Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:25 PM,
#21
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल शरमाते हुए कसमसा रहा था लेकिन उसको यह स्पर्श आनंददायक भी लग रहा था। राहुल उत्तेजना से सराबोर हुए जा रहा था। इस गर्म स्पर्श से उसकी जाँघो के बीच का उठाव बढ़ने लगा था। जोकि विनीत की भाभी के नजरों से छुपा नहीं रह सका। वीनीत की भाभी की नजर जैसे ही राहुल के उठाव पर पड़ी उसके तन-बदन में खास करके उसकी जांघों के बीच गुदगुदी सी मचने लगी। राहुल का तो गला ही सूखने लगा था।
वैसे भी राहुल के पेंट में बने तंबू का उठाव कुछ ज्यादा ही था । इसलिए तो वीनीत की भाभी की आंखें फटी की फटी रह गई थी। नीलू की तरह उसके मन में भी यही सवाल उठ रहा था कि अगर इसका उठाव इतना बड़ा है तो जब यह बिल्कुल नंगा होता होगा तब ये कैसा दीखता होगा। यही सब सोचकर उसकी जाँघो के बीच नमकीन पानी का रिसाव होने लगा। राहुल की साँसे बड़ी भारी चल रही थी। राहुल की हालत को देखते हुए विनीत की भाभी बोली।)
अच्छा कोई बात नहीं अगर किसी कारणवश वह कल तुम्हें तुम्हारी नोटबुक नहीं लौटा सका तो मैं उससे ले कर रखूंगी और कल तुम इसी समय आकर अपनी नोट बुक ले जाना। ( इतना सुनने के साथ ही राहुल सोफेे पर से खड़ा होता हुआ बोला।)

ठठठ.....ठीक है भभभा....भी अगर ऐसा होगा तो मैं कल आकर नोटबुक ले लूंगा। ( इतना कहने के साथ ही राहुल एक दम से चौंक उठा क्योंकि उसे ज्ञात हो चुका था कि उसके पेंट में काफी लंबा तंबू बना हुआ है।वीनीत की भाभी मुस्कुराते हुए उस के तंबू को ही देखे जा रही थी। राहुल एकदम से शर्मिंदा हो गया और अपने स्कूल बैग को उठाकर झट से पर अपने पेंट के आगे कर लिया ताकि उसका तंबु छिप. सके। राहुल की इस हरकत पर उसकी हंसी छूट गई और राहुल उसे हंसता हुआ देखकर और ज्यादा शर्मिंदा हो गया और बोला।

अच्छा भाभी मैं चलता हूं। विनीत आए तो उसे कहना कि मैं आया था। ( इतना कहने के साथ वह दरवाजे की तरफ बढ़ चला ओर उसके पीछेउसे छोड़ने के लिए दरवाजे तक आई।

जैसे ही राहुल दरवाजा खोल के घर के बाहर कदम रखा वैसे ही विनीत की भाभी बोली।

अच्छा राहुल एक बात बताओ कल तुम खिड़की से चोरी चोरी क्या देख रहे थे? 

( विनीत की भाभी की बात सुनकर वह एकदम से सकपका गया और बिना कुछ बोले वहाँ से निकल गया।
राहुल की हालत को देख कर विनीत के बाद भी हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)

कल आना जरुर भूल मत जाना।
( इतना कहकर वह भी कमरे में आ गई और सोफे पर बैठकर राहुल के बारे में सोचने लगी। राहुल की मासूमियत का भोला चेहरा उसे भाने लगा था। और राहुल की हरकत से वह समझ गई थी कि यह लड़का पूरी तरह से कुंवारा है शायद ईसने अबतक जन्नत का मजा नहीं लूटा था। बार-बार उसे राहुल का तंबू ही नजर आ रहा था वह उस तंबू को देख कर बड़ी हैरान थी।
वह मन ही मन में सोच रही थी कि पेंट मे अगर इतना भयानक लग रहा है कि पूरी तरह से नंगा होकर टनटना के खड़ा होगा तब कितना विशालकाय लगेगा। यही सोच सोच कर कि पैंटी गीली हो चली थी। 
अगर वह चाहती तो राहुल को नोटबुक दे सकती थी लेकिन वीनीत की भाभी बड़ी कामुक और चालबाज स्री थी । तभी तो वह अपने देवर को अपना दीवाना बना कर रखी थी और उसी से अपने बदन की प्यास बुझाती रहती थी। वह इतनी ज्यादा कामुक स्त्री थी की तीन चार दिनो से वह अपने देवर को स्कूल जाने नहीं दी थी और दिन रात उसको भोग रही थी। अब उसकी नजर विनीत के मित्र मतलब कि राहुल पर थी। विनीत की भाभी कामक्रीडा के हर पासाओ मैं इतनी ज्यादा माहिर और शातीर थी की अगर वह चाहती तो इसी वक्त राहुल के कुंवारेपन को नीचोड़ डालती लेकिन उसे डर था कि विनीत कभी भी घर पर आ सकता है इसलिए उसने अपने इस प्लान को कैंसल कर दी। और एक चाल के तहत उसे कल फिर आने का आमंत्रण भी दे दी। 
क्योंकि वह जानती थी कि राहुल अगर विनीत से मिलेगा तो वह खुद ही उससे नोटबुक ले लेगा और ऐसे में उसके मन की अभिलाषा उसके मन मे ही दबकर रह जाएगी। इसलिए वह मन में ही सोच ली थी की वह विनीत को राहुल से मिलने ही नहीं देगी । कल विनीत फिर से स्कूल नहीं जाएगा और उसको जाएगा नहीं तो राहुल से मुलाकात भी नहीं होगी और मुलाकात नहीं होगी तो राहुल को नोटबुक भी नहीं मिलेगी। और फिर राहुल को नोटबुक लेने के लिए वीनीत के घर आना ही पड़ेगा। वीनीत की भाभी ने मन मे पूरा प्लान सोच कर रखी थी कि जब स्कूल छूटने के बाद राहुल घर पर आएगा तो उससे पहले ही विनीत को किसी काम के बहाने घर के बाहर दो चार घंटो के लिए भेज दूंगी और ऐसे में राहुल के कुंवारेपन को चखने का पर्याप्त समय भी मिल जाएगा। 
सोफे पर बैठे बैठे ही विनीत की भाभी कल की पूर्व रेखा मन में ही तैयार कर रही थी। राहुल के बारे में सोच-सोच कर ही उसकी बुर रीसने लगी थी। इस हालत में उसे वीनीत के लंड की जरूरत पड़ रही थी।राहुल के ऊठाव के बारे में सोच-सोच कर उसकी बुर की खुजली बढ़तीे जा रहीे थी। उसे अपने बुर की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी वीनीत जब आता तब आता इससे पहले ही वह अपनी साड़ी को उठा कर कमर तक खींच ली और पैंटी को बिना निकाले हैं उसकी किनारी को खींचते हुए बुर के उठे हुए भाग के किनारे अटका दी जिससे बुर का पूरा उपसा हुआ भाग और बुर की गहरी घाटी के समान लकीर पूरी तरह से नंगी हो गई। विनीत की भाभी की साँसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी। उसका बदन चुदासपन से भरा जा रहा था। विनीत की भाभी के लिए अब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था
उसने झट से अपनी हथेली को अपनी गरम बुर पर रख दी ओर हथेली को बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ने लगी लेकिन उसकी यह क्रिया आग में घी डालने के बराबर साबित हो रही थी। वह जितना अपने आग को बुझाने की कोशिश करती उसके बदन की आग और ज्यादा भड़कने लग रही थी। वह सोफे पर हल्के से लेट गई और अपने एक हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी नारंगी यों को दबाने लगी और दूसरे हाथ से अपने बुर को रगड़े जा रही थी। अपनी बुर को मसलते हुए बार-बार उसकी जेहन में राहुल के पेंट का उभार का ही ख्याल आ जा रहा था और जब जब उसका ख्याल आता है वीनीत की भाभी जल बिन मछली की तरह तड़प उठती । 
बदन में चुदाई की लहर बढ़ती जा रही थी उसने एक साथ अपनी बुर में दो ऊंगलियो की जगह बना दी। जहां तक हो सकती थी वहां तक वह अपनी उंगली को घुसा रही थी। इस समय वह उत्तेजना से सरो बोर हो रही थी।
बड़ी तेजी से उसकी ऊँगली बुर में अंदर बाहर हो रही थी। विनीत की भाभी अपनी आंखों को मुंदकर राहुल के लंड का ख्याल करके अपनी बुर मे बड़ी तेजी से ऊँगली को अंदर बाहर कर रही थी। पूरे कमरे में उसकी गर्म सिसकारी गूंज रही थी। वीनीत की भाभी सोफे पर अपनी गदराई गांड को घिसते हुए अपनी बुर में उंगली पेले जा रहीे थी। वीनीत की भाभी की बुर नमकीन पानी से लबालब भरी हुई थी। कुछ देर तक यूं ही यु हीं अपनी बुर मे उंगली करते करते वह चरम सीमा की ओर बढ़ने लगी उसके मुँह से लगातार चुदास से भरी गरम सीस्कारी छूट रही थी। 

आआहहहहहहह..........ऊऊमममममममममम..........
ओहहहहहहहहहहहह...मेरे राहुल.....आआआहहहहहहह..... डाल. ओर डालललल......आआहहहहहहहहह (वीनीत की भाभी अपनी ऊँगली को ही राहुल का लंड समझकर अपनी बुर मे पेले जा रही थी।।)
आहहहहहहह......मे गई......मे गई।..........आहहहहहहहहहहहहह.....राहुल......
(ईतना कहने के साथ ही वीनीत की भाभी की बुर से भलभला के नमकीन पानी का फुहारा फुट पड़ा। जैसे-जैस उसकीे बुर से पानी का फुवारा छूट रहा था वैसे वैसे उस की गदराई गांड के साथ साथ पूरा बदन हिचकोले खा रहा था। आज अपने हाथ से बदन की प्यास बुझाने में उसे बहुत आनंद मिला था। वह सोफेे पर लेटे-लेटे हांफ रही थी। उसके मन का तुफान शाँत हो चुका था।
लेकिन उसका बदन एक नए औजार के लिए तड़प रहा था वह अपनी साड़ी को कमर से नीचे सरकाते हुए अपने कमरे की तरफ चल दी उसे इस समय विनीत का इंतजार था। वह मन में सोच रही थी कि अब तक तो विनीत आ जाता था लेकिन आज कहां रह गया। यही सब सोचते हुए वहां अपने बिस्तर पर लेट गई।

वहीं दूसरी तरफ विनीत दिनभर इधर उधर घूम कर अपना समय व्यतीत कर रहा था। यूं तो उसे घर समय पर ही जाना था लेकिन आज कुछ दोस्त मिल गए थे जिस वजह से वह अपने घर जा नहीं सका। शाम हो गई थी वह जानता था कि उसकी भाभी नाराज होगी क्योंकि वह समय पर घर पर नहीं गया था । 
वीनीत को मालूम था कि उसकी भाभी बड़ी बेशब्री से उसका इंतजार कर रही होगी इसलिए वह सोच रहा था कि घर पर कुछ ले जाया जाए ताकी भाभी का गुस्सा कम हो जाए । इसलिए वह वही खड़ा यही सोच रहा था कि क्या लेकर जाऊं की भाभी सारा गुस्सा भुला कर उस से प्यार करने लगे। तभी अचानक उसे याद आया कि भाभी को सफेद गुलाब जामुन बेहद पसंद है।
इसलिए वह गुलाबजामुन खरीदने के लिए मिठाई की दुकान पर गया और जैसे ही वह मिठाई की दुकान के अंदर प्रवेश किया वैसे ही दुकान के अंदर उसे उस दिन वाली महिला मतलब की अलका मिठाई खरीदती नजर आ गई। अलका को देखते ही विनीत बहुत खुश हुआ खास करके उसकी जाँघों के बीच लटक रहे औजार में गुदगुदी होने लगी। विनीत की नजरें अलका के बदन को टटोलने लगी।
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10-09-2018, 03:25 PM,
#22
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल की मम्मी को देखते ही विनीत बहुत खुश हुआ राहुल की मम्मी के मांसल और भरे हुए बदन के कटाव 
और उभार को देखते ही वीनीत के जांघों के बीच हलचल सी मचने लगी। वह तुरंत मिठाई की दुकान के अंदर प्रवेश किया और सीधे राहुल की मम्मी मतलब कि अलका के पास पहुँच गया। अलका जलेबियां ले रही थी अलका को जलेबी लेते देख विनीत बोला।

हाय अांटी आप यहां क्या कर रही हो? 

कुछ नहीं बेटा बस बच्चों के लिए जलेबी ले रही थी। तुम्हें यहां क्या चाहिए क्या तुम भी यहाँ मिठाई खरीदने आए हो।

हाँ मुझे भी सफेद रसगुल्ले खरीदने थे। ( तब तक दुकान वाले ने अलका की जलेबियों को पेक करके अलका को थमा दिया ... विनीत की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी वह अलका से नज़दीकियां बढ़ाना चाहता था। वह अलका से क्या बात करें क्या ना करें उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। तभी उसने झट से आव देखा ना ताव तुरंत अलका की कलाई थाम ली ... अलका ईस तरह से एक अन्जान लड़के द्वारा अपनी कलाई पकड़े जाने से उसका बदन एकबारगी झनझना सा गया। उसे कुछ समझ में नहीं आया और वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही विनीत जल्दी से उसे लगभग खींचते हुए पास में ही पड़ी कुर्सी पर बिठा दिया। और जल्दी से मिठाई की काउंटर पर गया। 
अलका अभी भी सहमी हुई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार एक अनजान लड़का इस तरह से उसकी कलाई पकड़ के कुर्सी पर क्यों बैठा कर गया। अलका के मन मे मंथन सा चल रहा था। वह कुछ और सोच पाती इससे पहले ही वीनीत हाथ में दो कटोरिया लिए उसकी तरफ ही बढ़ा आ रहा था।
अलका विनीत को और उसके हाथ में उन दो कटोरियों को आश्चर्य से देखे जा रही थी। तब तक वीनीत ने दोनों कटोरियों को टेबल पर रख दिया और पास में ही पड़ी कुर्सी को खींचकर टेबल की दूसरी तरफ रख के बेठ गया। अलका आश्चर्य से कभी कटोरी में रस में डूबी हुई सफेद रसगुल्ले को तो कभी विनीत की तरफ देखे जा रही थी। वह विनीत से बोली। 

यह क्या है बेटा? 
( विनीत ने अपने दीमाग मे पुरा प्लान फीट कर लिया था। वह अलका से झूठ बोलते हुए बोला।)

आंटी जी आज मेरा जन्मदिन है और मैं चाहता था कि मैं अपना जन्मदिन किसी अच्छे और खूबसूरत इंसान के साथ मनाऊँ। लेकिन दिनभर घूमने के बाद मुझे ना तो कोई खूबसूरत इंसान और ना ही अच्छा इंसान मिला ।
और एेसे मै मुझे लग ही नहीं रहा था कि मैं अपना जन्मदिन मना पाऊंगा। लेकिन शायद भगवान भी नहीं चाहता था कि मैं अपने जन्मदिन पर इस तरह से उदास रहूं इसलिए उसने आपको भेज दिया। और मैं भी एक पल भी गवाँए बीेना आपको इस तरह से यहां बिठा दिया इसके लिए माफी चाहता हूं।
( अलका को सारी बातें समझ में आने लगी थी। वह विनीत के रवैये से और उसकी बात करने की छटा से मंत्रमुग्ध सीे हो गई थी। विनीत में सफेद रसगुल्ले की एक कटोरी को अलका की तरफ बढ़ाते हुए बोला)


लीजीए आंटी मुंह मीठा कीजिए...
( वैसे तो सफेद रसगुल्ले को देखकर अलका के मुंह में भी पानी आ गया लेकिन वह अपने आपको रसगुल्ले खाने से रोके रही। उसे इतना उतावला पन दिखाना ठीक नहीं लग रहा था। क्योंकि कुछ भी हो वह अभी भी इस लड़के को पूरी तरह से जानती नहीं थी बस एक दो ही मुलाकात तो हुई थी ईससे। अलका बड़ी असमंजस में थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस लड़के के द्वारा ऑफर किया हुआ यह सफेद रसगुल्ले की कटोरी को पकड़े या इंकार कर के यहां से चली जाए। लेकिन सफेद रसगुल्ले को खाने की लालच भी उसके मन में पनप चुकी थी। वह खुद की शादी में ही सफेद रसगुल्ले का स्वाद चख पाई थी उसके बाद उसने कभी भी सफेद रसगुल्ले को मुंह से नहीं लगाया। तभी विनीत द्वारा एक बार फिर से मुंह मीठा करने की बात को मानते हुए उसने कटोरी में से एक रसगुल्ले को उठा ली और अपनी गुलाबी होंठ को खोलकर दांतों के बीच रखकर आधे रसगुल्ले को काट ली। विनीत उसके गुलाबी होठों को देखता रह गया और मन ही मन उसके होंठ पर अपने होंठ को सटा कर उसका मधुर रस पीने की कल्पना करने लगा। )

आंटी जी आपने मेरी बात रख ली इसलिए मैं आपको धन्यवाद करता हूं। मेरे जन्मदिन को आपने सफल बना दिया। 


अरे मैं तो भूल ही गई( और अपने हाथ को आगे बढ़ाकर वीनीत से हाथ मिलाते हुए उसे जन्मदिन की ढेर सारी बधाई दी।)
जन्मदिन मुबारक हो हैप्पी बर्थडे टू यू..... वैसे मैं बेटा तुम्हारा नाम नहीं जानताी हुँ। 

विनीत........ वीनीत नाम है मेरा। 

ओके.....हैप्पी बर्थडे टू यू वीनीत। 

थैंक्यू आंटी। लेकिन आपने अपना नाम नहीं बताया अब तक

मेरा नाम अलका है।

वाह बड़ा ही प्यारा नाम है( विनीत की बात सुनते ही अलका मुस्कुरा दी। दोनों वहीं 20 मिनट तक बैठे रहे। दोनों में काफी बातें हुई एक हद तक अलका को विनीत बड़ा प्यारा लगने लगा था खास करके उसकी मन लुभाने वाली बातें । ज्यादातर वीनीत ने अलका की खूबसूरती की तारीफ ही की थी जोकि अलका को कुछ अजीब लेकिन बड़ी लुभावनी लग रहीे थी। 
यह शाम की मुलाकात दोनों की जिंदगी में काफी हलचल मचाने वाली थी। अलका के जीवन में ये लड़का काफी हद तक उतार चढ़ाव और रिश्तो में तूफान लाने वाला था। 
इस मुलाकात से ही दोनों काफी हद तक खुलना शुरू हो गए थे। विनीत को घर जाने में देर हो रही थी लेकिन फिर भी वह यहां से जाना नहीं चाहता था उसे अलका का साथ बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगा था। यही हाल अलका का भी हो रहा था विनीत के साथ उसे अच्छा लग रहा था लेकिन उसे घर भी जाना था क्योंकि घर पर उसके दोनों बच्चे इंतजार कर रहे थे। इसलिए वह बेमन से कुर्सी से उठते हुए बोली मुझे घर जाना होगा काफी समय हो गया है।

