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RE: Hindi Sex Kahani नशे की सज़ा
नशे की सज़ा पार्ट--12
गतान्क से आगे......
जैसे ही बॉब्बी ने सलोनी के गालों पर स्लॅप किया, उसने तुरंत ही अपनी जीभ उसके लिंग पर फिरानी शुरू कर दी और बॉब्बी मस्ती मे डूबकर सलोनी के मुख मैथुन का आनंद लेने लगा. इस समय चल रहे इस सारे नाटक की वीडियो रेकॉर्डिंग लगातार चल रही थी ताकि इसको दिखाकर ना सिर्फ़ मुझे और सलोनी को वरन सलीम और परवेज़ को भी ब्लॅकमेल किया जा सके.
नेहा जब सलीम और परवेज़ की काफ़ी दुर्गति कर चुकी तो उसने रंजन की तरफ देखकर कहा-“ रंजन, इन दोनो का क्या करें ?”
रंजन ने नेहा से हंसकर कहा-“अब यह चारों लोग हमारे लाइफ-टाइम स्लेव्स बन गये हैं-निशा और सलोनी हमारे लिए सेक्स स्लेव्स का काम करेंगी और यह दोनो हमारे गुलाम बनकर रहेंगे-सबसे पहले तो इन दोनो से कहो की टेबल पर रखे पेपर्स पर फटाफट सिग्नेचर करें ताकि इनके रेज़िग्नेशन्स इनके हॉस्टिल मे दिए जा सकें-उसके बाद यह दोनो हमारे स्टूडियो मे सदा स्वीपर का काम करेंगे और वो सभी काम करेंगे जो हम सब इनसे करने के लिए कहेंगे-इन लोगों को सिर्फ़ खाना और ज़रूरी कपड़े पहनने के लिए दिए जाएँगे-और कुछ नही.”
बॉब्बी ने भी उसकी हां मे हां मिलाते हुए कहा-“बिल्कुल ठीक…….आज से यह दोनो नामुराद हमारे लिए बिना मोल के गुलाम हैं-इससे ज़्यादा कुछ नही……….इनसे सारे पेपर्स पर साइन करवा लो.”
नेहा ने दोनो को फटकार्टे हुए कहा-“चलो दोनो खड़े हो जाओ और जैसे साहब लोग कह रहे हैं-सभी पेपर्स पर चुपचाप साइन कर दो.”
सलीम और परवेज़ उठकर खड़े हुए और पेपर्स पर साइन करने लगे-वो दोनो हम लोगों के हाथों की कठपुतली बन गये थे,यह वो अब भली भाँति समझ चुके थे.
इधर रंजन ने अपना सारा वीर्य रस मेरे मूह मे भर दिया और बोला-“इस सारे रस को पी जाओ……गिरना नही चाहिए एक बूँद भी…………” मैं उसके सारे के सारे वीर्य रस को फटाफट पी गयी और फिर उसके लिंग पर अपनी जीभ फिरा फिरा कर उसे सॉफ करने लगी. मेरी इस बात से रंजन बहुर खुश हो गया और नेहा से बोला-“ यार यह तो बहुत बढ़िया सेक्स स्लेव है…….अपने आप ही सब कुछ किए जा रही है-कुछ भी कहने की ज़रूरत नही पड़ रही है…….”
उधर बॉब्बी ने सलोनी को अपनी दोनो टाँगों पर उल्टा करके लिटा लिया था और उसके चिकने गोल नितंबो पर अपने हाथ को फिरा फिरा कर मस्ती ले रहा था. मैं जब रंजन के लिंग को सॉफ कर चुक्की तो नेहा ने मुझे ऑर्डर दिया-“निशा तुम ज़रा इधर आकर मेरी कुछ खातिर करो.”
