05-31-2019, 12:07 PM,
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RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
ससुर जी फिर से भाभी की रसीली मदहोश कर देने वाली चुचियों को सहलाकर पीने लगे….चुचियों के निपल्स को चूस चूस कर उन्होने गुलाबी कर दिया था….भाभी की चूत में फिर से एक आग से लग गई थी…उनकी चूत में खलबली शुरू हो चुकी थी…ऑर ससुर जी बहू के शरीर का अंग अंग चाटने में लगे थे….भाभी की शादी को दो साल हो चुके थे ऑर उनके पति उन्हें रोज रात में मस्ती से चोदते थे…पर जो आनंद आज भाभी को मिल रहा था…वो तो आज तक नहीं मिला था….भाभी तो आज मानो निहाल ही हो गई थी….ससुर जी का एक मुस्टंड लंड भाभी की चूत पर लगातार ठोकर मार मार कर भाभी की उत्तेजना को चरम पर पहुचा रहा था….ससुर जी धीरे धीरे बहू की जांघों को चाटने लगे …बहू के शरीर में चीटियाँ चल रही थी…वे सेक्स के इस समुंदर में मस्ती के गोते खा रही थी….आख़िर वो पल आ ही गया जिसका ससुर ऑर बहू दोनो को इंतजार था…
ससुर जी का लंड अब चूत में जाने की लिए मचल रहा था…ऑर भाभी डर तो बहुत रही थी…पर उसने भी अब इसके लिए अंदर ही अंदर अपने को तैयार कर लिया था….ये तो वो भी जान रही थी….कि जो लंड उसके मुँह में नहीं आया,,,,ऑर दोनो हाथों से पकड़ना पड़ा वो लंड उसकी चूत में कैसे जा सकता है पर ये तो दोस्तो आप जानते ही है जब चूत में खुजली मचती है तो वो कुछ भी करने तो तैयार हो जाती है….यहाँ तक कि मूली, गाजर, बेगन तक को चूत में घुसा बैठती है….फिर ये तो मसटंडा लंड था….इसे मुस्टंड लंड की चाहत किस औरत को नहीं होगी….
भाभी की चूत बार बार खुल ऑर बंद हो रही थी….जैसे प्यासी मछली होठों को फड़फड़ाती है…यही हाल अब भाभी की चूत का भी हो चुका था….उसकी चूत भी मुँह खोल कर लंड के इंतजार में लार टपका रही थी…..
अब ससुर जी बैठ गये ऑर बहू की टॅंगो के बीच आ गये….उन्होने भाभी की दोनो टाँगों को ऊपर उठा कर अपने कंधों पर रखा लिया जिससे बहू की चुत कुछ ऑर खुल गयी थी… दो पंखुड़ियो के बीच गुलाब की तरह से महकता छेद देखकर ससुर का लंड अब नियन्त्रण से बाहर हो रहा था….
भाभी…पिताजी…आपका ये तो बहुत ही मोटा ऑर लंबा है….इस नाज़ुक सी जगह में कैसे जाएगा….में तो मर ही जाउन्गी…प्लीज़ पिताजी ये ना करो….मुझ पर तरस खाओ….मेरी ये नाज़ुक सी चूत ऐसे सहेन नहीं कर पाएगी….
ससुर…डरो नहीं बेटी…कुछ नही होगा…ये नाज़ुक सी चूत ही इस पूरे लंड को खा जाएगी….ऑर तुम्हे पता भी नहीं चलेगा……
भाभी…पर कैसे…..
ससुर बस देखती जाओ….बेटी….आज ये लंड इसे असली जीना सीखा देगा…बस उसके बाद ये ऑर मोटा लंबा लंड माँगेगी….
भाभी --- इससे बड़ा…..मोटा….लंबा लंड ऑर क्या होगा पिताजी….ये तो घोड़े के लंड को भी पीछे छोड़ रहा है….अगर एक बार आप इसे गधि की चूत में डाल दो तो वो भी चिल्ला पड़ेगी….
