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bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
मेरी बहनें मेरी जिंदगी
हेल्लो दोस्तो कैसे है आप बहुत दिनो से थोड़ा बिजी था अब जाकर थोड़ा सा फ्री हुआ हूँ तो मैने सोचा एक कहानी शुरू कर ही देता हूँ मित्रो ये कहानी एक भाई और तीन बहनो की है उनकी जिंदगी में कैसे उतार चढ़ाव आते है यही सब इस कहानी मे दर्शाया गया है वैसे तो इस कहानी को मैने नही लिखा है पर हिन्दी मे ज़रूर कनवर्ट किया है और थोड़े बहुत चेंज भी किए हैं जो आपको पसंद आएँगे
(अपडेट 1)
एक तेज रोशनी जो आँखों को धुँधला कर दे, बहुत तेज घूमती हुई गाड़ी एक पेड़ की तरफ जा रही है... दूसरी गाड़ी मे एक जोकर बैठा हुआ है, वो उसे देखकर बहुत ही तेज हँसने लगता है.. वो हँसी जो किसी के भी रोंगटे खड़े कर दे... एक धमाका होता है और चारो तरफ आग लग जाती है...
अरुण एक दम से अपने बिस्तर पे उठ के बैठ जाता है. वो चिल्लाता जा रहा है और अपने आप को ही मारता जा रहा. पैर इधर उधर कर रहा है. पूरी बॉडी पसीने से भीगी हुई है. वो हवा मे ही आग को बुझाने की कोसिस कर रहा है.. फिर जैसे ही उसे रीयलाइज़ होता है कि वो सपना था वो धीरे धीरे शांत हो जाता है. अरुण अपनी आँखों को रगड़ता है.
"एक और बुरा सपना", उसके मन से आवाज़ आई. अरुण को ऐसे सपने उस आक्सिडेंट से अभी तक आ रहे थे. वो हमेशा यही सोचता है कि ये सपने आने कब बंद होंगे.
"शायद कभी नही," वो अपने आप को बिस्तर के सामने वाले सीशे मे देखते हुए बोलने लगता है.
"तुम्हे मूठ मार लेनी चाहिए,". ये आवाज़ हमेशा मदद तो नही करती है.
अरुण अपने गाल पे हल्के से मारता है. इस तरीके सो अपनी आवाज़ को पनिशमेंट भी दे देता है और खुद को जगा भी लेता है. घड़ी की तरफ नज़र जाने पर पता चलता है कि 5:30 बज रहे हैं. आलस से वो बेड से नीचे उतर के लाइट ऑन करने जा रहा होता है कि उसके रूम का दरवाजा हल्का सा खुलता है और बाहर की रोशनी उसके कमरे मे एंटर होती है.
उसकी जुड़वा बहेन आरोही अपना सिर अंदर करके बड़ी चिंता के साथ उसकी तरफ देखती है.
"इसे हमेशा पता कैसे चल जाता है?" आवाज़ पूछती है.
"अरुण तुम ठीक हो?", वो आके अरुण के बगल मे बिस्तर पर बैठ जाती है. "एक और बुरा सपना?"
अरुण अपनी नज़रें नीचे झुका लेता है. वो आरोही को परेशान नही करना चाहता. आरोही कई मायनों मे बिल्कुल उसकी तरह थी, और कई मामलो मे बिल्कुल अलग. कभी कभी उसे लगता था जैसा उसका और आरोही का कोई रिश्ता ही नही है जबकि दुनिया वालों की नज़रों मे वो दोनो जुड़वा हैं. उधर उसके सिर मे उस आवाज़ मे ऐसे ही कोई धुन गानी सुरू कर दी.
वो दोनो बचपन से ही ज़्यादा से ज़्यादा टाइम साथ मे ही रहते थे. इसी वजह से उनके फ्रेंड सर्कल उन्हे डबल ए कह कर बुलाने लगा था. आरोही को पता नही हमेशा कैसे पता चल जाता था कि अरुण उदास है. उसकी बाकी बहनें इसे जुड़वा होने का साइड एफेक्ट बताती थी. अरुण भी हमेशा जान जाता था कि आरोही सॅड है चाहे वो उसके साथ हो या नही.