मैं नेहा के पास चली गयी-इस बीच नेहा ने बॉब्बी से लेदर बेल्ट ले ली और मेरे नंगे बदन पर ज़ोर से एक स्ट्रोक लगाते हुए बोली-“फटाफट शुरू हो जाओ….मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नही पड़नी चाहिए,,,,,,,,मेरी कब क्या ज़रूरत है…… मेरे सेक्स स्लेव को यह बात हमेशा मालूम होनी चाहिए.” यह कहने के साथ ही नेहा ने अपना भीगा हुआ योनि प्रदेश मेरे मूह के सामने कर दिया-मेरे पास उसके योनि प्रदेश को अपनी जीभ से चाटने के अलावा और कोई रास्ता नही था.बीच बीच मे नेहा मेरे गालों पर थप्पड़ भी लगाती जा रही थी-“ठीक से चाट चिकनी…….मज़ा नही आ रहा है………” उसका स्लॅप खाने के बाद मैं फिर से उसे खुश करने मे लग जाती.
हम सब के सेक्सप्लाय्टेशन का यह सिलसिला रुकने का नाम ही नही ले रहा था-रंजन,बॉब्बी और नेहा-तीनो ही हम चारों की हर संभव तरीके से दुर्गति कर रहे थे-इस सारी रास लीला मे रात के 2 बज गये इसका पता तब चला जब रंजन ने कहा-“नेहा मुझे अभी कुछ ही देर मे एक वी आइपी गेस्ट को रिसीव करने एरपोर्ट पहुँचना है-फ्लाइट 3 बजे आएगी…ऐसा करो इन सब गुलामो को तुम अपने तरीके से मॅनेज कर लो……..और मैं एरपोर्ट के लिए निकल रहा हूँ.”
बॉब्बी ने रंजन की तरफ देखकर कहा-“तुम चलो….हम इन सब को मॅनेज कर लेंगे-अभी तो मौज़ मस्ती शुरू हुई है………अभी तो निशा का टॅलेंट भी टेस्ट करना है..”
इसके बाद रंजन तो वहाँ से चला गया और बॉब्बी ने सलीम और परवेज़ को ऑर्डर देते हुए कहा-“ऐसा करो तुम लोग तो अपने काम पर अभी से लग जाओ……..सारे स्टूडियो की और सारे ऑफीस की पूरी सफाई तुम दोनो की ज़िम्मेदारी है आज से-मैने यहाँ के सारे स्वीपर्स की पहले से ही छुट्टी कर दी है………कहीं भी कोई गंदगी नज़र नही आनी चाहिए और पूरा स्टूडियो और ऑफीस चकाचक चमकता रहना चाहिए-कुछ कमी पाई गयी तो भारी सज़ा मिलेगी……….समझ गये……….”
“जी साब……….समझ गये……….आपको शिकायत का कोई मौका नही मिलेगा.” सलीम और परवेज़ दोनो एक साथ बोले और अपने अपने काम पर लग गये.
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RE: Hindi Sex Kahani नशे की सज़ा
इसके बाद बॉब्बी ने सलोनी के नितंबों पर जोरदार स्लॅप मारते हुए कहा-“चल चिकनी……उठ जा और अब सलोनी मेडम की खिदमत मे लग जा………नेहा ज़रा इस चिकनी को मेरे हवाले करना-रंजन इसकी बड़ी तारीफ कर रहा था-ज़रा मैं भी तो इसका टॅलेंट टेस्ट करके देखूं.”
इसके बाद नेहा ने मुझे अपनी गिरफ़्त से आज़ाद करते हुए कहा-“चल चिकनी,खड़ी हो जा….तेरी खबर अब बॉब्बी साहब लेंगे………जा उनको जी भारकर खुश कर……..कोई शिकायत नही चाहिए मुझे…….समझी….?”
“जी मॅम, समझ गयी…….मैं बॉब्बी सर को पूरी तरह से खुश करने की कोशिश करूँगी.” मैने नेहा से कहा और बॉब्बी के सामने आकर खड़ी हो गयी.
नेहा अब सलोनी से अपने योनि प्रदेश को चटवा चटवा कर मौज़ मस्ती मे डूबी हुई थी और उसे बॉब्बी और मेरे बीच क्या हो रहा था इसकी शायद कोई भी खबर नही थी.
