इस बात को.....अब यह पता करो कि हम त्रिकाल का अड्डा ढूंढ़ेंगे कैसे...?” काजल ने बीच मे कहा.

इस बात का जवाब किसी के पास नही था. अर्जुन गाड़ी भगा ही रहा था कि उसके मोबाइल फोन की घंटी बज उठी.

गाड़ी को हाइवे के किनारे खड़ा करते हुए वो बाहर उतर गया पर जब उसने फोन देखा तो जो नंबर था उसे पढ़ कर उसकी भवें सिकुड गयी.

फोन पर एक महिला की रोने की आवाज़ आई, “अर्जुन बेटा सलमा दो रात से घर नही आई है....क्या तुम जानते हो कि वह कहाँ गयी है...”

अर्जुन यह सुन कर हैरान रह गया, उसे वो रात की वो घटना याद आ गयी जब सलमा उस से नाराज़ होकर आधी रात को अकेले उसके घर से चली गयी थी.

“ना....नही...आंटी वो तो मेरे घर से परसो रात को ही निकल गयी थी....उसे तो अब तक आपके पास होना चाहिए था...” अर्जुन थूक गटकते हुए बोला.

“पता नही बेटा....अब तक वो घर नही आई है...मुझे तो डर लग रहा है कि कही मेरी बच्ची के साथ कोई अनहोनी ना हो गयी हो..”

“आप फिकर मत करिए आंटी...अल्लाह पर भरोसा रखिए मैं उसको फोन करके देखता हू...” सलमा के गायब हो जाने की खबर सुनकर अर्जुन के हाथ पाँव फूलने लगे थे.

“ठीक है बेटा...अगर तुम हमारी मदद कर दो तो तुम्हारी बहुत मेहरबानी होगी...” सलमा की अम्मी फ़ातिमा ने कहा.

“अरे आंटी इसमे मेहरबानी की क्या बात है, पर क्या आपने पोलीस मे कंप्लेंट लिखवाई है...?”

“लिखवाई तो है बेटा....पर तुम तो यहाँ की पोलीस को जानते ही हो...हम जैसे ग़रीब लोगो की मदद कोई पोलीस वाला नही करना चाहता है...”

“मैं अभी पोलीस स्टेशन जा के देखता हू....बस आप अपना ख़याल रखिएगा..”

“अल्लाह तुम्हे रहमत बख्से बेटा.....” और फ़ातिमा ने फोन काट दिया.

गाड़ी के अंदर से काजल और करण, अर्जुन को परेशान देख कर खुद परेशान हो रहे थे.

अर्जुन ने तुरंत सलमा का नंबर डाइयल किया. पूरी घंटी बज के काट गयी पर किसी ने फोन नही उठाया. अर्जुन के माथे पर पसीना सॉफ बता रहा था कि सलमा के साथ ज़रूर कोई अनहोनी हो गयी है.

“हे भगवान कहीं सलमा का कोई आक्सिडेंट तो नही हो गया...” अर्जुन माथे पर के पसीना को सॉफ करते हुए बोला.

वो गाड़ी के अंदर आ गया तो काजल ने उस से पूछा, “क्या हुआ भैया....आप बहुत परेशान लग रहे हो..”

“अभी अभी सलमा की अम्मी का फोन आया था....” कहते हुए अर्जुन बीच मे रुक गया.

सलमा का नाम पहली बार सुनकर करण ने पूछा, “यह सलमा कौन है...???”

“अर्जुन भैया की गर्लफ्रेंड....” काजल ने बताया, जिसे सुन करण मुस्कुराए बिना नही रह सका.

“तो सलमा की अम्मी ने क्या कहा फोन पर...?” काजल ने अर्जुन से पूछा.

“सलमा परसो से घर नही आई है....जिस रात वो मेरे घर से गयी थी, उसके बाद वो अपने घर पहुचि ही नही.....हे भगवान यह कैसी कैसी मुसीबत आती जा रही है हम पर....”

“ओह्ह माइ गॉड.....यह क्या कह रहे हो अर्जुन भैया....” काजल को एक झटका सा लगा.

फिर अर्जुन ने सारी बात बता दी. पिच्छले कुछ दिनो से तीनो लोगो पर हैरानी के झटके पर झटके लगते जा रहे थे. कुछ दिन पहले एक आम जिंदगी जीने वाले यह तीन लोगो की जिंदगी अब बिल्कुल बदलने वाली थी.

