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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
अनु ने अपने हाथ में सोप डाला और मेरे सीने पर लगाना शुरू कर दिया। फिर मेरी टांगों पर लगाने लगी। अन् नीचे बैठ गई और मेरे लण्ड पर सोप लगाने लगी। मुझे अच्छा लग रहा था अनु ने उठकर जब मेरी कमर पर सोप लगाया तो मेरे मुँह में हल्की सी आह्ह... निकली। अनु ने मुझे देखा की क्या हुआ?
मैंने उसको कहा- "वहां मत लगाओ..."
अनु ने कहा- वहा क्या हुआ है?
मैंने कहा- "तुम खुद ही देख लो... और उसकी तरफ अपनी कमर कर दी।
देखते ही अनु के मुँह से निकला- "हाय रीई... ये क्या हुआ?"
मैंने अनु को कहा- "ये सब तुम्हारा किया हुआ है.."
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अनु बोली- मैंने कब किया?
मैंने कहा- जब तुम होश में नहीं थी तब्ब।
सुनकर अनु ने अपने मुह को झुका लिया और बोली. "सारी मैंने जानकर नहीं किया..."
मैंने उसको कहा- "कोई बात नहीं, ये तो प्यार की हद है.." फिर हम दोनों शवर के नौचं खड़े रहे।
अनु ने मेरे लण्ड को सहलाते हुए कहा- "ये तो फिर से खड़ा हो गया.."
में अनु के मन की बात समझ गया मैंने अनु से कहा- "अगर तुम्हारा मन कर रहा है तो इसको चूस लो। अब ये तुम्हारा ही तो है जो मन में आए वो करो..."
अनु के चेहरा पर चमक आ गई। अनु घुटनों के बल नीचे बैठ गई और मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। अनु के लिए लण्ड चूसना एक नया अनुभव था। इसलिए उसके मन में केज था। मैं अनु के मुँह में अपना लण्ड डालकर खड़ा रहा।
फिर मैंने अनु से कहा- "इसको ऐसे ही डालकर नहीं रखते, अपनी जीभ से चाटो.."
अनु ने अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। अनु अभी लण्ड चूसने में अनाड़ी थी। पर वो जो भी कर रही थी दिल से। मैंने उसको कुछ नहीं कहा। जैसा वो करती रही, मैंने करने दिया।
जब मेरा लण्ड फुल फार्म में आ गया, तो मैंने अनु से कहा- "अब तुम उठकर खड़ी हो जाओ...' कहकर मैंने अनु को खड़ा करके उसकी चूची को सहलाया। मैंने उसके निपल को हाथ से दबाया तो उसमें से दूध की धार निकली, तो मैं समझ गया माल तैयार है।
मैंने कहा- "मुझे नहाकर भूख लगने लगी है, आओ तुम्हारा स्टाक कुछ कम कर दूं.."
अन् मझे घरकर देखने लगी। मैंने उसका निपल मुँह में ले लिया और चूसने लगा। अन् का दूध फिर से मेरे मुँह में आने लगा। सच में अनु दुधारू औरत थी।
मैंने अनु से कहा- "फेश स्टाक आ गया.."
इसपर अनु ने मुझे जोर की चुटकी काटी। मैं हँसने लगा। अनु ने अपना निपल मेरे मुँह से खींच लिया और बोली- "अब मैं भी आपको तड़पाऊँगी..."
मैंने कहा- "जान प्लीज... पीने दो ना, बड़ी भूख लगी है.."
अनु ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा- "अब मुझे परेशान करोगे?'
मैंने कान पकड़ते हुए कहा- "अब नहीं करूंगा..."
अन् ने अपना निप्पल फिर से मेरे मुँह में डाल दिया। फिर अनु ने प्यार से मेरे सिर में अपना हाथ फेरते हए कहा- "पी ला जितना मन करें..."
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
अन् ने अपना निप्पल फिर से मेरे मुँह में डाल दिया। फिर अनु ने प्यार से मेरे सिर में अपना हाथ फेरते हए कहा- "पी ला जितना मन करें..."
मैंने उसकी चूचियों से जी भर के दूध पिया फिर मैंने अन् की दोनों चूचियों के बीच में अपनी जीभ रखकर चाटना शुरू कर दिया अब मैं धीरे-धीरे अनु के पेट पर अपनी जीभ ले आया। अब मेरी जीभ अनु की नाभि के आस-पास घूम रही थी। अन् को इसमें बड़ी गुदगुदी हो रही थी। मैं उसकी जांघों को अपनी जीभ से काटने लगा और मेरे हाथ उसकी गोल-गोल गाण्ड को मसल रहे थे। अनु भी आहे भर रही थी।
मैंने अन् से कहा- "चलो रूम में चलकर चुदाई करता हैं....
अन् चल पड़ी। मैं उसके पीछे पीछे था। अन् जब चल रही थी तब उसकी गाण्ड का उठ जा गिरना देख कर मन कर रहा था की देखता ही रहूँ। अनु ने पलटकर देखा।
तब मैंने कहा- "तुम्हारी चाल कितनी सेक्सी है? जो भी देखें देखता ही रहे...