बॉब्बी कुछ देर तक मुझे देखता रहा-मैं पूरी तरह से नंगी थी.
“अपने हाथ उपर उठाओ ! “ काफ़ी देर बाद बॉब्बी की आवाज़ सुनाई दी और मैने ओबीडियेंट स्लेव की तरह अपने हाथ उपर उठा लिए.
“अपनी जंघें थोड़ी फैलाओ ! “ बॉब्बी का अगला हुक्म जारी हुआ और मैने अपनी टाँगे फैलाकर खड़ी हो गयी-अब मेरे योनि प्रदेश को काफ़ी अच्छी तरह देखा जा सकता था.
कुछ देर तक बॉब्बी मुझे इसी पोज़िशन मे देख देख कर अपना लिंग सहलाता रहा-उसके लिए यह बेहद एरॉटिक सीन था जो उसने कभी सपने मे भी नही सोचा होगा कि कभी कोई जवान खूबसूरत लड़की अपने सारे कपड़े उतार कर उसके सामने अपने हाथ उपर उठाकर और जंघे फैलाकर खड़ी होगी.
बॉब्बी अब सोफे से उठा और उसने कमेरे का रुख़ मेरी तरफ कर दिया-ज़ाहिर था की अब कमेरे मे सिर्फ़ मेरी ही रेकॉर्डिंग हो रही थी-नेहा और सलोनी की नही-बॉब्बी की भी नही.बॉब्बी बोला-“अब ज़रा अपने कान पकड़कर 100 बार उत्थक बैठक लगाते हुए यह बोलो कि –“मैं बॉब्बी सर की यौन गुलाम हूँ.”
मैने कान पकड़ लिए और हर उत्तक बैठक के साथ यह दोहराने लगी-“मैं बॉब्बी सर की यौन गुलाम हूँ.”
बॉब्बी दुबारा से सोफे पर बैठ गया था और मुझे देखकर अपने लिंग को सहलाता जा रहा था.
नेहा जो अब तक सलोनी की चूमा चाती की मस्ती मे डूबी हुई थी,उसने अचानक अपनी आँखें खोली तो मुझे उत्थक बैठक लगाते हुए पाया.उसने सलोनी से कहा-“चलो,,,तुम अब ज़रा बॉब्बी के लिंग को रिलीफ पहुँचाओ.मैं इसको देखती हूँ.” कहते हुए नेहा मेरे पास आकर पास रखी कुर्सी पर इस तरह से बैठ गयी ताकि मेरा गोरा चिकना और मखमली बदन उसकी पकड़ मे रहे.
बॉब्बी की तरफ देखकर नेहा बोली-“बॉब्बी अब मैं तुम्हे एक ऐसा गेम शो दिखाने जा रही हूँ-जिसमे मैं इस चीक्कनी के मखमली बदन के जिस किसी भाग पर अपना हाथ रखूँगी, यह उस भाग का नाम हमे हिन्दी मे बताएगी------है ना मज़ेदार गेम…….?”
बॉब्बी के लिंग को सलोनी ने अपने मूह मे ले रखा था-वो और भी अधिक बौरता हुआ बोला-“ हां हां शुरू करो यह गेम…….काफ़ी मज़ेदार लग रहा है सुनने मे तो. इस गेम को मैं भी आगे बढ़ाना चाहूँगा”
यह कहने के बाद नेहा ने अपना हाथ मेरे नितंबो पर ज़ोर से लगाया और बोली-“ठीक है उत्थक बैठक बहुत हो गयी……..अब रुक जाओ…….और जो मैं कहती हूँ उसे सुनो………समझ गयी कि फिर से समझाना पड़ेगा………?”
“जी मॅम मैं समझ गयी……….” मैने नेहा से कहा
“क्या समझ गयी ?” नेहा कहाँ छोड़ने वाली थी.