ठीक है आंटी जी मुझे भी अब जाना ही होगा। लेकिन मेरा इतना साथ देने के लिए थैंक यू( जवाब मे अलका मुस्कुराकर दुकान के बाहर जाने लगी तब वीनीत भी झट से मिठाईयेां के पेक कराकर दुकान से बाहर आ गया और अलका के साथ चलने लगा। अलका आगे आगे चल रही थी और वह पीछे पीछे। विनीत की नजर अलका की गदराई गांड पर ही टिकी हुई थी। अलका को मालूम था कि विनीत उसके पीछे-पीछे आ रहा है और इस तरह से विनीत का उसके पीछे-पीछे आना उसे अच्छा भी लग रहा था। अलका की मटकती हुई गांड वीनीत के कलेजे पे छुरियां चला रही थी। वह मन मैं ही सोच रहा था कि काश इसको चोदने का मौका मिल जाता तो लंड की किस्मत ही खुल जाती।
यही सब सोचते हुए विनित अलका के पीछे कुछ दूरी चला था कि उबड़ खाबड़ रस्ते पर अलका का बैलेंस डगमगाया और उसका पैर फिसल गया। वह गिरने से तो बच गई लेकिन उसके सैंडल की पट्टी टूट गई।
वीनीत जल्दी से आगे बढ़ा और अलका के लग पहुंच गया।

क्या हुआ आंटी आपको चोट तो नहीं लगी।


( अलका संभलते हुए) नहीं बेटा चोट तो नहीं लगी लेकिन मेरी सेंडल की पट्टी टूट गई..... अब मुझे बिना सैंडल के नंगे पांव ही घर जाना होगा। 
(अलका को परेशान देखकर विनीत भी परेशान हो गया और वह बोला)
आंटी जी एेसे कैसे आप नंगे पांव घर जाएंगी लाइए अपनी सेंडल मुझे दीजिए मैं उसे ठीक करवा कर लाता हूं। 

नहीं बेटा मैं चली जाऊंगी इतना परेशान मत हो। 

नही आंटी जी आप कैसे अपने घर तक यूंही नंगे पैर जाएंगे आप जिद मत करिए मुझे दे दीजिए सेंडल मैं तुरंत बनवा कर ले आता हूं यही पास में ही है ।
( अलका को यूँ अपना सेंडल निकालकर विनीत को देना बड़ा अजीब सा लग रहा था। विनीत के लाख मनाने पर अलका उसे सैंडल देने के लिए तैयार हुई। अलका की भी मजबूरी थी क्योंकि उसे भी कहीं नंगे पांव आना जाना अच्छा नहीं लगता था। 
अलका के पांव की सैंडल पाकर विनीत बहुत खुश हो रहा था वह अलका को वही रुकने के लिए कहकर सैंडल सिलवाने के लिए चला गया। 
अलका वहीं पास में फुटपाथ पर रखी हुई कुर्सी पर बैठ गई और वीनीत का इंतजार करने लगी। थोड़ी ही देर बाद विनीत लगभग दौड़ते हुए उसके पास आ रहा था जैसे ही पास में पहुंचा अलका के उठने से पहले ही वह सैंडल लेकर अलका के कदमों में झुक गया और बोला।


लाईए आंटी जी में आज आपको अपने हाथों से सैंडल पहना देता हूं। ( अलका उसके मुंह से इतना सुनते ही एक दम से शर्मा गई और उसे हाथों से रोकने लगी लेकिन वह वीनीत को रोक पाती इससे पहले ही विनीत ने अलका के पांव को अपने हाथ में ले लिया और अपने हाथ से अलका की साड़ी को पकड़ कर थोड़ा ऊपर की तरफ उठाया करीब दो तीन इंच ही ऊपर साड़ी को उठाया था लेकिन विनीत की इस हरकत पर अलका एकदम से शहम गई। उसने मन ही मन ऐसा महसूस कर लिया कि कोई उसकी साड़ी को उठाकर नंगी कर रहा है। अलका कुछ बोल पाती इससे पहले ही विनीत ने सैंडल को उसके पांव में डालकर सेंडल की पट्टी को लगा दिया। 
सैंडल पहनाने में विनीत को केवल सात आठ सेकेंड ही लगे थे लेकिन इतने मिनट में अलका की मखमली दूधिया पैरों के स्पर्श को अपने अंदर महसूस कर लिया।
विनीत ने अपनी उंगलियों को अलका की चिकने पैर सहलाया था जिससे विनीत का लंड टनटना के खड़ा हो गया था। 
अलका अंदर ही अंदर कसमसा रही थी उसको बड़ी शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह बार बार अपने अगल बगल नजर घुमा कर देख ले रही थी कि कोई देख तो नही रहा है। लेकिन सब अपने अपने काम में मस्त थे किसी को फुर्सत कहां थी कि उन लोगों को देख सके।
सैंडल पहरा कल विनीत खड़े होते हुए बोला।

लो आंटी अब आप अपने घर नंगे पांव नहीं जाएंगी।
( अलका उसकी बात पर मुस्कुरा दी और उसे थैंक्स कह के अपने घर की तरफ चल दी। विनीत वही खड़े-खड़े अलका को गांड मटकाते हुए जाते देखता रहा
वह कभी अलका को तो कभी अपनी ऊंगलियों को आपस में मसलते हुए उसके नरम नरम मखमली पैरों के बारे में सोचने लगा और तब तक वहीं खड़े रहा जब तक कि अलका उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई।
इसके बाद वह भी अपने घर की तरफ चल दीया।)


अलका को आज घर पहुंचने में काफी लेट हो गया था।
राहुल और सोनू दोनों अलका का इंतजार कर रहे थे।
अपनी मम्मी को आता देख राहुल बोला।

क्या हुआ मम्मी आज इतना लेट क्यों हो गयी?

क्या करूं बेटा आज रास्ते में मेरी सेंडल की पट्टी टूट गई थी और उसी को ठीक कराने में देरी हो गई।

और हां यह लो जलेबी( जलेबी का पैकेट राहुल को पकड़ाते हुए) तुम दोनों के लिए रास्ते में से ली थी। 
( इतना कहकर अलका झटपट खाना बनाने के लिए गइ। कुछ देर बाद खाना बनाकर और खा पीकर सब लोग अपने अपने कमरे में चले गए।
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10-09-2018, 03:26 PM,
#23
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल के लिए तो हर रोज अपनी उत्तेजना बढ़ाने के लिए टोपीक तैयार ही रहता था। वैसे भी विनीत की भाभी ने उसे कुछ ज्यादा ही अपने गठीले बदन का दर्शन करा दी थी। इसलिए तो वह रोज ही हस्तमैथुन की कला में पारंगत हु आ जा रहा था। 
और वहीं दूसरी तरफ अलका सोच में पड़ गई थी।
अपने आप से ही बोल रही थी। कैसा लड़का है कितना जिद करता है। उसका चेहरा उसकी बोलने की अदा उसका गठीला बदन सब कुछ अलका को लुभा गया था
खास करके उसका जिद करना। वह उस पल को याद कर रही थी जब उसने बिना कुछ बोले ही उसकी कलाई पकड़ कर कुर्सी पर बिठा दिया और कैसे जल्दी-जल्दी सफेद रसगुल्ले की कटोरिया उसके सामने रख दिया। 
अलका यह सब सोचकर आईने में अपने रुप को देखते हुए अपनी साड़ी खोल रही थी। कभी अपने खूबसूरत गठीले बदन को को तो कभी इस उम्र में भी गुलाब सा खिला हुआ खूबसूरत चेहरे को देखते हुए शाम की बात को याद किए जा रही थी। और तब तक उसने अपने बदन से साड़ी को उतार कर पलंग पर फेंक दी। 
ब्लाउज के बटन को खोलते समय उसे उस लड़के की
उस हरकत पर ध्यान गया जब उसने सैंडल के लिए उसकी साड़ी को हल्के से उठाया था।। 
उफफफफफ सोच कर ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ जा रही थी। कैसा है वह लड़का बिल्कुल भी नहीं डरा की उसकी इस हरकत पर मैं कुछ बोल दूंगी। उसका जबरदस्ती मेरे पास से सेंडल निकाल कर ले जाना और उसे ठीक करवाकर बड़ी रोमांटिक अदा से मेरे पैरों में पहनाना बिल्कुल राहुल के पापा की तरह।
राहुल के पापा का ख्याल आते हैं अलका अचंभित हो गई की आाज बरसों के बाद कैसे राहुल के पापा याद आ गए। ( अलका तब-तक ब्लाउज को भी उतार चुकी थी और उसकी नाजुक उंगलियां पेटिकोट की डोरी से उलझ रही थी। वह मन में ही सोच रही थी कि) हां बिल्कुल ऐसे ही तो थे राहुल के पापा ऐसे ही वो भी बोलते थे एकदम फिल्मी डायलॉग और जिद भी ऐसे ही करते थे। ( तब तक पेटीकोट की दूरी को भी खोल कर पेटीकोट को नीचे सरका दी। उसके बदन पर सिर्फ ब्रा और पेंटी ही रह गई थी जो की ट्यूब लाइट के उजाले में चमक रही थी। आईने में अपने बदन को देख कर वो खुद ही शर्मा जा रही थी। बड़ी-बड़ी उन्नत चूचियां आज भी अपनी गोलाइयां लिए हुए तन कर खड़ी थी।। अपनी चुचियों को देखकर जोकी ब्रा मे ठीक से समा भी नहीं पा रही थी उन गोलाईयो पर अनायास ही अपनी दोनों हथेलियां रखकर हथेली से गोलाईयों को दबाई । और जैसे ही चुचियों पर हथेली का दबाव बढा़ई अलका के मुंह से हल्की सी शिसकारी फूट पड़ी। अलका ने ईससे पहले ऐसा कभी भी नहीं की थी। लेकिन आज उस लड़के की हरकत खास करके उस लड़के के द्बारा साड़ी उठाना इस बात को याद कर करके थोड़ी उत्तेजित हो गई थी। उसे खुद ही अजीब सा लगा कि यह कैसे हो गया तभी उसकी जाँघो के बीच उसे कुछ रिश्ता हुआ महसूस हुआ। अलका ने आश्चर्य के साथ अपनी पैंटी में अपनी हथेली को डाली और उंगलियों से टटोलते हुए
अपनी बुर जोकी उत्तेजना के कारण रोटी की तरह फुल चुकी थी उसकी दरार पर अपनी उंगली लगा कर स्पर्श की तो उसमें से लिसलिसा रस टपक रहा था अलका को समझते देर नहीं लगी कि वह क्या है। उसे अपने ऊपर गुस्सा आने लगा क्योंकि उसकी बुर से रीस रहा मधुर जला जो की उत्तेजना के कारण ही निकल रहा था। 
आज ना जाने कितने सालों बाद उसकी बुर से यह नमकीन पानी रिस रहा था इससे पहले उसकी बूर सुखी ही पड़ी थी।
छी...... यह मुझे क्या हो गया है एक लड़के के बारे में सोच कर मुझे यह सब छी.....छी......

और झट से अलमारी में से गाऊन निकालि और उसे पहन कर अपने बिस्तर पर चलीे गई। और लाइट बंद करके सो गई।
दूसरे दिन राहुल स्कूल गया लेकिन क्लास में विनीत को ना देखकर वह समझ गया कि आज भी वीनीत स्कूल नहीं आया है और अब उसे नोट बुक लेने वीनीत के घर जाना ही होगा। विनीत के घर जाने के बारे में सोच कर ही राहुल की धड़कने बढ़ने लगी थी। क्योंकि जब भी वह वीनीत के घर के बारे में सोचता तब उसे विनीत की भाभी का गदराया हुआ बदन उसकी आंखों के सामने तेर जाता था। मुझसे अब छुट्टी की घंटी बजने का इंतजार था और उसका इंतजार समय पर खत्म भी हो गया।
राहुल सीधे वीनीत के घर पहुंच गया और दरवाजे पर दस्तक दिया दस्तक देने के कुछ देर तक कमरे के अंदर से कोई भी हलचल नहीं हुई तो राहुल ने फिर से दरवाजे को खटखटाया इस बार दरवाजा खुला और राहुल की धड़कनै फिर से तेज होने लगी। दरवाजा राहुल के सोचने के मुताबिक विनीत की भाभी ने खोला था।
वीनीत की भाभी ने मुस्कुराकर राहुल का स्वागत किया और उसे अंदर आने को कहा और राहुल भी मंत्रमुग्ध सा वीनीत की भाभी को निहारते हुए कमरे में प्रवेश किया। कमरे में प्रवेश करते ही वीनीत की भाभी ने दरवाजे को बंद कर दी दरवाजे के बंद होते ही राहुल की धड़कने तेज होने लगी। विनीत की भाभी के बदन से आ रही महंगीे और मादक परफ्यूम की खुशबू राहुल के उत्तेजना को बढ़ा रही थी जिसका असर राहुल के पेंट में साफ दिखाई दे रहा था। विनीत की भाभी ने ट्रांसपेरेंट साड़ी और स्लीव लेश ब्लाउज पहन रखी थी और ब्लाउज भी एकदम लो कट जिसमें से चुचियों के बीच की गहरी और लंबी लाइन साफ साफ दिखाई दे रही थी। जिस पर नजर पड़ते ही मारे उत्तेजना के राहुल का गला ही सूखने लगा। 
अपने पहनावे का असर राहुल पर पूरी तरह से हो रहा है इसका अंदाजा विनीत की भाभी को हो गया था। वह मन ही मन बहुत खुश हो रही थी। और मंद मंद मुस्कुराते हुए बोली।

बैठो राहुल......

( वीनीत की भाभी के मुंह से इतना सुनते ही राहुल को कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या बोले और वह हड़बड़ाते हुए बोला।)

ववववो .....भाभी ...... वीनीत आज भी स्कूल नहीं आया। 


अरे हां......... पहले बैठो तो फिर बतातीे हूं।

( विनीत की भाभी के कहने के साथ ही राहुल सोफे पर बैठ गया।)

हां मैं जानती हूं कि विनीत आज भी स्कूल नहीं गया है।
लेकिन आज भी वह घर पर नहीं है किसी काम से बाहर गया है। 
( इतना सुनते ही राहुल के हावभाव बदल गए। 
राहुल के बदलते हावभाव को देख कर वीनीत की भाभी तुरंत बोली।)

तुम टेंशन मत लो मैंने तुम्हारी नोटबुक वीनीत से मांग कर रख ली है। ( वीनीत की भाभी का जवाब सुनकर राहुल के चेहरे पर सुकून के भाव नजर आने लगे।)

लेकिन भाभी विनीत आएगा कब बहुत दिन हो गए उससे मुलाकात हुए। 

कुछ कह के तो नहीं गया है हां लेकिन तीन-चार घंटे लग सकते हैं। ( विनीत की भाभी यह अच्छी तरह से जानती थी कि विनीत अपने मन से नहीं बल्कि उसने खुद ही विनीत को तीन चार घंटे के लिए बाहर जानबूझकर भेज दी थी। उसने जो कल अपने हुस्न का राहुल को जलवा दीखाई उससे उसे पूरा यकीन था कि राहुल घर पर जरुर आएगा और अपनी नोट बुक लेने नहीं बल्कि उसके बदन को देख कर अपनी आंखे सेकने बाकी नोटबुक तो एक बहाना ही है। राहुल कुछ सोच कर बोला) 

फिर तो आज भी वीनीत से मुलाकात नहीं हो पाएगी।


हां वो तो है। चलो कोई बात नहीं फिर कभी मुलाकात कर लेना। 
( राहुल की नजर बार बार वीनीत की भाभी के वछस्थल पर चली जा रही थी। जोकि ट्रांसपेरेंट साड़ी होने की वजह से उसका उठान साफ साफ दिखाई दे रहा था। साड़ी में से उसके वक्ष स्थल के साथ-साथ उसका चिकना पेट और उसकी गहरी नाभि साफ-साफ झलक रही थी। जिसे देख कर वह उत्तेजित हुआ जा रहा था।
विनीत की भाभी उसी जगह पर खड़ी थी जहां पर कल खड़ी थी। उसका गोरा बदन पारदर्शक साडी की वजह से और भी ज्यादा निखर गया था। विनीत की भाभी बातों के दरमियान अपनी कमर को इस तरह से कामुक अदा से झटकती थी की राहुल की साँसे से ऊपर नीचे हो जाती थी। 
विनीत की भाभी को आगे क्या करना है यह उसने पहले से ही सोच रखी थी। इसलिए वह बोली।
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10-09-2018, 03:26 PM,
#24
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
अच्छा तुम यहीं बैठो मैं तुम्हारी नोटबुक लेकर आती हूं (इतना कहते ही मुस्कान बिखेरते हुए सीढ़ियों पर चढ़ने लगी। राहुल उत्तेजित होता हुआ विनीत की भाभी को सीढ़ियां चढ़ते हुए बड़ी ही प्यासी नजरों से देखने लगा
विनीत की भाभी जब एक एक कदम सिढ़ीयों के चढ़ाव पर रखती तो उसकी भारी भरकम बड़ी बड़ी सुडोल गांड का उठाव और ज्यादा उभर जाता और उसकी भरावदार गांड को देखकर राहुल का लंड हीचकोले खाने लगता। राहुल उसी सीढ़ियों पर जाता हुआ ललचाई आंखों से देखता रहा और वीनीत की भाभी भी सरपट अपनी गांड को मटकाते हुए सीढ़ियों पर चढ़ी जा रही थी कि अचानक उसका पैर फिसला और वह सीढ़ियों पर ही गिर पड़ी। जैसे ही विनीत की भाभी सीढ़ियों पर गिरी वीनीत घबराकर खड़ा हो गया । 
विनीत की भाभी गिरने की वजह से दर्द से कराहने लगी


ऊईईईई......... मां............. मर गई रे....... हाय मेरी कमर.........ओहहहहहहह........माँ................( अपनी कमर को पकड़ते हुए) मर गई रे....... बहुत दर्द हो रहा है..... 