“भैया अगर ऐसी बात है तो हमें पोलीस स्टेशन ज़रूर चलना चाहिए...” काजल चिंतित स्वर मे बोली.

“हाँ काजल हमें ज़रूर चलना चाहिए....क्यूकी अगर सलमा को कुछ भी हो गया तो मैं अपने आप को कभी माफ़ नही कर पाउन्गा..” अर्जुन ने सरपट गाड़ी मुंबई के दादर पोलीस स्टेशन की तरफ भगा दी.

टू बी कंटिन्यूड....
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08-19-2018, 03:06 PM,
#16
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
13

पोलीस स्टेशन के बाहर गाड़ी रोक के तीनो अंदर भागे. अंदर का महॉल बहुत भीड़ भाड़ वाला था जो ज़्यादातर पोलीस स्टेशन मे नही देखने को मिलता है.

“यहा हो क्या रहा है....???” अर्जुन ने सोचा.

भीड़ भाड़ इतनी थी कि पुलिस ऑफिसर्स से मिलना नामुमकिन था. लेकिन तभी करण को अपना दोस्त दिखाई दे गया जो वही पर सीनियर इनस्पेक्टर की पोस्ट पर तैनात था. उसने अपने दोस्त को इधर आने का इशारा किया.

“अरे सुजीत तू....वाह यार तू तो सीनियर इनस्पेक्टर बन गया...” करण अपने दोस्त से गले मिलते हुए बोला. वो तो अच्च्छा हुआ कि करण को अपना एक दोस्त मिल गया वरना इतनी भीड़ भाड़ मे किसी से भी पूछ ताछ करना नामुमकिन था.

“हाँ यार बस अपने देश की सेवा करनी थी सो पोलीस फोर्स जाय्न कर लिया...पर सुन ने मे आया है कि तू बहुत बड़ा डॉक्टर बन गया है...बांद्रा मे तेरा एक अच्च्छा ख़ासा क्लिनिक भी है....” इनस्पेक्टर सुजीत ने करण से हाथ मिलाते हुए कहा.

इधर अर्जुन और काजल का सब्र का बाँध टूट रहा था. वो लोग यहाँ पर मेल मिलाप के लिए नही आए थे इसलिए काजल ने करण को कोहनी मारी और इशारा कर दिया कि सलमा के बारे मे.

“श...सुजीत वो सब छोड़ कभी फ़ुर्सत से मेरे क्लिनिक मे साथ बैठ कर बात करेंगे पर अभी हम यहाँ बहुत ज़रूरी काम से आए है...”

“क्या बात है बोल...”

“वो हम एक गुमशुदा लड़की सलमा वहीद के बारे मे पूछ्ना चाहते है...उसकी अम्मी कल पोलीस स्टेशन आई थी कंप्लेंट लिखवाने...” कारण बोला.

“हम आई तो थी यार...पर उस से तुम्हे क्या...???”

“यार वो मेरे भाई अर्जुन की मंगेतर थी...पर परसो इसके घर से निकलने के बाद ना जाने कहाँ चली गयी....अभी तक घर नही पहुचि है....”

“ओह्ह हो तो वो तुम्हारे भाई की मंगेतर थी...”

अर्जुन से अब और बर्दास्त नही हो रहा था और उसने चिल्लाते हुए कहा, “इनस्पेक्टर साहब प्लीज़ !!!..... अच्छा होगा कि आप सलमा के बारे मे बताइए...उसके अम्मी अब्बू उसका घर पर इंतेज़ार कर रहे होंगे...”

“चिल्लइए मत !!!...मिस्टर. अर्जुन यहाँ पर जितने लोग आप देख रहे है ना वो सब अपने परिवार वालो के घर आने का ही इंतेज़ार कर रहे है...एक आपकी सलमा के अब्बू अम्मी ही नही है....यहाँ पे ऐसो की लिस्ट बहुत लंबी है....” सुजीत ने पॉलिसिया लहजे मे कहा.

“अरे सुजीत जाने दे ना...हम लोग थोड़े परेशान है....” करण ने बात संभालते हुए कहा, “पर इसका क्या मतलब कि लिस्ट बहुत लंबी है...?”

सुजीत ने तीनो को एक कोने मे आने को कहा और तीनो को फुसफुसा के बताया, “यह सारे लोग जो तुम देख रहे हो ना...उन सब के परिवार की लड़किया गायब हो गयी है...”

