Indian Sex Story परिवार हो तो ऐसा
09-20-2018, 02:05 PM,
#51
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
राज चुप चाप बैठा अपनी दोनो बहनो के बीच की बात सुन रहा था.. उसका लंड फिर से हरकत कर खड़ा होने लगा था....उसे लगने लगा था कि उसकी दोनो बहने उससे गंद ज़रूर मरवा के रहेंगी...

तभी राज को याद आया कि प्रीति ने कहा था कि वो तीनो कुछ भी कर सकते है.. "प्रीति तुमने ये बात क्यों कही कि हम तीनो कुछ कर भी सकते है" प्रीति को अचानक याद आया कि बात कहाँ से शुरू हुई थी और कहाँ पहुँच गयी... तब उसने बताया कि किस तरह उसने अपने ही डॅडी को किस तरह अपनी चुचियों के दर्शन करा बहकाया था और इस हद तक उत्तेजित कर दिया था कि उनका लंड पॅंट मे मचल तन कर खड़ा हो गया था... कि जब गुड नाइट के लिए वो उनसे गले लगी थी तो उन्होने अपने लंड को उसकी जांघों पर ज़ोर से दबाया था... इतना कहकर प्रीति राज और स्वीटी के चेहरों पर उनकी प्रतिक्रिया देखने लगी... "एक बताउ प्रीति तुम्हारे डॅडी यानी कि मेरे ताउजि देखने मे काफ़ी हॅंडसम है.." स्वीटी ने कहा, "और जब तुमने हमे ये बता ही दिया है.. तो क्या उनका लंड राज से बड़ा और मोटा है?" स्वीटी की बात सुन कर प्रीति हँसने लगी... "हे भगवान तुम भी ना प्रीति..मुझे तो लगा था कि तुम नाराज़ हो जाओगी या फिर मुझे छीनाल गंदी सब उपाधियाँ दे डालगी"

"यार इसमे कुछ सोचने जैसा ही नही... हम दोनो अपने भाई से चुदवा ही रहे है.. और अगर तुमने अपनी अदाओं से अपने बाप को उत्तेजित कर दिया तो इसमे बुराई ही क्या है." स्वीटी ने जवाब दिया.

राज चुप चाप बैठा था की तभी प्रीति ने उससे पूछा की कहीं वो उससे खफा तो नही है. "नही लेकिन में भी कुछ सच बताना चाहता हूँ" राज ने शरमाते हुए कहा. "अब तुम ये मत कहना कि तुम मम्मी को चोद चुके हो?" प्रीति ने ज़ोर से कहा.


"नही ऐसा कुछ नही है" राज ने हस्ते हुए कहा.. और फिर उसने दोनो को वीडियो का पूरा किस्सा बताया कि किस तरह उसने प्रीति को नंगा देखना चाहा था और किस तरह उसकी मम्मी की नंगा देखा था और

बाद मे किस तरह उसने मम्मी की पॅंटी को अपने लंड पर लपेट मूठ मारी थी. "क्या तुम अपनी ही मम्मी को चोदना चाहोगे?" स्वीटी ने पूछा. "मुझे लगता है कि हां" राज ने जवाब दिया... शायद मेरा सोचना ग़लत है लेकिन जब में ख़यालों मे ये सब सोच ही चुका हूँ तो में कहूँगा कि अगर मुझे ये मौका मिला तो पीछे नही हटूँगा... "अब मेरी समझ मे आया कि कुछ भी कर सकते है का मतलब क्या था" स्वीटी ने कहा.. "मुझे लगता है कि जब में घर पहुँचुँगी तो मुझे भी अपने मम्मी पापा पर नज़र रखनी होगी.. कि क्या वो भी इतने ही खुले विचारों के है"


आज राज और प्रीति ने अपनी अपनी बातें एक दूसरे को बता दी थी.. और दोनो ही साथ मे स्वीटी भी अब सब कुछ जान चुकी थी.... कि तभी प्रीति ने आगे बढ़ कर राज के खड़े लंड को एक बार फिर पकड़

लिया... "ओह राज... इन सब बातों ने मेरी चूत मे एक बार फिर आग लगा दी है...... अपने लंड को मेरी चूत मे घुसा कर इसकी जाम कर धुनाई कर दो ना प्लीज़." प्रीति ने पीठ के बल लेटते हुए कहा.

राज खुशी खुशी उसकी टाँगो के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी चूत से लगा एक ही ज़ोर के धक्के मे अपना पूरा लंड घुसा दिया... स्वीटी प्रीति की छाती पर झुक गयी और उसकी चुचियों से खेलने लगी... राज का लंड अपनी बेहन की चूत के अंदर बाहर हो रहा था... स्वीटी ने अपने होंठ अपनी चचेरी बेहन के होठों पर रख दिए और उन्हे चूसने लगी.. राज अपनी दोनो बेहन को समलिंगन चुंबन लेते हुए देख रहा था और उत्तेजना मे ओर ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा...

तभी स्वीटी ने अपना चेहरा उठाया और राज से कहा की उसकी चूत को भी उसके लंड की ज़रूरत है.. राज ने अपना लंड प्रीति की चूत से निकाला और स्वीटी के पीछे आकर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.... "ऑश राज क्यों तडपा रहे हो प्लीज़ घुसा दो ना अंदर " स्वीटी

सिसकते हुए बोली. राज ने उसके दोनो कुल्हों को पकड़ा और और अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया... लंड को अंदर बाहर करते वक्त उसकी नज़र स्वीटी की गंद के छेद पर पड़ी... वो सोचने लगा कि क्या ये सही समय है उसकी गंद मे लंड पेलने का... दोनो ही गंद मे लंड लेने के लिए तय्यार थी.. उसना अपना मन पक्का कर लिया... राज ने अपना लंड स्वीटी की चूत से बाहर निकाला और अपने लंड को उसकी गंद के छेद पर घिसने लगा.. इससे उसके लंड पर लगे रस से स्वीटी की गंद का छेद चिकना हो गया फिर अपने लंड को वापस उसकी चूत मे घुसा दिया और अपनी उंगली उसकी गंद मे घुसा गोल गोल घुमाने लगा.... स्वीटी अपनी बेहन की चुचियाँ चूस रही थी... कि उसे राज की उंगली का एहसास अपनी गंद मे हुआ....और उसने प्रीति की चुचि चूसना बंद कर दिया... "रुक क्यों गयी... क्या हुआ?" प्रीति ने पूछा.

"वो मेरी गंद मे उंगली अंदर बाहर कर रहा है" स्वीटी ने जवाब दिया. प्रीति ने पाना चेहरा थोड़ा उठा कर देखा... राज की उंगली आराम से स्वीटी की गंद मे अंदर बाहर हो रही थी... "क्या अछा लग रहा है तुम्हे?" प्रीति ने स्वीटी से पूछा. "पता नही बड़ा अजीब सा लग रहा है लेकिन एहसास इतना बुरा भी नही है" स्वीटी
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09-20-2018, 02:05 PM,
#52
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
"राज मेरी भी गंद मे उंगली अंदर बाहर करो में भी देखना चाहती हूँ कि कैसा लगता है" प्रीति ने अपनी गंद को राज के और थोड़ा नज़दीक करते हुए कहा. राज ने अपने हाथों को प्रीति के पेट से लगाते हुए उसे और अपने पास खींचा जिससे उसके कूल्हे स्वीटी के कुल्हों से सॅट गये.... और उसने

अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत मे घुसा दी... और साथ ही स्वीटी की गंद मे उंगली करता रहा. फिर उसने प्रीति की चूत से उंगली निकाल उसकी गंद के छेद मे धीरे धीरे घुसाने लगा... अब वो स्वीटी की

चूत मे अपना लंड घुसाए उसकी गंद मे उंगली कर रहा था और प्रीति की गंद मे दूसरे हाथ से उंगली कर रहा था...

राज ने तभी अपना लंड स्वीटी की चूत से बाहर निकाल उसे अपनी बेहन की चूत मे घुसा धक्के मारने लगा.. उसका लंड अपने पूरे जोश मे था.. और वो उसकी गंद मे उंगली करते हुए ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगा...