अनु ने कहा- "आप तो पता नहीं क्या-क्या देखते रहते हो?"
मैंने कहा- "मुझे तुम्हारी गाण्ड पर काटना है.."
अनु ने कहा- नहीं गंदी बात।
मैंने कहा- प्लीज बस एक बार।
अनु ने कहा- अच्छा हल्के से काटना।
मैंने कहा- "ओके.." और मैंने अनु के चूतड़ पर अपने दाँत गड़ा दिए।
अनु बोली- "आअहह... दर्द हो रहा है..."
पर मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे उसकी गाण्ड ना हो कोई तरबूज हो। मैंने उसके दोनों चूतड़ों पर 8-10 बार काट लिए। अनु उईईआईईई करती रही, पर मैं रुका नहीं। अन् के गोरे-गोरे चूतड़ लाल हो गये थे। मैंने अन् के होंठों को किस किया और कहा- "मजा आ गया..."
अनु ने गुस्से में कहा- तुम पागल हो।
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मैंने कहा- ऐसी गाण्ड देखकर हो गया।
अनु मुश्कुरा उठी, और बोली- "आपको मुझमें सबसे अच्छा क्या लगता है?"
मैंने कहा- तुम पूरी की पूरी अच्छी लगती हो। मन करता है खा जाऊँ।
अनु हसने लगी फिर उसकी आँखों में नमी आ गई।
मैंने कहा- क्या हुआ?
उसने कहा- कुछ नहीं।
पर मुझे लग रहा था कुछ तो है उसके मन में। मैंने बात घुमा दी। मैंने कहा"मेरे काटने से दर्द हो गई इसलिए रोने लगी। मैंने तो प्यार से किया था.."
अन् बोली- "आपके प्यार में मेरी जान भी जाए तो भी कम है..."
मैने अनु के मुँह पर अपना हाथ रखते हए कहा- "ऐसा नहीं कहते। तुम तो मेरी जान हो..." फिर मैंने अनु से कहा- "ऋतु को तो देखो जरा, वो बेड पर कैसे सोई है?"
ऋतु बैड पर उल्टी सोई हुई थी। मैंने ऋतु की गाण्ड पर हाथ फेरा, पर वो नहीं उठी। मैंने अनु से कहा- "ये तो पक्की नींद में है, तुमको नींद तो नहीं आ रही?"
अनु ने कहा- नहीं, मुझे नींद नहीं आ रही है।
मैंने अनु से कहा- "आ जाओं बेड पर लेट जाओ..." और मैं भी उसके साथ लेट गया। हम दोनों बड़ी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे, और एक दूसरे के जिम को सहलाते रहे। मैंने अन् से कहा- "तुम घोड़ी बनकर दिखाओ..."
अनु ने कहा- "बनकर दिखाओ मतलब?"
मैंने कहा- बनो तो।
अन् घोड़ी बन गई। मैंने उसकी टांगों को फैला दिया।
एक खामोश अफसाना जो तुम्हारी नजरों ने सुनाया है मुझे, काश, वह तुम अपने लबों से मेरे लबों पर लिखतें कभी, इससे तेरी जिन्दगी के कुछ पल मेरे हिस्से तो आ जाते।
मैंने जब अनु का पिछवाड़ा देखा तो मैं अन् के गोल-गोल चूतड़ों को ही देखता रहा। उसकी चूत तो मेरे को नजर ही नहीं आ रही थी। सच में उसके गोरे-गोरे गोल मटोल चूतड़ बड़े ही मस्त थे। मुझसे रहा नहीं गया मैंने अन् के चूतड़ों पर सबसे पहले किस किया और उसकी उभरी हुई चूत पर अपनी उंगली रख दी। मैंने अपनी उंगली को अनु की चूत में घुसा दिया। अनु को मजा आने लगा था वो अपनी गाण्ड को आगे-पीछे कर रही थी। फिर मैंने अपना मुँह अन् की चूत पर रख दिया। मुझे अनु की चूत इस टाइम संतरे की फांकों जैसे लग रही थी। मैंने उसकी फांकों को फैलाया तो उसकी चूत के अंदर तक का साफ नजर आने लगा। मैंने उसकी चूत में पानी जीभ डाल दी अनु का बड़ा मजा आया।
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
अनु ने कहा- "आई बाबू ऑईई... आहह... मेरे बाबू कहा?"
मैंने अनु से कहा- "अपनी गाण्ड को जरा और उठाओ..."
अनु ने अपनी गाण्ड को और उठा दिया। मैंने अब उसकी चूत को अपनी जीभ से सहलाया तो अनु सीसीसी करने लगी। मैंने अपनी जीभ को जरा और अंदर डाल दिया। अनु की चूत का नमकीन स्वाद मेरी जीभ पा लगने लगा। मैंने उसकी चूत की दोनों फांकों को अपने होंठों में ऐसे दबा लिया, जैसे में अनुके होंठों को किस कर रहा है। वैसे भी औरतों के पास दो हॉठों होते हैं, एक वर्टिकल टाइप और एक हारिजेंटल टाइप। अनु का मजा बढ़ता जा रहा था।
अनु ने कहा- "मेरा बाबू आह्ह..." और अब वो हैं हैं हैं करने लगी।
मैंने अब अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। अनु के लिए ये भी नया स्टाइल था। फिर मैं
तो पुराना पापी था। मुझे पता है किस स्टाइल में औरत को मजा आता है।
कुछ देर बाद मैंने उसको कहा- "अब अपनी दोनों जांघों को मिला आपस में मिला लो, मैं अपना लण्ड डालगा..."