"अरुण?"
अरुण उसकी ओर देखता है. वो उसे बहुत ही गंभीर तरीके से देख रही है.
"हेलो...अरूंन्ं."
"ह्म्म, सॉरी. मैं ठीक हूँ, बस वही सपना," वो थोड़ी झुरजुरी के साथ कहता है.
"वही दोबारा? आक्सिडेंट वाला?"
अरुण हां मे सिर हिला देता है. आरोही उसके कंधे को पकड़कर अपना सिर उसके कंधे पर रख देती है.
"जोकर भी था क्या?"
अरुण एक हल्के से मुस्कुराता है और हां मे सिर हिला देता है.
"तुम्हारी और जोकर की दुश्मनी है क्यू. आक्सिडेंट के सपने मे जोकर? क्या बचपन मे जोकर ने मारा था क्या?" वो उसकी तरफ देखते हुए बहुत ही सीरीयस मूड मे पूछती है.
अरुण हल्की सी हँसी के साथ उसे धक्का देता है. आरोही हमेशा उसे अच्छा फील करवा ही देती है. चाहे कैसे भी.
वो फिर भी डरावनी आवाज़ मे कहती है, " क्या उस शैतान जोकर ने तुम्हे उसकी बड़ी लाल नाक छुने के लिए मजबूर किया?" और दोबारा अरुण को पकड़ लेती है.
अरुण काफ़ी तेज हँसने लगता है और उसे बेड पर धक्का दे कर कहता है "नही उसने ये किया था," और उसके पेट मे गुदगुदी करने लगता है. आरोही बहुत तेज हँसने लगती है और पीछे हटने की कोसिस करने लगती है.
अरुण को पता था कि उसे सबसे ज़्यादा गुदगुदी कहाँ लगती है (दोनो जुड़वा हैं भाई).
"उसके पास बूब्स भी हैं,"
(आगे से बोल्ड मे लिखा हुआ पार्ट अरुण के सिर मे आवाज़ की बात को बताया जाएगा)
अरुण रुक जाता है तब तक आरोही साँस लेने लगती है. अरुण सोचता है क्या किसी ओपरेशन के थ्रू वो इस आवाज़ को बंद नही कर सकता. शायद उसे साइकिट्रिस्ट की ज़रूरत है. आरोही को उठा देख वो दोबारा उसके पेट की तरफ हाथ बढ़ाता है.
"स्टॉप." वो तेज आवाज़ मे बोलती है. चेहरे मे बहुत बड़ी स्माइल है. वो उसके हाथ पर मारती है और कमरे से बाहर जाने के लिए दरवाजे की तरफ जाने लगती है.
"दोबारा सोने?"
"अब जब तुमने इतनी गुदगुदी करके जगा दिया तब?" वो उसकी तरफ हाथ झाड़ के चली जाती है. दरवाजा बंद होते ही अरुण को पागल सुनाई देता है. वो दोबारा बिस्तर पर लेट जाता है और छत की तरफ देख के सोचने लगता है..
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RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
मेरी बहनें मेरी जिंदगी-पार्ट-2
वो दोबारा बिस्तर पर लेट जाता है और छत की तरफ देख के सोचने लगता है..
अरुण छत की तरफ देखते हुए सोचने लगता है.
अरुण को हमेशा से पता था कि कोई आवाज़ उसके मन मे है पर वो कोई पागल थोड़ी ना था. आटीस्ट, कम से कम वो तो ये नही सोचता था. क्या एक पागल को पता होता है कि वो पागल है? और ये आवाज़ कोई बुरी तो थी नही बस थोड़ी सेक्स की तरफ अट्रॅक्टेड थी. उसके चेहरे पर से मुस्कान तुरंत ही गायब हो गयी जब उसे याद आया कि अगर उसने ये आवाज़ वाली बात किसी को बताई तो लोग उसे पागल ही समझेंगे. वो अपना सिर हिला के कहता है "बहुत ज़्यादा सोचते हो यार". वो जानता था कि जिंदगी की किसी भी लड़ाई मे उसकी बहनें हमेशा उसके साथ ही रहेंगी. इसी तरह सोचते सोचते उसके थॉट्स आरोही पर आ टिके.