प्रीति भी पूरे जोश मे आ गयी थी.. उसने नीचे से अपना हाथ पीछे किया और अपनी दो उंगलियाँ राज के लंड के साथ अपनी चूत मे घुसा दी.. और तेज़ी से आगे पीछे होते हुए सिसकने लगी... "ऑश राज हाँ चोदो मुझे और ज़ोर ज़ोर से चोदो ओ हां ऐसे ही कस कस के चोदो" प्रीति की सिसकियाँ सुन राज तो जैसे पागल हो गया वो अपनी उंगलियों को और उसकी गंद के अंदर घुसाते हुए उछल उछल कर ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा.. उसके लंड की नसों मे खून का बहाव तेज होता जा रहा था....


"ऑश राज हां और ज़ोर ज़ोर से ऑश हाआँ ऑश में तो गयी..." सिसकते हुए प्रीति की चूत ने पानी छोड़ दिया. प्रीति झाड़ तक कर निढाल और ढीली पड़ गयी... राज का लंड अभी भी तना हुआ था.. उसने अपना लंड प्रीति की चूत से बाहर निकाल लिया.. और स्वीटी के पीछे आ गया.. "अब तुम्हारी बारी है" राज ने अपपने लंड को स्वीटी की चूत पर रगड़ते हुए कहा. राज ने उसकी चूत को अपने हाथों से थोड़ा फैलाया और अपने लंड को एक ही धक्के मे उसकी चूत मे पूरा का पूरा घुसा दिया.... "ओह मर गयी.." स्वीटी चीख पड़ी. स्वीटी की चीख सुन राज ने अपना लंड थोड़ा बाहर खींच लिया तो स्वीटी को थोड़ी राहट पड़ी लेकिन राज तो आज पूरे अपने जोश मे था उसने ज़ोर का धक्का मार फिर अपने लंड को उसकी चूत मे पेल दिया.. और धक्के लगाने लगा.... स्वीटी को भी अब मज़ा आने लगा.. वो भी अपने चूतड़ आगे पीछे कर उसके धक्कों का साथ देने लगी.... राज अब उसकी चूत मे लंड पेलते हुए कभी अपने लंड को बाहर निकाल उसके पर लगे रस को उसकी गंद के छेद पर घिसता और फिर उसकी चूत मे लंड घुसा धक्के लगाने लगता... स्वीटी की गंद मे एक अजीब सी उथल पुथल मचने लगी थी... वो और तेज़ी से आगे पीछे हो उसके लंड को अपनी चूत मे ले रही थी....राज ने फिर अपनी उंगलियाँ उसकी गंद के छेद मे घुसा दी और एक बार वो उसके दोनो छेद को अपनी उंगली और लंड से चोदने लगा....


प्रीति की उत्तेजना अब शांत हो गयी थी और वो दीवान पर बैठी राज और स्वीटी को देख रही थी साथ ही राज को उकसाती भी जा रही थी... राज प्रीति के उकसाने से और तेज़ी से उसके दोनो छेदों को चोद रहा

था कि तभी उठ कर दोनो के पास आई... और बड़े प्यार से स्वीटी के छूतदों को मसल्ने लगी..


"लाओ मुइझहे इसकी गंद मे उंगली करने दो" प्रीति ने राज से कहा... राज ने अपनी उंगलियाँ स्वीटी की गंद से निकाल ली... वहीं प्रीति ने पहले अपनी दो उंगलियाँ राज के लंड के साथ स्वीटी की चूत मे घुसा

दी.. जब उसकी उंगलियाँ अछी तरह से चूत के रस से भीग गयी तो उसने उंगलियाँ निकाल उन्हे स्वीटी की गंद मे घुसा दी और अंदर बाहर करने लगी... स्वीटी के बदन मे तो जैसे हलचल मच गयी.. वो और तेज़ी से आगे पीछे हो प्रीति की उंगली अपनी गंद मे और राज का लंड अपनी चूत मे और अंदर तक लेने लगी.. स्वीटी की चूत मे अपना लंड पेलते हुए राज ने अपनी बेहन की दोनो चुचियो को पकड़ लिया और मसल्ने लगा.... और साथ ही उसके निपल पर चिकोत काटने लगा.. प्रीति को भी अब मज़ा आने लगा था और वो और तेज़ी से अपनी उंगली स्वीटी की गंद के अंदर बाहर करने लगी... और उसकी जिगयसा बढ़ने लगी कि क्या वो राज के भारी भरकम लंड को अपनी गंद मे ले पाएगी... राज प्रीति की बदन मे बढ़ती उत्तेजना को महसूस कर रहा था.. और वो और ज़ोर ज़ोर से स्वीटी को चोदने लगा...तभी उसने महसूस किया कि स्वीटी की चूत ने उसके लंड को अपनी मांसपेशियों से जाकड़ लिया है और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी... जब स्वीटी थोड़ा संभली तो उसने उसे ज़मीन पर पीठ के बल लीटा दिया और उसकी टाँगो को पूरा फैला दिया.प्रीति ने उसे सहारा दिया और पलंग पर लेटने मे उसकी मदद की.. राज अपने लंड को उसकी चूत पर कर मसल्ने लगा. प्रीति थोड़ी देर तक राज को अपना लंड मसल्ते देखते रही फिर झुक कर उसने उसके लंड को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगी...


जब राज का लंड और अकड़ने लगा तो उसने उसके लंड को बाहर निकाल दिया और राज ने वीर्य की पिचकारी स्वीटी की चूत और पेट पर छोड़ दी. जब सारा वीर्य नीचूड़ कर निकल गया तो उसने अपने लंड को स्वीटी के मुँह पर रखा जिसे उसने मुँह खोल कर अंदर लिया और चूसने लगे...


एक दिन शाम को वसुंधरा अपनी देवरानी नेहा के साथ शाम की चाइ पी रही थी और आपस मे बातें कर रही थी... "वासू बहोत दीनो से में तुमसे कुछ बात करना चाहती थी" नेहा ने अपनी जेठानी से कहा. "अछा? तो कहा क्यों नही अभी तक.." वासू ने नेहा के चेहरे की ओर देखते हुए जवाब दिया. "पता नही तुम मेरी बात सुनकर क्या सोचेगी.. पता है उस दिन जब राज और प्रीति मेरे यहाँ रात को रुके थे... उस रात चारों बच्चे किचन मे बर्तन सॉफ कर रहे थे.. कि में किचन मे एक कोल्ड ड्रिंक लेने गयी तो मेने तुम्हारे बेटे का खड़ा लंड उसकी शॉर्ट्स के उपर से देखा..... में ये बात नही कहती लेकिन मुझे लगता है कि राज का लंड बहोत ही मोटा और लंबा होगा...और में सोच रही थी कि क्या तुम्हे इस बात का एहसास है की तुम्हारे बेटे का लंड कितना मोटा और लंबा है" नेहा ने कहा. नेहा की बात सुनकर वासू ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी.. "अरे इस मे हैरान होने वाली कोई बात नही है.. मेने भी इस बात को महसूस किया है" वासू ने हंसते हुए कहा. "शुक्रा है भगवान का कि में अकेली ही इस बात को लेकर परेशान नही हूँ... पता है तुम्हे जब भी में उसके लंड के बारे मे सोचती हू तो मुझे ना जाने कैसे कैसे ख़याल आने लगते है.. कभी कभी तो मन करता है कि आगे बढ़ कर उसके खड़े लंड को अपने हाथो से पकड़ लूँ... मेरा कहने का मतलब ये नही है कि मोहन का लंड का छोटा या पतला है... पर उसका लंड पकड़ एक अजीब ही आनंद आएगा है ना?" नेहा ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

नेहा की बात सुनकर वासू की चूत मे चईटियाँ रेंगने लगी.... उसने खुद ने तो पकड़ने के अलावा सभी कुछ तो कर लिया था उसके साथ.. "शायद तुम ठीक कह रही हो" वासू ने जवाब दिया.