अनु ने अपनी दोनों जांघों को जोड़ लिया। मैंने उसकी उभरी हुई चूत पे लण्ड रखकर धक्का मारा, तो अन् अपना बैलेन्स संभाल नहीं पाईं और आगे की तरफ गिर गई।
मैंने हँसते हुए कहा- "क्या हुआ?"
अनु झोपकर बोली- "आपने इतना जोर से धक्का मारा था.."
मैंने कहा- "अच्छा फिर से घोड़ी बनो, मैं अब तुमको संभाल लेंगा..." और अब अनु की कमर में हाथ डाल दिया था। मैं अनु की चूत पर अपना लौड़ा लगाने लगा था। मैंने अनु की चूत में अपना लण्ड घुसा दिया।
अनु झटके से आगे की तरफ हई, पर मैंने उसको अपने हाथों से संभाल लिया। मैंने अबकी बार अपना लण्ड अनु की चूत से बाहर निकाला और उसकी चूत के मुंह पर लगाकर जोर का धक्का मारा। अनु की चूत से पुच्च की आवाज आई और लण्ड अंदर फँस गया। मैंने अब जोर-जोर से धक्के मरते हुए अनु की चूत में लण्ड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। अनु को मजा आ रहा था। उसने भी अपनी गाण्ड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। अनु अब अपनी चत में लण्ड को पूरा लेने लगी थी। वो अपनी गोल-मटोल गाण्ड को आगे पीछे कर रही थी।
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
अनु पड़ी रही। थोड़ी देर बाद जब लण्ड देवता को रिलैक्स मिल गया तो मैंने अनु से कहा- "अब उत्तर जाओ...
अनु मुश्कुरा के मुझे किस करते हुए मेरी बगल में लेट गई।
मैंने भी उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा. "मैंने तुम्हें अपने लण्ड के झूले पर झुलाया, कैसा लगा?"
अनु बोली- "मजा आ गया."
मैंने अपने लण्ड की तरफ इशारा करते हुए कहा "अब इसको साफ तो कर दो.."
अनु इस स्टाइल से कुछ ज्यादा ही थक गई थी, बोली- "प्लीज... दो मिनट रुक जाओ, अभी साफ करती हूँ.."
में मश्कुराकर लेटा रहा। तभी मेरे दिमाग में एक शरारत सझी। में उठकर ऋतु के पास चला गया। मैंने उसको सीधा करके लिटा दिया और उसके होंठों पर अपना लौड़ा रख दिया।
अनु देखकर हँसने लगी, बोली- "ये क्या कर रहे हो?"
मैंने कहा- देखती जाओ।
ऋतु ने धीरे से अपना मुँह खोला और मेरे लौड़े को अंदर ले लिया। ऋतु नींद में मेरे लौड़े को चूस रही थी।
मैंने अनु से कहा- "देखो तुम्हारी बहन नींद में भी मेरे लण्ड को पहचान लेती है। कैसे लण्ड चूस रही है."
अन् हँसने लगी।
इतने में ऋतु बंद आँखों में हू बोली- “क्या हुआ? आप लोग हस क्यों रहे हो?"
मैंने कहा- "तुम नींद में लण्ड चूस रही थी, इसलिए अनु हँस रही थी."
ऋतु ने आँखें खोली और शर्माते हए अन् को कहा "दीदी आप भी इनके साथ मिल गई?"
मैंने ऋतु में कहा- "अच्छा ये बताओं नींद पूरी हो गई या फिर से सोना है?"
ऋतु बोली- "हाँ, अब नींद भाग गई.."
मैंने कहा- "मुझे तो आने लगी है। मैं तो अब साऊँगा..."
ऋतु ने कहा- "मुझे सुलाकर आप दोनों में मजे ले लिए। अब मैं उठी हूँ तो आप दोनों सो रहे हो."