( दर्द से कराहता देखकर राहुल झट से उसके पास पहुंच गया। लेकिन हड़बड़ाहट में उसे क्या करना है क्या नहीं करना है यह सुझ ही नहीं रहा था। वह बस सीढ़ियों पर गिरि विनीत की भाभी को आँख फाड़े देखता ही रहा। सीढ़ियों पर गिरने से वीनीत की भाभी का आंचल कंधे से नीचे गिर गया जिससे उसकी बड़ी बड़ी छातियां दिखने लगी और राहुल का ध्यान बार बार उसकी विशालकाय छातियों पर चली जा रही थी। विनीत की भाभी उसकी नजर को भाँप गई थी इसलिए बोली।)

अरे यूं ही घूरता रहेगा या मेरी मदद भी करेगा। मुझे उठा तो सही मुझसे तो ठीक से हिला भी नहीं जा रहा है।

हां हां भाभी मैं मैं उठाता हुँ। ( हकलाते हुए बोला) 

मुझे सहारा देकर खड़ी कर लगता है जैसे कि मेरे पैरों में मोच आ गई हो( विनीत की भाभी दर्द से कराहते हुए बोली। राहुल भी उसकी मदद करते हुए विनीत की भाभी कि बाँह को पकड़ कर उठाने की कोशिश करने लगा। लेकिन वीनीत की भाभी का वजन ज्यादा होने से उससे उठाया नहीं गया तो वह बोली।)

आहहहहहहह(कराहते हुए) अरे ठीक से उठाना थोड़ा दम लगा कर। 

विनीत की भाभी की बात सुनकर राहुल ने ईस बार उसकी गुदाज बाहों को अपनी हथेली से कस के पकड़ा
उसकी गोरी गोरी मांसल गुदाज बाहों को हथेली में भरते ही राहुल के बदन में झनझनाहट सी फेल गई। उसका गला सूखने लगा । उत्तेजना के कारण राहुल का चेहरा सुर्ख लाल हो गया था। उसने जिस तरह से अपनी हथेली में नंगी बाँह को दबोचा था उससे वीनीत की भाभी कसमसा सी गई थी। आगे से लॉ कट ब्लाउज में से उसकी आधी से ज्यादा चुचीयाँ बाहर झाँक रही थी
लेकिन उसनें जरा सी भी उसे ढंकने की दरकार नही ली। इसलिए तो राहुल भी विनीत की भाभी को उठाते समय भी अपनी नजर को बराबर उसके उभारों पर गड़ाया हुआ था। सीढ़ियों पर गिरने की वजह से उसकी साँसे बहुत भारी चल रही थी जिससे उसकीे दोनों छातीयाँ ऊपर नीचे हो रही थी और ऊपर नीचे होती हुई चुचियों को देखकर राहुल का लंड पेंट मे हीं ठुनकी लगा रहा था। जैसे तैसे करके राहुल ने वीनीत की भाभी को सीढ़ियों से उठाया ... राहुल उसको सहारा देकर एक कदम बढ़ा ही था कि वीनीत की भाभी फिर से लड़खड़ा गई ....राहुल ने तुरंत उस को संभालने के लिए अपना एक हाथ उसकी कमर में डाल दिया। 
राहुल ने उसे सभाल तो लिया लेकिन उसको संभालने मे राहुल की हथेली विनीत की भाभी के चिकनी कमर पर टिक गई और उसकी कमर का एहसास राहुल को होते ही उसके तन बदन में झुनझुनी से फेल गई। 
राहुल के कोमल हथेलि का स्पर्श अपनी कमर पर महसूस करके विनीत की भाभी सीहर गई। 
विनीत की भाभी आगे कदम बढ़ाते हुए और भी ज्यादा राहुल स सटते हुए बोली।


आहहहहहहहहह.............राहुल ..........मेरी कमर
बहुत दर्द कर रही है..... ओहहहहह.....मां.......

( राहुल उसकी कराहने की आवाज सुनकर थोड़ा चिंतित हो गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें वो बस उसको सहारा देकर उसे उसके कमरे की तरफ ले जा रहा था। वीनीत की भाभी से बिल्कुल चला भी नहीं जा रहा था और उसे सहारा देने के चक्कर में राहुल का हाथ उसे संभालते हुए उसकी बड़ी बड़ी चूची पर पड़ गई। चूची पर उसकी हथेली पड़ते ही उसकी नर्माहट और गुजगुजाहट से राहुल के बदन में सनसनी फैल गई। उसको समझते देर नहीं लगी कि उसकी हथेली किस अंग पर पड़ी है उसकी जांघों के बीच का मुसल डोलने लगा था। राहुल ने झट से उसकी चूची पर से हाँथ हटा लिया लेकिन विनती की भाभी के बदन में राहुल की इस गलती के कारण मस्ती की लहर दौड़ गई। विनीत की भाभी को तो यह सब ट्रेलर लग रहा था अभी तो पूरी पिक्चर बाकी थी। वह मन ही मन सोचने लगी की जब ट्रेलर इतना रंगीन है तो पूरी फिल्म कैसी होगी। 
और दूसरी तरफ राहुल अपनी इस हरकत की वजह से शर्मिंदा हो रहा था विनीत की भाभी से आंख मिलाने में भी उसे शर्म आ रही थी वो मन ही मन सोच रहा था कि ववनीत की भाभी उसके बारे में क्या सोचेगी। लेकिन जहां उसे एक तरफ शर्मिंदगी उठानी पड़ रही थी और वहीं दूसरी तरफ उसके मन के कोने में गुदगुदी भी हो रही थी। उसे यह सब अच्छा लग रहा था वीनीत की भाभी को संभाल के ले जाने में उसकी जाँघे राहुल की जांघो से रगड़ खा रही थी जिससे उसके बदन में उन्माद और आनंद दोनों का प्रसार हो रहा था। 
लड़खड़ाकर चलते हुए विनीत की भाभी ने कब अपनी नंगी बाहों को राहुल के कंधे पर रख दी इसका एहसास तक राहुल को नहीं हुआ। थोड़ी ही देर में दोनों दरवाजे के सामने खड़े थे। विनीत की भाभी ने लड़खड़ाते हुए एक कदम आगे बढाई और दरवाजे को खोल दी।
दरवाजे को खोलकर जैसे ही वह अंदर कदम बढ़ाई वैसे ही फिर से लड़खड़ा कर गिरने ही वाली थी कि राहुल ने तुरंत पीछे से थाम लिया। लेकिन इस बार वीनीत की भाभी को थामने मे कुछ ऐसा हुआ जिसका अंदाजा दोनों को बिल्कुल भी नहीं था। विनीत की भाभी को गिरते हुए पीछेे से थामने में राहुल के दोनों हाथ विनीत की भाभी को गिरते हुए पीछे से थामने में राहुल के दोनों हाथ विनीत की भाभी की बड़ी बड़ी चुचियों पर पड़ गई और वीनीत की भाभी को संभालने में दोनों हथेलियाँ चूचीयो पर जम सी गई थी। राहुल के पेन्ट में
पहले से ही तंबु बना हुआ था ओर पीछे से पकड़ के संभालने मे राहुल का बदन वीनीत की भाभी के पिछवाड़े से बिल्कुल सट गया ओर विनीत के पेंट में बना तंबू सीधे वीनीत की भाभी की बड़ी बड़ी सुडौ़ल गांड मे चुभ गया। जैसे ही राहुल का तंबू वीनीत की भाभी की नरम नरम और सुडौ़ल गांड में साड़ी के ऊपर से धंसा वैसे ही मानो राहुल के बदन में बिजली कौंध गई हो । राहुल एकदम सन्न हो गया उसे कुछ पल तो समझ में नहीं आया कि यह क्या हो गया वह बस पीछे से विनीत की भाभी की चूचियां ब्लाउज के ऊपर से ही दोनों हाथों से दबाए हुए और पीछे से अपने टनटनाए हुए तंबू को उसकी नरम नरम और सुडौ़ल गाँड मे धंसाए हुए खड़ा रहा। यह पल उसे उसके जीवन का सबसे उत्तम और आनंद दायक पल लग रहा था। इतना आनंद उसने शायद अब तक नहीं प्राप्त किया था। इसलिए वह इस पल को जी लेना चाहता था वह जानता था की ये बिल्कुल गलत है उसे हट जाना चाहिए था लेकिन चुचियों की नर्माहट और गांड की गर्माहट उसे चिपके रहने के लिए विवश कर रही थी। 
राहुल की ऐसी हरकत कर विनीत की भाभी भी दंग रह गई थी उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि राहुल ऐसी हरकत करेगा हालांकि यह सच था कि यह कामुक हरकत राहुल से अनजाने में ही हुई थी लेकिन इस हरकत ने वीनीत की भाभी मे आत्मविश्वास भर दिया था। उसे यकीन हो चला था कि राहुल को लेकर जो उसने प्लान रचा है वह उस प्लान में जरुर सफल होगी। 
राहुल के टनटनाए हुए लंड की चुभन वह अपनी गांड पर साफ-साफ महसूस कर रही थी। उसकी अनुभवी गांड ने राहुल के लंड के कड़कपन और उसकी ताकत को तुरंत भाँप ली और राहुल के मजबुत लंड पर अपनी स्वीकर्ती की मोहर लगाते हुए उसकी बुर ने नमकीन पानी की एक बुँद टपका दी। 
इस तरह से खड़े रहने में दोनों को परम आनंद की अनुभूति हो रही थी लेकिन इस तरह से कब तक खड़े रह सकते थे विनीत की भाभी ने ही राहुल के बदन से दूर हटते हुए बोली।।
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10-09-2018, 03:26 PM,
#25
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
ओह राहुल अगर आज तुम नहीं होते तो पता नहीं क्या होता मुझसे तो ठीक से चला भी नहीं जा रहा है। अच्छा हुआ राहुल तुम यहां मौजूद हो वरना आज तो न जाने क्या होता। ( राहुल फिर से अपनी हरकत की वजह से शर्मिंदा हो गया था उसकी पेंट मे अभी भी तंबू बना हुआ था जोकि विनीत की भाभी की नजरों से छुपा नहीं था। लेकिन जानबूझकर वीनीत की भाभी ऐसा व्यवहार कर रही थी कि जैसे कुछ हुआ ही ना हो और खुद ही दरवाजा बंद करके वापस मुड़ी आगे बढ़ने के लिए उसने राहुल को हाथ का इशारा करके अपने नजदीक बुलाई।)

वीनीत की भाभी ने फिर से राहुल का सहारा लेकर बिस्तर तक गई और कराहते हुए धीरे से बिस्तर पर बैठ गई। वह अभी भी दर्द से कराह ही रहीं थी राहुल से उसका दर्द देखा नहीं जा रहा था लेकिन कर भी क्या सकता था। वह अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोली


राहुल बहुत दर्द कर रही है मेरी कमर पता नहीं क्या हो गया है ऐसा पहले कभी भी नहीं हुआ। ( राहुल भी समझ सकता था कमर के दर्द को क्योंकि इससे पहले भी दर्द से कराहते हुए उसने अपनी मम्मी को देख चुका है और ऐसे हाल में वह खुद अपनी मम्मी के कमर पर मुव से मालिश करके राहत पहुंचाता था। इसलिए वह बोला।) 

भाभी सब ठीक हो जाएगा आप बस मुव से मालिश कर लीजिए तुरंत आराम मिल जाएगा मेरी मम्मी को भी ऐसा दर्द होता था और मै हीं मालिश कर देता था जिससे उन्हे झट से आराम मिल जाता था। 
( राहुल की बात सुनकर वह राहुल को एकटक देखने लगा और कुछ देर बाद बोली।)

मेरी मालिश कौन करेगा विनीत भी तो नहीं है यहां पर नही तो वो मेरी मालिश कर देता खैेर जाने दो .... और हां वहां टेबल पर तुम्हारी नोटबुक रखी हुई है जाकर ले लो ..... हाय मेरी कमर( इतना कहने के साथ वह फिर से अपनी कमर पर हाथ रख ली। राहुल उसके बताए अनुसार टेबल की तरफ बढ़ा विनीत की भाभी राहुल को अपनी कमर मलते हुए देख रही थी। राहुल टेबल तक पहुंचा तो वहां कुछ किताबें रखी हुई थी उनमें उसकी किताब नहीं थी। वह इधर उधर किताबों को खंगालने लगा । विनीत की भाभी उसे देखे जा रही थी उसके लंड की चुभन अभी तक वह अपनी गांड पर महसूस कर पा रही थी। जिसके बारे में सोच सोच कर उसकी बुर पनिया जा रही थी। राहुल को किताबें उलट पलट कर देखते हुए वह बोली।)

अरे राहुल वहीं होगी देखो वहीं पर तो रखी थी कहां चली जाएगी। अच्छा वहां बेग के पीछे देखो तो..... 

( राहुल टेबल पर ही पड़ी बैग के पीछे देखा तो उसे अपनी नोटबुक वही पर ही मिली उस ने हाथ आगे बढ़ा कर नोटबुक को उठाया नोटबुक पर कोई कपड़ा भी पड़ा हुआ था जो की उसके हाथ में आ गया। राहुल उस कपड़े को अपने हाथ में लेकर ऊलट पलट कर देखने लगा । विनीत की भाभी राहुल को ही बड़े गौर से देखे जा रहीे थी। मरून रंग का वह कपड़ा मखमली था जिस पर उंगलियां फिराने में राहुल को बड़ा मजा आ रहा था।
जैसे ही उसने उस मखमली कपड़े को पूरा खोला उसे समझते देर नहीं लगी कि यह कपड़ा क्या है और वैसे ही तुरंत विनीत की भाभी बोली।

अरे राहुल( इतना सुनते ही घबराहट में राहुल के हाथ से वह मखमली कपड़ा छूट कर नीचे गिर पड़ा। ) 
ला तो वह मेरी पेंटी है आज जल्दबाजी में मैं उसे पहनना ही भूल गई। 
( राहुल तो एकदम से सन्न हो गया जिस कपड़े को उसने भूल से अपने हाथों में ले लिया था उसके बारे में जान कर उसके लंड में सरसराहट होने लगी। और तो और विनीत की भाभी के मुंह से एकदम खुले शब्दों में पैंटी पहनने की बात को सुनकर उस का मन एकदम चुदवासा हो गया। आज पहली बार ही उसने किसी औरत की पेंटी को हाथों में लिया था। औरतों के पहनने की चड्डी इतनी नरम और मुलायम होती है आज पहली बार उसे पता चला था। पेंटी का मुलायम एहसास अभी तक उसकी उंगलियों पर महसूस हो रहा था। राहुल के पेंट में फिरसे तंबू बन गया जिस पर वीनीत की भाभी की नजर गड़ी हुई थी। उसके पेंट में बने तंबू को देख कर एक बार फिर वीनीत की भाभी की बुर से पानी रीसने लगा। तंबू के कठोर चुभन का एहसास उसके तन बदन को मदमस्त कर गया। विनीत एकदम सन्न मारकर वहीं खड़ा रहा। कुछ देर खामोश रहने के बाद वीनीत की भाभी फिर से बोली।)

अरे राहुल एसे ह़ी खड़े रहोगे क्या लाओ मेरी पैंटी उठा कर दो मुझे आज सुबह से पहनी नहीं हूं तभी कुछ खाली खाली सा लग रहा है। 
( वीनीत की भाभी की यह बातें राहुल के तन बदन में आग सी लगा रही थी। औरत के मुंह से इतनी खुली बातें उसने आज तक नहीं सुनी थी इसलिए उस की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी पेन्ट के अंदर का तंबु पेंट में गदर मचाए हुए था। उसका लंड फूल टाइट हो गया था।
राहुल के मन में डर लगने लगा था कि कहीं लंड पेंट फाड़ कर बाहर ना जाए। राहुल दिलीप की भाभी की तरफ देखा तो वो आंखों से इशारा करके पेंटी उठाने को कह रही थी। इस बार राहुल नीचे झुका और पेंटी को उठाकर अपने हाथों में ले लिया यह सोच कर ही कि उसके हाथ में एक खूबसूरत औरत की पेंटी है जिससे वह अपना बेशकीमती खजाना छुपाती है उसके मन में काम ज्वाला और ज्यादा भड़क उठी। 
राहुल के हाँथो मे विनीत की भाभी की पैंटी थी जिसे लेकर वह उसकी तरफ बढ़ रहा था साथ ही पेंट में बने तंबू को अपनी नोटबुक की आड़ में छुपाए हुए था। 
राहुल की बालिश हरकत पर विनीत की भाभी मंद मंद मुस्कुरा रही थी। राहुल एकदम शर्मसार हुआ जा रहा था और विनीत की भाभी को मजा आ रहा था। 
विनीत की भाभी बिस्तर पर ही बैठी हुई थी राहुल उसके पास पहुंच गया और कांपते हाथों से उसको पैंटी थमाने लगा पेंटी को थामते वक्त विनीत की भाभी की नरम नरम उंगलियां राहुल की उंगलियों से स्पर्श हो गई। नरम नरम ऊँगलियों का स्पर्श होते ही राहुल का बदन गनगना गया। वीनीत की भाभी ने राहुल के हाथों से अपनी पैंटी ले ली और बिस्तर पर से नीचे खड़ी हो गई राहुल समझ नहीं पा रहा था कि अब ये क्या करने वाली है। राहुल के पेंट में पहले से ही तंबू बना हुआ था जिसकी वजह से वह परेशान था और उसे अपनी नोटबुक से ढक रखा था। राहुल धड़कते दिल से विनीत की भाभी की तरफ देखे जा रहा था। दिनेश की भाभी उस मखमली पैंटी को इधर-उधर कर के देख रही थी तभी वह राहुल से बोली।