“यही कि आप मेरे बदन पर जहाँ कहीं भी अपना हाथ रखेंगी,मुझे उस जगह का नाम हिन्दी मे बताना है…….और अगर नाम नही बता पे या नाम बताने मे देरी की तो बॉब्बी सर अपनी लेदर बेल्ट से मेरे नितंबों को स्पॅंक कर सकते हैं.” मेरे अंतिम वाक्य को सुनकर बॉब्बी का मन बाग बाग हो उठा था-क्यूंकी उसने लेदर बेल्ट को एकदम कसकर पकड़ लिया था जैसे की अगले ही पल उसका इस्तेमाल करने जा रहा हो.
सुबह के 10 बज चूक्के थे -इससे पहले की यह सेक्सप्लाय्टेशन का गेम और आगे बढ़ता, रंजन अचानक ही वहाँ पर पहुँचा और बॉब्बी की तरफ देखकर घबराता हुआ बोला-“हम लोग बुरी तरह फँस चुके हैं-सब कुछ छोड़कर भागने मे ही ख़ैरियत है-डीआरआइ की रेड होने की खबर मुझे अभी अभी लगी है”
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RE: Hindi Sex Kahani नशे की सज़ा
बॉब्बी ने भी घबराहट मे पहले तो अपने कपड़े संभाले,फिर रंजन से बोला-“ डीआरआइ की रेड किस चक्कर मे पड़ रही है ? “
इस अफ़रा तफ़री का फ़ायदा उठाकर मैने और सलोनी भी अपने अपने कपड़े उठाकर उन्हे पहनने लगी.नेहा ने भी अपने आपको संभाला और घबराकर रंजन से बोली-“ यार.यह डीआरआइ की रेड का क्या चक्कर है ?”
रंजन के चेहरे पर घबराहट बढ़ती जा रही थी-“ यह वक़्त बातों मे पड़कर समय बर्बाद करने का नही है-हमारे चॅनेल के उपर कुछ फॉरिन एक्सचेंज वाइयोलेशन के सीरीयस चार्जस की डीटेल डीआरई वालों के हाथ लग गयी है-मैने सारा इंटेज़ाम कर रखा है-फटाफट यहाँ से सिंगापोर निकल लेते हैं-आज किसी भी समय यह रेड हो सकती है…….”
यह सब बातचीत अभी चल ही रही थी कि उसी वक़्त 6 लोगों की टीम वहाँ पर यकायक पहुँच गयी और उन लोगों मे उनका टीम लीडर टाइप आदमी कड़क आवाज़ मे बोला-“कोई होशियारी दिखाने की जुर्रत ना करे……..तुम सब लोग डीआरआइ की टीम की कस्टडी मे हो और जब तक हम लोगों की तसल्ली नही हो जाती, कोई भी यहाँ से हिलेगा भी नही.” मैने देखा की उन 6 लोगों की टीम मे 2 पोलीस ऑफीसर भी थे और उनमे एसीपी अमित भी था- अमित एसीपीराज शर्मा का दोस्त था अमित को देखकर मेरी जान मे जान वापस आई. मैने और सलोनी ने एक दूसरे की तरफ देखा और हमारे चेहरे खुशी से खिल उठे. नेहा ,बॉब्बी और रंजन के चेहरे पर घबराहट सॉफ दिख रही थी-सलीम और परवेज़ सारा मज़रा समझकर, टीम के वहाँ पहुँचने से पहले ही काट लिए थे.
एसीपी अमित ने मेरी और सलोनी की तरफ देखते हुए अपनी टीम के बाकी लोगों से कहा-“यह दोनो लड़कियाँ हमारे साथ हैं-बाकी के तीन लोगों से पूछताछ की जाएगी.”
नेहा कुछ बोलना चाहती थी,लेकिन इससे पहले की वो कुछ बोल पाए,अमित के साथ आए दूसरे पोलीस ऑफीसर इनस्पेक्टर विवेक ने उसके दोनो हाथ पीछे की तरफ बँधकर हथकड़ी लगा दी और बोला-“जब तक बोलने के लिए नही कहा जाए कोई नही बोलेगा.”