मैंने ऋतु में कहा- "मैं तुम्हें अपनी बाहों में लेकर सुला देता हूँ... फिर मैंने ऋतु को अपनी बाहों में ले लिया। ऋतु मेरे से चिपक कर सोने लंगी, अब ऋतु की तरफ मेरा मुँह था और अनु की तरफ मेरी पीठ थी।
अनु ने मेरी तरफ अपना मुँह करते हुए अपनी टांग मेरे ऊपर रख दी।
ऋतु मुझसे कसकर चिपकी हुई थी। मैं भी अब कुछ करने के मूड में नहीं था। इसलिए ऋतु से चिपक कर चुपचाप सो गया। सुबह करीब 5:00 बजे मेरी नींद खुली, तो मैंने देखा अनु और ऋतु दोना गहरी नींद में थी। मैंने उनको सोने दिया और मैं उठकर बाथरूम चला गया। फ्रेश हुआ और बाहर आ गया। बाहर आकर देखा तो वो दोनों अभी तक वैसे ही पड़ी थी, जिस हाल में में छोड़कर गया था।
मैंने ऋतु को देखा, तो उसकी दोनों टाँगें खुली हुई थी। जिसकी वजह से उसकी चिकनी चूत साफ नजर आ रही थी। फिर मैंने अनु को गौर से देखा। अन् जरा करवट से लेटी थी, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां सांसों के साथ उठ गिर रही थी। मैं बैंड के पास पड़े सोफे पर जाकर बैठ गया। मुझे चाय की तलब लगने लगी थी। मैंने अन् को देखा वो पक्की नींद में थी, अनु की कमर मेरी तरफ थी। मैं अनु के साथ जाकर लेट गया, और उसकी गाण्ड पर अपना लण्ड मटा दिया और अपनी टांग अनु के ऊपर रख दी।
फिर मैंने उसके गाल पर अपना हाथ फेरतें हए प्यार से कहा- "अन् डार्लिंग उठो..."
पर अन् सच में बड़ी पक्की नींद में थी। उसने कोई जवाब नहीं दिया। मैंने अब उसकी चूचियों को सहलाते हए उसको उठाया। अबकी बार अन् की नींद खुल गई। अन् मेरी तरफ घूम गई। अब अनु का चेहरा मेरी तरफ था, पर उसकी आँखें बंद थी। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसका चेहरा नींद में बड़ा प्यारा लग रहा था। मैंने उसके गाल पर प्यार से हाथ फिराया तो अन् ने हल्के से अपनी आँखों को खोला, और फिर से मुझे चिपक गई, और कुछ देर तक वा ऐसे ही चिपकी रही।
फिर अनु के मुंह से निकला. "उम्म्म्म... अभी सोने दो ना..."
मैंने उसको कहा- "उठ जाओ, हमें वापिस भी जाना है.."
सुनते ही अनु की नींद एकदम से उड़ गई, मुझे बड़ी मासूम निगाहों से देखकर बोली- "आज ही जाना पड़ेगा?"
मैंने हँसते हुए कहा- "मेरा भी मन जाने का नहीं है, पर मजबूरी है जाना तो पड़ेगा...
अनु बोली- "हाँ ये तो है। आज तो जाना ही पड़ेगा..' फिर मेरे गाल को चूमते हुए कहा- "आप कब उठे थे?"
मैंने उसको कहा- "मुझे तो बड़ी देर हो गई उठे हुए.."
अनु ने पूछा- "आप इतनी देर से क्या कर रहे थे?"
मैंने उसको कहा- "मैं तुम्हें दंख रहा था। तुम नौद में बड़ी प्यारी लग रही थी..."
मेरी बात सुनकर अनु को एहसास हआ की वो तो बिल्कुल नंगी है। अन् को शर्म आ गई। वो मेरे से चिपक कर अपना मुँह मेरे सीने में छुपाकर कहने लगी- "आपको शर्म नहीं आती?" ‘
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01-23-2021, 01:51 PM,
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
मैंने 3 चाय और बटर टोस्ट का आर्डर दे दिया। फिर हम लोग बातें करने लेगे की बैकफस्ट कहां करना है?
ऋतु ने कहा- मुझे तो गरमा-गरम पराठे खाने हैं।
अनु ने कहा- मुझे भी।
मैंने कहा- चला फिर माल रोड पर चलते हैं। वहां बेकफस्ट करेंगे।
इतने में चाय आ गई हम चाय पीने लगे। मैंने चाय का कप रखते हए कहा- "अब कुछ अच्छा लग रहा है." कहते हुए मैं उठकर बाहर बाल्कनी में चला गया।
दो मिनट बाद ऋतु और अनु दोनों मेरे पास आ गई।
मैंने कहा- मौसम कितना साफ है आज।
अनु बोली- "भगवान करे, इतनी जोर की बारिश आए की रात तक रूके ही नहीं..."
ऋतु ने अन् को चौक कर देखा और बोली- "दीदी बारिश हो गई तो घूमने कैसे जाएंगे? और वापिस भी तो जाना
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मैंने कहा- "मौसम बिल्कुल साफ है, बारिश नहीं आने वाली। चलो तैयार होते हैं.." फिर हम सब गम में आ गये।
मैंने रूम में आते ही अनु से कहा- "चलो एक-एक करके नहाकर आओ..."
अनु ने ऋतु की तरफ देखा तो ऋतु बाली- "सब साथ में नहाते हैं। मजा आएगा.
मैंने कहा- "ऋतु तुमने सच में बदिया आइडिया दिया है। चलो सब साथ नहाते हैं..."
अनु भी खुश हो गई। हम सब बाथरूम में चले गये। वहां जाकर मैंने अपने कपड़े उतार दिया, अपना जाकी भी उतार दिया।
मुझे ये सब करता देखकर अनु ने मुझसे कहा- "आपको शर्म नहीं आती, सबके सामने नंगा होने में?"