( बड़े ही शरारती और मादक अंदाज में) राहुल देखो मैं पैंटी पहनने जा रही हूं तो मेरी तरफ बिल्कुल भी मत देखना है। ( इतना कहने के साथ ही वह दूसरी तरफ घूम गई उसके ना देखने वाले सुझाव मे जी भर के देखने का आमंत्रण मिला हुआ था। और वह अच्छी तरह जानती थी की राहुल उसको पेंटी पहनते हुए जरुर देखेगा इसलिए वह अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा ली थी। और भला दुनिया में ऐसा कौन सा मर्द होगा जो मौका मिलने पर भी औरतों को पेंटी बदलते हुए देखना नहीं चाहेगा बल्कि मर्द लोग तो हमेशा इसी ताक में रहते हैं कि कहीं कुछ देखने को मिल जाए। विनीत की भाभी दूसरी तरफ घूम चुकी थी लेकिन राहुल ने अपनी नजर विनीत की भाभी पर से नहीं हटाया था। राहुल के मन में तो गुदगुदी सी मची हुई थी। राहुल तो खुद अपनी आंख सेंकना चाहता था भला वह क्यों अपनी नजर फेर कर इस अतुल्य दृश्य का लुफ्त उठाने से वंचित रहना चाहता था। विनीत की भाभी के द्वारा उसी के सामने पैंटी पहनने वालीे बात पर राहुल की उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच गई थी। मुठ मारने से मिलने वाला परम आनंद का अहसास उसे इस समय हो रहा था पेंट मे बने तंबु का उभार बढ़ता ही जा रहा था। राहुल की पैनी नजर वीनीत की भाभी पर टिकी हुई थी। विनीत की भाभी की बड़ी-बड़ी गदराई हुई गाँड साड़ी में और ज्यादा कसी हुई लग रही थी। गांड का असाधारण घेराव और उभार किसी के भी मन को उत्तेजना से भर देने के लिए काफी था। 
वीनीत की भाभी ने उस मखमली पेंटी को अपनी उंगलियों में फंसा कर नीचे झुकी और हल्के से एक टांग को थोड़ा सा उठा ली जिससे उसकी गदराई गांड और ज्यादा मादक लगने लगी। एक टांग को उठाकर उसने पैंटी में डाली और फिर दूसरी टांग को भी पैंटी में डाल दी। यह नजारा देखकर राहुल के लंड का बुरा हाल हो रहा था। अब विनीत की भाभी ने पेंटी को दोनों हाथों की उंगलियों में फंसाए हुए ही उपर की तरफ सरकाने लगी
पेंटी के साथ-साथ साड़ी भी फंसकर ऊपर की तरफ सरक रही थी। जिससे उसकी चिकनी टांगे नंगी होती चली जा रही थी। राहुल के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी जैसे की कोई जंगली घोड़ा ठप ठप की आवाज करते हुए भागा चला जा रहा हो। राहुल के माथे से पसीने की बूंदे टपकने लगी। धीरे-धीरे करके विनीत की भाभी ने पेंटी को घुटनों के ऊपर तक सरका दी साथ ही साड़ी भी घुटनों के ऊपर तक हो गई आधी जाँघें दिखने लगी थी। विनीत की भाभी की मांसल जाँघें एकदम चिकनी दूधिया रंग कि मानो कि भाभी की जाँघे मक्खन से बनी हो। जिसे देखते ही किसी का भी लंड पानी छोड़ दे। राहुल की दिल की धड़कने बढ़ती ही जा रही थी। 
बस कुछ ही इंच और रह गई थी वीनीत की भाभी की पूर्ण रुप से गांड के शुभ दर्शन के लिए लेकिन राहुल के मन में शंका थी कि जो अब तक इतना कुछ दिखाते आ रही हैं क्या वह अपनी गदराई गांड का भी दर्शन कराएंगी या नहीं। राहुल की नजर बराबर विनीत की भाभी पर ही गड़ी हुई थी। वह अपनी नजरें हटाकर इस अतुल्य दृश्य का एक एक भी पल अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देना चाहता था। वीनीत की भाभी की हर एक अदा राहुल के दिल पर शोले बरसा रही थी।
जेसे ही वीनीत की भाभी ने आधी जाँघो के ऊपर पेंटी को सरकाना शुरू कि राहुल के लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया। 
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10-09-2018, 03:26 PM,
#26
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
वाह.....वाह.......वाह...... गजब का दृश्य।। कुछ ही पल में वीनीत की भाभी ने पूरी साड़ी को कमर तक उठा दी थी। कुछ ही पल के लिए विनीत की भाभी ने अपनी संपूर्ण ऊभरी हुई गदराई गांड का दर्शन करवा दी थी और उसके बाद अपनी मरून रंग की मखमली पेंटी से अपनी बेशकीमती गांड को ढँक ली।
इस नजारे को देखते ही राहुल को लगने लगा की कहीं उसके लंड से पानी का फव्वारा ना छूट पड़े .... उसके लंड में हल्का-हल्का और मीठा दर्द होने लगा था। लंड की नसें लंड के ऊपर ही ऊपस आई थी। नसों में खून का दौरा तीव्र गति से हो रहा था। ऐसा लगने लगा था कि लंड की नसे फट जाएंगी। 
विनीत की भाभी खास करके राहुल को अपनी गदराई गांड ही दिखाना चाहती थी इसीलिए तो साड़ी को एकदम कमर के उपर तक चढ़ा ली थी ताकि राहुल जी भरके उसकी गांड के दर्शन कर सके। उसे तो इतना यकीन ही था कि राहुल जरूर उसकी नग्नता का दर्शन कर रहा होगा लेकिन फिर भी अपनी तसल्ली के लिए वैसे ही साड़ी को कमर तक उठा कर पकड़े हुए अपनी गर्दन घुमा कर राहुल की तरफ देखी और राहुल को अपनी ही तरफ देखते हुए पाकर कामुक मुस्कान बिखेरने लगी।

राहुल की नजरे जेसे ही वीनीत की भाभी की नजरो से 
टकराई राहुल एकदम से शर्मिंदा हो गया। और अपनी नजरों को नीचे कर लिया । पेंट में उभरे हुए राहुल के तंबू को देखकर विनीत की भाभी तो मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसके बदन का जादू पूरी तरह से राहुल के ऊपर छा गया था। 
विनीत की भाभी ने पैंटी पहनने के बाद कमर पर लटकी हुई साड़ी को नीचे सरका दी और नंगी टांगें और गदराई गांड सब कुछ साड़ी की ओट में छिप गया। विनीत की भाभी आगे की तरफ घूमी और जैसे ही पहला कदम बढ़ाई उस से उठा हुआ कदम जमीन पर रखा नहीं गया और वह धम्म से बिस्तर पर कहरते हुए बैठ गई। 

ओहहह मा........ (ओर अपनी जाँघ पर हांथ रखके दबाते हुए ) मर गई रे....कमर के साथ साथ मेरी जाँघो मे भी बहुत दर्द हो रहा है। ना जाने क्या हो गया है मेरी टांगों में। 
( राहुल अभी भी बहुत शर्मिंदा था वह कैसे उससे बातें करें कैसे उससे नजरें मिलाए यह सब उसे समझ में नहीं आ रहा था। क्या करें उसकी चोरी जो पकड़ी गई थी। विनीत की भाभी ने तो उसे ना देखने के लिए बोली थी लेकिन उसके बोलने के बावजूद भी राहुल वीनीत की भाभी को पेंटी पहनते हुए देख रहा था और उसने भी अपने बदन को निहारते हुए राहुल को पकड़ ली थी। 
विनीत की भाभी राहुल की मनोदशा को भाँप ली थी। राहुल के माथे से टपक रही पसीने की बूंदे राहुल की मनोस्तिथि को पूरी तरह से बयान कर रही थी। वीनीत की भाभी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके भरावदार नितंब के दर्शन करके राहुल पूरी तरह से गरमा चुका था। राहुल की जगह अगर कोई ओर खाया पिया इंसान होता तो अब तक उसकी बुर में अपना टनटनाता हुआ लंड डालकर कब का चोद चुका होता। 
विनीत की भाभी को अब पुरी तरह से यकीन हो चुका था की राहुल अब तक कुंवारा ही था मतलब की जवानी की बगिया में अभी कच्ची कली ही था। इस बात से वीनीत की भाभी और भी ज्यादा प्रसन्न हो रही थी। 
और राहुल से बोली।

क्या हुआ राहुल ऐसे क्यों खड़े हो तबीयत तो ठीक है ना और तुम्हारे माथे पर यह पसीना क्यों। 

( राहुल क्या कहता कुछ बोलने जैसा था ही नहीं फिर भी हड़ बड़ाते हुए बोला।)

कककककक.....कुछ नही भाभी बस यू ही थोड़ी गर्मी लग रही थी ........ इसलिए।


अरे तो पहले कहना था ना कि गर्मी लग रही है वो सामने की स्विच ऑन कर दो पंखा चालू हो जाएगा।

( राहुल तुरंत उसकी बात मानते हुए स्विच ऑन कर दिया और पंखा चालू हो गया लेकिन वह अच्छी तरह से जानता था कि उसके माथे से टपक रहे पसीने की बूंदें मौसम की गर्मी की वजह से नहीं बल्कि वीनीत की भाभी के कामुक बदन की गर्मी की वजह से पसीना टपक रहा है। विनीत की भाभी की छातियों के ऊपर से साड़ी का पल्लू नीचे लुढ़का हुआ था जिस से राहुल को
ब्लाउज के उपर से ही सही लेकिन उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को देखने का लुत्फ बराबर मिल रहा था। वीनीत की भाभी ये जानती थी कि राहुल क्या देख रहा है। किस लिए मन ही मन मुस्कुरा भी रही थी। 
राहुल के पेंट में बना तंबू एक पल के लिए भी ढीला नहीं पड़ा था जिससे उसे दर्द का एहसास भी हो रहा था। उसे वापस घर भी जाना था लेकिन जाने का मन नहीं कर रहा था। नोटबुक मिल चुकी थी इसलिए जाना तो था ही वह विनीत की भाभी से बोला।

अच्छा भाभी मैं अब चलता हूं नोट बुक देने के लिए शुक्रिया मेरी वजह से आपको तकलीफ हुई ना मैं नोटबुक लेने आता ओर ना ही आपके कमर में ईस तरह से तकलीफ होती। भाभी मैं आपसे माफी चाहता हूं। 


अरे इसमें माफी किस बात की यह तो बस हो गया इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है लेकिन अब तुम गलती कर रहे हो।


गलती कैसी गलती भाभी।


मुझे जो इस हाल में छोड़ कर जा रहे हो अगर तुम्हारी जगह वीनीत होता तो क्या मुझे इस तरह तकलीफ में छोड़कर जाता। मैं इस समय ठीक से चल भी नहीं पा रही हूं। 
( राहुल वीनीत की भाभी को हो रही तकलीफ से काफी चिंतित था। वह बड़ा मजबूर था ..... वह भी मदद करना चाहता था लेकिन कैसे करें क्या करें उसके समझ के बाहर था। फिर भी हड़ बड़ाते हुए बोला।) 

भभभ...भाभी मममममम...मैं क्या कर सकता हूं।
( विनीत की भाभी आंखों को नचाते हुए बोली।)

तुम करोगे मेरी मालीस? 
मुझे मालिश की जरूरत है मालिस से ही मेरे दर्द मे राहत मिलेगी। करोगे ना मेरी मालीस! 

( अब राहुल क्या कहता उसका तो खुद ही दिल कर रहा था यह सब करने को लेकिन कह नहीं पा रहा था।
और खुद उसके मुंह से मालिस करने की बात सुनकर राहुल के खुशी का ठिकाना ना रहा। खुशी के साथ साथ उसके बदन में अजीब सा रोमांच भर गया था। उसने बिना किसी झिझक के हाँ मे सिर हीला दिला दिया। राहुल की हामि से विनीत की भाभी बहुत खुश हुई। और उसने सामने के ड्रोवर मैसे मुव लाने को बोली। राहुल डोवर में से मूव निकालने के लिए आगे बढ़ा ।
वीनीत की भाभी मन ही मन बहुत ही खुश हो रही थी क्योंकि उसका बनाया प्लान कामयाब हो गया था। सीढ़ियों से वह जानबूझकर फिसली थी वह दर्द का बहाना करके जानबूझकर ही राहुल को रोकी थी ।
राहुल का सहारा लेकर कमरे में आना और नोटबुक के साथ अपनी पैंटी को रखना राहुल के सामने ही जानबूझकर अपनी पेंटी को पहनना और अपने नितंबों का प्रदर्शन कराना यह सब प्लान के तहत ही था। जो कि राहुल के उपर पूरी तरह से सफल हो चुका था।

राहुल मूव लेकर आया और राहुल को अपनी तरफ आता देखकर विनीत की भाभी कराहते हुए बोली

हाय रे मेरी कमर ! अब तो तू ही मेरी मदद कर सकता है राहुल। चल जल्दी से मेरी मालिश कर दे एेसा दर्द हो रहा है कि मुझसे रहा नहीं जा रहा। ( ऐसा कहते हुए विनीत की भाभी बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और इस तरह से अपने दोनो पैरों को उठाई की उसकी साड़ी
घुटनों तक नीचे सरक गई और गोरी गोरी दोनों पिंडलियां दिखने लगी जिसे देख कर राहुल का पजामा तंग होने लगा । विनीत की भाभी को इस तरह से लेटे हुए देख कर और उसकी उभरी हुई गांड को देखकर राहुल फिर से उत्तेजित होने लगा। राहुल को समझ में नहीं आ रहा था कि कहां से शुरू करे कि तभी विनीत की भाभी बोल पड़ी।

राहुल अब खड़े ही रहोगे या मालीस भी करोगे।

हां हां हां हां भाभी अभी करता हुं। ( हकलाते हुए बोला।)

( राहुल विनीत की भाभी के बगल में जाकर बैठ गया और विनीत की भाभी बोली।)
कमर पर से थोड़ी साड़ी हटाकर अच्छे से मालिश कर दे राहुल बहुत दर्द कर रहा है।
( राहुल के तो हांथ कांप रहे थे। फिर भी हिम्मत करके कमर पर से साड़ी हटाया कमर पर से साड़ी के हटते ही
राहुल की आंखें मांसल कमर और कमर के बीच की गहरी लकीर को देखकर फटी की फटी रह गई। राहुल में तुरंत मुव निकालकर वीनीत की भाभी की कमर पर लगाया और मालिश करना शुरु कर दिया। गोरी गोरी कमर के स्पर्श से राहुल का बदन रोमांचित हुआ जा रहा था। इससे पहले भी उसने अपनी मम्मी की कमर पर मालिश किया था लेकिन ऐसा रोमांच उसे उस समय बिल्कुल भी नहीं हुआ था। विनीत की भाभी की गांड का उभार देखकर राहुल के लंड का तनाव बढ़ता जा रहा था। राहुल बढ़िया अच्छी से मालिश कर रहा था जिससे उसे सुकून मिलने लगा था लेकिन उसके मन में और ज्यादा खुरापात चल रही थी। वह बोली।

राहुल थोड़ा और नीचे वहां कुछ ज्यादा ही दर्द कर रहा है।

कहां पर भाभी? 

( विनीत की भाभी अपना एक हाथ पीछे लाकर और कमर के नीचे जहां गांड का उभार शुरु होता था वह जगह पर उंगली रख कर दिखाते हुए बोली।)

यहां इस जगह पर राहुल बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है उधर पर मालिश कर दो।

( राहुल के मन का गुब्बारा फूटने लगा था विनीत की भाभी का यह ईसारा उसके तन बदन में आग लगा रहा था राहुल भी मालिश करने के लिए बेताब था लेकिन असमंजस मे था। राहुल थोड़ा घबराहट के साथ बोला)

भाभी.........ईधर ...... केसे..... मतलब ...... ईधर ....तो
ससससस....साड़ी बंधी हुई है। ( राहुल सकपकाते हुए बोला ।) 

हाँ तो थोड़ी साड़ी ढीली कर दो अच्छा रुको में ही कर देती हूं।( इतना कहने के साथ ही वीनीत की भाभी अपने दोनों हाथ को अपने पेट के नीचे ले गई और अपनी गांड को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठाई ..... गांड उचकाने की इस अदा पर राहुल के मुंह में पानी आ गया । वीनीत की भाभी ने पेट के नीचे खोशी हुई साड़ी को बाहर निकाल कर पेटीकोट की डोरी को ढीली कर दी और बोली।

लो राहुल थोड़ी सी साड़ी को नीचे सरका दो ताकि अच्छे से क्रीम लगाकर मेरी मालिश कर सको। ( वीनीत की भाभी की यह बात सुनकर राहुल का दिल बल्लियों उछलने लगा एक तरफ उसके मन में गुदगुदी सी मच रही थी और दूसरी तरफ उसका दिल घबरा भी रहा था। घबराहट से उसका गला सूखने लगा था। दिल तो उसका भी चाह रहा था वीनीत की भाभी की विशाल गांड के दर्शन के लिए । आज उसे विनीत की भाभी की गांड को एकदम करीब से देखने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ था इसलिए उसके हाथ भी कांप रहे थे फिर वह अपने कांपते हाथों की उंगलियों से साड़ी के दोनों छोर को पकड़ा और फिर पेटीकोट सहित नीचे की तरफ सरकाने लगा पेटीकोट के साथ-साथ विनीत की भाभी की पेंटी भी सरकते आ रही थी और जैसे ही गदराई गांड के बीच की फांक नजर आई मारे उत्तेजना के उसके हाथ ठीठक गए। भाभी की गांड की फांक उसके लंड की ऐठन को बढ़ाने लगे। मारे उत्तेजना के राहुल का बुरा हाल हो रहा था उसके माथे से पसीने की बूंदें टपक रही थी। वहीं दूसरी तरफ वीनीत की भाभी का भी कम बुरा हाल नहीं था उसके अरमान पूरे होने के कगार पर थे उस का प्लान पूरी तरह से सफल हो चुका था। इससे पहले भी वीनीत की भाभी ना जाने कितनों के सामने नंगी हुई थी और खुद को नंगी करवाई थी लेकिन जो आज राहुल के सामने नंगी होते हुए उसके बदन में रोमांच उठ रहा था ऐसा रोमांच उसने आज तक महसूस नहीं कि। इतने से ही उसकी बुर पनीया गई थी। 
साड़ी और पेटीकोट के साथ जैसे ही उसकी पैंटी भी नीचे सरकते हुए आई वैसे ही तुरंत राहुल ने पेंटी को वापस उपर की तरफ चढ़ा दिया। राहुल की आंखों में नशा छाने लगा था वह मदहोश होकर एकटक कमर के नीचे का गोलाकार उठान को देखता ही रह गया।

राहुल की दिल की धड़कने तेज होती जा रही थी। राहुल के हाथों के स्पर्श से विनीत की भाभी भी गरमा गई थी।
राहुल ने थोड़ी सी क्रीम अपनी उंगली पर लगाया और कमर के ऊपरी भाग पर हल्के हल्के मालिस करने लगा। मालिश करते समय भी उसकी नजर विनीत की भाभी की गांड पर ही टिकी हुई थी। तभी विनीत की भाभी बोली।

राहुल का कमर के नीचे मालिश कर उधर ज्यादा दर्द हो रहा है।

हां हां भाभी करता हूं मालीस ( भाभी की बात सुनते ही राहुल के लंड में एठन बढ़ने लगी उसने भी मालिश करते हुए धीरे-धीरे पैंटी में एक उंगली को डाल कर हल्के हल्के मालिश करने लगा उस जगह पर मालिश करते हुए राहुल के बदन में झनझनी सी फेल जा रही थी। विनीत की भाभी मंद मंद मुस्कुराते हुए अपनी गांड की मालिश राहुल से करवाये जा रही थी। राहुल पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुका था उसकी अंडरवियर धीरे धीरे करके आगे से गीली होने लगी थी। इस वक्त राहुल की आधी हथेली उसकी पैंटी के अंदर समाई हुई थी।
गदराई गांड का नरम नरम एहसास राहुल को पागल किए जा रहा था। राहुल का गला एकाएक सूखने लगा जब उसकी बीच वाली उंगली नें गांड के बीचोबीच की फांक का स्पर्श किया उसके तन-बदन में आग सी लग गयी। विनीत की भाभी का भी यही हाल हुआ जब उसने राहुल की बीच वाली उंगली का स्पर्श अपनी गांड की फांक पर महसुस की तो मारे उत्तेजना के उसने अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी। दोनों की सांसे तेज चलने लगी थी। अब राहुल अपनी हथेली का दबाव गांड पर बढ़ाते हुए मालिश करने लगा था जिससे विनीत की भाभी को भी मजा आ रहा था। रह-रहकर राहुल की उंगलिया उसकी गांड के बीचोबीच की लकीर में चली जा रही थी जिससे दोनों का उन्माद बढ़ता ही जा रहा था। 
राहुल का लंड एकदम से टाइट हो चुका था ऐसा लगने लगा था कि कहीं लंड की नशे फट ना जाएं। विनीत की भाभी की बुर भी पानी से फचाफच भरी हुई थी। राहुल की तो जेसे लॉटरी लग गई हो। विनीत की भाभी का पूरा खजाना उसके हाथों में था बस ढका हुआ था। विनीत की भाभी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वो अब खुल के मजा लेना चाहती थी। इसलिए बोली। 