यह बात सुनकर तीनो हैरान हो गये. उनकी हैरान परेशन चेहरे को देख कर इनस्पेक्टर सुजीत फिर फुसफुसाया, “देखो मुझे उपर से स्ट्रिक्ट ऑर्डर्स आए है कि मैं यह बात किसी को ना बताऊ...और वो यह है जितने भी लोग गायब हुए है वो सब की सब लड़किया थी...कुवारि लड़कियाँ...जिनकी उमर 18 से 25 साल की है...”

अर्जुन को सब समझ मे आते ही उसके होश उड़ने लगे, “सलमा की उमर भी 24 साल की थी...यानी किसी ने उसे किडनॅप कर लिया है..”

अर्जुन की बात सुनकर सुजीत बोला, “हाँ बर्खुरदार अब सही समझे हो....ना जाने कौन है जो इतनी सारी लड़कियो को अगवा कर रहा है....और हैरानी की बात यह है कि लड़किया हर महीने नियम से गायब हो रही है...और वो भी आज से नही बल्कि पिच्छले 8 – 10 सालो से....उपर से यह हालत सिर्फ़ मुंबई की नही बल्कि लगभग हर छोटे बड़े शहर की है...”

“हे भगवान कौन करता है यह सब....हम लड़किया तो कही नही सुरक्षित है...” काजल बोली.

“फिकर मत करिए मोह्तर्मा....आपके भाई की मंगेतर इस महीने किडनॅप हो चुकी है...कम से कम आप इस महीने सुरक्षित है....पर अगले महीने की गारंटी मैं नही दे सकता...हा हा हा...” सुजीत चटकारा लेते हुए बोला.

“कैसे पोलीस वाले है आप....अपने सामने आप एक लड़की को डरा रहे है..” काजल तपाक से बोली.

इस पर सुजीत गंभीर होते हुए बोला, “डरा नही रहा हू मिस...चेतावनी दे रहा हू....”

अर्जुन तो गहरे शोक मे डूब गया था. उसे वो आख़िरी पल याद आ गये जब सलमा ने उसे चाँटा मारा था और रोते हुए उसकी घर से निकल गयी थी. काश वो उसे उस रात रोक लेता तो आज सलमा उसके पास उसके बाँहो मे होती. काश वो उसके साथ ज़बरदस्ती नही करता तो वो उसको छोड़ कर अकेली आधी रात को नही जाती. यही सब सोच कर उसकी आँखे नम हो गयी.

अर्जुन का गला भारी हो गया और उसने रुआंसे स्वर मे इनस्पेक्टर से पूछा, “इनस्पेक्टर साहब...आपको क्या लगता है मेरी सलमा को कॉन अगवा कर के ले गया होगा...”

“मिस्टर. अर्जुन मैं आपको सब कुछ सच सच बताता हू भले मुझे उपर से ऑर्डर्स आए है ऐसा नही करने को....पर पहले आप पानी पीजिए और हिम्मत से काम लीजिए..” सुजीत ने पास पड़े टेबल से शीशे के ग्लास मे अर्जुन को पानी दिया.

“हम ने और स्पेशल क्राइम ब्रांच ने मिलकर बहुत पता लगाने की कोशिश करी कि आख़िर यह लड़किया जा कहाँ रही है पर हम पता ना लगा सके...मीडीया वालो और पब्लिक के प्रेशर से हम ने उन्हे बताया कि यह कोई माफिया का काम है जो लड़कियो को बेच कर उनसे जिस्म फ़रोशी का धंधा करवाता है...”

यह बात सुनकर अर्जुन टूट सा गया. उसका दिल यह सोच सोच कर छल्नी होता जेया रहा था कि जिसने उस से इतना प्यार किया उसको आज कयि लोग अपनी वासना का शिकार बना रहे होंगे और वो भी सिर्फ़ उसकी वजह से.

“तुझे क्या लगता है सुजीत...क्या यह कोई माफिया का काम है...” करण ने सुजीत से पूछा.