"वूहू", फिर आवाज़ आई. अरुण ने दोबारा सिर को हिलाया. वो आरोही को लेकर थोड़ा प्रोटेक्टिव था. ये अलग बात है आरोही को इसकी ज़रूरत नही थी फिर भी. वो लगभग उसी की हाइट की थी वैसे अरुण थोड़ा मस्क्युलर था. आरोही के दो तीन बाय्फरेंड्स रह चुके थे पास्ट मे पर क्योकि वो ज़्यादातर टाइम अरुण के साथ स्पेंड क्रती थी तो कुछ हो नही पाया.
उन दोनो की नाक और आँखे एक जैसी थी. बस अरुण की दो तीन बार नाक टूट चुकी थी. बाल भी दोनो के एक जैसे थे भूरे, सिल्की, बस आरोही के लंबे थे. हां, आरोही सुंदर तो थी.
"हॉट भी,"
अरुण ने इग्नोर कर दिया. दोनो ने एक ही कॉलेज मे एक ही सब्जेक्ट लिया था. तो ज़्यादातर टाइम कॉलेज मे दोनो साथ मे ही बिताते थे. अरुण को इस बात से कोई प्राब्लम भी नही थी उसे आरोही के साथ रहना अच्छा लगता था. एक तरीके से आरोही उसका दाहिना हाथ थी.
"और तुम्हे पता है दाहिने हाथ(राइट हॅंड) के साथ क्या किया जाता है?"
"शट अप," अरुण खुद मे सोचता है. हां, वो सुंदर थी. उसकी सभी बहने सुंदर थी.
अरुण आरोही के बारे मे उस तरीके से सोच भी नही सकता था. आरोही के बारे मे उस तरीके से सोचना मतलब खुद के बारे मे उस तरीके से सोचना. अरुण थोड़ी देर के लिए सोचता है कि लड़की बनकर वो कैसा लगेगा. लेकिन तुरंत ही सिर को हिलाकर ये थॉट छोड़ देता है.
उसके थॉट्स अब स्नेहा पर आ गये. एक स्माइल आ गयी उसके चेहरे पर. स्वीट, सिंपल, विदाउट सोशियल सेन्स- स्नेहा. उसे और आरोही को दिमाग़ के साथ साथ अच्छे लुक्स भी मिले थे. स्नेहा के पास भी ये सब था पर थोड़ा अलग. स्नेहा बेवकूफ़ नही थी, फॉर आ फॅक्ट. वो उनकी फॅमिली की सबसे इंटेलिजेंट मेंबर थी. इतनी स्मार्ट कि कभी कभी उससे डर लगने लगता था. हमेशा क्लास मे टॉप आती थी. वो पुरातत्व विज्ञान पर रिसर्च मे कुछ करना चाहती थी. और ज़्यादातर टाइम पढ़ने मे ही लगाती थी. चास्मिस. मेकप का तो शायद उसे एम भी नही पता था.
स्नेहा की बॉडी भी मस्त है. जब किसी पार्टी ये बाहर घूमने के मौके पर वो अच्छी सी ड्रेस मे आती थी तो लोगो की साँसे रुक जाती थी. अटलीस्ट आऱुन तो ऐसा मानता था. उसके बूब्स घर मे सेकेंड लार्जेस्ट थे. एक लाइन मे कोई स्नेहा को डिस्क्राइब करे तो होगा पढ़ाकू, चास्मिस, क्यूट.
अरुण ने कभी उसे किसी लड़के के साथ नही देखा. अरुण को उसके बाय्फ्रेंड बनाने से ज़्यादा प्राब्लम नही थी बट उसका कोई बाय्फ्रेंड था ही नही. वो कुछ ज़्यादा ही इंटेलिजेंट थी.