राहुल डर तो आराम लगने लगा है लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि मेरी जांघो मे भी बहुत दर्द है। जाँघो पर भी मालिश कर दे मुझे आराम मिल जाएगा। 
( पैंटी के अंदर हाथ डाले हुए ही राहुल बोला)
लेकिन भाभी यह साड़ी.........( इतना कहने के साथ ही राहुल खामोश हो गया राहुल के कहने का मतलब विनीत की भाभी समझ गई थी इसलिए वह बोली।)


हां तो क्या हुआ मेरी साड़ी को नीचे से ऊपर की तरफ कमर तक चढ़ा दो तब ठीक से मालिश हो पाएगी।
( इतना सुनते ही राहुल का लंड पेंट में ही उछाल मारने लगा वह मन ही मन बहुत ज्यादा खुश हुआ अब तक तो सिर्फ नंगी औरतों को देखता ही आया था लेकिन आज उसे खुद ही औरत नंगी करने का मौका मिला था।
राहुल की साँसे बेकाबु हो चुकी थी घोड़े की टॉप की तरह उसकीे दिल की धड़कनें चल रही थी। अब राहुल को वो करना था जो अब तक उसने नहीं किया था।इसलिए उसके हाथ कांप रहे थे। राहुल के मन में पूरी विशाल नंगी गांड को देखने की उत्सुकता के साथ साथ कामुक उन्माद भी चढ़ा हुआ था जिस का मिलाजुला असर राहुल के चेहरे पर साफ झलक रहा था
साड़ी पर चढ़ी हुई सिलवटें विनीत की भाभी के बदन को ओर भी ज्यादा कामुक बना रही थी।
आने वाले पल और बेहतरीन नजारे का राहुल को बड़ी बेसब्री से इंतजार था। विनीत की भाभी को भी इसी पल का इंतजार था कि कब राहुल अपने हाथों से उसकी साड़ी उठाकर उसको नंगी करे और उसकी विशालकाय
गदराई हुई गांड के दर्शन करके उत्तेजित हो और उसकी तीव्र संभोग की कामेच्छा को पूरी करें। 
आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी। दोनों तरफ वासना का समंदर उछाल मार रहा था। तभी राहुल ने अपने कांपते हाथों से विनती भाभी की साड़ी को पकड़कर जाँघों की तरफ से ऊपर की तरफ सरकाने लगा जिससे वीनीत की भाभी कसमसाने लगी।
पैरों की तरफ से जैसे जैसे साड़ी सरक कर ऊपर आने लगी विनीत की भाभी की टांगे नंगी होने लगी गोरी चीकनी टांगो को देखकर राहुल का मन मचलने लगा।
धीरे धीरे करके साड़ी घुटनों तक सरक के आ गई 
नंगी टांगें और गोरी गोरी पिंडलियां देखकर राहुल अपने मन पर काबू ना कर सका और हल्के से गोरी-गोरी पिंडलियों पर अपनी उंगलियों से सहलाने लगा। 
राहुल की इस हरकत से विनीत की भाभी समझ गई कि राहुल अब लाइन पर आने लगा है उसके मन का डर धीरे-धीरे खत्म हो रहा था।
पिंडलियों को सहलाते हुए उसने साड़ी को फिर से ऊपर की तरफ खींचा इस बार आधे से भी ज्यादा दूधिया जांघे उजागर हो गई। वाहहहहहहह...........
अपने आप ही राहुल के मुख से निकल गया। विनीत की भाभी के साड़ी की अंदर की सुंदरता देखकर राहुल की आंखें चौंधिया जा रही थी। हक्का-बक्का सा बस देखे जा रहा था। हाथों में कपकपी और होंठ थर्रा रहे थे
अपने कांपते हाथों से राहुल ने साड़ी को और ऊपर खींचने की कोशिश किया तो साड़ी जाँघो के नीचे दबी होने से ऊपर की तरफ खींचा नहीं पाई इसलिए खुद ही विनीत की भाभी ने अपनी गदराई गांड को थोड़ा ऊपर की तरफ उचका दी ताकि राहुल साड़ी को कमर तक खींच सकें और कुछ सेकंड में ही विनीत की भाभी की साड़ी उसकी कमर तक चढ़ चुकी थी अब उसकी कमर के नीचे मात्र गदराई गांड को ढकने के लिए मखमली मैरून रंग की पैंटी ही रह गई थी जो कि उसके गोरे रंग पर और ज्यादा खीेल रही थी। राहुल तो थूक निगलता हुआ गांड के घेराव ओर उसके आकार को देखता ही रह गया। राहुल से रहा नही गया और उसने अपने दोनों हाथों की हथेली को विनीत की भाभी के गांड की दोनों फांकों पर रख दिया और हल्के से दबा दिया .... जैसे ही राहुल की हथेलियों का दबाव विनीत की भाभी अपनी नरम नरम गौरी गांड पर महसूस की वैसे ही उसके मुख से गरम सिसकारी फुट पड़ी । 

स्स्स्स्स्सहहहहहहहहह...........राहुलल.....
( वीऩत की भाभी के मुख से गर्म सिसकारी सुनते ही राहुल घबरा गया उसे लगा कि शायद भाभी को दर्द होने लगा इसलिए उसने झट से अपनी हथेली को दिनेश की भाभी की गांड पर से हटा लिया और बोला।)

क्या हुआ भाभी ज्यादा दर्द कर रहा है क्या? 

( राहुल बिल्कुल नादान था इस बात से विनीत की भाभी वाकिफ हो चुकी थी। इसलिए उसने अपने मुख से निकली गरम चुदवासी सिसकारी को दर्द का नाम देकर बोली।) 

हां राहुल (दर्द से कंहरते हुए) बहुत दर्द कर रहा है अब तो बर्दाश्त के भी बाहर होता जा रहा है मेरा दर्द। कुछ कर राहुल मुझे इस दर्द से निजात दिला मेरे पूरे बदन में अजीब सा दर्द होने लगा है। तू आज ऐसी मालिस कर कि सारा दर्द हमेशा के लिए भाग जाए। ......
( कुछ देर खामोश रहने के बाद फिर बोली)

राहुल एक काम करो मेरी पैंटी को भी उतार दो ताकि तुम मेरी अच्छी से मालिश कर सको। 
Reply
10-09-2018, 03:26 PM,
#27
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
( इतना सुनते ही राहुल के बदन में झुनझुनी सी फैल गई। राहुल के खुशी का ठिकाना ना था ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसे अनमोल तोहफा दे दिया हो। मन में उन्माद भी था उत्तेजना के साथ-साथ घबराहट भी राहुल के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था। उत्तेजना से तो उसका चेहरा लाल टमाटर की तरह हो गया था पेंट में तंबू एेसा उभरा हुआ था कि मानो अभी फट के बाहर आ जाएगा। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे ऐसा सुनहरा मौका मिलेगा। वह मन ही मन सोच रहा था कि आज तो जैसे किस्मत का ताला ही खुल गया हो। और खुश भी क्यों ना हो जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही तीन-तीन महिलाओं का नग्न शरीर और ऊपर से भाभी के बदन को खुद नंगा करने का अवसर मिल रहा था । इसलिए तो वह अपने आप को खुशनसीब समझ रहा था। यह तो राहुल था कि अभी तक संभाला हुआ था उसकी जगह कोई और होता तो ऐसी विशालकाय भरपूर जवानी और कयामत से भरी गांड को देख कर पानी छोड़ दिया होता। पूरे घर में विनीत की भाभी और राहुल को छोड़कर कोई नहीं था। दिनेश को तो पहले से ही उसने किसी काम से भेज दि थी जहां से वह 2. 4 घंटे के पहले आने वाला नहीं था । तभी तो विनीत की भाभी भी निश्चिंत और बेसब्र हो कर लेटी हुई थी। राहुल का दिल जोरो से धड़क रहा था। आगे क्या करना है उसे पता था लेकिन डर भी लग रहा था। विनीत की भाभी की गदराई हुई गांड मरुन रंग की चड्ढी मे और भी ज्यादा कसी हुई लग रही थी। राहुल ने फिर से अपने कांपते हाथों की ऊंगलियो से चड्ढी के दोनो छोर को पकड़ लिया और जैसे ही नीचे सरकाने को हुआ विनीत की भाभी ने तुरंत अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी जैसे कि वह इस पल का इंतजार ही कर रही थी। राहुल ने भी तुरंत धीरे धीरे कर के वीनीत की भाभी की चड्डी को नीचे सरकाने लगा मरून रंग की चड्डी जैसे जैसे वीनीत की भाभी की विशालकाय गांड पर से नीचे सरकती गई वैसे वैसे गौरी चिकनी दूधिया गांड उजागर होती चली गई। मखमली गोरी चिकनी गांड को देखकर राहुल आश्चर्यचकित हो गया। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस गांड को दूर से देख कर रात भर मुठ मारा था उसी गैंड को इतनी नजदीक से देखेगा और खुद ही नंगी करेगा यह सब उसे एक सपना सा लग रहा था। वीनीत की भाभी की गांड इतनी मादक और मांसल थी कि जरा सा भी वह कसमसाती तो उसकी गांड में थिरकन पैदा हो जाती थी
गांड की गोलाई उसके लंड की लंबाई को बढ़ा रही थी पंखे की हवा के बावजुद भी 
राहुल एकदम पसीने से तरबतर हो गया था। राहुल अपने अंदर की उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाया और उसने अपने दोनों हथेलियों को विनीत की भाभी की संपूर्णता नग्न गांड पर रख दिया और जैसे ही उसने अपनी हथेली को नंगी गांड पर रखा वैसे ही गांड की नरमाई ओर गुदाज पन को महसूस करते ही उसका पूरा बदन गदगद हो गया। उसके मुख से अपने आप गर्म सिसकारी निकल गई वह मन में ही बोला वाहहहहह इतनी नरम और मुलायम गांड मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है की गांड इतनी मुलायम ओर नरम एकदम रूई की तरह होती है। राहुल की आंखों में अजब सा नशा छाने लगा था। वह अपनी हथेली को उसकी गांड पर सात आंठ सेकंड तक ही रख पाया था कि विनीत की भाभी कसमसाते हुए बोली ।।

राहुल पहले मेरी पैंटी को पूरी तरह से उतार लो तब अच्छे से मालिश करना। ( राहुल की नजर जांघो में फंसी पैंटी पर गई तब उसे ख्याल आया कि उसने पेंटी को पूरी तरह से उतारना भूल गया और फिर पैंटी को पकड़कर धीरे-धीरे करके चिकनी टांगो से होती हुए उसने पैंटी को टांगो से बाहर निकाल दिया। अब वीनीत की भाभी कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी थी। पैंटी को टांगो से अलग होते ही विनीत की भाभी बोली।)

हाँ अब ठीक है ..... अब तुम अच्छे से मेरी मालिश कर सकते हो। ( इतना कहते ही वीनीत की भाभी इत्मािनान. से तकिए पर सिर रखकर आंखों को मुंद ली। और राहुल ने क्रीम निकाल कर अपनी उंगली पर लगाया और उंगली से उसकी गांड पर चुपड़ते हुए मालीस करने लगा मांसल और नरम नरम गांड पर राहुल की हथेली फिसलते ही राहुल के बदन में गुदगुदी होने लगी उसका गला सूखने लगा वह हल्के हल्के से गांड की मालिश किए जा रहा था और अपनी किस्मत को धन्यवाद दिए जा रहा था। गांड का लाजवाब उभार
तो पहले से ही उसे दीवाना बनाए हुए था लेकिन गांड की फांक तो उसे पागल ही किए जा रही थी । वह बार-बार मालिश करते हुए दोनों अंगुुठों को गांड के फांक की लकीर में रगड़ते हुए आ रहा था जिससे राहुल को तो मजा आ ही रहा था लेकीराहुल की ईस हरकत से विनीत की भाभी पर जेसे बिजली गिर रही हो।वीनीत की भाभी भी उत्तेजित हो गई थी । उसका बदन रह रह को अपनी उत्तेजित अवस्था को दबाने के लिए कसमसा रहा था। एक अजीब से सुख का अहसास विनीत की भाभी के बदन मे फैलता जा रहा था। राहुल की उंगलियों का जादू उसके बदन में उन्माद भरते जा रहे थे वासना की लहर उसके बदन मे हिलोरे ले रहा था
राहुल भी वासनामई दुनिया में पूरी तरह से प्रवेश कर चुका था। पलंग से नीचे खड़े होकर राहुल विनीत की भाभी की मालिश कर रहा था उसकी हथेली अब बेझिझक उसकी गांड पर घूम रहीे थी लेकीन अभी भी जब वह अपनी उंगलियों को गांड़ की फांक की गहराई में डुबोता तो घबरा जाता । उसकी हसरत जिस चीज को छूने और देखने को थी उसकी ईस हसरत काे वीनीत की भाभी अच्छी तरह से समझ रही थी। वह औरत के उसी अंग को अपनी उंगलियों से टटोलना चाह रहा था जिसे देखने की छूने की उसमें समा जाने की हसरत हर मर्द में होती है। इसलिए तो विनीत वहां डर डर के उसी स्थान पर अपनी उंगलियों का स्पर्श करा दे रहा था लेकिन विनीत की भाभी के गांड का उभार इतना ज्यादा था की गांड के फांर्कों के बीच की गहराई तक उसकी उंगली पहुंच ही नहीं पाती थी । जहां तक उसकी उंगली पहुंच पाती थी वहां से उस गुलाबी द्वार का छेंद बस दो तीन अंगुल ही रह जाता।। लेकिन जैसे ही राहुल की ऊंगलिया उसकी गुलाबी छेंद के इर्द गिर्द गश्त लगाती वैसे ही तुरंत विनीत की भाभी के बदन में जैसे शुईयां सी चुभ रही हो वह एकदम से चुदवासी हो कर लंड के लिए तड़प उठती उसकी गुलाबी बुर से नमकीन पानी की बूंदे टपक पड़ती उसकी बुर फूलने पिचकने लगती
राहुल की जादुई अंगुलियां वीनीत की भाभी का बुरा हाल कर रही थी।

विनीत की भाभी हर पल एक नई सुख के एहसास में मस्त हुए जा रही थी। आज बहुत दिनों बाद राहुल के छूने मात्र से ही इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी। विनीत की भाभी के लिए भी यह पल अविस्मरणीय था
राहुल ऐसा लगने लगा था कि हर पल अनुभवी होता जा रहा है उसकी हाथों की उंगलियां अपना कमाल दिखा रही थी संपूर्ण गांड पर फिरते हुए राहुल की उंगलियां गश्त लगाते हुए जांघों के अंदरुनी भाग से होते हुए बुर के उपसे हुए भाग को छूकर गुजर जाती थी। यह पल विनीत की भाभी और राहुल के लिए इतना नाजुक और उन्माद पर भरा होता था कि जैसे ही राहुल की उंगलियां बुर के ऊपर से हुए भाग को छू कर गुजरती थी वैसे ही तुरंत उत्तेजना से भर कर विनीत की भाभी की बुर से और राहुल के टनटनाए हुए लंड से कामरस की बूंदे टपक पड़ती थी। रह-रहकर विनीत की भाभी के मुख से गरम सिसकारी छूट पड़ती थी। विनीत की भाभी अपने हाल से इतनी लाचार हो चुकी थी कि अपनी उत्तेजना खुद से छुपाए नहीं छुपा पा रही थी बार-बार उत्तेजना बस उसका बदन कसमसा जा रहा था । 
अभी तक राहुल कि सिर्फ मंगोलिया ही उस गुलाबी रंग की जन्नत के द्वार को स्पर्श कर पाई थी लेकिन आंखों से दीदार नहीं हो पाया था। इस बात को वीनीत की भाभी भी अच्छी तरह से जानती थी उसके मन में भी यही था कि राहुल जिस ने अब तक भरावदार गांड देखकर ही इतना गरमा गया है अगर वह उस की रसीली बुर देखेगा तो क्या हाल होगा उसका। विनीत की भाभी अपने भरावदार और उभरी हुई गांड के भूगोल से पूरी तरह से वाकिफ थी वह जानती थी कि उसकी गांड कीे गहराई इतनी ज्यादा ठीक की बुर का दीदार करना लगभग नामुमकिन था। 
राहुल बहुत अच्छी तरह से कमर से लेकर के गांड और जाँघो की मालिश कर रहा था। इस मालीस से विनीत की भाभी का कामज्वर और ज्यादा बढ़ गया था। उसकी बुर चुदवासी होकर के पानी बहा रही थी। 
माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था राहुल का बदन पसीने से तरबतर होता हुआ उन्माद के सागर में बहा चला जा रहा था। राहुल का लंड पेंट में गदर मचाए हुए था ऐसा लग रहा था कि पैंट फाड़कर बाहर चला आएगा गांड की मालीस करते करते राहुल की भी हिम्मत बढ़ती जा रही थी वह अपनी दोनों हथेलियों में जितना हो सकता था उतनी गुदाज गांड को भर कर मसल देता और राहुल के ईस हरकत पर विनीत की भाभी की आह निकल जाती थी। थोड़ी देर मालिश करने के बाद राहुल ने फिर से गांड को हथेलियों में भरकर जोर से मसल दिया इस बार भी विनीत की भाभी के मुंह से आह निकल गई और वह बोली।

क्या करते हो राहुल? 

कककककक....कुछ नही भाभी ........ ( राहुल हड़बड़ाते हुए बोला। वीनीत की भाभी की यह बात सुनकर राहुल घबरा सा गया था वीनीत की भाभी ने राहुल को टोकी जरूर थी लेकिन अंदर से वह यही चाहती थी कि राहुल जोर-जोर से उसकी गांड को मसले क्योंकि गांड मसलवाने में उसे अपार आनंद की अनुभूति हो रही थी जिसको वह शब्दों में नहीं बल्कि ट सिषकारियों में बयाँ कर रही थी। लेकिन विनीत की भाभी के टोकने पर राहुल अब हल्के हल्के मालिश कर रहा था जिससे वीनीत की भाभी को मजा नहीं आ रहा था एक तरह से राहुल को टोकने पर अंदर ही अंदर पछता रही थी। राहुल अब छुट छाट लेने में शर्म के साथ-साथ घबरा भी रहा था जोकि विनीत की भाभी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था वह फिर से चाहती थी कि राहुल उसके बदन से थोड़ी छूट छाट ले इसलिए उसने अपने बदन का ही सहारा ली ताकी राहुल फीर से उत्तेजित होकर उसके बदन से छूठ छाट लेने लगे इसलिए वह कसमसाते हुए बोली.....