“बाकी लोगो का तो यही मान ना है...पर मुझे ऐसा नही लगता कि इसमे कोई माफिया का हाथ है क्यूकी हर महीने सिर्फ़ एक लड़की और वह भी देश के अलग अलग जगह से गायब हुई है जो माफिया लोगो का स्टाइल नही है....वो लोग तो ग्रूप मे लड़किया किडनॅप करते है और वो भी छोटे शहर वाली जिनके माँ बाप जल्दी पोलीस मे कंप्लेन ना करवा पाए और यह बात मीडीया मे लीक ना हो...पर यहाँ चक्कर कुछ उल्टा ही लगता है...” सुजीत ने अपना पोलीस कॅप सीधा करते हुए कहा.

“ठीक है दोस्त हम चलते है...फिर तेरी ज़रूरत पड़ी तो तुझे याद करूँगा...” सुजीत को अलविदा कहते हुए तीनो पोलीस स्टेशन से बाहर आ गये.
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08-19-2018, 03:06 PM,
#17
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
14

अर्जुन को गम मे डूबा देख काजल उसको हिम्मत बँधा रही थी, “कोई बात नही भैया...जो हुआ वो किस्मत मे लिखा था...उसमे हम या तुम कुछ नही कर सकते...”

कुछ सोचते हुए करण अचानक से बोला, “अर्जुन तुमने कहा था कि सलमा के मोबाइल पे रिंग तो जा रही है पर कोई फोन नही उठा रहा है...है ना?”

“हाँ...” अर्जुन का छोटा सा जवाब आया.

“तुम एक काम क्यू नही करते उसे दुबारा कॉल करो...हो सकता है वो या कोई और कॉल उठा ले...”

इसे सुनकर अर्जुन को एक उम्मर्द जैसी जागी, उसने तुरंत अपना मोबाइल फोन निकाला और फिर से रिंग किया. पर उसकी उम्मीद फिर से टूट गयी जब दोबारा किसी ने फोन नही उठाया. वो दुबारा मायूस हो गया.

कुछ देर महॉल मे शांति रही, तीनो अभी भी पोलीस स्टेशन मे बने हुए बगीचे मे टहल रहे थे. ऐसे ही चलते चलते करण को अचानक एक और ख़याल आया और उसकी आँखे उम्मीद की किरण से चमक गयी.

“अर्जुन सलमा का मोबाइल कॉन सा था...???” करण ने अचानक से पूछा.

“करण भैया...यह समय ऐसी बातो का नही है....” काजल ने टोक दिया.

“अरे बताओ तो...मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया आया है...”

अर्जुन बोला, “मैने उसे कुछ महीने पहले ही एक नया आपल आइफ़ोन 6 प्लस गिफ्ट किया था...”

अर्जुन की बात सुनकर करण की उम्मीद और बढ़ गयी और वो मुस्कुराते हुए बोला, “आइफ़ोन सबसे महंगा मोबाइल है और उसमे जीपीएस मोबाइल ट्रॅकर का सिस्टम भी होता है....अगर हम वो आक्टीवेट कर दे तो मोबाइल अपना लोकेशन खुद बता सकता है....बस एक बार हमे सलमा के मोबाइल का पता मिल जाए फिर हम सलमा को ढूंड सकते है...क्यूकी जहाँ सलमा होगी वही आस पास उसका फोन भी होगा...”

करण की बात सुनकर अर्जुन और काजल चौंक गये, वो दोनो भी अब उस उम्मीद की किरण को देख सकते थे जिसके सहारे वो सलमा तक पहुच सकते थे.

कुछ सोचते हुए काजल बोली, “आइडिया तो जीनियस वाला है करण भैया...पर क्या गॅरेंटी है कि सलमा का फोन उसके पास ही हो....हो सकता है जिसने उसको किडनॅप करवाया हो वो उसका फोन रख के कही दूर फेंक दिया हो..”

“हो सकता है...पर ऐसा होगा नही....क्यूकी मेरा कामन सेन्स कहता है कि अगर किडनॅपर को सलमा का फोन मिल भी गया होगा तो वो कोई रिस्क नही लेगा और फोन को डेस्ट्रॉय कर देगा....पर जैसा कि हम देख रहे है कि सलमा की मोबाइल की घंटी अभी भी बज रही है....इसका सॉफ सॉफ यही मतलब हो सकता है कि भले सलमा मोबाइल रिसीव ना कर पा रही हो पर वो फोन किडनॅपर के हाथ भी नही लगा होगा.....इस आइफ़ोन को ट्रॅक कर के हम सलमा के नज़दीक से नज़दीक पहुच सकते है....” करण बोला.