अब उसके थॉट्स आए सोनिया पर.
"कुत्ती कमीनी,"
छोड़ो, उसने आवाज़ से कहा. अरुण सोचने लगा क्या आरोही के मन मे भी ऐसी आवाज़ होगी या सिर्फ़ उसी के मन मे ये सब होता है. स्नेहा के मन मे ज़रूर आइनस्टाइन बोलता होगा. और अगर सोनिया के मान मे कोई बोलता होगा तो वो आवाज़ होगी केवल चुड़ैल.
"या फिर सेक्सी चुड़ैल,"
अरुण ने एक लंबी सास ली. उसे पता था कि अगर उसने आवाज़ के बारे सोनिया से कुछ पूछा तो पहले तो उसे पागल की उपाधि दी जाएगी फिर उसके सिर पर डंडा मारा जाएगा. और जब वो बदला लेने जाएगा तो दोबारा डंडा खाएगा. अरुण को कभी कभी उस पर इतनी गुस्सा आता था कि मन करता था कुछ चुबा दे उसके. एक मिनिट, नही ऐसा नही. मत सोचना, मत सोचना.
"मुझे पता था तू मेरा ही भाई है,"
ओके तो वो उससे नफ़रत तो नही कर सकता क्योकि बहेन है वो उसकी. पर प्यार भी नही करता था. अगर प्यार नही करता है तो नफ़रत करता होगा??
बचपन से ही वो और आरोही सोनिया के टारगेट रहे हैं. आरोही थोड़ा जल्दी रो जाती थी तो सोनिया मुसीबत मे ना पड़े तो अरुण की जिंदगी बदहाल करने पर जुटी रहती थी. वही उन दोनो को सबसे पहले डबल ए कह कर बुलाया करती थी.
उसका मन उसे उसके सबसे फॅवुरेट टॉपिक पर लाने की कोशिस करता है. स्विम्मिंग. उनका घर काफ़ी आलीशान था. पीछे एक पूल भी था. उसे आरोही के साथ पूल मे मस्ती करना काफ़ी पसंद था.
सोनिया स्विम्मिंग मे मास्टर थी. उसने स्कूल मे चॅंपियन्षिप भी जीती थी.
"स्विम्मिंग के वक़्त क्या मस्त लगती है स्विमस्यूट मे,"
हां हां अच्छी लगती है. क्या आगे बढ़े? आवाज़ हँसने लगती है. उसे पता नही अरुण को सताने मे क्या मज़ा आता है.
अब उसके थॉट्स उसकी सबसे बड़ी बहेन सुप्रिया पर आकर टिक जाते हैं. बड़ी नही सुप्रिया की उम्र थी 22 साल. सुप्रिया के उपर उसके परिवार की ज़िम्मेदारी 17 साल की उम्र मे ही आ गयी जब उनके पेरेंट्स का आक्सिडेंट हो गया था. ये उसके लिए आसान नही था पर वो काफ़ी स्ट्रॉंग लड़की थी. एक तरीके से वो उन सबकी माँ बाप बन गयी थी...सोनिया कभी इस बात को आक्सेप्ट नही करेगी. वो हमेशा कुछ ना कुछ सॉफ ही करती रहती थी घर मे. पैसो के मामले भी वही देखा करती थी. वैसे पैसो की कोई कमी तो थी नही क्योकि मम्मी पापा दोनो डॉक्टर्स थे उपर से खानदानी पैसा.
अरुण एक बात को लेकर बड़ा परेशान था. जब भी वो मास्टरबेट करता था और जैसे ही उसका निकलने वाला होता उसका मन किसी ना किसी बहेन की पिक्चर उसके सामने ज़रूर भेजता.
ये सब सोचकर उसने घड़ी देखी तो 6 बज गये थे. वो उठा और बाथरूम मे जाके शवर ऑन किया और फिर से सोनिया के बारे मे सोचने लगा. कि क्या वो जिस तरीके से अरुण और आरोही की इन्सल्ट करती है वैसे अपने फ्रेंड्स की भी करती होगी. उसके दोस्त उसके बारे मे क्या सोचते होंगे.