मैंने अनु को अपनी बाहों में लेकर कहा- "तुम भी हो जाओ। तुम भी मेरी तरह बेशर्म बन जाओ.."
अनु हँसने लगी, और बोली "ना बाबा ना.. मैं तो कपड़ों में ही नहा लेंगी.."
ऋतु तो अपने कपड़े उतरने लगी थी। उसने अपनी सलवार कमीज उतार दी, ब्रा पैटी उसने पहनी ही नहीं थी। वो बिल्कुल नंगी थी।
मैंने अन् को पकड़कर उसकी कमीज को उतार दिया फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया तो उसकी
सलवार भी उत्तार गई। अनु भी अब नंगी थी।
मैंने कहा- "अब तुम दोनों भी मेरे जैसी नंगी हो। चलो शावर में आ जाओ." और शावर चला दिया अनु और ऋतु दोनों मेरे साथ अब शाबर के नीचे थी हम तीनों एक दूसरे से मस्ती कर-करके नहा रहे थे।
मैं अन् की चूची सहला देता था तो अन् मेरे लौड़ें को पकड़कर सहलाती थी। कभी ऋतु मेरे लण्ड को पकड़ती थी। काफी देर तक हम लोग ऐसे ही मजा करते रहे। इस सबसे हम सब में सेक्स करने की इच्छा जाग गई।
मैंने अनु को कहा- "मेरा लण्ड नहीं चूसोगी?"
अनु ने बिना कुछ कहे लण्ड को मुँह में ले लिया।
मैंने ऋतु से कहा- "तुम भी मेरे लण्ड को शेयर कर लो अनु के साथ."
ऋत् भी नीचे बैठ गई। अब वो दोनों मेरे लौड़े को बारी-बारी से चूस रही थी। मैं जन्नत के मजे ले रहा था। अन् मेरे लौड़े को जब चूसती थी तब ऋतु मेरे टट्टों को सहलाती थी। इस तरह मेरा लौड़ा विकराल रूप में आ गया।
मैंने उन दोनों से कहा- "चलो अब मैं तुमको चोदूंगा.."
ऋतु ने चुटकी लेटे हुए कहा- "दोनों को एक साथ?"
मैंने कहा- "ही.... फिर हम तीनों रूम में आ गये। मैं बेड पर सीधा लेट गया, फिर कहा- "मेरा लण्ड तुम दोनों का झला है, पहले कौन झूला झलेगा?"
दोनों एक दूसरे को देखने लगी। फिर ऋतु मेरे लौड़े पर बैठ गई। मैंने ऋतु की चूत में अपना लण्ड घुसाकर नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए। ऋतु आह ... करने लगी। मैंने जब महसूस किया की ऋतु की चूत में पानी आना शुरू हो गया है, तब मैंने ऋतु से कहा- "अब अनु को आने दो.."
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01-23-2021, 01:51 PM,
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
ऋतु के हटते ही अनु झट से लण्ड पे अपनी चूत रखकर बैठ गई। अब अनु की चूत में मेरा लण्ड अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने फिर से अनु की गाण्ड के नीचे अपने हाथों से सपोर्ट दे रखी थी। मैं अन् को चोदने लगा।
फिर मैंने अनु से कहा- "तुम अब घोड़ी बनो.."
अन् बैंड पर घोड़ी बन गई। फिर मैंने उसके साथ ऋतु को भी घोड़ी बना दिया। अब वो दोनों अपनी चिकनी चूत को मेरे सामने सजाकर घोड़ी बनी हुई थी। मैं सोचा पहले किसकी चत में लण्ड डालं? मैंने सोचा राउंड के हिसाब से डालता हैं। ऋतु का नम्बर ही बनता है। मैंने ऋतु की चूत में लण्ड डाल दिया।
ऋतु तो कल से लण्ड की प्यासी थी, वो लौड़ा चूत में लेकर मस्त हो गई। मैंने ऋतु की चूत में 20-25 शार मारे इस बीच में अन् की चूत में उंगली डालकर उसको मजा देता रहा था। मैंने अब अपना लण्ड ऋतु की चत से निकालकर अनु की चूत में डाल दिया। अब में ऋतु की गाण्ड को सहला रहा था। दोनों चूतें अपनी-अपनी बारी का इंतजार कर रही थी पर मेरा लण्ड कोई मशीन तो नहीं है।
मैंने अनु से कहा- "में तुम दोनों में से जिसकी चूत में झडॅगा उसको मैं एक बार फिर से चोदूंगा."
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अन् ने मस्ती में कहा- "मेरी चूत में झड़ना..."
ऋतु की आवाज आई- “नहीं मेरी चूत में..."
पर मेरे मन में तो कुछ और ही था। मैंने अन् की चूत में अपना लौड़ा झाड़ दिया।
ऋतु ने गुस्से से कहा- "ये चीटिंग है। आपने जानकर ऐसा किया है.."
मैंने कहा- "नहीं, सच में में कंट्रोल नहीं कर पाया..."
मैंने अनु को कहा- "अब एक बार तुम और चुदागी..."