क्रमशः.......
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09-20-2018, 02:05 PM,
#53
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
परिवार हो तो ऐसा - पार्ट--16

गतान्क से आगे........

नेहा ने गौर किया कि अपने बेटे के लंड की बात सुनकर उसकी जेठानी के चेहरे पर हल्की सी चमक आ गयी थी.. और वो अपने सूखे होठों पर ज़ुबान फिरा रही थी.. तभी उसने महसूस किया राज के लंड की बात करते हुए उसके खुद के निपल तन कर खड़े हो गये थे.. कि उसने अपनी निगाह अपनी जेठानी के बदन पर घुमाई... तो उसने पाया कि वासू के निपल का उभार उसकी टाइट टॉप से सॉफ दीख रहा था... और उसकी चुचियाँ फूल गयी थी. "क्या बात है कुछ ज़यादा ही सोच रही हो क्या?" नेहा ने पूछा.


"क्या कहा तुमने" वासू अचानक चौंक पड़ी... और उसे एहसास हुआ कि वो अपनी देवरानी के साथ बैठी है..."ये सब तुम्हारी ग़लती है तुम्हीने इस ढंग से उसके लंड के बारे मे कहा कि मुझे भी अजीब ख़याल आने लगे..." वासू ने हंसते हुए कहा. "कसम से वासू जब भी तुम्हारे बदन को देखती हूँ तो मुझे कॉलेज के वो दिन याद आने लगते है.. जब हमारी शादी से पहले याद है ना तुम्हे" नेहा ने धीरे से कहा. "हां अछी तरह याद है.. भला उन दीनो को कैसे भूल सकती हूँ" वासू ने जवाब दिया. "तुम समझ रही हो ना में तुमसे क्या कह रही हूँ?" नेहा ने फिर

पूछा... वासू नेहा की बात को अच्छी तरह समझ रही थी.... "हां समझ तो रही हूं.. लेकिन में पिछले कई सालों से इस विषय के बारे मे नही सोचा.. क्या तुम उन दीनो को याद किया करती हो?"

"हां क्या करूँ.... जब भी कोई बहोत ही सुंदर और सेक्सी औरत दीखती हो तो उन दीनो की याद आ जाती है या फिर जब भी तुम्हारे खड़े निपल देखती हू तो रहा नही जाता" नेहा ने धीरे से जवाब

दिया.. "सच?" "हां और क्या.. जब तुम अपने होठों पर अपनी ज़ुबान फिरा रही थी तो मेरे दिल मे उन दीनो कि याद ताज़ा हो गयी ... याद है तुम्हे हमने कैसे सब शुरआत की थी... वासू को अपनी जवानी के वो दिन याद आने लगे जब वो और नेहा एक ही कॉलेज मे पढ़ते थे और गहरी सहेलियाँ थी... और दोनो ने सेक्स की पहल साथ साथ की थी.. किस तरह दोनो एक दूसरे को चूम चूस कर चुंबन की प्रॅक्टीस की थी....


और बात यहाँ तक बढ़ी की दोनो समलैंगिक सेक्स का आनंद उठाने लगे... दोनो एक दूसरे की चूत को चूसना और उसमे उंगली कर मज़ा लेने लगे थे.. ये सिलसिला करीब एक साल तक चला था कि वासू ने अपना पहला बाय्फ्रेंड बनाया और उसने भविश्य के लिए नेहा को मना कर दिया... नेहा उनके बीच का ये

रिश्ता आगे बढ़ाना चाहती थी लेकिन वासू ने मना कर दिया था... "क्या तुम दूसरी औरतों के साथ सेक्स का मज़ा लेती हो?" वासू ने अपनी सहेली और देवरानी से पूछा. "नही तुम पहली और आखरी औरत थी... ऐसा नही कि मेने कोशिश नही की लेकिन हर बार किसी को पसंद करने के बाद आगे बढ़ने की हिम्मत नही हुई... तुम नही जानती तुम्हारे बारे मे सोचते ही मेरी चूत मे जैसे आग सी लग जाती है." नेहा ने जवाब दिया. "सच कहूँ तो मेने भी कभी तुम्हारे अलावा किसी दूसरी औरत के साथ सेक्स नही किया है.. और तुम्हारी बातों ने मेरी भी सोई हुई भावनाओं को जगा दिया है" वासू ने कहा...


"तो क्या आज फिर तुम उस रिश्ते का आरंभ करना चाहोगी.. में तुम्हारी चूत चूसना चाहती हू" नेहा ने कहा. "में भी यही सोच रही थी.. कि क्यों ना एक बार पुराने रिश्ते की शुरआत कर जिंदगी का मज़ा लिया जाए" वासू ने कहा.. नेहा को तो जैसे कोई माँगी हुई मुराद मिल गयी.. वो झट से अपनी कुर्सी से उठी और उसे अपनी सहेली को गले लगा लिया... "मुझे पता था कि तुम मना नही करोगी...." कहकर उसने वासू का हाथ पकड़ा और उसे अपने बेडरूम मे ले आई... "तुम नही जानती आज में कितनी खुश हूँ" नेहा ने कहा और वासू उसका ब्लाउस खोलने लगी.....लेकिन नेहा ने उसे रुक जाने को कहा और उसे अपनी तरफ खीच अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए.. वासू ने भी उसका साथ दिया और उसके होठों को चूसने लगी. साथ ही उसने अपनी जीब उसकी मुँह मे दे दी जिसे नेहा चूसने लगी.. और अपनी जीब

से मिलाने लगी...


दोनो के हाथ एक दूसरे के बदन पर रेंग रहे थे और एक दूसरे के अंगों को सहला और मसल रहे थे.... नेहा के हाथ वासू के टॉप के आगे के बटन खोलने लगे.. जैसे ही उसका एक बटन खुलता तो उस

जगह के नंगे जिस्म को वो चूम लेती...अब वो नीचे झुकते हुए एक एक बटन खोलने लगी.. थोड़ी ही देर मे वो नीचे घुटनो के बल बैठ गयी.... और जब नीचे का बटन खोला तो वासू की नाभि दीखाई देने लगी.. वो आगे झुकी और उसकी नाभि को चूम लिया और अपनी जीब की नोक उसकी नाभि मे घूमने लगी... उत्तेजना मे वासू का बदन कांप उठा... नेहा ने फिर आखरी बटन खोल टॉप अपनी सहेली के बदन से उतार दिया...


नेहा ने फिर ब्रा मे क़ैद वासू की चुचियों को पकड़ लिया और सहलाने लगी.... अपनी उंगली से उसकी गोलाइयाँ नापने लगी.... साथ ही वो अपनी जीब को उसकी चुचियों की किनारे फिराने लगी.. वासू के हाथ नेहा के सिर पर कस गये. और उसके मुँह से सिसकारी फूटने लगी.. नेहा ने अपना हाथ उसकी पीठ पर किया और उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया और उसकी ब्रा को खींच निकाल दिया.... वो अपनी सहेली के खड़े

निपल को देखने लगी... और झुक कर उन्हे मुँह मे ले लिया और चूसने लगी....अपनी जीब से उन्हे चुलबुलाने लगी... वासू ने नेहा के गुलाबी रंग के टॉप को पकड़ा और सिर से उठा कर निकाल दिया.. वासू की नज़रे भी नेहा की भारी और कड़ी चुचियों पर टीक सी गयी...उसके निपल उसी की तरह काफ़ी बड़े बड़े थे.. वो उसकी चुचि को पकड़ मसल्ने लगी... उसकी चुचि पहले के मुक़ाबले काफ़ी बड़ी और भारी हो गयी थी... "नेहा तुम्हारी चुचि और निपल तो काफ़ी बड़े हो गये.. है पहले से" वासू ने अपनी सहेली से कहा. "बच्चे पैदा होने के बाद औरतों का शरीर कहाँ पहले जैसे रह पाता है" नेहा ने जवाब दिया. "हां शरीर का आकार तो नही रहता लेकिन चुदाई मे वैसा ही मज़ा आता है.. है ना? वासू ने जवाब देते हुए पूछा. "ये तो दुनिया की सचाई है" नेहा ने कहा और उसके होठों को चूसने