"मस्त बूब्स, बड़ी गान्ड, बुक्बीस, चिकनी...,"
"स्टॉप इट.". खैर इन सब बातों को छोड़ो तो वो लगती तो हॉट है. छोड़ो इन बातों को.
इन सब बातों से मन हटाने के लिए अरुण ने सोचा कि मास्टरबेट ही कर लिया जाए...
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RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
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उसने अपने हाथों मे कुछ शॅमपू लिया और और अपना लंड पकड़कर उसे मसलना शुरू कर दिया. कुछ ही सेकेंड्स मे उसका लंड अपने फुल साइज़ मे आ गया और अरुण मदहोशी मे खोता चला गया. पूरे बाथरूम मे सिर्फ़ उसके हाथ की पच पच की आवाज़ और शवर से पानी गिरने की आवाज़ फैली हुई थी इस टाइम वो प्रार्थना कर रहा था कि घर मे सब लोग सो रहे हों या फिर बहरे हो जाए. उसके थॉट्स दोबारा सोनिया पर आ गये- उसके बूब्स, गान्ड, स्पॉटलेस स्किन, तीखे नैन नक्श.. दौड़ते टाइम उसके बूब्स का उछलना.. उसने अपने आप को कोसते हुए अपना सिर हिला कर इन थॉट्स को हटाने की कोसिस की. और अपना ध्यान एक फिल्म की हेरोइन पर लगाने की कोसिस की. जैसे ही वो चरम सीमा के बिल्कुल नज़दीक पहुच गया उसे लगने लगा कि उसके अंदर एक लहर सी बन रही है जो उसे उसके दिन के पहले ऑर्गॅज़म का मज़ा देगी.
और इधर उसके मन की आवाज़ बिल्कुल पर्फेक्ट टाइम का इंतज़ार क्रि रही थी.
इस टाइम अरुण इस दुनिया मे था ही नही इसलिए उसने बाथरूम के दरवाजे के खुलने की आवाज़ नही सुनी. और उपर से वो अंदर से लॉक करना भी भूल गया था. आरोही ने धीरे से अंदर झाँका. आरोही ने देखा कि स्नेहा की जगह उसका भाई शवर ले रहा है.(इनके घर मे एक ही लार्ज बाथरूम है) उसने तुरंत ही अपना सिर दरवाजे से बाहर कर लिया. लेकिन तब तक उसे आवाज़ सुनाई दे गयी थी. उसे लगा जैसे कोई भीगी हुई चीज़ पर अपने हाथ रगड़ रहा हो. उसका हाथ अपने आप ही उसके मूह पर चला गया जिससे उसकी हँसी किसी को सुनाई ना दे. उसने जाने के बारे मे सोचा लेकिन ये चंचल मन... उसने सोचा देखते हैं ना.
अरुण अपनी इमॅजिनेशन मे इतना खोया हुआ है कि उसे दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनाई ही नही दी. और उसी टाइम वो क्लाइमॅक्स पर पहुँच गया. उसके सिर मे एक दम कई सारे हल्के हल्के विस्फोट होने लगे. और उसी टाइम उसके मन की आवाज़ ने अपना हमला कर दिया.
"आह..सोनियाअ..."
उसके स्पर्म की एक लंबी सी धार निकली और सामने बाथरूम की दीवार पे चिपक गयी और अरुण के मन मे सोनिया की पिक्चर आने लगी, उसके ब्रा मे क़ैद बूब्स. उसकी नंगी कमर, चिकनी जंघे, पतले होठ...
"आअह...सोनियाअ,,,फक मी..." मस्ती मे उसके मूह से ये शब्द बाहर आ गये.
आरोही झटके के साथ रुक गयी. "सोनिया?" उसके मन से ये बात तो निकल ही गयी कि उसका भाई मूठ मार रहा है. आअह..सोनिया? ये आख़िर कर क्या रहा है? क्या अरुण सोनिया के बारे मे इस तरीके से सोच रहा है? वो तो उसे बिल्कुल भी पसंद नही करता.