अमित मुझे बता चुक्का था कि पोलीस वाले इस तरह की बातें सिर्फ़ अपना रौब जमाने और ख़ौफ़ पैदा करने के लिए करते हैं-इनका कोई और मतलब नही होता.
क्रमशः.......
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RE: Hindi Sex Kahani नशे की सज़ा
नशे की सज़ा पार्ट--13
गतान्क से आगे......
नेहा को हथकड़ी लगते देख रंजन बोल उठा-“इनस्पेक्टर साहिब,हम लोग को-ऑपरेट करने को तैइय्यार हैं,फिर हथकड़ी वग़ैरा की क्या ज़रूरत है.”
यह सुनते ही इनस्पेक्टर विवेक ने एक थप्पड़ कस्के रंजन के मूह पे लगाया और बोला-“अब तू हमे बताएगा कि हम अपना काम कैसे करें ?” कहने के साथ ही उसने रंजन और बॉब्बी दोनो के हथकड़ी लगा दी.
ड्री टीम के चार लोगों मे टीम लीडर लखटकिया के अलावा उनके डिपार्टमेंट के तीन और जूनियर ऑफीसर रोहित,नवीन और विशाल थे.
जब नेहा,बॉब्बी और रंजन तीनो को हथकड़ी लग गयी,तो अमित ने ड्री टीम के बाकी के चार लोगों की तरफ देखा और बोला-“लीजिए लखटकिया साहिब,आपके तीनो मुजरिम आपके हवाले कर दिए गये हैं-आप इनकी खूब इनटेरगेशन कीजिए.” यह कहने के बाद, अमित मुझे और सलोनी को लेकर दूसरे कमरे मे आ गया.
मैने और सलोनी ने अमित को अपनी आपबीती बताई और यह भी बताया-“ सर, इन लोगों के पास वो सारी ड्व्ड्स भी हैं जिन मे आप और कमिशनर साहब भी हैं.”
अमित ने यह सुनकर कहा-“अब तक ड्री की टीम ने इनका सारा समान अपनी कस्टडी मे ले लिया होगा.” इसके बाद अमित ने फोन करके इनस्पेक्टर विवेक से कह भी दिया-“इन लोगों के पास कुछ ड्व्ड्स भी हैं जिन में कुछ सेन्सिटिव डीटेल्स हैं-उन्हे इनके लोगों से लेकर तुरंत मेरे पास भेजो.”
कुछ ही देर मे इनस्पेक्टर विवेक सारी ड्व्ड्स वहाँ लेकर हाजिर हो गया-“ सर यह रहीं आपकी ड्व्ड्स.लखटकिया साहिब पूछ रहे हैं कि इन लोगों का इनटेरगेशन यहा पर ही करना है या फिर इनको ड्री हेडक्वॉर्टर ले चलें ?”
“मैं अभी लखटकिया साहिब से बात कर लेता हूँ-तुम तब तक ऐसा करो कि निशा और सलोनी को पोलीस गेस्ट हाउस मे पोलीस की जीप से ड्रॉप करवा दो. वहाँ यह कुछ देर आराम कर लेंगी.”
इनस्पेक्टर विवेक ने पहले तो कहा-“ यस सर…….”, फिर कुछ रुककर बोला-“ सर मैं इन दोनो को खुद ही ड्रॉप कर देता हूँ और अगर आप पर्मिशन दें तो उस लौंडिया को थाने ले जाकर उसका इनटेरगेशन कर लूँ ? “
अमित के चेहरे पर मुस्कान आ गयी-“हां, उस लौंडिया नेहा का वैसे भी इस ड्री के केस से सीधे तौर पर कोई लेना देना नही है-लेकिन उसे थाने मत ले जाओ-उसका जो भी करना है पोलीस गेस्ट हाउस मे ही करो.निशा और सलोनी भी तुम्हारी मदद कर सकती हैं इनटेरगेशन करने मे-तुम्हारा काम कुछ आसान हो जाएगा.”