अनु ने खुश होते हुए कहा- "आई आम लकी.."
लण्ड झड़ने के बाद मैं बेड पर लेटा हआ था अत ने मेरे लौड़े को साफ कर दिया था वो दोनों भी मेरे दाएं-बाएं लेट गई।
मैंने कहा- "एक काम करते हैं। अभी रूम में ही कुछ मंगवा लेते हैं। बाद में बाहर जाकर जो मन होगा वो खाएंगे."
ऋतु ने कहा- "हाँ, ये सही है.." क्योंकी तब तक 9:00 बज चुके थे।
मैंने कहा- तुम लोग अपने कपड़े पहन लो। मैं आईर देता हूँ।
दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए। मैंने रूम सर्विस पर फोन किया और कहा- "3 आमलेट और 3 चाय भेज दो...
हम तीनों अपने आईर का इंतजार कर रहे थे, और बातें कर रहे थे। इतने में आईर सर्व हो गया। मैंने एक
आमेलेट उठा लिया और खाने लगा। अनु और ऋतु भी अपना-अपना आमलेट खाने लगी। आमेलेंट का टेस्ट मस्त था चाय की चुस्किया लेटे हुए हमने ये डिसाइड किया की हम रूम से 12:00 बजे तक निकल जाएंगे।
फिर अनु ने कहा- "मैं अभी आई." और वो उठकर बाथरूम में चली गई।
अनु के बाथरूम में जाते ही मैंने ऋतु को अपनी बाहों में भरकर उसके कान में कहा- "तु तुमने मेरे लिए जो किया है, वो और कोई भी नहीं कर सकता था। तुमने अनु से मुझे मिलवाकर मेरी वो तमन्ना पूरी कर दी, जो मुझे एक ख्वाब लग रही थी.." फिर मैंने ऋतु से कहा- "बस मेरे लिए एक काम और कर दो.."
ऋत् ने कहा- अब कौन सा काम?
मैंने कहा- "मुझे अनु की गाण्ड मारजी है.."
ऋतु ने मुझे चौंकते हुए कहा- "क्या?"
मैंने कहा- "मैं जब अनु की गाण्ड मारूंगा तुम मेरी हेल्प करना.."
ऋतु ने कहा- "वो इतनी आसानी से नहीं मानेंगी। उन्होंने आज तक पीछे से करवाया ही नहीं। आप रहने ही दो...
मैंने कहा- "अच्छा मैंने उसका प्यार से अगर राजी कर लिया तब?"
ऋतु बोली- "आप कोशिश करके देखो। हो सकता है शायद मान जाए..."
मैं बैंड पर अपनी आँखों को बंद करके लेट था, और मेरे दिमाग में सिर्फ अनु का जिस्म घूम रहा था। मैं अनु को जितना भोग चुका था, वो मुझे उतना ही कम लग रहा था। सच में अनु का जिशम था ही ऐसा। उसके गदराए हए जिम की बात ही अलग थी। उसकी मस्त गाण्ड को देखकर मेरे लण्ड में तफान आ जाता था। उसके जिम के उतार चढाब मुझे दीवाना बना रहे थे। मैं अनु को खुद से दूर नहीं होने देना चाहता था। मैं तो अनु को अभी और भोगना चाहता था। मैं अनु के बारे में ही सोच रहा था।
फिर अचानक अनु मेरे पास आई और बोली "आप तो फिर से सो गये..'
मैंने आँखें खोलते हुए कहा- "नहीं तो."
अनु भी मेरे पास आकर लेट गई और उसने मेरे ऊपर अपनी टांग रखकर मुझे अपने जिएम से चिपका दिया अन् की गर्म सांसें मेरी सांसों से टकराने लगी। अन् बोली- "लग रहा है आपका मन जाने का नहीं कर रहा है..."
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मैंने कहा- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है।
अनु बोली- "फिर क्या सोच रहे हो?"
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
मैंने अनु को अपनी बाहों में कसकर भर लिया और उसके होंठों पर किस किया और कहा- "अनु तुमने मुझे अपना दीवाना बना लिया है। मुझे जो सुख तुमने दिया है वो सुख मुझे आज तक नहीं मिला था .."
अनु ने भी मुझे अपनी आँखों को बंद करते हए कहा- "बाब, तुमने भी मुझे वो सुख दिया है जिसकी मुझे कब से चाहत थी."
अनु के मुँह से ये सुनकर मैंने अनु के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके रसीले होंठों को चूसने लगा। अनु को भी अच्छा लग रहा था, वो भी पूरे प्यार से अपने होंठों को चुसवा रही थी। मेरे हाथ अब तक अनु की बड़ी बड़ी चूचियों को सहलाने लगे थे। अनु भी मस्ती में आती जा रही थी
मैंने अनु से कहा- "तुम अपने कपड़े उतारों"
अनु ने प्यार से कहा- "बाबू फिर से करोगे क्या?"
मैंने कहा- "हौं जान, जाने से पहले एक बार और कर लं। फिर कब मोका मिले पता नहीं."
अनु के कहा- "आपको तो मस्ती आ रही है, तैयार कब होंगे?"