“पर करण भैया हमें माँ को खोजने भी तो जाना है...सलमा के चक्कर मे तो हम अपनी माँ के बारे मे तो भूल ही गये..” काजल ने केरेन को याद दिलाया.

“मुझे पता है काजल....पर अभी माँ से ज़्यादा सलमा को हमारी ज़रूरत है...और अगर आज माँ जिंदा होती तो वो भी अपने बच्चो से ऐसे ही फ़ैसले की उम्मीद करती.....अब हमें जल्दी से इस प्लान को अमल मे लाना होगा..”

अर्जुन को यकीन नही हो रहा था कि सलमा को खोजने का रास्ता तो उनके सामने ही था बस उनको नज़र नही आ रहा था. फिर अर्जुन ने अपने मोबाइल से सलमा के आइफ़ोन के एंटी थेफ्ट सॉफ्टवेर को आक्टीवेट का दिया जिस से आइफ़ोन का जीपीएस (ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम) चालू हो गया और अपना लोकेशन मॅप पे बताने लगा.

“ओह्ह माइ गॉड यह सिग्नल तो मध्य पदेश और छत्तीसगढ़ बॉर्डर के जंगली इलाक़े से आ रहा है...हे भगवान सलमा मुंबई से इतनी दूर कैसे पहुच गयी...” अर्जुन अपने फोन पर सलमा के आइफ़ोन का लोकेशन देखते हुए बोला.

“पर अर्जुन भैया हमें बहुत जल्दी करना होगा क्यूकी वैसे भी सलमा को किडनॅप हुए दो दिन हो गये है...मुझे लगता है उसके आइफ़ोन की बॅटरी और ज़्यादा देर तक नही चलेगी...और अगर बॅटरी ख़तम होने से आइफ़ोन स्विच ऑफ हो गया तो हम कभी भी सलमा तक नही पहुच पाएँगे...” काजल बोली.

करण बोलते हुए पास मे खड़ी उनकी गाड़ी के पास जा कर खड़ा हो गया. “मुझे लगता है काजल ठीक कह रही है....पोलीस को बताने का भी समय नही है क्यूकी वो पोलीस फोर्स जुटाने मे बहुत देर लगाते है....अब हमें ही कुछ करना पड़ेगा...”

यह सोच कर कि अब वो सलमा से मिल सकता है, अर्जुन बहुत भावुक हो गया. उसने करण और काजल को गाड़ी के पास उसका इंतेज़ार करते हुए देखा और दौड़ के करण के गले लग गया. अर्जुन की आँखो मे आँसू थे.

यह करण के 25 साल के जीवन मे पहली बार हुआ था की उसका भाई अर्जुन उसके गले लगा हो. पूरी जिंदगी उसने अर्जुन की नफ़रत ही देखी थी, आज पहली बार उसे अपने लिए अर्जुन मे प्यार महसूस हुआ.

“भाई...मैं जिंदगी भर तुझसे नफ़रत करता रहा...और आज मेरी इस मुश्किल घड़ी मे तू ही मेरा साथ दे रहा है...अगर सलमा को मेरी वजह से कुछ हो गया तो मैं यह बोझ अपने दिल पे कैसे उठा पाउन्गा.....हो सके तो मुझे माफ़ कर देना मेरे भाई...” अर्जुन रुआंसे स्वर मे बोला, उसका गला भारी हो गया था.

“आख़िर परिवार वाले इसलिए ही तो होते है ना....” करण ने बस इतना कहा, उसकी आँखे भी नम थी. काजल भी पास मे खड़ी थी. उसके आँखो मे भी आँसू थे क्यूकी आज उसने पहली बार एक दूसरे से नफ़रत करने वाले भाइयो के बीच प्रेम देखा था.

“चल अब ज़्यादा सेंटी ना हो...हमे जल्द से जल्द सलमा तक पहुचना है इस से पहले कि यह सिग्नल बंद हो जाए...” करण बोला और तीनो गाड़ी मे बैठ कर हाइवे पर निकल गये.

सब बस यही मना रहे थे कि उनके मोबाइल तक पहुचने से पहले कही उसकी बॅटरी ना ख़तम हो जाए. अर्जुन जितना हो सकता था उतना तेज़ गाड़ी चला रहा था. पर फिर भी उन्हे एमपी और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर पहुचते पहुकते उनको दो दिन लग ही गये थे.