लगी. और अपने बदन को वासू के बदन से रगड़ने लगी....
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09-20-2018, 02:05 PM,
#54
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
"अब तुम्हारे बाकी के बदन को देखना है.. कितने साल हो गये देखे हुए" कहकर नेहा ने उसकी स्कर्ट के हुक को खोला और उसकी ज़िप नीचे खिच दी.. फिर नीचे बैठते हुए उसकी स्कर्ट नीचे खिसका दी... वासू की आसमानी रंग की पॅंटी नज़र आने लगी.. उसने अपना मुँह पॅंटी के उपर से उसकी चूत पर रखा तो पाया कि उसकी पॅंटी वहाँ से गीली हो गयी थी.. "लगता है की तुम मेरे लिए तय्यार हो" नेहा ने कहा और उसकी पॅंटी की एलास्टिक को पकड़ा नीचे खिसका दिया.. वासू ने अपनी टाँगे उठा अपनी पॅंटी को निकाल दिया.. उसकी गुलाबी चूत चमक रही थी...जिस पर बॉल का एक रेशा तक नही था.. "अरे वाह तुम्हारी चूत तो एक दम साफा चॅट है" नेहा ने कहा... "हां" वासू ने कहा.. अब वो पूरी तरह नंगी अपनी सहेली के सामने खड़ी थी. "पर पहले तो तुम अपनी झांते साफ नही करती थी" नेहा ने कहा.


"हां लेकिन अब कई सालों से ऐसे ही रहती हू" वासू ने जवाब दिया. "बलदेव को बिना बालों की चूत बहोत अछी लगती है" "मोहन भी मुझसे कई बार झटें सॉफ करने को कह चुका है.. लेकिन पता नही क्यों मेने ऐसा अभी तक नही किया.." नेहा ने कहा. "तुम्हे उसकी बात माननी चाहिए.. सच मे बिना बालों की चूत मे लंड लेने मे बहोत मज़ा आता है" "पता नही फिर एक बार अजमौँगी ज़रूर" कहकर नेहा अपनी उंगली वासू की चूत पर फिराने लगी...."वासू प्लीज़ अब पलंग पर लेट जाओ" वासू अपनी टाँगो को फैलाए पलंग पर लेट गयी और नेहा उसकी टाँगो के बीच आ गयी... और उसके नंगे जिस्म को निहारने लगी..


"पता है तुम्हे तुम्हारा ये नशीला बदन किसी को भी बहका सकता है" नेहा ने उसके गोरे बदन को निहारते हुए कहा.और अपनी जीन्स के बटन खोल उसे नीचे खिसका निकाल दिया..और साथ ही पॅंटी भी

उतार दी. वासू की नज़रे नेहा की बदन से घूम उसकी चूत पर टीक गयी.. उसकी चूत एक दम साफा चॅट तो नही थी लेकिन नेहा ने अपनी झांते अछी तरह तराश कर उन्हे छोटी कर रखा था... "तुम्हारा भी जिस्म कम नही है.. किसी नमार्द के लंड मे भी ये जान फूँक देगा" वासू ने मुस्कुराते हुए कहा.


नेहा अपने खड़े निपल को वासू के नंगे जिस्म पर रगड़ते हुए उपर की ओर खिसकने लगी... जब वो उसकी चुचियों पर पहुँची तो उसने उसके निपल को मुँह मे लिया और चूसने लगी...पहले उसने दाएँ निपल को चूसा और फिर उसके बाएँ निपल को चूसने लगी...और एक हाथ नीचे कर उसकी चूत को मसल्ने लगी.. उत्तेजना मे वासू सिसकने लगी..


"ऑश वासू तुम्हारे साथ सेक्स करने की कितने दीनो से इच्छा थी...आज में बहोत खुश हूँ" नेहा अपन सहेली के बदन से अपने बदन को रगड़ते हुए बोली. नेहा अब वासू के बदन को चूम रही थी...सहला रही थी.. मसल रही थी.....जब उसके हाथ उसकी चूत पर पहुँचे तो वो उसे मुट्ठी मे भर भींचने लगी...फिर अपनी उंगली उसकी गीली चूत मे घुसा गोल गोल घूमाने लगी.. और फिर उंगली को बाहर निकाल उसे मुँह मे ले चूसने लगी... नेहा फिर झुकी और अपनी जीब को उसकी चूत के चारों और फिराने लगी...फिर उसकी चूत को थोड़ा फैला उसने जीब अंदर घुसा दी और उसकी चूत को चुलबुलाने लगी.... गोल गोल घूमाने लगी... और ज़ोर ज़ोर से चाटने लगी..


वासू की चूत मे तो जैसे भुकूंप आ गया हो... वो अपने ही हाथों से अपनी खड़ी चुचियों को मसल्ने लगी.. अपने निपल को खींचने लगी... वो झड़ने के लिए मरी जा रही थी.... लेकिन नेहा थी कि इस खेल को और खेलना चाहती थी.. आज कितने बरसों का बाद उसे ये मौका मिला था... नेहा ने वासू की चूत को चूसना और चाटना बंद किया और अपनी उंगली उसकी चूत मे घुसा अंदर बाहर करने लगी और साथ ही दूसरी उंगली से उसकी गंद के छेद को कुरेदने लगी...एक बार फिर उसने उंगली उसकी चूत मे घुसाइ और उसकी चूत के रस से गीली कर उसने अब एक उंगली वासू की गंद मे घुसा दी.. अब वो उसकी चूत और गंद मे उंगलियाँ अंदर बाहर करने लगी..




नेहा ने अब उंगली के साथ एक बार फिर अपनी जीब उसकी चूत पर रख दी और उसकी चाटने लगी... कि तभी वासू का बदन कांपा और उसकी चूत झड़ने लगी.. लेकिन नेहा थी कि वो काम मे लगी हुई थी.. वो उसकी

चूत चूस रही थी.. उसकी गंद मे उंगली अंदर बाहर कर रही थी.. इस दोहरे मज़े से वासू चीख सी पड़ी और उसने नेहा के सिर को और ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया.. और अपनी कमर उठा अपनी चूत को और उसके मुँह मे घुसेड दिया.... नेहा और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूसने लगी.. अपनी उंगली अंदर

बाहर करने लगी. उसकी गंद मे उंगली और अंदर तक घुसाने लगी.... 'ऑश नेहा हाआँ ऑश और ज़ोर से चूस ऑश हां और अंदर तक अपनी जीभ घुसा और अंदर तक ऑश हां" वासू अपने सिर को इधर उधर पटक सिसकने लगी.. और उसकी चूत ने दोबारा पानी छोड़ दिया...


वासू ने नेहा को अपने उपर से उठने को कहा और नेहा ने अपनी सहेली को छोड़ दिया.. वासू पलंग पर पसर सी गयी.. और नेहा खिसक कर उसके बगल मे लेट गयी.. "थॅंक्स वासू कि तुमने मुझे ये सब करने दिया.. में तुम्हे बहोत पसंद करती हूँ" नेहा उसके बदन को सहलाते हुए बोली.


"शुक्रिया तो मुझे तुम्हारा करना चाहिए... आज तुमने एक बार फिर मुझे वो सुख दिया जिससे मैं इतने सालों से मिस कर रही थी..." वासू ने कहा.. "लेकिन जिस तरह तुम चूत चूस्ति हो उससे तो यही लगता है कि तुम्हे चूत चूसने की अछी ख़ासी प्रॅक्टीस है" "क्या हम फिर से ऐसा कर सकेंगे?" नेहा ने पूछा. "हां ज़रूर करेंगे.. लेकिन पहले अब में तुम्हारा शुक्रिया करूँगी" वासू ने कहा.