मैंने कहा- हो जाएंगे पहले तुम कपड़े तो उतारी।
अनु उठकर बेड पर बैठ गई। मैंने झट से अपनी शर्ट उतार दी। मैं सिर्फ अपने जाकी में था। मैंने अनु को देखा बा अभी ऐसे ही बैठी थी
मैंने उसको कहा- उत्तरी ना?
अनु ने मुझे बड़े प्यार से देखते हुए कहा- "खुद उतार लो.."
मैंने उसकी कुरती को उसकी चूचियों तक उठा दिया। अनु ने अपनी बाहों को ऊपर कर दिया। मैंने उसके गले में उसकी कुरती को निकालकर फेंक दिया फिर मैंने कहा- "सलबार भी तो उतरों ना.."
अनु बेड पर खड़ी होकर अंगड़ाई लेते हए बोली- "सिर्फ करना आता है खोलना नहीं आता?"
मैं उसके नाड़े को खोलकर उसकी सलवार को नीचे की तरफ खींच लिया। अब अनु की चिकनी जांघे मेरे सामने थीं। उसकी मोटी-मोटी जांघा में छुपी चूत देखकर, लण्ड में सुरसुरी होने लगी। मैंने अनु की जांघों पर किस करते हुए कहा- "तुम्हारी जांघे कितनी गोरी हैं..."
अनु ने अपनी दाना जांघों का आपस में चिपका कर कहा- "आपको अच्छी लगती है?"
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मैंने कहा- हाँ तुम्हारी जाधों को प्यार करने का मन करता है।
अनु ने हँसते हुए कहा- "मुझे खुद को इतनी भारी-भारी लगती है."
मैंने मुश्कुराकर कहा- "नहीं, बिल्कुल भी नहीं। तुम लेट जाओ..." और मैंने उसके ऊपर रजाई डाल दी और खुद भी रजाई में घुस गया। अब हम दोनों रजाई में थे अनु को कसकर मैंने खुद से चिपका लिया।
अनु का गरम जिम मेरे जिएम से रगड़ खाने लगा। अनु की चूचियां मेरे जिम में रगड़ खाने लगी थी। मैं अनु को किस करने लगा, कभी उसकी गर्दन पर, कभी उसके गाल पर, कभी उसके गलें पर किस करने लगा। मेरे हाथ उसकी गाण्ड को सहलाने में बिजी थे। अनु की गाण्ड पर हाथ फेरने में मुझे बड़ा अच्छा लगता है। उसकी गोल मटोल गाण्ड की शेप बड़ी मस्त है। मैं अनु की गाण्ड को सहलाता रहा। उसके दोनों चतड़ों को अलग-अलग करके उसकी गाण्ड की दरार में अपनी उंगली फेरने लगा। मेरी हरकतों से अब तक अनु भी गरम हो चुकी थी।
अनु ने मेरे लण्ड का पकड़ लिया और जोर से दबाते हुए कहा- "मुझे नंगी कर दिया और खुद को टके हए हो.."
मैंने हँसते हुए अपने जाकी को उतार दिया और कहा- "ला कर लो, जो करना है.."
अनु ने मेरा नंगा लौड़ा को हाथ में कसकर पकड़ा और बोली- "इसको तो मैं मरोड़ दगी."
मैंने कहा- "इसपर इतना गुस्सा क्यों हो?"
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अनु ने मुझे चिपटाते हुए कहा- "गुस्सा नहीं, इसपर तो प्यार आ रहा है."
मैंने कहा- "फिर प्यार करो ना.."
अनु मेरे लौड़े को अपनी मुट्ठी में भरकर आगे-पी करने लगी। मैंने अनु की चूची को अपने मह में ले लिया। अनु ने सस्स्सी किया। मैं अनु के निपल को चूसकर उसका दूध पीने लगा। मुझे अब अनु के दूध का चस्का लग | था। अनु भी मुझे जब चूचियां चुसवाती थी तब उसको बड़ा मजा आता था। क्योंकी चूची चुसवाते समय उसकी सिसकियों से अंदाज लग जाता था की उसको कितना मजा आ रहा है।
मैं अनु के दूध को पीते-पीते उसकी गाण्ड के छेद पर अपनी उंगली फेरता रहा। अनु को अब तक समझ में नहीं
आ रहा था की मैं अब उसकी गाण्ड मारने की तैयारी कर रहा हूँ। मैं जानता था की अनु ने कभी गाण्ड नहीं मरवाई, उसके मन में डर होगा। इसलिए मैं उसके डर को धीरे-धीरे खतम करना चाहता था। ताकी अनु पो प्यार से गाण्ड मरवाने का मजा ले सके।
मैंने ऋतु से कहा- "कोई कोल्ड क्रीम देना..."
ऋतु ने मुझसे कहा- "क्या करना है कीम का?"
मैंने कहा- "दो तो पहले..."
ऋतु ने अपने हैंडबैग से मुझे काम निकालकर दी। मैंने रजाई से हाथ निकालकर क्रीम को अपनी पर ले लिया।
अनु ने अब मुझसे पूछा "क्या कर रहे हो?"