राहुल थोड़ा सा अंदर की तरफ भी मालीस कर दे उधर भी बहुत दर्द कर रहा है ( इतना कहने के साथ ही उसने अपनी मांसल जांघो को थोड़ा सा फैला दी... और जांघो को फेलते ही राहुल को वह नजर आया जिसकी तमन्ना लिए वह कब से मालिश किए जा रहा था। राहुल थूक निगलते हुए जांघो के बीच के उस जन्नत के द्वार को देखने लगा गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियां हल्की सी बाहर की तरफ निकली हुई थी और बुर पर बाल के नामो निशान नही थे । एकदम चिकनी बुर वह भी उत्तेजना के कारण उपसी हुई। गांड की तरफ से ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन फिर भी राहुल के लिए इतना काफी था यह नजारा देखते ही उसके लंड का तनाव दुगुना बढ़ गया था। रह-रहकर उसके लंड के काम रस की बूंदे टपक रही थी जिसके कारण पेंट के आगे का भाग गीला हो चुका था। राहुल की हालत संभाले नहीं संभल रही थी। विनीत की भाभी रह रहकर अपनी तिरछी नजर से राहुल की हालत देख कर मन ही मन खुश हो रही थी लेकिन जैसे ही उसकी नजर उसकी पेंट में बने लंबे तंबू पर पड़ी तो तुरंत ही उसकी बुर चुदवासी होकर फूलने पिचकने लगी। आंखों से ही पेंट में बने तंबू का साइज नाप ले रही थी उसकी लंबाई और मोटाई की कल्पना करते ही उसके मुख से गरम सिसकारी छुट पड़ी। वह मन हीं मन मे बोली.......

वाहहहहहह... गजब का लंड होगा इसका अगर पेंट में इतना भयानक लग रहा है तो जब पेंट के बाहर आएगा तो कितना मजेदार लगेगा इसकि मोटाई ईसकी लंबाई उफफ्फ ... जब यह मेरी बुर में जाएगा तो मेरी बुर का सारा रस निचोड़ डालेगा। 

अब विनीत की भाभी की प्यास और ज्यादा बढ़ने लगी थी अपने बदन की गर्मी उससे सही नहीं जा रही थी उसको तो इंतजार था कि कब राहुल का मोटा लंड उसकी बुर में जाकर उसकी बुर की खुजली मिटाए। 
राहुल जी मंत्रमुग्ध होकर जांघो के बीच के उस हसीन द्वार को देखे जा रहा था और बार-बार एक हाथ से अपने टनटनाए लंड को पेंट में एडजस्ट किए जा रहा था। 
वीनीत की भाभी समझ गई थी कि राहुल उसकी बुर देखकर पगला सा गया है.. और वह अब पूरी तरह से उसके बस में था वह उससे चाहे जो करवा सकती थी इसलिए उसकी प्रसन्नता का कोई ठिकाना ना था। राहुल अब पूरी तरह से विनीत की भाभी की मुट्ठी में था।
तभी वीनीत की भाभी ने राहुल के उत्तेजना को बढ़ाते हुए हल्के से अपनी भरावदार गांड को उचकाई ओर पुन उसी स्थिति में अपनी गांड को लाते हुए बोली।

राहुल करना रे मेरी मालिस बहुत दर्द कर रहा है वहां पर

हाँ हां करता हुँ भाभी.. ( इतना कहने के साथ ही राहुल ने वापस जांघो पर अपनी हथेली रखकर मालिश करते हुए अपनी उंगलियों को जांघों के बीच सरकाने लगा जैसे-जैसे राहुल की उंगलियां जांगो के अंदरूनी भागों पर पिसल रही थी वैसे वैसे राहुल के साथ-साथ विनीत की भाभी का भी उन्माद और उत्तेजना बढ़ते जा रहा था वह रह रहकर कसमसा रही थी। राहुल का गला सुर्ख हो चला था। मालिश करते करते उसकी उंगलियां बुर के मुख द्वार से बस दो अंगुल ही दूर रह जाती थी राहुल का मन बहुत करता था कि वह अपने उंगलियों का स्पर्श बुर के मुख द्वार पर कराए लेकिन उसकी हिम्मत नहीं होती थी। वह बार बार हिम्मत करके अपनी उंगलियों को सरकाता हुआ गुलाबी बुर की तरफ बढ़ता लेकिन बुर के उपसे हुए हिस्से पर ही उंगलियों को रगड़ता हुआ ऊपर की तरफ आ जाता । लेकिन इतने मात्र से ही राहुल का पूरा बदन अजीब से सुख की अनुभूति से गनगना जाता । विनीत की भाभी का भी यही हाल होता
जैसे ही उसकी उंगली बुर के उपसे हुए भाग को रगड़ते हुए बढ़ती उसकी तो मानो जेसे सांसे ही अटक जाती थी। पूरे बदन पर जैसे चींटिया रेंग रही हो ना सहा जा रहा था और ना ही कहा जा रहा था। 
आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी । एक तरफ राहुल था जो अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा था जिसके लिए सब कुछ नया नया था सब कुछ धीरे-धीरे सीख रहा था उसका कुंवारापन जवानी की सागर में हिलोरे ले रहा था जिस पर सवार होने के लिए विनीत की भाभी मचल रही थी। 
दूसरी तरफ विनीत की भाभी जो अनुभव से भरी हुई थी
जिसके अंग अंग से काम रस टपक रहा था जिसने अपने कामुक अंगों का प्रदर्शन राहुल के सामने करके उसे अपना दीवाना बना ली थी अपनी भरावदार गांड और रसीली बुर के दर्शन करवा कर राहुल को पूरी तरह से अपने कब्जे में कर ली थी। राहुल के कुंवारेपन को लूटने का सारा दावपेंच आजमा रही थी 
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10-09-2018, 03:27 PM,
#28
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल अपनी निगाह उस गुलाबी द्वार पर टिकाए हुए ही जांघो की मालिश कर रहा था। उसका मन बार बार फुदक रहा था उस गुलाबी द्वार को स्पर्श करने के लिए। और इस बार उसने मन में हिम्मत जुटाकर अपनी उंगलियों को जांघो पर धीरे-धीरे रेंगाते हुए आगे बढ़ने लगा अपने कांपते हाथों की उंगली को उसने मालिश करते हुए हल्के से बहुत ही तीव्र गति से बुर की गुलाबी पत्ती को स्पर्श कराते हुए आगे की तरफ बढ़ गया। बस इतने स्पर्श मात्र से ही राहुल का लंड अकड़ सा गया। उसके बदन में झुनझुनी सी छा गई। इस बार फिर से उसके लंड ने काम रस की बुंद को टपका दिया। राहुल को इस पल हस्तमैथुन से भी ज्यादा आनंद मिल रहा था। जैसे ही राहुल की उंगलियां विनीत की भाभी के बुर की गुलाबी पत्ती को स्पर्श की वीनीत की भाभी एकदम से गनगना गई उसका बदन हिचकोले खाने लगा उसने उसी पल अपनी भरावदार गांड को आगे पीछे करते हुए कसमसाई उसकी बुर तवे पर जेसे रोटी फूलती है उसी तरह से उत्तेजना के मारे रोटी की तरह फूल गई। 
राहुल को अपनी ईस हरकत पर आनंद तो बहुत आया लेकिन वो अंदर ही अंदर घबरा भी रहा था कि भाभी कुछ बोल ना दे इसलिए वह जाँघो के अंदरुनी भाग पर मालिश करने लगा जैसे की कुछ हुआ ही ना हो। 
विनीत की भाभी को तो बुरा हाल हो रहा था वासना पूरी तरह से उसके ऊपर हावी हो चुकी थी सही गलत का फैसला करना उसकी बस में बिल्कुल नहीं था वह अपने हालात के आगे घुटने टेक दी थी।। वह मन ही मन सोच भी रही थी कि अगर राहुल की जगह कोई और लड़का होता तो न जाने कब से इतने में ही उसकी जमकर चुदाई कर दिया होता है लेकीन राहुल इतना नादान था की अपने आप से इससे ज्यादा ब़ढ़ ही नहीं रहा था। वह अब समझ चुकी थी कि जो भी करना है उसे खुद ही करना है। इसलिए विनीत की भाभी ने कुछ ऐसा करीें कि जिसे देखकर राहुल का पूरा वजूद हिल गया। वीनीत की भाभी पेट के बल लेटी हुई थी कि तभी अचानक उसने एकाएक करवट बदली और सीधे पीठ के बल हो गई।

विनीत की भाभी ऐसा कुछ करेगी इसका अंदाजा राहुल को बिल्कुल भी नहीं था। जो नजारा उसकी आंखों के सामने पेश हुआ उसे देखते ही राहुल की आंखें चौंधिया सी गई ... उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया। 
पीछे से देखने पर जितनी खूबसूरत लग रही थी उससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत और रसीली थी वीनीत की भाभी की बुर . इसका पता आगे से ही देखने पर राहुल को हुअा था। बुर ईतनी ज्यादा खूबसूरत होती है अब पता चल रहा था। एकदम चिकनी ऐसा लग रहा था कि आज ही क्रीम लगा कर साफ की हो । दूर की गुलाबी पत्तियों पर हल्की हल्की बूंदे नजर आ रही थी मानो की गुलाब के फूल पर ओस की बूंदे गिरी हो और उन्माद उत्तेजना के कारण ईतनी ज्यादा फुली हुई थी की मानो तवे पर कोई रोटी गरम हो कर फूल गई हो। राहुल तो मंत्रमुग्ध होकर बुर को ही निहारे जा रहा था । उसे अब क्या करना था इस बारे में बिल्कुल भूल चुका था वह तो बुर की मोहकता में मोह गया था। विनीत की भाभी अपने चेहरे पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए बड़े गोर से राहुल के मासुम चेहरे को देख रही थी। राहुल की हालत देख कर वीऩीत की भाभी को बहुत ही आनंद हो रहा था। उसकी नजर कभी राहुल के चेहरे पर तो कभी राहुल के पेंट में बने तंबू पर जा रही थी। 
तभी विनीत की भाभी ने कुछ ऐसी हरकत कर दी थी जिसे देख कर राहुल की सांसे थम सी गई उसे ऐसा लगने लगा कि जैसे किसी ने उसे जकड़ लिया हो। राहुल कर भी क्या सकता था वह नजारा ही कुछ इस तरह का था कि राहुल की जगह कोई भी होता उसकी भी यही हालत होती। विनीत की भाभी ने जानबूझकर राहुल को दिखाते हुए हथेली के बीच वाली उंगली को अपनी बुर के बीचोबीच गुलाबी पत्तियों के बीच में रखकर उंगली को रगड़ते हुए आगे पीछे करते हुए कामुक अंदाज में बोली।

क्या देख रहे हो राहुल कभी किसी की देखे नहीं हो क्या? ( ऐसा कह कर भी अपनी उंगली को बराबर बुर के बीचो बीच रगड़ती रही। ईस नजारे को देखते ही राहुल एकदम से गरमा गया था। पेंट के अंदर ही राहुल के लंड ने ठुनकि मारते हुए ठंडी आह भरी और काम रस की बूंद को फिर से टपका दिया। पेंट के अंदर का तनाव बढ़ता ही जा रहा था इस नजारे को देखकर तो राहुल के बदन मे जेसे वासना की आग और ज्यादा भड़क गई हो । उत्तेजना में उसका चेहरा और ज्यादा तमतमा गया था। वह वीनीत की भाभी के सवाल का जवाब दिए बिना ही ललचाई आंखों से उसकी बुर को घुरता रहा ... राहुल की हालत को देखकर वीनीत की भाभी के मन का पंछी उड़ने लगा था वह अभी भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी अपने सवाल का जवाब ना पाकर उसने फिर से इस बार बुर पर रगड़ रही अपनी बीच वाली उंगली को हल्के से बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच के छेंद मे सरका दी और जैसे ही उसकी आधी ऊंगली बुर में समाई उसने उत्तेजना वश अपने निचले होंठ को दात से दबा ली और कामुक अंदाज में बोली।)

क्या हुआ राहुल तुम्हारी हालत क्यों खराब हो रही है क्या तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है यह सब।..... छूना चाहोगे ईसे ....

( अब राहुल क्या कहता था तो खुद अचंभित उन्माद और उत्तेजना के सागर में डूबने लगा था उसे तो कुछ सुझ ही नहीं रहा था वीनीत की भाभी का यह अंदाज उसके वजूद को हिला कर रख दिया था उसने जिस तरह से अपनी उंगली को बुर में सरकाई थी उसे देखते ही उसके लंड में सुरसुरी सी फैल गई थी। राहुल के पास कोई भी जवाब नहीं था और ना ही जवाब देने की हालत में था। राहुल की हालत को देखकर वीनीत की भाभी समझ गई थी कि जो भी करना है अब उसे ही करना था क्योंकि राहुल आगे से कुछ भी नहीं कर सकता था उसके में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह आगे बढ़ सके। इसलिए राहुल को खामोश देखकर वो फिर से बोली।)


क्या हुआ राहुल खामोश क्यों हो क्या तुम्हें मेरी यह चीज (उंगली से इशारा करते हुए) पसंद नहीं आई क्या इस से भी खूबसूरत कहीं देख चुके हो... बोलो ..।खामोश क्यूं हो? 

राहुल क्या कहता उसकी हालत ऐसी हो गई थी जैसे कि उसे सांप सूंघ गया हो वह कभी विनीत की भाभी की तरफ देखता तो कभी उस की रसीली बुर को निहार लेता। उसकी हालत देख कर वीनीत की भाभी फिर से बोली। 

बोलो राहुल इस से भी खूबसूरत क्या देख चुके हो तुम?

( राहुल कुछ बोला नहीं बस ना में सिर हिला दिया) 

तो बताओ कैसी लगी मेरी बुर .. अच्छी लगी ना। 

( वीनीत की भाभी के मुख से बुर शब्द सुनकर ही वह एकदम गदगद हो गया उसके लंड में खून का दौरा दुगनी तेजी से होने लगा .. राहुल पहली बार किसी औरत के मुंह से इतनी गंदी बात सुन रहा था। मुझसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि कोई और है अपने अंगो के बारे में इतना खुल कर बोल सकती है। आश्चर्यचकित होकर आंख फाड़े विनीत की भाभी को देखने लगा । वीनीत की भाभी को उसका आश्चर्यचकित होने का कारण मालूम था इसलिए वह उसको और उकसाते हुए बोली।)

बोलो ना राहुल कैसी लगी मेरी रसीली फूली हुई बुर ...

( एक बार फिर से उसके मुंह से बूर शब्द सुनकर राहुल से रहा नहीं गया उसकी उत्तेजना बढ़ते ही जा रही थी इसलिए वीवश होकर वह बोला।)

हां भाभी मुझे आपकी बहुत अच्छी लगी बहुत खूबसूरत है।

(हंसते हुए )क्या खूबसूरत है यह तो बताओ शरमाओ मत... बोल दो जो बोलना है डरो मत मैं तुम्हें कुछ नहीं कहूंगी( इतना कहते हुए उसने फिर से अपनी हथेली को अपनीे बुर पर रख कर मसल दी। यह सब राहुल को उकसाने के लिए और उसका होसला बढ़ाने के लिए ही था। उसकी बातों से राहुल का हौसला जरूर बढ़ गया था इसलिए वह हिम्मत जुटाते हुए बोला।)

आपकी बुर मुझे बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लगती हैं। 
( राहुल हिम्मत उठाकर उसके सामने बोल ही दिया)

छुना चाहोगे मेरी बुर को (अपनी बुर को मसलते हुए बोली)

( राहुल भला कब मना करने वाला था वह तो तड़प रहा था उसे छूने के लिए मसलने के लिए बस थोड़ा सा घबरा रहा था उस घबराहट को भी विनीत की भाभी अपनी बातों से दूर करने लगी थी इसीलिए वह हामी में सर हिला दिया। ) 

तो लो छुओ मेरी बुर को ईस पर अपनी ऊंगलिया फिराओ ( इतना कहने के साथ ही उसने अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी ) लो महसूस करो इसकी गर्माहट को। 

( विनीत की भाभी के इस अंदाज पर तो अच्छे अच्छों का पानी निकल जाए लेकिन ना जाने राहुल कैसे बचा हुआ था वैसे तो इस अंदाज पर राहुल के लंड में भी झुनझुनी सी फेल गई थी। वीनीत की भाभी की नजर बार बार राहुल के पेंट में बने तंबू पर ही चली जा रही थी जब भी लंड में थोड़ी सी भी हलचल होती तो उसके ऊपसे हुए भाग पर उस की हलचल साफ दिखाई पड़ती थी। बुर को छूने वाली बात पर राहुल का बदन अजीब से सुख की अनुभूति के एहसास से ही कांप गया था। उसके बदन में भी कंपकंपी सी फैलने लगी थी। वह अपने कांपते हुए हाथ को बुर की तरफ बढ़ाया लेकिन बुर को स्पर्श करने से घबरा रहा था। विनीत की भाभी उसकी घबराहट को भाप गई और बोली।

डरो मत राहुल यह तो वह द्वार है जिसमें प्रवेश करने के लिए दुनिया का हर मर्द तरसता और तड़पता है.. इसे छू कर देखो इसका हसीन एहसास तुम्हारी उंगलियों से सीधे तुम्हारे बदन तक पहुंच जाएगा जो तुम्हें एक अजीब सी दुनिया में लेकर जाएगा। डरो मत राहुल छू कर के देखो इसे सहला कर देखो...