टू बी कंटिन्यूड....
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08-19-2018, 03:06 PM,
#18
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
“अर्जुन गाड़ी यही रोक...अब यहाँ से घना जंगल शुरू होता है...अब हमें पैदल ही चलना पड़ेगा.” 

“ठीक है करण...” और अर्जुन ने गाड़ी एक पास के ढाबे पर लगा दी.

ढाबे से कुछ खाने पीने का समान लेके तीनो जंगल की तरफ निकल गये. जंगल बहुत घना था. बड़े बड़े पेड़ चारों तरफ फैले हुए थे जो बारिश होने के चलते काफ़ी हरे भरे लग रहे थे. वो पेड़ इतने घने थे कि दिन के समय भी सूरज की रोशनी नीचे ज़मीन तक बहुत ही कम पहुच रही थी जिस से नीचे पूरा अंधेरा लग रहा था. उपर से नीचे कीचड़ और इतनी सारी घनी झाड़िया थी कि उनमे से रास्ता बनाना बहुत ही मुश्किल हो रहा था. हर तरफ तरह तरह के जंगली जानवरो की आवाज़ सुन कर शरीर मे एक सिहरन सी दौड़ जाती थी.

“करण भैया क्या जंगल मे शेर भी मिलेगा...?” काजल थोड़ी सहमी हुई सी थी. वो पहली बार अपने जीवन मे किसी जंगल की सैर कर रही थी.

“नही मेरी गुड़िया...शेर इस जंगल मे नही पाया जाता है....पर तेंदुआ ज़रूर मिल सकता है...”

“क्या तेंदुआ....??..अगर भैया किसी तेंदुए ने हम पर हमला कर दिया तो...?”

“काजल तुम इतना डर क्यू रही हो...आख़िर तुम्हारे दोनो भाई तुम्हारे साथ है...और वैसे भी तेंदुए दिन मे कम ही निकलते है...” करण झाड़ियो से रास्ता बनाते हुए बोला.

अर्जुन तो बस आगे आगे चल रहा था. उसका पूरा ध्यान अपने मोबाइल पर था जो सलमा के जीपीएस सिग्नल को ट्रॅक कर रहा था. वो झाड़ियों को एक लंबे खंजर से काट ता हुआ करण और काजल के लिए रास्ता बना रहा था.

अचानक काजल को उसके पीछे झाड़ियो मे कुछ सरसराहट महसूस हुई. वो पलट के देखी लेकिन उसे कुछ नही दिखाई दिया. डर के मारे उसकी हालत खराब थी, उसका गला सूख गया. जब उसे फिर से उसके पीछे कुछ महसूस हुआ तब उसने थूक निगलते हुए करण से कहा, “भ...भैया...मुझे लगता है मेरे पीछे उन झाड़ियो मे कुछ है...”

“अरे कुछ नही है काजल...बस तेरा वेहम है, तू आज पहली बार जंगल मे आई है ना इसलिए तू बार बार भ्रमित हो रही है...”

“नही भैया मुझे वहाँ नही हो रहा है....वहाँ ज़रूर कुछ तो है...” काजल काँपते हुए बोली.

करण ने सोचा की आख़िर देख ही लिया जाए कि झाड़ियो मे क्या है जिस से काजल इतना डर रही है. उसने जब झाड़िया हटा के देखा तब उसे बड़ी ज़ोरो से हँसी आई, “अरे यह तो एक खरगोश है...तू भी ना काजल एक खरगोश से डर रही है...”

खरगोश को देखके काजल के जान मे जान आई और वो अपना वेहम अपने दिमाग़ से झटक कर आगे बढ़ गयी.

तीनो ने तय तो किया था कि इस डरावने जंगल मे वो साथ साथ रहेंगे लेकिन अपने मोबाइल को देखने के चक्कर मे अर्जुन थोड़ा आगे निकल आया और उसके दोनो भाई बहन पीछे रह गये.

गर्र्र्रर.........गर्र्र्र........

तभी पीछे से एक गुर्राने की आवाज़ आई. काजल ने पीछे मूड के देखा तो फिर उसे कुछ नही दिखाई दिया. उसने सोचा यह उसका एक और भ्रम है.

गर्र्र्रर........गर्र्र्रर........