ससुर जी ने ढेर सार तेल बहू की गर्म चूत में उडेल दिया ऑर काफ़ी सारा अपने लंड पर भी लगा लिया….फिर दोनो हाथों से बहू की चूत के द्वार के दोनो पल्लो को खोलकर फैलाया….ऑर उस भयंकर लंड के शुर्ख लाल मोटे सुपाडे को बहू की चूत के छेद पर रख दिया….लंड का स्पर्श अपनी चूत के छेद पर पाकर बहू शिहर उठी , .गरम गर्म सुपाडा….गर्म चूत पर लगते ही बहू की आआअहह निकल गाइिईई
भाभी….आआअहह पिताजी…..प्लीज़ रहने भी दीजिए…..ये इतना भारी घोड़े के लंड से भी भारी लंड हमारी चूत में नहीं जाएगा….प्लीज़ पिताजी….हमें अब छोड़ दीजिए….ये हमारी चूत को फाड़ डालेगा….हम किसी को मुँह दिखाने के काबिल भी नहीं रहेंगे….प्लीज़ पिताजी…वैसे भी हम आपकी बेटी के समान हैं…हम अपने पति को क्या कहेंगे….ये तो हमारी चूत को बुरी तरह से फाड़ देगा……
ससुर….बेटी क्यूँ डर रही हो….कुछ नहीं होगा ऑर फिर किसी को पता कैसे चलेगा….बेटी…चूत ऑर लंड का संबंध ही ऐसा है….ये एक दूसरे को मज़ा देते है….दर्द नहीं….फिर याद करो तुम्हारी जेठानी ललिता ने तुमसे क्या कहा था….कि जब मर्द चुदाई के मूड में होता है तो वो चूत का साइज़ नहीं, बस लंड को चूत में घुसाने की जल्दी में रहता है….ऑर फिर तुम ही कह रही थी…कि तुम्हारा पति तो तुम्हारी चूत को कभी भी नहीं चाट्ता है….फिर वो कैसे देख पाएगा….कि तुम्हारी चूत का क्या हाल है…..
भाभी…पर पिताजी…हम इस लंड को कैसे झेल पाएगे….ये तो हमारी जान ही ले लेगा…..हमारी चूत को कहीं का नहीं छोड़ेगा….
ससुर…क्यूँ डरती हो बहू….कुछ नहीं होगा….ये लंड तुम्हे जो मज़ा देगा उसकी तो तुमने कल्पना भी नहीं की होगी….बस एक बार अंदर जाने दो बस फिर देखना…तुम खुद कहोगी…कि पिताजी…डाल दो पूरा….आआअहह ओर ज़ोर से….
भाभी…क्या सच में पिताजी….
ससुर…हाँ बेटी…बस एक बार थोड़ा दर्द तो होगा ही….जैसे तुम्हे सुहागरात में हुआ होगा….पर उसके बाद कितना मज़ा आया होगा…वो तो तुम्हे आज तक याद होगा….
भाभी…हाँ पिताजी वो चुदाई तो आज तक याद है…अब तो ये भी याद नहीं कि दर्द भी हुआ था…कि नहीं….
ससुर…हां बेटी यही तो में समझा रहा हूँ….उस मज़े के सामने सब दर्द भूल जाते है…जैसे तुम भूल गई…ऑर हां वो पहली चुदाई तुम्हारी….आज तक याद होगी…वो मज़ा….
भाभी…हाँ पिताजी वो पही चुदाई का मज़ा तो आज भी नहीं भूली हुँ….
ससुर…तो फिर बेटी ये भी आज तुम्हारी…पिताजी के साथ पहली सुहागरात है…जो मज़ा आज आएगा वो भी तुम जिंदगी भर नहीं भूलोगि….
भाभी…सच पिताजी….
ससुर… हाँ बेटी…बस शुरू में थोड़ा सा दर्द होगा…बस उसे झेल लेना उसके बाद तो बस मज़ा ही मज़ा…..वो भी पहली सुहागरात जैसा….
भाभी….मन तो अब मेरा भी कर रहा है…ऑर चूत पानी भी छोड़ रही है…पर अब भी यही डर है कि चूत में जाएगा कैसे….
ससुर…बस देखती जाओ बेटी…ऑर ये कहकर ससुर ने अपने लंड पर थोड़ा सा दबाव बनाया….आआआहहुउऊउउइसस्स्स्सिईईई के साथ भाभी सिसक उठी…पर लंड का सुपाडा अंदर नहीं गया…ससुरा हाथी का लंड ऑर बिल्ली की चूत में…भला इतनी आसानी से कैसे जाएगा….