विनीत की भाभी की बातों को सुनकर राहुल को थोड़ी हिम्मत हुई और उसने फिर से अपने हाथ को वीनीत की भाभी के बुक के नजदीक ले जाने लगा हांलाकि उसका हाथ अभजैसे ही उसकी उंगलियां तपती हुई बुर के नजदीक पहुंची तो बुर की गर्माहट उसे अपनी उंगली पर महसूस होने लगी। जेसे जेसे राहुल की ऊंगलिया बुर के नजदीक पहुंच रही थी वेसे वेसे उत्तेजना के कारण वीनीत की भाभी की बुर सिकुड़ रही थी,फुल रही थी पिचक रही थी। राहुल की ऊंगलियो का स्पर्श अपनी बुर पर करवाने के लिए कसमसा रही थी। 
जैसे ही राहुल ने अपनी उंगली से तपती हुई बूर को छुआ उसके गर्म एहसास से उसका पूरा बदन कंपकपा गया राहुल ने अपनी उंगली से बुर की गुलाबी पत्तियों को हल्के से छुआ था राहुल के साथ साथ विनीत की भाभी एकदम से जोश में आ गई उसे कुछ भी नहीं सुझा अपनी बुर पर राहुल की उंगलियेां का स्पर्श पाकर वह एकदम से गनगना गई थी। अब वह इस पल को इस मौके को गंवाना नहीं चाहती थी' इसलिए उसने तुरंत अपनी हथेली को झट से राहुल की हथेली पर रखकर कसकर अपनी बुर पर दबा ली और जैसे ही राहुल की हथेली को अपनी बुर पर दबाई वैसे ही वीनीत की भाभी सिसक उठी साथ ही साथ तपती हुई बुर की गरमी को अपनी हथेली पर महसूस करके राहुल का बदन गनगना गया और उसक मुँह से गरम सिसकारी फूट पड़ी।

ओहहहहहह......भाभी.... ( इतना कहने के साथ ही राहुल की आंखें मस्ती में अपने आप ही मूंद गई और उत्तेजना के कारण राहुल ने विनीत की भाभी की रसीली बूर को अपनी हथेली में दबोचते हुए बोला) भाभी...भाभी ..... मुझे कुछ हो रहा है ऐसा लग रहा है मैं हवा में उड़ रहा हूं..... मुझे संभालो.... मुझे संभालो भाभी....
( वीनीत की भाभी खुद मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी थी। उसकी भी आंखें मुंद गई थी.. राहुल की हथेली को अपनी हथेली में दबोच कर अपनी दूर पर गोल-गोल घुमाते हुए अपनी बुर को मसलवाते हुए बोली)

आआहहहहहह..... राहुल .... कुछ नहीं हो रहा है तुझे बस मजा आ रहा है मजा आ रहा है ..।बस मजा ले खोजा इस मस्ती के सागर में ,डूब जा मेरी बुर की गहराई में..राहुल....( विनीत की भाभी बदहवास हो चुकी थी उसकी आंखों में मदहोशी छाने लगी थी उसने अपनी बुर पर अपने ही हाथ से राहुल की हथेली को रगड़ते हुए एक हाथ से राहुल का हाँथ पकड़ के अपनी तरफ खींची ' राहुल को कुछ समझ में नहीं आया और वह कुछ समझ पाता इससे पहले ही विनीत की भाभी ने राहुल के पेंट मे बने तंबु को पेंट के ऊपर से ही अपनी हथेली में दबोच ली' वीनीत की भाभी की इस हरकत पे राहुल एकदम से शकपका गया। वीनीत की भाभी पैंट के ऊपर से ही लंड की लंबाई और मोटाई नाप रही थी लंड को पेंट के ऊपर से ही कस कस के दबा रही थी जिससे राहुल को भी आनंद का अनुभव हो रहा था। राहुल की तो पांचों उंगलिया घी मे डुबी हुई थी।
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10-09-2018, 03:27 PM,
#29
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
एक हाथ से वीनीत की भाभी उसके लंड को पेंट के ऊपर से ही मसल रही थी तो दूसरे हाथ से राहुल की हथेली से अपनी गरम बुर को मसलवा रही थी। दोनों कामातूर हो चुके थे विनीत की भाभी तो आहें भर-भर की अपनी बुर मसलवा भी रही थी और राहुल के लंड को मसल भी रही थी। दोनों को बहुत मजा आ रहा था राहुल तो मस्ती में अपनी आंखें बंद कर लेता था जब विनीत की भाभी उसके लंड को अपनी हथेली में कस के मसल देती थी' वीनीत की भाभी भी सिहर उठती थी जब राहुल कामातुर होकर उसकी रसीली बुर को अपनी हथेली मे दबोच लेता था। विनीत की भाभी की खुशी का कोई ठिकाना ना था तो मन में ही सोच रही थी कि जब पैंट के अंदर इतना ज्यादा तगड़ा मोटा लंबा लग रहा है तो अगर बाहर आएगा तो कितना भयानक दिखेगा इतना सोच कर ही वह मस्त हुए जा रहे थी। राहुल लंबी-लंबी सांसे भरने लगा था यह सब रोकने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं था। बल्कि वह तो अपनी किस्मत पर खुश हो रहा था कि बिना मांगे ही उसे सब कुछ मिल रहा था। 
वीनीत की भाभी से अब ज्यादा सहा नहीं जा रहा था उसने अपनी उंगलियों को पेंट के बटन पर रखकर बटन को खोलने ही जा रही थी कि राहुल एकदम शर्मा कर अपना हाथ विनीत की भाभी के हाथ पर रख कर उसे रोकना चाहा लेकिन तभी विनीत की भाभी ने अपनी आंख तैर्राते हुए राहुल की तरफ देखी तो राहुल ने अपनी हथेली को उसकी हथेली पर से हटा लिया। अगले ही पल पेंट की बटन को खोलकर पेंट की जीप को खोलने लगी विनीत की भाभी की हरकत से राहुल के भजन में हलचल सी मच ने लगी उसका रोम रोम झनझना गया' अगले ही पल विनीत की भाभी ने पेंट की जीप खोल कर पेंट को घुटनों को तक सरका दी , अंडर वियर में उसका तना हुआ तंबू और ज्यादा भयानक लग रहा था यह नजारा देखकर विनीत की भाभी से अपने आप को रोका नहीं गया और उसने अंडरवियर के ऊपर से ही लंड के आगे वाले भाग पर अपनी जीभ फिराने लगी , राहुल के तो जेसे होश ही उड़ गए वो मन मे ही सोचने लगा ये क्या ... भाभी यह क्या कर रही है? उसे अजीब तो लग रहा था उसे रोकना भी चाह रहा था लेकिन रोके भी तो कैसे रोके मजा भी तो आ रहा था। 
विनीत की भाभी जीभ से मजे ले लेकर अंडरवियर के ऊपर से हीं लंड के आगे वाले भाग का जो हिस्सा गीला हो चुका था उसी को ही चाटे जा रही थी। उत्तेजना के कारण राहुल की आंखें बंद हो चुकी थी और उसकी सांसे गहरि चल रही थी। वीनीत की भाभी ने राहुल की तरफ देखी तो उसकी आंखें बंद थी वह समझ गई कि राहुल को बहुत ज्यादा मजा आ रहा है इसलिए उसने राहुल की हथेली पर से अपनी हथेली को हटा ली और
एक झटके में अंडरवियर को पकड़ कर नीचे सरका दी।
अंडरवियर के नीचे से सरकते ही राहुल झट से अपनी आंखों को खोल दिया आंखो को फाड़े विनीत की भाभी की तरफ देखने लगा। 
जैसे ही वीनीत की भाभी ने अंडर वियर को नीचे सरकाई थी सामने का नजारा देख कर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी उसने सपने में भी ऐसा लंड नहीं देखी थी बस पोर्न मूवी में ही इस तरह के लंड को देख देख कर अपनी बुर में उंगली करती रहती थी। इसकी लंबाई लगभग 9 इंच की रही होगी जो की हवा में ऊपर नीचे लहरा रहा था लंड के गुलाबी सुपाड़े पर नजर पड़ते ही उसकी बुर पनिया गई थी इतना मोटा सुपाड़ा शायद ही उसने देखी हो उसकी बुर अंदर ही अंदर फूलने पिचकने लगी थी। उसकी मोटाई नापने के लिए विनीत की भाभी ने लंड को अपनी हथेली मे लेकर कस ली... और लंड को अपने हथेली में कसते ही उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी।

आहहहहहहह...राहुल.... कहां से लाया रे इतना मोटा लंड गजब का है रे तेरा.... ( इतना कहने के साथ ही विनीत की भाभी ने लंड की तरफ अपना मुँह बढ़ाई और देखते ही देखते लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भर ली ........ राहुल एकदम से गनगना गया जेसे की उसके शरीर में करंट दौड़ गया हो। राहुल का गला सूखने लगा उसका बदन अकड़ने लगा वह ऐसे तड़प उठा कि जैसे जल बिन मछली तड़पती हो। विनीत की भाभी तो पहले से ही अनुभवी थी उसने तुरंत लंड के सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराने लगी जिससे मारे उत्तेजना के राहुल छटपटाने लगा और अपने पैर के पंजो पर खड़ा होके ऊपर उचकने लगा। 
लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में लेकर विनीत की भाभी को लंड की ताकत का अंदाजा लग गया था। किसी का भी लंड मुंह में लेकर चूसने में उसे इतना मुंह खोलना नहीं पड़ा था जितना कि राहुल का लंड मुंह में लेने के लिए खोलना पड़ा था। वीऩत की भाभी राहुल के लंड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी थी। राहुल को तो जन्नत का मजा मिल रहा था उसके आनंद की कोई सीमा नहीं थी आंखों को बंद करके लंड चुसवाने का मजा ले रहा था। एक हाथ उसका अभी भी विनीत की भाभी की बुर पर ही था जिसे वह बार बार चुदवासा होकर दबोच ले रहा था, राहुल जब भी हथेली से वीनीत की भाभी की रसीली बुर को दबोचता तो वीनीत की भाभी भी कामातुर होकर राहुल के लंड को ओर भी अंदर मुंह मे भर लेती थी। 
दोनों को भरपुर मजा मिल रहा था' अनुभवी वीनीत की भाभी ने अपनी जीभ का कमाल पुरी तरह से कुंवारे राहुल के लंड पर दीखा रही थी। एक तरह से राहुल के उपर दोनों तरफ से हमला हो रहा था एक तरफ से उसकी बुर की गर्माहट हथेली से होती हुई उसके बदन को गनगना दे रही थी और दूसरी तरफ वीनीत की भाभी राहुल के टनटनाए हुए लंड पर अपनी जीभ से कहर बरसा रही थी। 
राहुल अपना सुध बुध खो चुका था बस आनंद के सागर में डूबता चला जा रहा था वनीत की भाभी आज पहेली बार एेसे दमदार लंड का स्वाद चख रही थी वह रह रह कर लंड को पूरा अपने गले में उतार ले रही थी जिससे उसकी सांसे भी रुंध जाती थी। राहुल गहरी गहरी सांसे ले रहा था। उसकी हथेली वीनीत की भाभी के बुर पर बराबर जमी हुई थी। बुर से रिस रहा नमकीन पानी की वजह से राहुल की हथेली पुरी तरह से गीली हो चुकी थी। एक तो लंड की जबरजस्त चुसाई ओर. दूसरे बुर की मदहोश कर देने वाली गर्मी राहुल को बेचैन कर रही थी उससे यह सब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था इसलिए उसने अपनी बीच वाली उंगली को बुर की फांकों पर रगड़ते हुए उंगली से ही गुलाबी छेद को टटोलकर उसमे अपनी उंगली को प्रवेश करा दिया।
आहहहहहहह...( उसके मुंह से आनायस ही ये ऊदगार निकल गया।। वो भी क्या करता नया नया खिलाडी था इसलिए पीच की नमी और उस की गर्मी को भांप नहीं पाया तभी तो बुर में उंगली डालते ही उसकी सिसकारी छूट गई थी। बुर में उंगली के घुसते ही वीनीत की भाभी का भी यही हाल हुआ वह एकदम से चुदवासी हो गई और तुरंत अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी। वीनीत की भाभी की हालत को देख कर राहुल को लगा की शायद कुछ गलत कर दिया है वह अपनी उंगली को बुर से निकलने ही वाला था कि राहुल का इरादा भापकर कर विनीत की भाभी ने तुरंत फिर से अपनी हथेली को राहुल की हथेली पर रखकर दबा दी ओर राहुल की उंगली सड़सड़ाट बुर के अंदर समा गई।
ऊंगली के अंदर घुसते ही राहुल का पूरा वजूद हचमचा आ गया। बुर अंदर से इतनी तेज तप रही थी कि उसे ऐसा लगने लगा की कहीं उसकी उंगली गल ना जाए।
राहुल की उंगली आधे से भी ज्यादा बुर में समाई हुई थी और विनीत की भाभी अपनी हथेली का दबाव बढ़ा कर उंगली को ओर अंदर करने की कोशिश कर रही थी।
राहुल की उत्तेजना चरम शिखर तक पहुंच चुकी थी उसकी उंगली बुर में होने के बावजूद भी वह हथेली से बुर को दबोच ले रहा था जिससे वीनीत की भाभी सिहर उठती थी। 
वीनीत की भाभी खुब आगे पीछे करके लंड की चुसाई कर रही थी। राहुल का लंड एकदम लोहे की छड़ की तरह हो गया था। लंड इतना ज्यादा टाइट था कि राहुल को हल्का-हल्का उसमें दर्द महसूस हो रहा था। 
विनीत की भाभी राहुल की हथेली पकड़कर उसकी उंगली को खुद ही अंदर बाहर करते हुए गरम सिसकारी भरने लगी।

आहहहहहहहहह.....राहुल.....बड़ा मजा आ रहा है....उममममममममम.....एसे ही करते रह रे.... आहहहहहहह...( इतना कहते हुए वीनीत की भाभी ने अपने मुंह से लंड को बाहर निकालकर अपने हाथ से मुट्ठीयाए जा रहे थी। वीनीत की भाभी की तड़प बढ़ने लगी थी उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। ) 

ओहह... राहुल अब यह प्यास उंगली से नहीं बुझने वाली। अब तो उंगली नहीं मेरी बुर में तेरा ( लंड को हीलाते हुए) यह मोटा तगड़ा लंड डाल और चोद मुझे मेरी प्यास बुझा दे मेरी बुर की खुजली मिटा दे राहुल।

( विनीत की भाभी की यह बात सुनकर राहुल एकदम से सकपका गया और खुद को चोदने वाली बात से एकदम से जोश में आ गया। और हकलाते हुए बोला)

ममममम...मै कककक....कैसै...भाभी... ! 

( वीनीत की भाभी लंड को मुठ्ठीयातेे हुए बोली।) 

अरे राहुल इसमें कौन सी कला दिखाना है बस जो काम तुम उंगली से कर रहे हो( अपनी बुर की तरफ इशारा करते हुए) बस यही काम तुम्हें इसके अंदर तुम्हारा लंड डालकर करना है। 

( वीनीत की भाभी की बात सुनकर राहुल एकदम पसीने पसीने हो गया था घबराहट और उत्तेजना के कारण उसका बदन काँप रहा था। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि चुदाई करने का शुभ अवसर उसे इतने जल्दीे प्राप्त होगा। उसे यह तो मालूम था कि क्या करना है लेकिन यह नहीं पता था कि कैसे करना है इसीलिए वहीं पर खड़ा ही रहा वीनीत की भाभी उसकी मनोदशा को अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह खुद ही बोली।) 

अच्छा तू इधर आ मैं तुझे बताती हूं कैसे करना है( इतना कहने के साथ ही वह बिस्तर पर बेठते हुए अपने ब्लाउज के बटन को खोलने लगी और अगले ही पल वह राहुल के सामने एकदम नंगी होकर बिस्तर पर बैठी थी राहुल की नजर तो अब उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर ही टिकी हुई थी। अपनी चुचियों को घुरता हुआ राहुल को पाकर वह बोली।

क्या देख रहे हो राहुल( अपनी चुचियो को दोनों हाथों से थाम कर) मेरी चूची! इसका भी मजा दूंगी लेकिन बाद में
( इतना कहने के साथ ही वह खिसक कर बिस्तर के किनारे आ गई और अपने दोनों पैरों को बिस्तर के नीचे लटका कर अपनी दोनों जांघों को फैला दी.. जाँघों को फैलाते ही वीनीत की भाभी की गुलाबी बुर हल्के से खुल गई जिस पर राहुल की नजर पड़ते ही...

जिस पर नजर पड़ते हैं राहुल के लंड नें आलस को मरोड़ते हुए हल्की सी ठुनकी लिया जिसे देख कर वीनीत की भाभी बोली।


देखो राहुल तुम्हारा लंड कितना तड़प रहा है मेरी बुर में समाने के लिए...(अपनी बुर को हथेली से मसलते हुए) 
आजा राहुल देर मत कर डाल दे अपना लंड..

राहुल के तो जेसे होश ही उड़े हुए थे वह धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए विनीत की भाभी की तरफ बढ़ा जब वह चहलकदमी कर रहा था तो उसका लंड बड़े ही भयानक तरीके से ऊपर नीचे ही रहा था जिसे देखकर विनीत की भाभी की बुर को फुदकने लगी थी। वह बहुत ही ज्यादा चुदवासी हो गई। राहुल के बदन पर अभी भी कपड़े थे इसलिए वीनीत की भाभी बोली।

रुको राहुल पहले अपने कपड़े तो उतार लो जब तक तुम भी मेरी तरह पूरे कपड़े उतारकर नंगे नहीं हो जाओगे तब तक चुदाई का पूरा मजा नहीं ले पाओगे।

( विनीत की भाभी की यह बात सुनकर राहुल शर्मा गया है क्योंकि उसने आज तक अपनी जानकारी में किसी के सामने अपनो कपड़े नहीं उतारे थे। और यहां तो एक औरत के सामने कपड़े उतारकर नंगा होना था इसलिए ज्यादा शर्म आ रही थी कोई और पल होता तो शायद राहुल अपने कपड़े नहीं उतारता लेकिन यह पल ही इतना ज्यादा कामुक था ओर दिलीप की भाभी की आंखों में उसकी बातों में एक अजीब सा आकर्षण और जादू सा था जिसमे राहुल का पूरा ध्यान खो सा गया था
इसीलिए वह वही करता था जो विनीत की भाभी कहती थी अगले ही पल वह भी अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया। 
अब कमरे में वासना का उन्मादक खेल शुरु होने वाला था विनीत की भाभी और राहुल दोनों ईस वक्त कमरे मे एकदम नग्नावस्था मे थे। राहुल का टनटनाया हुआ हिलता डुलता लंड और भी भयानक लग रहा था। विनीत की भाभी एक हाथ से अपनी खरबूजे जैसी चूची को मसल रही थी और दूसरे हाथ से अपनी बुर की गुलाबी पंखुड़ियों को उंगली के सहारे रगड़ रही थी। जिसे देख कर राहुल के लंड की नशे उभर आई थी
राहुल धीरे-धीरे इसकी जानू के बीच जाकर खड़ा हो गया और ललचाई आंखों से विनीत की भाभी के पुरे नंगे बदन का अवलोकन करने लगा। राहुल की नजर बार-बार उसकी बड़ी बड़ी चुचियाे पर ही जाकर टीक जा रही थी। राहुल का मन बार-बार चूचियों को देखकर मचल जा रहा था वह उन चूचियों को हाथों में भरना चाहता था दबाना चाहता था हथेलियों में भर कर मसलना चाहता था। लेकिन वह जानता था कि अपने मन से वह कुछ नहीं कर सकता क्योंकि उसके में इतनी हिम्मत ही नहीं थी ' विनीत की भाभी की आज्ञा के बिना चुचियों को हाथ लगा पाना राहुल के लिए बड़ा ही मुश्किल था। वैसे तो नामुमकिन कुछ भी नहीं खाने की राहुल के लिए जरूर नामुमकिन सा था। 
राहुल जिस नजारे को हमेशा सपने में देखता था या कल्पना करके अपनी हस्तकला का उपयोग करता था। 
उसकी यही कल्पना अब वास्तविकता का रूप धारण कर रहीे थी। उसके फड़फड़ा रहे कबूतर को उसका घोसला मिलने वाला था। 
वीऩत की भाभी राहुल के लंड को देखकर मस्त हुए जा रही थी उत्तेजना में आकर उसने अपने निचले होंठ को दांतो तले दबा दी और एक हाथ से राहुल की लंड को पकड़कर आगे पीछे कर के हिलाने लगी। राहुल तो उत्तेजना के उस शिखर तक पहुंच चुका था जहां से वापस लौटना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। उसकी गहरी सांसे उसके अंदर कितना उत्तेजना भरा हुआ है इस को बयां कर रही थी। वीनीत की भाभी भी सातवें आसमान में विहर कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि नया और कुंवारा लंड ज्यादा दमदार और जोशीला होता है। आज बरसो बाद फीर से उसकी रसीली बुर एक लंड का स्वाद चखने वाली थी। 

राहुल क्या इससे पहले भी तुमने कभी किसी लड़की या औरत को चोदा है? ( वीनीत की भाभी राहुल के लंड को मुठ्ठीयाते हुए बोली। राहुल ने तो इससे पहले इतनी नजदीक से किसी औरत को नंगी देखा भी नहीं था तो चाेदने की बात तो बहुत दूर रही 'आज पहली बार ही तो उसने इतने नजदीक से किसी औरत की रसीली बुर को देखा था।) 

नहीं भाभी बिल्कुल भी नहीं।

राहुल का जवाब सुनकर वीनीत की भाभी प्रसन्न होते हुए बोली.