मैंने कहा- "अभी पता लग जाएगा..." कहकर अनु की गाण्ड के छेद पर अपनी उंगली रखकर अंदर घुसा दी।
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01-23-2021, 01:51 PM,
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desiaks
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
अनु चंक पड़ी। उसने अपनी गाण्ड को सिकोड़ लिया, और बोली- "बाब, वहां कुछ मत करो...
मैंने कहा- "मुझे सिर्फ अपनी उंगली डालनी है और कुछ नहीं करेंगा.."
अनु ने अपनी गाण्ड को फिर से टीला छोड़ दिया। मैंने उसकी गाण्ड में उंगली अंदर-बाहर करनी शुरू कर दी। मैं अब उसकी चूची चूसते हए अपनी उंगली से उसकी गाण्ड को टौलाल करने लगा। दो-तीन मिनट बाद मुझे लगनें लगा उसकी गाण्ड में मेरी उंगली फ्री आ जा रही है। अनु को भी मजा आने लगा था। मैंने अपनी एक और उंगली भी डालने की कोशिश कि, तो अनु को फिर से दर्द हआ।
अनु ने कहा- "बाबू दर्द होता है..."
मैंने उसके होंठों को चसना शुरू कर दिया। क्योंकी इससे उसको दर्द का एहसास नहीं होगा। मेरी दोनों उंगलियां भी जब फ्री हो गई तब मैंने अनु की चूची से मुँह हटा लिया और उसके पेट पर किस करते हुये उसकी नाभि तक आ गया। हम दोनों के ऊपर रजाई अभी तक थी। मैं अनु की दोनों जांघों के बीच में लेट गया मैंने अपने मुह को अनु की चूत पर रख दिया और ऐसा चूसना शुरू किया की अनु की सिसकियां जब तक पूरे रूम में नहीं गूंजने लगी मैंने अपना मुँह नहीं हटाया।
अनु अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी उसकी चूत लौड़ा मांग रही थी। पर मैं तो अनु की गाण्ड मारने की फिराक में था। मैंने अनु को बेड के कार्नर पर घोड़ी बना दिया और नीचे फर्श पर खड़ा हो गया।
ऋतु मुश्कुराकर सब देख रही थी। उसने मुझं आँख मारी की काम बन गया।
मैंने भी उसको इशारे में जवाब दे दिया। मैंने ऋतु को लण्ड चूसने का इशारा किया, तो ऋतु मेरे पास आकर घुटनों के बल बैठ गई। मैं ऋतु के मुँह में लौड़ा डालकर उसको लौड़ा चुसवाने लगा और साथ-साथ अनु की गाण्ड में उंगली घुसाता रहा। ऋतु की चूसा से लण्ड फुल तैयार हो गया। मैंने ऋतु के मुँह में लण्ड निकाल लिया और अनु की चूत में डाल दिया।
अनु की प्यासी चूत को राहत मिलने लगी। अनु की चूत मेरे लौड़े को एक बार में पूरा गटक गई और अब अनु अपनी गाण्ड को घुमा-घुमाकर लण्ड का मजा लेने लगी।
मैंने ऋतु को फिर से इशारा किया। वो अनु के मुँह के पास जाकर उसके होंठों को चूसने लगी और उसकी चूचियों से खेलने लगी। अनु और ऋतु दोनों एक दूसरे को किस करने लगी, तो मुझे अब पक्का यकीन हो गया की अनु पूरी मदहोशी में है।
मैंने अभी तक अनु की गाण्ड में अपनी उंगली को डाला हए था। मैंने अपनी उंगली बाहर निकाल ली। फिर मैंने
अनु की चत से लण्ड को बाहर निकाला और अनु की गाण्ड पर लगाकर जोर से दबा दिया। मेरे लण्ड का सुपाड़ा अनु की गाण्ड में आसानी से चला गया।
अनु जोर से चीखी- "बाब नहीं..." अनु ने कहा- "प्लीज वहां मत डालो, दर्द हो रहा है..."
मैंने अपने लण्ड को थोड़ा सा और जोर से दबाया और थोड़ा सा अंदर कर दिया। अनु की दर्द भरी आईईई उईईई
की सिसकियां सुनाई देने लगी। मैंने ऋतु को इशारे से कहा- "अनु का ध्यान दूसरी तरफ कर दे.."
ऋतु ने अनु की चूत को अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया। मैंने अनु की गाण्ड में अब तक अपने लण्ड को पूरा डाल दिया था।
अनु की गाण्ड पहली बार लण्ड ले रही थी, और अनु की गाण्ड का छेड़ थोड़ा कसा हआ भी था। मैंने अनु के चूतड़ों का हाथ से पकड़कर फैलाते हुए धक्के मारने शुरू कर दिए। इससे अनु की गाण्ड का छेद घोड़ा और फैल गया। अब अनु की गाण्ड को भी मेरे लौड़े की चोट अच्छी लगने लगी। अनु की सिसकियों में जो दर्द था, वो अब मजे में बदल गया।
अनु अब "आहह... मेरा बाबू उईईई... आह्ह.." करने लगी।
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