ससुर….समझ गये कि सीधे तो पर तो ये लंड अंदर नहीं जाएगा…चाहे तेल ऑर भी लगा लूँ….थोड़ी देर तक तो बहू को काबू में करके ज़बरदस्ती ही चोदना पड़ेगा….उसके बाद ही कुछ हो पाएगा….नहीं तो बेटा….बस बाहर ही झाड़ ले इसका पानी…..अब ससुर ने अपनी नई प्लान के अनुसर भाभी को अपनी बाहों में दबा लिया ऑर बहू की गान्ड के नीचे एक मिटा सा पिल्लो लगाया….ऑर फिर से लंड के सुपाडे को चूत के छेद पर एडजस्ट कर एक झटका मार ही दिया….लंड का सुपाडा तो बहू की चूत को फाड़ता हुआ अंदर दाखिल हो गया पर बहू की चीख चीख कर बुरी हालत हो गई….दोस्तों आप सभी जानते है कि जब मर्द पर चुदाई का भूत सवार होता है तो वो सब भूल कर लंड को अंदर डाल ही देता है…फिर अंजाम चाहे जो भी हूँ….ऑर हुआ भी यही……
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RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
उसके बाद दोनो ने एक दूसरे को नहलाया ऑर कपड़े बदले….
फिर भाभी ने किचन में जाकर किचन संभाल लिया….ऑर ससुर जी अख़बार की में हेडलाइन पढ़ने लगे…..
तभी…भाभी के पति ऑर सासू माँ वापिस लौट आए….उन्होने आने में जल्दी इसलिए की थी….कि जब वे लोग गये थे तो भाभी की तबीयत खराब थी…..घर पहुँचते ही सासू माँ ने किचन में जाकर बहू से पूछा….अब कैसी तबीयत है बेटी….
भाभी…जी अब तो बिल्कुल ठीक हो गयी है…बस थोड़ी..थोड़ी..दुखन है….
सासू माँ …हाँ बेटी इतने दर्द के बाद दुखन तो होगी ही….जाओ तुम आराम करो…में किचन देख लूँगी….ऑर भाभी अपने रूम में आ गयी…जहाँ पर उसके पति थे…..
पति…अब कैसी तबीयत है..तुम्हारी….
भाभी…अब तो ठीक है बस थोड़ी चलने में दुखन होती है…आपके जाने के बाद पिताजी ने बड़ी सेवा की तो ये दर्द ठीक हो सका….
पति…ठीक है…तुम आराम करो….में डॉक्टेर से दवा ले आता हूँ….
भाभी…पर अब तो ज़रूरत नहीं है…
पति…में दुखन बता कर दवाई ले आता हूँ…ऑर वे बाहर निकल गये…बहू अपने प्लांग पर लेट गई….ऑर धीरे से मुस्कुरा दी…..
उस महीने भाभी को म्सी (पीरियड) नहीं हुआ…जब इसकी जानकारी…सासू माँ ऑर उसके पति को चली तो वे खुशी से फूले नहीं समाए… ऑर घर में सभी खुश हुए…बस उसके बाद भाभी का पूरा ध्यान रखा जाने लगा….पर ये किसको पता था…कि जो बच्चा उसके …गर्भ में पल रहा है….वो उसके ससुर जी की निशानी है………कुछ महीनो बाद भाभी ने एक बेटे को जन्म दिया….पूरे गाओं में मिठाइयाँ बांटी गयी…..ऑर उसका नामकारण शशांक शेखर के रूप में हुआ….जो आज शास बन चुका है…….
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भाभी….मुस्कुराते हुए अपने वर्तमान में लौट आई…उसे क्या मालूम था…कि उसके बेटे का लंड भी उसके ससुर की तरह से ही होगा…..जिसकी आज जवान लड़कियाँ दीवानी हो रही है….संतोष ऑर कुसुम उसके लंड को पाने के लिए…इतनी प्लानिंग कर रही है….सोचते सोचते भाभी की चूत भी गीली हो गयी……..शायद आज पहली बार भाभी ने अपने बेटे के लंड के बारे में सोचा था…ना जाने क्यूँ भाभी के मन में….शास के लंड को एक बार देखने की इच्छा बढ़ गयी थी….कि आख़िर उसका लंड ऐसा कितना बड़ा है जो संतोष दीदी उसके लंड की इतनी तारीफ कर रही थी….कहीं…उसका लंड इस छोटी सी उम्र में अपने दादा के लंड जैसा भयंकर लंड तो नहीं बन चुका है…..ये सोचते सोचते भाभी की चूत बिल्कुल गीली हो गई थी…जिसको उन्होने बाथरूम में जाकर शांत किया…….