"सच.... मुझे यकीन नही हो रहा" नेहा किसी बच्ची की तरह ताली बजाते हुए बोली... वासू करवट बदल कर अपनी सहेली और देवरानी के उपर चढ़ गयी और उसके होठों को चूसने लगी... अपने ही चूत के रस का स्वाद लेने लगी... फिर नीचे खिसकते हुए वो उसके बदन को चूमने लगी.. फिर

ठीक उसी की तरह उसकी चुचियों को चूसने लगी... फिर नीचे खिसकते हुए वो उसकी चूत के नज़दीक आई और उसकी चूत को फैला अपनी जीब अंदर घुसा दी.


वासू उसकी चूत को चूस्ते हुए ऐसे उसकी जांघों पर लेट गयी और उसकी टांग को उठा अपने उपर रख ली.. फिर अपनी जीब के साथ अपनी उंगली उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगी.. नेहा तो जैसे ही गयी.. आअज उसे फिर कई साल पहले का मज़ा आ रहा था.. उसने अपनी टाँगो को कैंची बना वासू के सिर को जाकड़ लिया और अपनी कमर हिलाने लगी.. वासूकी जीब अब नेहा की चूत के दाने कुरेदने लगी और चुलबुलाने

लगी....और तभी नेहा की चूत पानी छोड़ने लगी... वासू बड़े प्यार से अपनी सहेली के रस पीने लगी.... आख़िर थक कर दोनो अलग हुई और एक दूसरे के बगल मे लेट गयी.
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09-20-2018, 02:05 PM,
#55
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
"नेहा शायद में तुम्हारी एक ख्वाइश पूरी कर सकती हूँ" वासू ने थोड़ी देर बाद कहा., "में कुछ समझी नही.." नेहा ने अचंभे मे कहा.. पता नही कौन सी ख्वाइश की बात कर रही है..

"क्या तुम राज का लंड देखना चाहोगी?" वासू ने अपनी सहेली और देवरानी से पूछा. "कहीं तुम मज़ाक नही तो नही कर रही हो?" नेहा ने जवाब मे पूछा. "हां में तुम्हारी ये तमन्ना पूरी कर सकती हूँ" वासू ने जवाब दिया.

नेहा अपनी जेठानी की बात सुनकर चौंक पड़ी और सोचने लगी कि वो किस तरह उसे अपने ही बेटे का लंड दीखा सकती है... "दीदी तुम ये कैसे कर सकती हो?" नेहा ने चौंक कर पूछा. "में तुम्हे एक राज की बात बताती हूँ... पर तुम्हे एक वादा करना होगा कि तुम किसी को बताॉगी नही.." वसुंधरा ने अपनी देवरानी नेहा से कहा. "ठीक है दीदी में वादा करती हूँ" नेहा ने जवाब दिया. तब वासू ने नेहा को बताया कि किस तरह उसने राज का ईमेल आईडी हासिल कर लिया था और किस तरह उसने एक अलग नाम से आईडी बना अपने ही बेटे के लंड को वेब कॅम पर देखा है... बस अपनी देवरानी से होटेल मे चुदाई वाली बात छुपा गयी.. "अरे वाह दीदी तुम तो छुपी रुस्तम निकली.. " नेहा ने खिलखिलते हुए कहा...


"यार मेरी भी कुछ तमाननाएँ है.. कुछ इच्छाए है" वासू ने जवाब दिया... "अछा अब ये बताओ क्या तुम इस खेल के लिए तय्यार हो?" "वो तो ठीक है दीदी.. लेकिन क्या राज इस बात के लिए तय्यार होगा..?" नेहा ने पूछा... "और क्या तुम्हे बुरा नही लगेगा अगर में तुम्हारे ही बेटे को कंप्यूटर पर मूठ मारता देखूँगी या फिर में कुछ उसके के लिए करूँ तो...?" "मुझे बुरा नही बल्कि खुशी होगी.. और तुम राज की तो चिंता मत करो.. तुम मर्दों की फ़ितरत को नही जानती. जहाँ उन्हे नई चूत की भनक लगी कि वो सूंघते हुए दौड़े चले आ जाते है.. में कोई ना कोई रास्ता निकाल कर तुम्हे खबर कर दूँगी" वासू ने अपनी देवरानी को आश्वासन दिलाया.. "ठीक है फिर जब तुम्हे कोई ऐतराज़ नही तो मैं तय्यार हूँ" नेहा ने कहा.


तब वासू ने अपनी देवरानी को गले लगा अलविदा कहा और अपने घर की ओर चल पड़ी.. रास्ते में वो ये सोच कर खुश थी कि उसके उसकी देवरानी और सहेली के साथ एक बार फिर संबंध शुरू हो गये थे... और अब उसने उसे इस बात का वादा भी कर दिया था कि वो किसी ना किसी तरह उसे राज का लंड दीखा देगी..

क्रमशः.......
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09-20-2018, 02:05 PM,
#56
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
परिवार हो तो ऐसा - पार्ट--17 



गतान्क से आगे........

प्रीति ने अपने चाचा का ईमेल आईडी आईडी बॉक्स मे टाइप कर उसके साथ अटॅच कर दी.. अब सिर्फ़ सेंड करना बाकी था.. वो स्क्रीन के सामने बैठी सोच रही थी कि उसे ये कहानी मैल करनी चाहिए कि नही. वो दुविधा मे फँसी हुई थी.. तभी उसे एक आइडिया आया.. कहानी के साथ उसने चाचा को एक मैल भेजने की सोची... और वो टाइप करने लगी.. डियर अंकल मोहन, आज में आपसे कुछ कहना चाहती हूँ... उस दिन जब मैं आपके यहाँ रुकी थी तो सुबह जल्दी उठ गयी थी और ग़लती से मैने आपके कंप्यूटर को टटोल डाला था... इस के लिए माफी चाहती हूँ.. तभी मेरे हाथ एक कहानी लगी जिसे शायद आप लिख रहे थे.. उत्सुकता मे

मैं इसे पढ़ने लगी तो मुझे कहानी अछी लगी.. तो मैने उसे अपने ईमेल आईडी पर मैल कर दिया था..


दो तीन दिन में आपकी कहानी को लेकर सोचती रही और फिर मुझे लगा कि मुझे इस कहानी को आगे बढ़ाना चाहिए.. और मेने ऐसा ही किया... मुझे खुशी होगी कि अगर आप मेरे लिखे के आगे इस कहानी को बढ़ा मुझे वापस मैल कर दें. बस इतना कहना चाहूँगा कि में आगे की कहानी के लिए बेचैन हू... आपकी प्यारी भतीजी प्रीति


इतना लिखकर प्रीति ने सेंड बटन दबा उसे मैल कर दिया और सोचने लगी कि उसके चाचा की क्या प्रतिक्रिया होगी.... क्या वो इस कहानी को अपनी स्टडी कुर्सी पर बैठ पढ़ते वक्त गुस्सा होंगे या फिर उत्तेजना मे एक बार फिर अपने लंड को मूठ मारेंगे.. यही सब सोचते हुए वो अपने कमरे से निकली और किचन की ओर गयी. तो देखा कि उसके पिताजी डाइनिंग टेबल पर बैठे अपने लिए ड्रिंक बना रहे है..


उत्तेजना मे उसकी हालत खराब थी.. चूत मे चईतियाँ रेंग रही थी और जोरों की खुजली मची हुई थी.. राज भी कहीं बाहर गया हुआ था और उसकी चूत की खुजली मिटाने वाला कोई नही था उसकी समझ मे

नही आ रहा था कि वो क्या करे... फिर उसने स्वीटी को भी फोन किया था लेकिन वो भी घर पर नही थी... "हाई डॅड, क्या हो रहा है? उसने अपने पिता से पूछा.. और बार फिर शरारत मे उनके बगल से निकलते हुए अपनी चुचियों को उनकी बाँह पर रगड़ दिया... "बस कुछ खास नही... प्रीति.. तुम क्या कर रही हो आज दिन मे? "कुछ नही.. बहोत ही बोरिंग दिन आज का... राज भी घर पर नही है और ना ही स्वीटी.. और मेरे बाकी की सहेलियों से भी कॉंटॅक्ट नही हो रहा है.... इसलिए शायद अकेली बैठ कोई मूवी देखूँगी.. आप का प्रोग्राम है? "


"ठीक तुम्हारे जैसा... तुम्हारी मा अपनी देवरानी यानी कि तुम्हारी चाची से मिलने के लिए गयी है.. और में यहाँ अकेला बोर हो रहा हूँ.. सोचता हूँ की बाहर लॉन की सफाई कर दूं और पैधों को पानी दे दूं" "फिर तो ठीक है" कहकर प्रीति ने फ्रिड्ज से कोल्ड ड्रिंक की बॉटल निकाली और हॉल मे आ गयी. उसने द्वड प्लेयर मे एक सीडी लगाई और टीवी के सामने बैठ गयी..