विवेक को तो मानो मूह माँगी मुराद मिल गयी.वो “ठीक है सर,जैसा आपका हुक्म” कहकर, मुझे और सलोनी को लेकर फटाफट वहाँ से निकल आया और पोलीस जीप मे बैठकर,ड्राइवर से बोला-“अपने गेस्ट हाउस चलो”.
विवेक की जल्दबाज़ी देखकर मुझे हँसी आ गयी-“ सर आप जल्दबाज़ी मे कुछ भूल रहे हैं …”
“वो क्या…?” विवेक के मूह से निकला
“आपकी मुजरिम नेहा…..उसे तो आपने यहीं छोड़ दिया…इनटेरगेशन किसका करेंगे?”
“ओह सॉरी आंड थॅंक्स !” कहता हुआ विवेक अंदर की तरफ तेज कदमो से गया और अगले ही पल वो नेहा को लेकर वापस आ गया. नेहा के हाथ अभी भी पीछे की तरफ बँधे हुए थे और हथकड़ी लगी हुई थी.
हम सब जीप मे पीछे की सीट्स पर बैठ गये.जीप मे कपड़े के पर्दे का पेर्षन होने की वजह से पीछे क्या कुछ हो राहा है, इसका ड्राइवर को कुछ भी अंदाज़ा नही हो सकता था.
जब हम सब बैठ गये तो विवेक ने जीप का पिछला दरवाज़ा भी बंद कर दिया और जीप चल पड़ी.
मैं और सलोनी जीप मे एक तरफ की सीट पर बैठे हुए थे.दूसरी तरफ की सीट पर विवेक बैठा हुआ था और उसने नेहा को भी अपने साथ ही बिठाया हुआ था.
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RE: Hindi Sex Kahani नशे की सज़ा
विवेक ने फिर एक सेन्ल्युवस थप्पर नेहा के गाल पर लगाया और बोला-“अब तुझे भूलने की आदत भी हो गयी-तुझे याद दिलाने के लिए भी कुछ मेडिसिन खिलानी पड़ेगी ? “
“नही सर “ नेहा बोली
“तो फिर ?” विवेक ने फिर एक चपत नेहा के गाल पर लगा दी.
मैं और सलोनी दोनो ही विवेक द्वारा नेहा के इस अद्भुत ह्युमाइलियेशन शो को देखकर काफ़ी उत्तेजित महसूस कर रही थे. खुद विवेक की पॅंट मे भी जबरदस्त टेंट बन गया था और उसका लिंग उसकी ज़िप से बाहर निकलने तो बेताब हो रहा था. विवेक की उमर लगभग 24 साल की ही थी क्यूंकी वो काफ़ी यंग लग रहा था और उसका किसी लड़की के साथ यह पहला एक्सपीरियेन्स लग रहा था-अभी तक विवेक ने जो कुछ भी नेहा के साथ किया था, वो सब किसी इंग्लीश फिल्म मे दिखाए गये सीन जैसा लग रहा था.
नेहा को फिर से चुप देख विवेक ने उसके दोनो गालों पर बारी बारी से हल्के हल्के चपत लगाने शुरू कर दिए…….ऐसा लग रहा था कि चपत लगाने का यह सिलसिला कभी थामेगा ही नही-“तुम जब तक मुझे जबाब नही दोगि, तब तक ऐसे ही थप्पड़ लगते रहेंगे.” मानो विवेक उसे कम,हम लोगों को इस बात की सफाई ज़्यादा दे रहा था कि वो इस तरह से नेहा की सेन्ल्युवस फेस स्लॅपिंग क्यूँ कर रहा था.
“जी सर.” नेहा को कुछ समझ नही आया कि वो क्या बोले.