भाभी ने बाथरूम में अपनी चूत को कुछ हद तक शांत तो कर लिया था…पर उसके दिमाग़ में रह रह कर अपने ससुर का लंड (जो अब इस दुनियाँ में नहीं थे) आ रहा था…ऑर उनके लंड से शास के लंड की तुलना कर रही थी….पर अभी तक शास का लंड नहीं देखा था….यही कसक उसकी उलझन बन गयी थी…उसके मन में शास के लंड को देखने की चाह लगातार बढ़ती ही जा रही थी…बार बार सोचती…छी…वो तेरा बेटा है…उसके बारे में ऐसी ग़लत बात सोचना भी पाप है…अपने मन को समझाती….पर कुछ ही देर में मानो शास का लंड उसके सामने झूलने लगता…जिसमे उसके ससुर का लंड उनके घुटनो तक झूल रहा था….फिर अपने पे लानत भेजती…कि वो कितनी गिर गयी है जो अपने ही बेटे के बारे में ऐसा सोच रही है….पर वाह रे मन …जितना शास के लंड को दिमाग़ से निकालने की कोशिस करती…वो उतना ही ज़्यादा उसके जेहन में ऑर अंदर तक चला जाता था….चूत का पानी निकालने के बावजूद उसकी चूत फिर से पानी छोड़ने लगती थी…..
दोपहर को जब उसके पति ऑर शास खेत में काम करके वापस लोटे…तब तक भाभी ने खाना तैयार कर दिया था…
भाभी…आज खेत में बहुत देर कर दी…
पति….हाँ कुछ काम ज़्यादा था…अगर शास साथ ना होता तो मुझ से तो आज शाम तक भी काम निपट नहीं पाता….
भाभी…चलो आप जल्दी से नहा लो….में शास को नहला देती हूँ…कपड़ो ऑर शरीर पर काफ़ी मिट्टी लगी है…फिर खाना खा लेंगे….
पति…ठीक है…शास को जल्दी से नहला दो…में भी जल्दी से नहा कर आता हूँ…भूख भी काफ़ी लगी है….
भाभी…शास बेटा चलो आज तुम्हे में नहला देती हूँ…शरीर पर काफ़ी मिट्टी लगी है….फिर देर भी काफ़ी हो चुकी है…भूख लगी होगी….
शास…आप खाना लगाओ…में जल्दी से खुद नहा कर आता हूँ…..
भाभी…खाना तैयार है…तुम्हारे शरीर पर मिट्टी काफ़ी लगी है…चलो में ही नहला देती हूँ…..ऑर शास का हाथ पकड़ कर बाथरूम में ले गयी….भाभी ने जल्दी जल्दी…शास के बाकी कपड़े उतार दिए….बस अब उसके शरीर पर एक अंडरवेर ही रह गया था….भाभी ने शास को सामने पटरी पर बैठ जाने को कहा….
शास आपनी मम्मी के सामने पटरी पर बैठ गया…ऑर भाभी उसके शरीर पर पानी डालने लगी थी…
भाभी…शास आज तुम्हारी संतोष बुआ आई थी…उनके घर में उसकी फुफेरी बेहन ऑर वो ही है बाकी सब कहीं बाहर गये है…रात में तुम्हे अपने यहाँ सोने के लिए कह रही थी….क्या कहूँ….
शास…संतोष बुआ का नाम सुनते ही उसके चेहरे के भाव बदलने लगे…ऑर वो खूबसूरत लड़की जो उसने सुबह देखी थी…दिमाग़ में घूम गई…ऑर शास के लंड ने तुरंत हरकत की….ठीक हैं मम्मी में सो जाउन्गा…..
भाभी…बड़ी जल्दी तैयार हो गया…क्या बात है शास….
शास…कुछ नहीं मम्मी…आपने कहा इसलिए…पर शास कुछ झेप सा गया…..
भाभी…नहीं यदि तुम कहो तो में मना कर दूँगी….
शास…क्यों मना करती हो मम्मी…जब उनके घर कोई नहीं है तो…हमें हेल्प तो करनी ही चाहिए ना….
भाभी…हाँ.. ये तो हैं…पर भाभी शास के लंड में होने वाली हरकत को नज़रे छिपाकर देख रही थी….जैसे ही भाभी ने शास के ऊपर ऑर पानी डाला तो शास का लंड गीली कपड़े से सॉफ नज़र आ रहा था…भाभी को लगा कि शास का लंड उसके ससुर के लंड से बिल्कुल भी कम नहीं है…जब उसका लंड इस उम्र में इतना बड़ा ऑर मोटा है तो अपनी जवानी के दिनो में तो ये ऑर काफ़ी बड़ा हो जाएगा…..उसके मुँह से आआआअहह निकल गये……ऑर चूत पानी छोड़ने लगी थी…
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