प्रीति कहने को टीवी देख रही थी लेकिन उसके दिमाग़ मे तो कुछ और घूम रहा था.. और उसकी सोच का असर उसकी चूत पर हो रहा था.. उसने महसूस किया की उसकी चूत गीली हो गयी और साथ ही उसकी पॅंटी

पूरी तरह से भीग गयी है.. उसका हाथ खुद बा खुद उसकी जीन्स के अंदर से होता हुआ उसकी चूत तक पहुँच गया और वो अपनी चूत को मसल्ने लगी.. और फिर उसने अपनी उंगली चूत मे घुसा दी और अंदर से रगड़ने लगी.. देव ने जब लॉन की सफाई कर दी और पौधों को पानी दे दिया तो उसने सोचा कि क्यों ना कुछ खा लिया जाए.. वो किचन मे आया तो उसे टीवी की आवाज़ सुनाई पड़ी.. तो उसने सोचा कि क्यों ना प्रीति को भी खाने के लिए पूछ लिया जाए.. और वो हाल की तरफ बढ़ गया.. बलदेव ने जैसे ही हॉल मे कदम रखा तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी.. टीवी पर मूवी चल रही थी और प्रीति दीवान पर लेटी हुई थी.. उसकी आँखे तो टीवी स्क्रीन पर गढ़ी थी लेकिन उसके हाथ उसकी पॅंट के अंदर से चूत को मसल रहे थे.. उसने टीवी की ओर देखा लेकिन स्क्रीन पर ऐसा कुछ नही था कि जिसे देख कोई उत्तेजित हो सकता था... प्रीति को इस तरह अपनी ही चूत से खेलते देख उसके लंड ने तुरंत हरकत की... वो जानता था कि उसे वहाँ से फ़ौरन चले जाना चाहिए लेकिन अपनी ही बेटी को इस तरह अपनी चूत को मसल्ते देख वो अपने आप को रोक नही पाया और वहीं खड़ा रहा.. उसने देख की प्रीति की साँसे तेज हो गई थी और उसकी भारी चुचियाँ उपर नीचे हो रही थी और वो समझ गया कि अब उसकी चूत पानी छोड़ने वाली ही है..
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09-20-2018, 02:05 PM,
#57
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
इस बात से अंजान प्रीति ने एक तकिया उठा अपने ही मुँह पर रख अपनी सिसकी को रोका और तभी उसके बदन मे कंपकंपी हुई और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी... देव तुरंत पलट कर वापस किचन मे आ

गया..और देखे हुए दृश्य को अपने ख़यालों से निकालने की कोशिश करने लगा जिससे उसके लंड मे उठी उत्तेजना शांत हो जाए.. पाँच मिनिट के बाद देव की हालत थोड़ी सुधरी तो उसने सोचा कि क्यों

ना अब जाकर प्रीति कोभी खाने के लिए पूछ लिया जाए.. इसलिए वो हॉल की तरफ बढ़ा और इस बार उसने जान बुझ कर इतनी आवाज़ पैदा की जिससे उसकी बेटी को उसके आने का पता चल जाए.. "प्रीति क्या तुम कुछ खाना पसंद करोगी?" देव ने हॉल के दरवाजे पर खड़े रहकर पूछा. "हां पापा.. भूक तो लग रही है" प्रीति ने जवाब दिया.. देव ने देखा की उसका चेहरा चमक रहा था शायद चूत की गर्मी जो शांत हो गयी थी...देव पलट कर वापस किचन मे चला गया.. दीवान पर लेटी हुई प्रीति सोच रही थी... "हे भगवान बाल बाल बच गये.. अगर पापा पाँच मिनिट पहले हॉल मे आ जाते तो क्या

होता?" वो अपने आप से बोल उठी.. क्या वो मुझे अपनी चूत मे उंगल अंदर बाहर करते देखते रहते.. या फिर पलट कर चले जाते या फिर गुस्सा करते....


प्रीति यही सोच रही थी.. उसे आज लंड की ज़रूरत थी.. वो अपनी चूत मे लंड लेने के लिए मरी जा रही थी... लंड के लिए वो कुछ भी करने को तय्यार थी... देव कुछ सॅंडविच बनाकर वापस हॉल मे आया और प्रीति के बगल मे बैठ गया... दोनो मिलकर सॅंडविच खाने लगे... देव ने उससे पूछा

कि वो क्या देख रही है... तब प्रीति ने अपने पापा को बताया.... दोनो अपना खाना खा रहे थे कि प्रीति को फिर शरारत सूझी.. उसने देखा कि टीवी का रिमोट पापा के दूसरी ओर पड़ा है तो वो उसे उठाने

के लिए इस तरह झुकी की उसकी चुचियाँ देव की जांघों से रगड़ खा गयी... कहने को देव टीवी पर चल रही मूवी देख रहा था लेकिन उसके दिमाग़ मे तो घूम रहा था प्रीति की चुचियों का एहसास जो उसकी जांघों पर रगड़ खाने से हुआ था... और इसका नतीजा ये हुआ कि उसका लंड एक बार फिर मचलने लगा... आख़िर वो उठ कर हॉल से जाने के लिए खड़ा हो गया...


"पापा क्या आप बाकी की पिक्चर मेरे साथ नही देखेंगे?" प्रीति ने अस्चर्य से पूच्छा.. "नही ऐसी बात नही है बस ज़रा अपने लिए ड्रिंक लेके आता हूँ" देव ने जो बहाना उसके दिमाग़ मे आया कह दिया...

"क्या बात है पापा आप कुछ परेशान लग रहे है?" प्रीति ने अपनी एक सरसरी निगाह अपने पिता के लंड पर फिराते हुए कहा.


देव चुप चाप हॉल से बाहर चला गया... उसकी समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या करे.... आख़िर उसे वापस ड्रिंक लेकर हॉल मे आना पड़ा... और वो प्रीति के बगल मे बैठ गया.. ना चाहते हुए

भी उसकी नज़रे उसकी भारी चुचियों पर उठ जाती और प्रीति थी कि रह रह कर उसके खड़े लंड को देख लेती.... कि तभी मैन डोर का ताला खुला और राज ने घर मे कदम रखा...... देव अपनी मनो दशा को छुपाते हुए उठा और घर के बाहर लॉन मे चला गया. "हाई राज" प्रीति ने अपने भाई से कहा... उसके चेहरे पर खुशी की लहेर दौड़ गयी. प्रीति ने राज का हाथ पकड़ा और उसे अपने कमरे मे ले गयी.. और इससे पहले की राज उससे कुछ कहता वो उस पर किसी भूकि बिल्ली की तरह टूट पड़ी और उसकी पॅंट के बटन खोल उसे नीचे खिसकाने लगी.. फिर अपनी जीन्स को खोल उतार दिया और पलंग पर अपनी टाँगे फैला लेट गयी....


"मुझे चोदो राज कब से तड़प रही हूँ तुम्हारे लंड के लिए प्लीज़ आअब मेरे पास आओ ना" प्रीति लगभग गिड़गिदते हुए बोली. "तुम्हारी चूत के लिए तो मेरा लंड हमेशा तय्यार रहता है... " राज ने मुस्कुराते हुए कहा.