इस बीच मैने ही विवेक की तरफ देखा और कहा-“सर, आपको रिलॅक्स करने की ज़रूरत है-अभी तो कम से कम 30 मिनिट्स और लग जाएँगे हमे गेस्ट हाउस पहुँचने मे.”
इससे पहले की विवेक मेरी बात को समझ पाता, मैने नेहा को हुक्म दिया-,”चल चीक्कनी,घुटनो के बल बैठ जा और साहब को रिलॅक्स करने दे.”
विवेक शायद अभी भी मेरी बात का पूरा मतलब नही समझा था लेकिन नेहा मेरा इशारा समझ गयी थी और फटाफट विवेक के सामने घुटनो के बल बैठ गयी.उसके हाथ हथकड़ी से पीछे की तरफ बँधे हुए थे इसलिए उसे समझ नही आ रहा था कि शुरुआत कैसे की जाए
इस बार नेहा को सलोनी ने हुक्म दिया-“चल चिकनी शुरू हो जा ! “
नेहा ने लाचारी भरी नज़रों से पहले मेरी तरफ फिर सलोनी की तरफ देखा और बोली-“ मॅम, मेरे हाथ बँधे हुए हैं.”
विवेक को शायद अभी भी कुछ समझ मे नही आया था कि क्या होने वाला है.
“हाथों से नही, अपने मूह का इस्तेमाल करो…..तुम्हे कितनी बार यह बात समझानी पड़ेगी.” मैने नेहा को लगभग फटकारते हुए हुक्म दिया और वो अपने होठों को विवेक की पॅंट की ज़िप के पास ले गयी और उसे किसी तरह खोलने की कोशिश करने लगी.
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RE: Hindi Sex Kahani नशे की सज़ा
नशे की सज़ा पार्ट--14
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अब जाकर विवेक को समझ मे आया कि हम लोग क्या गेम खेल रहे हैं. नेहा के होंठों का उसकी पॅंट के ज़िप पर स्पर्श होते ही उसका टेंट और बुरी तरह तन गया-काफ़ी कोशिशों के बाद आख़िरकार नेहा विवेक की पॅंट की ज़िप खोलने मे कामयाब हो गयी-लेकिन अभी भी विवेक का लिंग उसके वाइट अंडरवेर के अंदर ही फड़फदा रहा था. कुछ देर तक नेहा अपने होंठों को उसके अंडरवेर मे क़ैद लिंग पर फिरा फिरा कर उसे बाहर निकालने की नाकाम कोशिश करती रही.
नेहा की इस जबरदस्त एरॉटिक हरकत से विवेक बेकाबू हुआ जा रहा था-उसने अपने लिंग को एक ही झटके मे खुद ही अंडरवेर से बाहर निकाल दिया. नेहा ने बिना किसी देरी के विवेक के लिंग को अपने मूह के अंदर ले लिया और उस पर अपनी जीभ फिराने लगी.
मैने विवेक की तरफ देखकर कहा-“ सर यह बहुत एक्सपर्ट है.अब आप रिलॅक्स कर सकते हैं-जब तक हम लोग गेस्ट हाउस नही पहुँच जाते,आप जी भरकर इस मुख मैथुन का आनंद लीजिए.” विवेक ने अपनी आँखें बंद कर ली थी और वो मानो किसी दूसरी दुनिया मे पहुँच चुका था.
कुछ ही देर मे विवेक ने अपने लिंग की पिचकारी नेहा के मूह मे छोड़ दी और वो उसे किसी एक्सपर्ट कॉक सकर की तरह पीने की कोशिश भी करने लगी.
इसके बाद नेहाने बिना किसी के कहे खुद ही विवेक के लिंग पर जीभ फिराते हुए उसकी सफाई कर डाली.
“यह तो बहुत ही मज़ेदार माल है ! “ विवेक ने मेरी और सलोनी की तरफ देखकर खुश होते हुए कहा.
जाहिर था की नेहा ने जिस तरह से उसके लिंग पर अपनी एक्सपर्ट जीभ से मसाज की थी, उसकी मस्ती विवेक पर छाई हुई थी.