तो राहुल आज मैं तुम्हें स्वर्ग के सुख का अहसास कराऊंगी , एक औरत और मर्द के बीच किस प्रकार का संबंध होता है ये आज तुम्हें मैं बताऊंगी। मर्द औरत को चोदने के लिए इतना बेताब इतना तडपता क्यों है आज तुम्हें खुद ही पता चल जाएगा।

( विनीत की भाभी की बातें सुनकर ही राहुल एकदम से चुदवासा हुए जा रहा था वीनीत की भाभी के मुंह से गंदी बातें उसे और भी ज्यादा सुहानी और सुरीली लग रही थी। राहुल एकदम मस्त हुए जा रहा था उसे तो बस इंतजार था कि कब वीनीत की भाभी उसे संभोग का एक नया अध्याय सिखाती है। राहुल मन में ऐसा सोचा ही रहा था कि तभी विनीत की भाभी बोली।


( राहुल के लंड को मुट्ठी में भर कर आगे पीछे करते हुए।) देखो राहुल ज्यादा कुछ करना नहीं है बस अपने इस मोटे लंबे लंड को मेरे इस( बुर की तरफ उंगली से इशारा करके) बुर की गुलाबी छेद में डालकर अपनी कमर को आगे पीछे कर के ही लाना है बस जैसा मैं कहती हूं वैसा करते जाओ तुम्हें स्वर्ग के सुख की अनुभुति होगी ।। बहोत मजा आएगा तुम्हे इतना ज्यादा मजा की तुम रोज एसा सुख पाने के लिए मेरे पास आओगे।। ( इतना कहने के साथ ही विनीत की भाभी राहुल का लंड अपनी तरफ खींचने लगी थी तभी वह बोली।) 
रुको राहुल मुझे चोदने से पहले मुझे इतना ज्यादा गर्म कर दो कि बस मजा आ जाए। ( गर्म करने वाली बात राहुल समझ नहीं पाया और अनजान बन खड़ा ही रह गया तो विनीत की भाभी बोली।) 

मैं तुझे बताती हूं कि कैसे गर्म करना है तु शायद नहीं जानता जब तक औरत गर्म ना हो तब तक चुदाई का मजा ना औरत को आता है ना मर्द को मिलता है। इसलिए औरत का गर्म होना बहुत जरूरी है। 
राहुल जैसे मैंने तेरा लंड मुंह में लेकर चूसी उसे जीभ से चाटी वैसे ही तुम्हें भी अपनी जिभ से मेरी बुर को चाटना होगा और मुझे एकदम गर्म करके चुदवासी बनाना होगा। ( एक औरत के मुंह से इतनी गंदी बातें सुनकर राहुल की उत्तेजना उसकी नसों में दिखाई दे रही थी वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुका था। खास करके उसे बुर चाटने वाली बात और ज्यादा उत्तेजित कर गई उसे यह नहीं पता था कि औरत की बुर को भी चाटा जाता है। उसे यह नहीं समझ में आ रहा था कि आखिरकार जहां से औरत पेशाब करती है उस जगह को चाटकर किस प्रकार का आनंद मिलता होगा। लेकिन फिर भी विनीत की भाभी की बात उसे मानना ही था। इसलिए वह मंत्मुग्ध सा जैसा जैसा वीनीत की भाभी कहती गई वैसे ही वह करता गया। वीनीत की भाभी ने उसे बिस्तर के किनारे जांघो के बीच घुटनों के बल. उसे बैठने को कहीं
राहुल वैसे ही बैठ गया वीनीत की भाभी ने थोड़ा सा और अपनी गांड को सरका कर बिस्तर के किनारे पर रख दी और अपनी जाँघो को थोड़ा सा और फैला दी। 
Reply
10-09-2018, 03:27 PM,
#30
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल का चेहरा बुर के बिल्कुल करीब था इतनी करीब के बुर के अंदर से उठ रही मादक खुशबु सीधे उसके नथुनों से होकर के सीने में भर जा रही थी। राहुल बुर की मादक खुशबू से एकदम बदहवास हो गया मदहोशी उसकी आंखों में छाने लगी' विनीत की भाभी भी अगले पल की इंतजार में मदहोश हो रही थी उसे राहुल की जीभ का स्पर्श अपनी बुर पर होने का इंतजार था। इसलिए उसकी बुर उत्तेजना में फूल पिचक रही थी। राहुल विनीत की भाभी की तरफ देख रहा था और वीनीत की भाभी भी राहुल को ही देख रही थी दोनों की नजर आपस में टकराई तो राहुल शर्मिंदा हो गया। वीनीत की भाभी ने उसे इशारे से अपनी बूर चाटने के लिए बोली तो राहुल घबराते हुए बुर के बिल्कुल करीब अपना मुंह ले गया बुर से एक भाप सी उठ रही थी जो कि राहुल के नथुनों को गर्म कर दे रही थी। राहुल ने हल्के से अपना मुंह खोल कर अपनी जीभ को बाहर निकाला और एक नजर फिर से वीनीत की भाभी पर डाल दिया विनीत की भाभी भी राहुल पर ही नजर गड़ाए हुए थी इसलिए उसे इशारा करके बुर चाटने के लिए बोली।
विनीत की भाभी की बुर एकदम गीली हो चुकी थी उस पर राहुल ने हल्के से बुर की गुलाबी पंखुड़ियां पर जीभ का स्पर्श कराया। जैसे ही राहुल की जीभ का स्पर्श बुर की पंखुड़ियों पर हुआ वीनीत की भाभी एकदम मदहोश हो गई उसका रेाम राेम झन्ना गया' ऐसा लगने लगा कि जैसे वीनीत की भाभी के शरीर में करंट उतर आया हो। उसका पूरा बदन कांप सा गया' आज उसे ऐसा महसूस होने लगा कि पहली बार किसी के जीभ का स्पर्श उसकी बुर पर हुआ है। जबकि अनगिनत मर्दों से उसने अपनी बुर चटवाकर उसका लूत्फ उठाई थी। लेकिन आज राहुल की जीवनी उसे पहली बार का एहसास दिला दिया और वह चुदवासी हो करके एक हाथ राहुल के सर पर रखकर अपनी बुर पर दबाई और अपनी गदराई गांड को उपर की तरफ उचका दी .' जिससे राहुल की जीभ गप्प करके विनीत के भाभी की पनियाई बुर मे समा गई। जैसे ही राहुल की जीभ विनीत की भाभी की बुर में समाई वह तो एकदम पगला सी गई, और अपना दूसरा हाथ भी राहुल के सर पर रख कर जोर से अपनी बुर पर ही दबा दी राहुल की जीभ के साथ साथ उसकी नाक भी बुर की दरार में प्रवेश कर गई
दिनेश की बातें तो उत्तेजना में जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी छटपटाने लगी बिस्तर पर इधर उधर अपना सर पटकने लगी और सिसकारी लेते हुए बोली।

ससससहहहहहहहह....आहहहहहहहहहहहह..... राहुल ऊमममममममममम....चाट...चाट. मेरी बुर को....आहहहहहह...राहुल...ओहहहहहह...राहुल.... ऊमममममममम.....
( मस्ती की अनुभूति होते ही विनीत की भाभी की आंखें अपने आप मुंद गई और वह अपने दोनों हाथों से राहुल का सिर पकड़ कर अपनी बुर पर चाँपी हुई थी ओर उसे उकसा भी रही थी बूर चाटने के लिए।) 

ओहहहहहह...राहुल.... अपनी जीभ घुमा मेरी बुर में चाट-चाट मेरी बुर को अपने जीभ से मेरे राजा अो मेरे राहुल....
( वीनीत की भाभी जैसे पहली बार अपने बुर चटवा रही हो इस तरह से पगला सी गई थी। राहुल की जीभ उसकी बुर में समाई हुई थी नमकीन पानी का बुलबुला सा छुट रहा था उसकी बुर से जोगी जी तुसी लगते ही उसके स्वाद का अनुभूति राहुल को हो रहा था। बुर के पानी का स्वाद चखते ही राहुल का मन खिन्न हो गया,

बुर का कसैला स्वाद उसे अच्छा नहीं लगा। वह बुर पर से अपना मुंह हटाना चाहता था लेकिन मजबूर था क्योंकि विनीत की भाभी उसका सिर अपनी बुर पर ही दबाई हुई थी तो ना चाहते हुए भी उसे अपनी जीभ बुर मे टीकाए रहना पड़ा। वीनीत की भाभी बार-बार उसे बुर के अंदर जीभ चलाने के लिए कह रही थी तो ना चाहते हुए भी राहुल हल्के हल्के से अपनी जीभ को बुर की दीवारों पर घुमाने लगा। अभी उस पगले को क्या मालूम था कि बुर चाटने में जो जन्नत का मजा मिलता है और कहीं नहीं। सारी दुनिया इसी को चाटने के लिए पागल है इसका कसेला स्वाद भी मधुर मध की तरह लगने लगता है बुर के नमकीन पानी का नशा वा नशा होता है कि इसके आगे दुनिया की सारी शराब की बोतलों का नशा फीका लगने लगता है। कुछ ही देर में राहुल को भी इसका अंदाजा होने लगा था। जो थोड़ी देर पहले बेमन से अपनी जीभ को इधर-उधर घुमा रहा था वह अब मजे ले लेकर बुर की दीवारों को चाट रहा था।
वह समझ गया कि वाकई में इस नमकीन और कसेले पानी का स्वाद तो मधुर मध की तरह है। 
राहुल अब वीनीत की जाँघो को अपनी हथेली मे कसकर बुर चाटने का लुफ्त उठा रहा था। विनीत की भाभी तो जैसे सातवें आसमान में उड़ रही हो उसका बदन बिस्तर पर हीचकोले खा रहा था। वह मदहोश होकर अपना सिर दाएं बाएं पटक रही थी और अपने दोनों हाथों से राहुल के सिर को पकड़ कर जितना हो सकता था उतना अपनी बुर पर ही दबाए हुए थी। 
दोनों मदहोश हो चुके थे, बुर चटवा कर विनीत की भाभी एकदम चुदवासी हो चुकी थी। उसकी चुदवाने की प्यास बढ़ चुकी थी एकदम से गरमा चुकी थी विनीत की भाभी। अब उसे राहुल के लंड की जरूरत थी।
और राहुल था की उसकी बुर में ही खोया हुआ था जन्नत का मजा उसे मिल रहा था वह खुद चटकारे लगा लगा कर बूर के पानी को जीभ से चाट कर मस्त हु ए जा रहा था। गजब का नजारा बना हुआ था कमरे में राहुल और विनीत की भाभी दोनों एकदम नग्नावस्था में वासना का खेल खेल रहे थे दोनों की सिसकारियों और गर्म अाहों से पूरा कमरा गूंज रहा था। दोनो एक दूसरे को संपूर्ण सुख देने और लेने में लगे हुए थे। वीनीत की भाभी अनुभवी थी इसलिए समझ गई थी कि उसकी बुर को इस समय किस चीज की जरूरत है इसलिए वह राहुल से बोली।

ओहहहहहह...राहुल... मेरी बुर तड़प रही है तेरे मोटे लंड को अंदर लेने के लिए.. बस अब देर मत कर अपने टनटनाए हुए लंड को मेरी बुर में डालकर इसकी प्यास बुझा दे ,'मेरी बुर को चोदकर पानी पानी कर दे मेरे राजा...
( वीनीत की भाभी तड़प रही थी सिसक रही थी राहुल के मोटे ताजे लंड को लेने के लिए लेकिन राहुल था की वह बुर चाटने में ही मगन था। जब भी नहीं की भाभी में एक दो बार और उसे बोली तो वह नहीं माना वह बुर चाटने में ही मस्त रहा. तो इस बार भी नहीं थी भाभी गुस्से में उसके बाल पकड़कर अपनी बुर से हटाते हुए बोली।। 

राहुल... मेरे राजा मुझे अब तेरे लंड की जरूरत है। तू अपनी मोटे लंड को मेरी बुर में डालकर चोद मुझे... 
( इस तरह से अपनी बुर पर से उसका बाल खींचकर हटा देने से राहुल वीनीत की भाभी पर थोड़ा गुस्सा जरूर हुआ लेकिन वह कुछ कर भी नहीं सकता था। 
क्योंकि वह जानता था कि वीनीत की भाभी का यह एक एहसान ही था उसके ऊपर क्योंकि ऐसा जन्नत का मजा उसी ने उसको दे रहीे थी वरना कौन औरत उसे एसा सुख देती इसलिए वह अभिनीत की भाभी के एक इशारे पर उठ कर खड़ा हो गया उसका लंड छत की तरफ टनटनाए खड़ा था' जिसे देख कर विनीत की भाभी की बुर उसे अपने अंदर लेने के लिए फूलने पिचकने लगी। वीऩत की भाभी ने राहुल को इशारे से सबकुछ समझा दी कि अब क्या करना है। राहुल भी उसके इशारों का अनुकरण करते हुए अपना पोजीशन ले लिया था। राहुल उसकी जाँघों के बीच थोड़ा झुका हुआ था उत्तेजना के मारे उसका बदन कांप सा रहा था।
उसे यह नहीं मालूम था कि लंड को बुर में डालने से कैसा मजा मिलेगा लेकिन इतना जरुर जानता था कि ऐसा करने से पत बहुत ही ज्यादा सुख और आनंद की अनुभूति होती है। इसलिए वह वीनीत की भाभी पर झुकता चला गया। उसका लंड बुर से बस दो अंगुल की दूरी पर ही था जहां से बूर की गर्मी का एहसास उसके लंड के सुपाड़े पर बराबर हो रहा था। वीनीत की भाभी को अगले पल का बड़ी बेचैनी से ईंतजार था तभी राहुल थोड़ा सा और झुका तो उसका टनटनाया हुआ लंड बुर के मुहाने पर स्पर्श कीया।..

आहहहहहहहह....राहुल...( बुर के मुहाने पर राहुल के लंड का सुपाड़ा स्पर्श होते ही वीनीत की भाभी के मुंह से सिसकारी निकल गई.. सुपाड़े की गर्मी से अंदर ही अंदर बुर रिसने लगी। वीनीत की भाभी को एहसास हो गया की आज असली मर्द से पाला पड़ा है। राहुुल अभी अनाड़ी था वह लंड के सुपाड़े से बुर के गुलाबी छेंद को टटाेल नही पाया ओर लंड के सुपाड़े को बुर के मुहाने पर ही स्पर्श कराकर धक्का लगा दिया और लंड फटाक से आगे की तरफ निकल गया राहुल गिरते-गिरते बचा।
वीनीत की भाभी उसकी इस नाकाम कोशिश से समझ गई कि राहुल कितना नादान है। राहुल की नाकाम कोशिश की वजह से विनीत की भाभी चुदास की आग में और ज्यादा झुलसने लगी । उससे यह तड़प बर्दाश्त नहीं हुई और उसने खुद ही अपने हाथ को आगे की तरफ लाकर राहुल के लंड को पकड़ ली ' लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर पहले तो उसने गरम सुपाड़े को अपनी बुर की दरार पर ऊपर नीचे करके रगड़ने लगी
जिससे राहुल का भी जोश बढ़ गया। विनीत की भाभी ने लंड के सुपाड़े को अपनी गुलाबी बुर के छेंद पर रखकर बोली...( एकदम मादक आवाज में)

ओह ..... राहुल बस जहां पर मैं तेरे सुपाड़े को रखी हूं बस इसी जगह पर धक्के लगा.।. डाल दे पूरे लंड को मेरी बुर में उतर जा बुर के सहारे मेरे जिस्म में..आहहहहहह...राहुल अब देर मत कर डाल दे...
( वीनीत की भाभी चुदवासी हो कर तड़प रही थी उसे इस समय अपनी बुर में लंड की बहुत ज्यादा जरूरत थी इसीलिए वह राहुल से मिन्नते कर रही थी। राहुल तो पहले से ही व्याकुल हो चुका था जब वीनीत की भाभी ने उसके लंड को पकड़ के अपनी बुर पर घिसते हुए बुर के छेंद पर टीकाकर उसे धक्के लगाने को बोली थी। राहुल बदहवास हो चुका था। विनीत की भाभी की बात मानते हुए उसने उसकी जांघो को हथेली में दबोच कर अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाया... बुर पहले से ही पानी से पनीयाई हुई थी ईसलीए राहुल को थोड़ा कम ही जोर लगाना पड़ा और लंड करीब आधा जितना बुर मे घुस गया... आधा लंड बुर में घुसते ही राहुल तो मस्त हो गया उसको ऐसा लगने लगा कि वह हवा में उड़ रहा है, एक अजीब से सुख का अहसास उसके पूरे बदन में फैल गया, उसका रोम-रोम झन्ना गया उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है आंखों मैं खुमारी सी छाने लगी ... और दूसरी तरफ आधा लंड घुसते ही वीनीत की भाभी अंदर ही अंदर चरमरा गई' एक अजीब से सुख और मीठे दर्द की अनुभूति से उसका पूरा बदन कांप सा गया। राहुल की मोटे लंड ने उसकी बुर की गुलाबी पंखुड़ियों को कुछ ज्यादा ही फैलाते हुए अंदर की तरफ गया था। ....
राहुल तो फिर से आगे की तरफ झटका लगाया.. इस बार का धक्का कुछ ज्यादा ही करारा था। इसलिए राहुल का मोटा ताजा लंड बुर के अंदरुनी अड़चनो को पार करते हुए सीधा बुर की जड़ में जाकर गड़ गया' और जैसे ही लंड बुर की जड़ में धंसा वैसे ही दर्द के मारे वीनीत की भाभी के मुंह से आह निकल गई। धक्का इतना तेज था कि विनीत की भाभी अंदर तक कांप गई
तुरंत उसका बदन पसीने पसीने हो गया' अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसका लंड कौन सी जगह पर जाकर ठोकर मारा था। आज तक इस जगह पर बहुत कम लोगों का ही लंड पहुंच पाया था वीनीत जो उसे दिन रात चोदता था उसका लंड दे तो आज तक यहां पहुंच ही नहीं पाया था। विनीत की भाभी बहुत प्रसन्न थी कि बिना किसी परेशानी के राहुल का लंड उसकी बच्चेदानी से सीधे जाकर टकराया था। बुर के अंदर जाने पर वीनीत की भाभी को इसका एहसास हुआ कि राहुल का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा था। विनीत की भाभी का पूरा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था। वह गहरी गहरी सांसे ले रही थी वह मन ही मन बोल रही थी कि आज चुदाई का असली मजा आएगा। राहुल पूरा लंड वीनीत की भाभी की बुर में ठुंस कर वह वैसे का वैसे ही खड़ा था इसके आगे उसे क्या करना है यह शायद उसे नहीं मालूम था। इसलिए विनीत की भाभी सिसकारी लेते हुए बोली।
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