"अब जल्दी भी करो नही तो कहीं ऐसा ना हो कि मुझे मम्मी के कमरे मे जाकर देखना पड़े कि कहीं उन्होने भी कोई नकली लंड तो नही छिपा रखा" प्रीति ने कहा. "और अगर मुझे मम्मी के कमरे मे डिल्डो मिल गया तो फिर मुझे तुम्हारे लंड की ज़रूरत नही रहेगी समझे" प्रीति ने अपने भाई को और चिढ़ाते हुए कहा. राज ने तुरंत अपनी टी-शर्ट को सिर के उपर से उठा निकल दिया और अपनी बेहन की टाँगो के बीच कूद पड़ा... और अपने लंड को उसकी मुलायम चूत पर रगड़ने लगा...

"अब तड़पते ही रहोगे या इसे इंदर भी घुसाओगे" प्रीति ने अपनी कमर को उठा का र्कहा... जैसे की उसके लंड को अंदर लेना चाह रही हो. राज ने उसकी टाँगो को फैलाया और अपने लंड को चूत से लगा एक धक्का मारा.. राज का लंड प्रीति की चूत की दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुस गया.


'ऑश तुम्हे नही पता मुझे आज तुम्हारे लंड की कितनी ज़रूरत थी.. ऑश हां अछा लग रहा है.. ओह हाआँ चूओड़ो मुझे " प्रीति सिसक पड़ी.


राज ज़ोर ज़ोर के धक्के लगा अपनी बेहन को चोदने लगा.. 'ठप ठप' की आवाज़ कमरे मे गूंजने लगी..


'ऑश हां चोदो और ज़ोर से चोदो ऑश हां ऐसे ही कस कस के मारो मेरी चूत"
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09-20-2018, 02:06 PM,
#58
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
प्रीति ने राज के चेहरे को पकड़ा और उसे पानी चुचियों पर खींच लिया.. राज भी उसके इशारे को समझे उसकी चुचि को चूस चूस कर ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा... प्रीति ने अपनी टाँगे उठा कर उसकी कमर से लपेट ली और उसके हर धक्के का साथ अपनी कमर उठा कर देने लगी.. 'ऑश हाआँ और ज़ोर ज़ोर से ओ मेरा छूटने वाला है.. ऑश ऊहह में तो गयी... "


राज का लंड उबाल खाने लगा था और वो कभी पानी छोड़ने वाला था इसलिए उसने अपना लंड उसकी चोदने वाला है...उसने अपना लंड प्रीति की चूत से बाहर निकाला और और उसे ज़ोर ज़ोर से अपने हाथों से

मसल्ने लगा... प्रीति उठ कर घुटनो के बल बैठ गयी और उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.. जोश मे राज उसके मुँह मे धक्के लगाने लगा... कि उसके लंड ने ज़ोर की पिचकारी छोड़ते हुए अपना वीर्य उसके मुँह मे छोड़ दिया... प्रीति उसके वीर्य को पीती गयी और राज का लंड पिचकारी छोड़ता रहा... आख़िर दोनो तक कर निढाल हो लेट गये.. "क्या मम्मी सही मे डिल्डो या नकली लंड रखती है?" राज ने अपनी बेहन से पूछा. "मुझे पता नही.. मेने तो ऐसे ही कह दिया.. लगता है कि अब मम्मी

के कमरे की तलाशी लेनी पड़ेगी" प्रीति ने पलंग से उठ अपने कपड़े पहनते हुए कहा.


"ख़याल बुरा नही है" राज ने भी अपने कपड़े पहनते हुए कहा. "लेकिन आज नही क्यों कि पापा अभी भी घर पर ही है" प्रीति ने कहा. "ठीक है किसी और दिन देख लेंगे" राज ने जवाब दिया. प्रीति कमरे से बाहर चली गयी तो राज अपने कमरे मे आकर अपने ईमेल चेक करने लगा... उसने देखा कि एक ईमेल गीली चूत की ओर से आया था.... उसने खोल कर पढ़ा तो पाया कि गीली चूत ने एक बार फिर वेब कॅम के सामने उससे अपने लंड को मुठियाने की रिक्वेस्ट की थी.. क्यों की वो अपनी किसी सहेली को उसका लंड दीखाना चाहती थी.. राज ने उसे रिप्लाइ दिया कि उसे ऐसा करके खुशी होगी और आज रात 8.30 बजे का टाइम भी लीख दिया कि वो उस समय इस के लिए तय्यार रहेगा.. इसलिए वो अपनी सहेली को बता दे..


वसुंधरा ने वो मेसेज अपनी देवरानी नेहा को दिखाया.. "अब तो ठीक है ना आज रात 8.30 बजे तुम मेरे लंड को देख सकोगी और वो तुम्हारे लिए मूठ भी मारेगा" नेहा खुशी से उछल पड़ी और पीछे से अपनी जेठानी को बाहों मे भर लिया..जो अपने देवर के कम्यूटर पर के सामने बैठी थी. "वाह दीदी तुमने तो कमाल ही कर दिया... " कहकर नेहा वासू की चुचियों को मसल्ने लगी..


पूरा दिन देवरानी और जेठानी एक दूसरे के जिस्म से खेल अपनी अग्नि को शांत करते रहे.. जब शाम को वासू जाने लगी.. तो उसने नेहा को फिर रात के समय की याद दिलाई.. उस दिन शाम को मोहन कंप्यूटर के सामने बैठा अपनी भतीजी से आई मैल को पढ़ रहा था.. वो कम से कम दस बार उस मैल को पढ़ चुका था... उसे विश्वास नही हो रहा था कि ये मैल उसकी अपनी भतीजी ने भेजी है..


उसे लगा कि शायद उसके हाथ ये कहानी लग गई होगी और वो चाहती थी कि कहानी की लड़की वो चोदो... वो भी ऐसा ही चाहता था लेकिन कहानी को आगे लीख नही पाया था.. और अब उसकी भतीजी ने ये कर दिया था और वो चाहती थी कि वो इस कहानी को आगे बढ़ाए... उसे याद आने लगा कि उस दिन सुबह जब उसने प्रीति को आध नंगी हालत मे देखा था तो किस तरह उसका लंड तन कर खड़ा हो गया था. "मोहन क्या में बाद मे थोड़ी देर के लिए कंप्यूटर यूज़ कर सकती हूँ?" नेहा ने अचानक स्टडी रूम मे आते हुए कहा. मोहन अपनी बीवी की आवाज़ सुनकर चौंक पड़ा और झट से उसने कम्यूटर की स्क्रीन बंद कर दी. "तुमने तो मुझे डरा ही दिया... " मोहन ने पलट कर उसकी ओर देखते हुए कहा.


"इसके लिए में माफी चाहती हूँ.. तो क्या में यूज़ कर सकती हूँ>" "हां हां क्यों नही" मोहन ने जवाब दिया और सोच मे पड़ गया कि अचानक उसकी बीवी को कंप्यूटर की क्या ज़रूरत पड़ गयी.


"ठीक है फिर में 8.30 बैठूँगी" नेहा ने कहा. "ठीक है"
Reply
09-20-2018, 02:06 PM,
#59
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
स्वीटी और शमा अपने दोस्तों के साथ रात के लिए कहीं बाहर गये थे.. मोहन टीवी के सामने बैठा था और नेहा अपने पति के कंप्यूटर के सामने कुर्सी पर बैठ गयी.. उसने स्टडी रूम का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया था.. कुर्सी उपर बैठ उसने अपनी टाँगे फैला दी और मेस्सन्गेर ऑन कर लिया.. और >में प्यासी हूँ> आईडी से लोग इन कर लिया.. ये आईडी उसे वासू ने बना कर दी थी..


नेहा फ़्रेंड लिस्ट मे देखने लगी.. जहाँ वासू ने राज मस्ताना का नाम पहले से ही आड कर दिया था.. उसने देखा कि राज मस्ताना पहले से लोग इन था.. और साथ ही गीली चूत भी. .. जैसे ही उसने लोग इन

किया उसे वीडियो कान्फरेन्स के लिए न्योता मिला और उसने उसे आक्सेप्ट कर लिया.