पोलीस गेस्ट हाउस लगभग आने ही वाला था.नेहा ने विवेक के लिंग की सफाई कर दी थी और वो उस पर अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी-शायद नेहा के मन मे यह चल रहा था कि गर वो विवेक को अपने आप से ही खुश रखेगी तो उस पर पोलीस की सख्ती कुछ कम होगी-इसीलिए वो विवेक को बिना कहे ही ज़्यादा से ज़्यादा मस्ती देने की कोशिश कर रही थी.
“ठीक है, बहुत हो गया-अब इसे अंदर करके पॅंट की ज़िप बंद कर दो”, सलोनी ने अचानक ही नेहा को हुक्म दे डाला और नेहा ने बिना किसी ना नुकुर किए विवेक के लिंग तो अपने हाथों से अंडरवेर के अंदर पॅक करते हुए उसकी पॅंट की ज़िप बंद करने लगी.
“जब तक गेस्ट हाउस नही आ जाता, तुम ऐसे ही नीचे बैठी रहो और अपने हाथ से इसे सहलाती रहो !” इस बार मैने नेहा को हुक्म दिया और वो अपने हाथ को विवेक के पॅंट मे पॅक्ड लिंग के उपर फिरा फिरा कर विवेक को मस्ती पहुँचने मे लग गयी.
कुछ ही देर बाद जीप पोलीस गेस्ट हाउस के गेट मे घुस गयी और पार्किंग मे जाकर रुक गयी.विवेक ने दरवाज़ा खोलने से पहले नेहा से कहा-“तुम्हारी बाकी की इनटेरगेशन तो अंदर गेस्ट हाउस मे जाकर ही होगी लेकिन तुमने जिस तरह से को-ऑपरेट किया है, उसके रिवॉर्ड के तौर पर मैं तुम्हारी हथकड़ी खोलता हूँ.” यह कहने के बाद विवेक ने अपनी पॉकेट मे से की निकाली और नेहा की हथकड़ी खोल दी. हम सब जीप मे से बाहर आ गये और विवेक के पीछे पीछे गेस्ट हाउस के एंट्रेन्स की तरफ बढ़ने लगे.गेस्ट हाउस के रिसेप्षन पर बैठे एक कॉन्स्टेबल ने विवेक को सलाम ठोंका तो विवेक ने कहा-“यह सब एसीपी साहिब के गेस्ट हैं-रूम नंबर. 510 खुलवा दो.”
“ जी सर.” कहकर कॉन्स्टेबल ने रूम नो.510 की की विवेक के हाथ मे पकड़ा दी और विवेक गेस्ट हाउस की लिफ्ट की तरफ बढ़ने लगा-लिफ्ट से 5थ फ्लोर पर हम लग आ गये थे-रूम नो.510,गेस्ट हाउस की टॉप फ्लोर का बिल्कुल आख़िरी कमरा था-बिल्कुल आख़िर मे होने की वजह से वहाँ किसी तरह का कोई डिस्टर्बेन्स भी नही था. कमरा खुला तो हम सबने देखा कि वो किसी फाइव स्टार होटेल के सुइट से कम नही था-घुसते ही एक ड्रॉयिंग एरिया था जहाँ एक सोफा सेट और सेंटर टेबल पड़ी हुई थी और उसे लगा हुए बड़े से कमरे मे किग्साइज़ डबल बेड .अटॅच्ड बाथरूम और टीवी/म्यूज़िक सिस्टम वग़ैरा सब कुछ था. कमरे मे एक साइड की पूरी दीवार ग्लास की बनी हुई थी जिसमे से सड़क का पूरा व्यू देखा जा सकता था. विवेक ने रूम को अंदर से लॉक कर लिया और बिस्तर पर पैर फैलाकर लेट गया और मुझसे बोला-“निशा, एसीपी साहिब कह रहे थे कि तुम दोनो इस लौंडिया का इनटेरगेशन करने मे मेरी मदद कर सकती हो ?”
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