एक मिनिट...ओह शिट.
"ओह माइ गॉड!"
आरोही वही ठहर गयी जैसे कोई स्टॅच्यू खड़ा हो.. जब उसे पता चला कि उसने ये सब सोचा नही बल्कि बोला है और इतनी तेज़ बोला है कि शायद अरुण ने सुन भी लिया होगा. उसने अपने मूह पर हाथ रख लिया.
"प्लीज़...दोबारा नही..," अरुण तेज़ी से बोला. अपनी आवाज़ को चुप करवाने के लिए उसने ये बोला जो बहुत तेज़ उसके सिर मे हंस रही थी. आख़िर उसने इतनी तेज आअह सोनिया बोला ही क्यू?
"ओह माइ गॉड," उसने शवर के बाहर ये सुना. उसके हाथ पैर ठंडे पड़ गये. एक दम पूरा शरीर शांत पड़ गया. ऐसा लगा जैसे उसके शरीर मे जान हो ही नही.
जैसे ही आरोही को लगा कि अरुण ने उसके शब्द सुन लिए हैं उसने अपना सिर पीछे किया और तेज़ी से दरवाजा बंद करके अपने कमरे मे भाग गयी. कमरे मे पहुँचते ही वो अपने बेड पर तकिये पर अपना सिर पटक के बहुत तेज़ी से हँसने लगी. उसे इतनी तेज हँसी आ रही थी कि उसके पेट मे दर्द हो गया. और वो अपना सिर तकिया मे छुपाने लगी.
"ओह फक," अरुण चिल्लाया. कौन था बाहर? "प्लीज़ सोनिया नही...भगवान प्लीज़ सोनिया नही" हे भगवान, प्लीज़, शिट, अब क्या होगा उसके मन मे बुरे बुरे ख़याल आने लगे. आख़िर क्यूँ उसने मूठ मारते वक़्त सोनिया के बारे मे सोचा. और वो भी उसके बारे मे जिससे वो नफ़रत करता है. उसने अपना सिर पानी के नीचे करके आँखे बंद कर ली."मुझे सही मे इलाज़ की ज़रूरत है."
थोड़ी देर बाद वो सावधानी के साथ बाहर निकला ये देखते हुए कही कोई आसपास तो नही है और अपने रूम मे जाकर कपड़े पहनने लगा...
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RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
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पहले इनके घर के बारे मे पता कर लेते हैं.
2 मंज़िल का बंगलो है. उपर के फ्लोर पर अरुण आरोही और सोनिया के कमरे हैं. नीचे सुप्रिया और स्नेहा के कमरे हैं. साथ मे एक लार्ज बाथरूम और फुल्ली फर्निश्ड किचन प्लस आ लार्ज हॉल. बॅकयार्ड मे एक पूल.
तो वापस...
उसके बाद सुबह लगभग नॉर्मली ही स्टार्ट हुई. जब अरुण सीढ़ियों से नीचे आ रहा था उसे देसी घी के बने परान्ठो की महक आनी स्टार्ट हो गयी. और उसे बिना देखे ही पता चल गया ये पराठे जो कि उसकी फॅवुरेट चीज़ है वो और कोई नही उसकी सुप्रिया दी बना रही है और वो भी सिर्फ़ उसके लिए.
जैसे ही सुप्रिया ने अरुण के पैरो की आहट सुनी वो पलट कर उसके पास जाती है और उसके गाल पर हाथ रखते हुए पूछा- "फिर से सपना. मैने तुम्हारे चीखने की आवाज़ सुनी थी. अब ठीक हो??"
अरुण की नज़रे नीचे की ओर देख रही है. सुप्रिया आज लोवर ऑर टीशर्ट के उपर अपना अप्रोन पहने हुए है. अरुण की नज़रे अप्रोन के पीछे के क्लीवेज पे टिक जाती हैं और तुरंत ही उसे रीयलाइज़ होता कि उसकी सुप्रिया दी ने आज ब्रा नही पहनी है.