नेहा ने देखा कि उसका भतीजा राज कंप्यूटर के सामने एक कुर्सी पर बैठा था और उसने शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहन रखी थी.



गीली चूत} मेरी सहेली लोग इन हो गयी है में प्यासी हूँ} हेलो

राज मस्ताना} है.. कैसी हो?


में प्यासी हूँ} ठीक हूँ


गीली चूत} राज क्या तुम मेरी सहेली को अपना लंड दीखाने के लिए तय्यार हो क्या मूठ भी मारोगे?


राज_मस्ताना} हां क्यों नही.. तुम दोनो तय्यार हो


में प्यासी हूँ} हां


नेहा ने स्क्रीन के कॅम पोर्षन पर अपनी निगाह डाली जहाँ उसका भतीजे ने अपने लंड को शॉर्ट से बाहर निकाल लिया था.. वो उसके लंड का आकार देख दंग रह गयी.. और उसके मुँह से एक आह सी निकल गयी..


गीली चूत} मेने कहा था ना कि तुम्हे पसंद आएगा.

में प्यासी हूँ} हां तुम ठीक कह रही थी.

क्रमशः.......
Reply
09-20-2018, 02:06 PM,
#60
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
परिवार हो तो ऐसा - पार्ट--18

गतान्क से आगे........

राज अपने लंड को मसल्ने लगा... दो दो प्यासी औरतें उसे अपने लंड को मसल्ते देख रही है यह सोच ने उसे और जोश मे ला दिया था..और थोड़ी ही देर मे उसका लंड अपनी पूरी लंबाई और मोटाई मे तन

कर खड़ा था..


में प्यासी हूँ} इससे मोटा और लंबा लंड मेने आज से पहले कभी नही देखा.


गीली चूत} बहोत हाई मस्त लंड है ना?


में प्यासी हूँ} ये तुम मुझसे कह रही हो.


राज आज अपने साथ माय्स्चुरिज़र लेकर आया था.. वो थोड़ा माय्स्चुरिज़र अपनी हथेली मे ले अपने लंड को मसल्ने लगा.. उसका लंड चमकने लगा और कुछ ज़्यादा तन गया... उसकी निगाह स्क्रीन पर गढ़ी हुई थी

जहाँ वो पढ़ रहा था कि उन दोनो को कितना मज़ा आ रहा था..


राज मस्ताना} क्या तुम दोनो अपनी चूत से खेल रही हो.


गीली चूत} और नही तो क्या.. तुम्हारे लंड को देख कौन अपने आप पर कंट्रोल कर सकेगा.


में प्यासी हूँ} में भी.


नेहा की आँखे अपने भतीजे के मोटे लंड पर टिकी हुई थी कि किस तरह अपने लंड को मुट्ठी मे भर ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था.. उसकी चूत गीली हो रही थी.. वासू के कहे अनुसार उसने पॅंटी नही पहन

रखी थी.. अपने स्कर्ट को उठा वो एक हाथ से मेसेज टाइप कर रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत से को रगड़ रही थी.. चूत से रस बह कर उसकी स्कर्ट को भिगो रहा था..


नेहा अपनी चूत को मसल्ति रही और राज को लंड पर मूठ मारते देखती रही कि तभी राज के लंड ने एक ज़ोर की पिचकारी छोड़ी और वीर्य छूटने लगा.....

गीली चूत} शुक्रिया राज

राज मस्ताना} इसमे शुक्रिया की क्या बात है.. शायद एक दिन इसका तुम बदला चुका दो.


गीली चूत} इसके लिए में तय्यार हूँ

गीली चूत} गुड नाइट राज

राज मस्ताना} गुड नाइट ... फिर कभी मिलते है

गीली चूत} हां क्यों नही.

नेहा ने कंप्यूटर बंद किया कि तभी फोन की घंटी बज उठी. "तो मेरे बेटे का लंड कैसा लगा तुम्हे?" दूसरी ओर से वासू ने पूछा. "सच कहूँ तो मुझे सपने मे भी उम्मीद नही थी कि उसका लंड इतना मोटा और लंबा होगा.. सही मे मज़ा आ गया.. सोच अगर ये लंड हमारी चूत मे घुसे तो कैसा मज़ा आएगा?" नेहा ने जवाब दिया. "हां में भी कभी कभी यही सोचती हूँ" वासू ने कहा. "सच वासू मुझे विश्वास नही होता कि उसे आज तक ये पता नही है कि वो अपनी मा के सामने इस तरह अपने लंड को मूठ मारता है... " "हां और आज से उसकी चाची के सामने भी" वासू ने जवाब दिया. "मुझे तुम्हारा तो पता नही लेकिन मुझे तुरंत बाथरूम जाकर अपनी चूत की गर्मी को शांत करना है... आज कुछ ज़रूरत से ज़्यादा ही खुजली मच रही है" नेहा ने कहा. "हां में तुम्हारी हालत समझ सकती हूँ... मुझे खुद को नही मालूम कि अपने बेटे के लंड को देख कर और सोच कर में कितनी बार अपनी गर्मी अपनी उंगलियों से शांत कर चुकी हूँ.. ठीक है गुड नाइट" कहकर वासू ने फोन रख दिया.


नेहा ने फोन रख दिया और सोचा की बाथरूम मे जाकर अपनी चूत की खुजली को मिटाए फिर उसके दिल मे आया की मोहन के घर मे होते हुए हाथों से क्यों...


नेहा ये सोच कर हॉल मे आ गये जहाँ मोहन टीवी के सामने बैठा कोई प्रोग्राम देख रहा था.. वो उसके सामने आकर बैठ गयी.. मोहन ने अपने हाथ उसके कंधे पर रख दिए.. नेहा उसकी पॅंट के बटन खोलने लगी.. जिससे उन्हे खींच कर नीचे खिसका सके.. मोहन हैरत भरी नज़रों से अपनी बीवी को देख रहा था.. उसके चमकते चेहरे को देखता रहा और नेहा ने उसकी पॅंट को नीचे खिशका उसे मुरझाए लंड को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगी...वो अपनी जीब उसे चुलबुलाने लगी और चूसने लगी... थोड़ी ही देर मे उसका लंड तन गया.. अब वो अपने मुँह को पूरा खोल उपर

नीचे करते हुए ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को चूसने लगी... थोड़ी देर उसके लंड को चूसने के बाद नेहा उठ कर खड़ी हो गयी और अपनी स्कर्ट उठा कर अपने पति को बताने लगी कि आज उसने पॅंटी नही पहन रखी है.. फिर उसकी टाँगो पर चढ़ उसके लंड को अपनी चूत से लगाया और नीचे बैठ गयी.. उसका खड़ा लंड गॅप से उसकी चूत मे दाखिल हो गया...

नेहा अब उछल उछल कर उसके लंड को अपनी चूत मे लेने लगी.. मोहन ने भी उसकी कमर को पकड़ा और उसे धक्के लगाने मे मदद करने लगा... नेहा अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़ती और फिर धक्के लगाती.. उसके नज़रों के सामने तो अपने भतीजा मोटा लंबा लंड घूम रहा था.. वो सिसकारिया भर और ज़ोर ज़ोर से उछल उछल कर धक्के लगाने लगी.. ...और उसकी चूत ने झड़ना शुरू कर दिया.. मोहन ने जब अपनी पत्नी को शांत होते देखा तो उसे गिरा कर सोफे पर लिटा दिया और खुद उसकी टाँगो के बीच आ गया और अपने लंड को चूत मे घुसा हुचक हुचक कर धक्के मारने लगा... उसकी चुचियों को मसल्ते हुए वो ज़ोर ज़ोर के धक्के लगा रहा था... 'ऑश हाआँ ऑश हाआँ"

मोहन को पता था कि उसकी पत्नी को भयंकर चुदाई मे मज़ा आता था.. इतने सालों की शादी मे वो अपनी पत्नी की पसंद को जानता था.. उसे भी नेहा का नंगा जिस्म बहोत अछा लगता था.. साथ ही उसे कमसिन लड़कियों को देखने मे भी मज़ा आता था..
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