इस बार काजल को यकीन हो गया कि जो उसने सुना वो उसका भ्रम नही है.
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08-19-2018, 03:06 PM,
#19
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
“भैया झाड़ियो के पीछे से किसी के गुर्राने की आवाज़ आ रही है...” गुर्राने की स्पष्ट आवाज़ सुनकर काजल के हाथ पावं फूल गये. यह सोच सोच कर ही कॉन सा जंगली जानवर ऐसे गुर्राता है उसकी रूह काँप गयी.

“ठहर मैं देखता हू....” करण बोला और झाड़िया हटा के देखने लगा. जब उसने आगे देखा वो उसको हिला देने के लिए भी काफ़ी था. ख़ौफ्फ की एक तेज़ लहर उसके पूरे जिस्म मे समा गयी.

सामने एक बड़ा सा भेड़िया सीधे उसी की ओर घूर रहा था. चक्केदार दार खाल, बड़ा डील डोल वाला शरीर, ताक़तवर पंजो मे तेज़ नाख़ून और भयानक जबड़ा जिसमे बड़े लंबे लंबे ख़तरनाक दाँत थे.

“काजल भाग.....!!!” बस इतना कहते ही करण मुड़ा और काजल का हाथ पकड़ के अर्जुन के बनाए पगडंडी के उलट दूसरी दिशा मे भागने लगा.

पर उस घने जंगल मे जब कोई तेज़ चल नही सकता तो आख़िर तेज़ दौड़ेगा कैसे. थोड़ी दूर भागने के बाद ही उनको भेड़िए की गुर्राहट दोबारा सुनाई दी.
जब तक वो दोनो कुछ समझ पाते पीछे से भेड़िए एक लंबी छलान्ग मार कर करण पर कूद गया.

“आआहह...........” भेड़िए के तेज़ नाख़ून करण की पीठ पर अंदर तक गढ़ गये. करण की यह दर्दनाक चीख पूरे जंगल के डरावने वातावरण मे गूँज गयी.

अर्जुन ने जब यह चीख सुनी तो वो समझ गया कि करण मुसीबत मे है लेकिन जब वो पीछे मुड़ा तो देखा कि करण और काजल दोनो गायब है, क्यूकी वो दोनो पीछे रह गये थे. बेचारे अर्जुन ने चारो तरफ देखा, पूरा जंगल एक जैसा ही लग रहा था, सही दिशा का पता लगाना नामुमकिन था. ऐसे घने जंगल मे कोई भी आसानी से गुम हो सकता था.

इधर करण पर भेड़िए का हमला देख काजल बहुत घबरा गयी. भेड़िए ने कारण को छोड़ दिया और शारीरिक रूप से कमज़ोर काजल की तरफ बढ़ने लगा. भेड़िया समझ गया था कि एक लड़की उसके लिए एक आसान शिकार हो सकती है.

भेड़िए को अपनी ओर आता देख काजल का सर घूमने लगा. उसका दिमाग़ कह रहा था कि वहाँ से भाग निकले लेकिन उसके पैर उसका साथ नही दे रहे थे. डर के मारे उसके पैर वही जड़ हो गये. करण ने जब देखा कि भेड़िया उसकी बहन की ओर बढ़ रहा है तो उसने चिल्ला के काजल को भाग जाने को कहा. पर ऐसा लग रहा था कि काजल के पैरो मे जान बची ही नही थी. वो पत्थर की मूरत बन कर वही खड़ी रही और अपने मौत को अपनी ओर आता देख अपनी आँखे बंद कर ली.

जब करण को लगा की उसकी बहन की जान ख़तरे मे है तब वो अपनी पूरी हिम्मत जुटा के उठने की कोशिश करने लगा. उसका पीठ भेड़िए के नाख़ून से पूरी छल्नी हो गयी थी जिस से खून बह रहा था. उसकी सफेद टीशर्ट पर खून के बड़े बड़े लाल धब्बे देखे जा सकते थे.

भेड़िया अपने सामने आसान शिकार देख कर काजल की ओर छलान्ग लगाया. काजल को अपनी मौत अपने सामने दिख रही थी पर कोई था जिसने उसे मौत के मूह से बचा लिया. उसने आँख खोल के देखा तो करण ने भेड़िए को बीच मे रोक लिया था.

अपने हाथ आए शिकार को छिन जाता देख भेड़िया गुस्से मे ज़ोर ज़ोर से गुर्राने लगा. अब बस वो था और उसके सामने करण था. भेड़िए ने मौका देख करण पे छलान्ग लगाई पर करण फुर्ती से एक तरफ झुक कर उसके पंजो से बच गया.

कसरती बदन, जिम की ट्रैनिंग और मार्षल आर्ट्स आज करण के काम आ रहा था.
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08-19-2018, 03:07 PM,
#20
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
करण मे फुर्ती तो थी लेकिन एक जंगली जानवर के मुक़ाबले नही. भेड़िया तुरंत मुड़ा और पंजे के एक वार ने करण की छाती को लहू लुहान कर दिया. करण ने बचने की पूरी कोशिश की पर वो भेड़िए की फुर्ती से मात खा गया और लड़खड़ा कर गिर पड़ा.

काजल अपने प्यारे भाई को जंगली जानवर से लड़ता देख वही बेहोश हो गयी. इधर भेड़िए ने करण को ज़मीन पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ कर अपने भयानक जबड़े से उसका सर काट देना चाहता था.

करण अपनी पूरी ताक़त लगा कर अपने सर को भेड़िए के जबड़े से दूर रखने की कोशिश कर रहा था, क्योकि उसे पता था कि अगर एक बार भेड़िए के जबड़े मे उसका सर चला गया तो वो उसके सर को किसी तरबूज़ की तरह कुचल के रख देगा. 

आख़िरकार करण को लगा कि ऐसे वो भेड़िए के सामने ज़्यादा देर तक टिक नही पाएगा इसलिए उसने अपनी पूरी इच्छा शक्ति जुटा कर पास मे पड़ी लकड़ी के एक टुकड़े को भेड़िए के मूह मे ठूंस दिया जिस से उसका जबड़ा चलना बंद हो गया और फिर उसने अपनी पूरी ताक़त लगाकर अपने मांसल कसरती पैरो का एक वार कर के भेड़िए को दूर उच्छल दिया.

भेड़िया थोड़ी दूर जेया गिरा पर उसे संभलने मे देर नही लगी. उसका जबड़ा इतना ताक़तवर था कि उसके मूह मे ठूँसि हुई लकड़ी को भी उसने चकना चूर कर दिया. अब सिर्फ़ उसके सामने घायल करण पड़ा था. 

करण को पता था कि भेड़िए का जबड़ा अब आज़ाद है और वह पहले से ज़्यादा ख़तरनाक हो गया है. पीठ और सीने मे इतने घाव हो जाने की वजह से उसमे अब इतनी ताक़त नही बची थी कि भेड़िए का सामना फिर से कर सके.

पर तभी हड़बड़ाता हुआ अर्जुन पता नही कहाँ से आ गया. उसने देखा कि एक तरफ काजल बेहोश पड़ी है और दूसरी तरफ भेड़िया करण पर घात लगाए बैठा है.
भेड़िया अब एक वार मे ही कारण की कहानी को ख़तम कर देना चाहता था इसलिए उसने करण पर छलान्ग लगा दी.

“करण....यह ले....” चिल्लाते हुए अर्जुन ने फुर्ती से करण की तरफ अपना खंजर फेका जिसे करण ने भी फुर्ती से पकड़ लिया और बिजली की तेज़ी से हवा मे कूद कर भेड़िए के सीने मे वो खंजर उतार दिया.

भेड़िया वही ढेर हो गया. खंजर भेड़िए के खून से पूरा सना हुआ था जिसे करण ने अपनी टीशर्ट से पोछ दिया. दोनो भाई भाग कर काजल के पास गये. अर्जुन ने काजल का सर अपनी गोद मे रखा और उसे हिला के होश मे लाने की कोशिश करने लगा.

काजल को होश आते ही उसके सामने अर्जुन का मुस्कुराता चेहरा दिखाई पड़ा और वो बोली, “करण भैया कहाँ है....ओह्ह माइ गॉड उनको कुछ हुआ तो नही ना....”

करण पास मे ही खड़ा था, उसने प्यार से अपनी बहन के सर पर हाथ फेरा और बोला, “मैं यही हू गुड़िया....तेरे पास मे..”

काजल ने ध्यान से देखा तो करण का चौड़ा सीना छल्नी हो गया था जिस से अभी भी खून बहा रहा था. उसने सर घुमा के देखा तो उसे भेड़िया मरा पड़ा दिखाई दिया.

“करण भैया आपको कितनी चोट लगी है....अपने मुझे बचाने के लिए अपना जान जोखिम मे क्यू डाल दी...” उसकी आँखे नम हो गयी.
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