"अरुण?"
"ह्म्म कुछ नही..सब ठीक है," वो जल्दी से यह बोलकर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता है.
सुप्रिया बड़े आराम से पूछती है और ये जाहिर नही होने देती कि उसने अरुण की नज़रे अपने क्लीवेज पर देख ली थी और उसके चेहरे पर हल्की से कुटिल मुस्कान आ जाती है,"बात करना चाहोगे ?"
"नही अभी नही."
"परान्ठे?"सुप्रिया किचन मे जाते हुए पूछती है.
"एप." अरुण सामने की ओर देखता है तो पता चलता है स्नेहा पहले से ही मिल्कशेक लिए बैठी है. अरुण कभी कभी स्नेहा की कुकिंग पर बड़ा सर्प्राइज़ हो जाता है. ज़्यादातर खाना सुप्रिया ही बनाती है पर स्नेहा जब भी बनाती थी तो अरुण उंगलियाँ चाटने पर मजबूर हो जाता था. वो ध्यान देता है तो स्नेहा बस न्यूसपेपर पढ़ रही होती है. उसे ऐसा लगता है जैसे वो जानबूझकर उसे इग्नोर कर रही हो. हे भगवान..कही स्नेहा दी तो नही?? अगर स्नेहा दी ने सोनिया को बता दिया तो?? अरुण अपने आप को शांत रखने के लिए दो गहरी साँस लेता है.
"मिल्कशेक चाहिए."स्नेहा उसे देखकर पूछती है.
"ह्म्म.. हां दे दो."
"पक्का ठीक हो ना."
"हां..श्योर. बस वही पुराना सपना."
"हां वो तो रात मे ही पता चल गया था." वो बड़े प्यार और केरिंग नज़रों से अरुण की तरफ देखती है. "तुम्हे पता है ना तुम मुझसे कभी भी बात कर सकते हो ओके.?"
तब तक सुप्रिया प्लेट मे 2 पराठे लेकर आ जाती है और अरुण के सामने टेबल पर रख देती है.
"नही मैं ठीक हूँ." ये कहकर अरुण खाने पर टूट पड़ता है.
जैसे ही अरुण परान्ठो की पहला कौर ले रहा होता है तभी सोनिया उछलती कूदती तेज़ी से सीढ़ियों से नीचे उतर रही होती है. अरुण की आँखें अपने आप ही उसकी ओर घूम जाती हैं. सोनिया स्पोर्ट्स ब्रा और जॉगिंग पॅंट्स मे नीचे आ रही होती है. उसकी पॅंट्स बिल्कुल उसके बॉडी से चिपकी हुई होती है. शायद जॉगिंग करके वो रूम से फ्रेश होकर आई थी. ये ड्रेस उसके हर एक अंग को मोहक बना रही होती है. उसके दूध स्पोर्ट्स ब्रा मे और ज़्यादा ही कूद रहे हैं. नंगी कमर बाल खा रही है. वो भी थोड़ी बहुत आत्लेटिक है तो बॉडी तो मशाल्लाह बहतेरीन है ही.
अरुण सोचता है कि इसने अभी तक मुझे देखकर लड़ना स्टार्ट क्यू नहीं किया..ओह माइ गॉड..यही थी सुबह. अब तो मैं गया. अब तो पक्का डाइरेक्ट हॉस्पिटल मे दिखूंगा....
"दूध पर हाथ मार और तेज़ी से भाग. तुझे कभी पकड़ नही पाएगी." उसके मन ने अपना आइडिया दिया.
सोनिया नीचे आकर सीधे किचन मे चली जाती है और अपने लिए मिल्कशेक लेने लगती है. "थोड़ा आरोही के लिए भी बचाना," सुप्रिया पराठे बनाते हुए उससे कहती है. सोनिया बहुत ही आटिट्यूड मे सुप्रिया की ओर देखती है लेकिन थोड़ा मिल्कशेक छोड़ भी देती है.
फिर अपना ग्लास लेकर हॉल मे जाते टाइम अरुण के सिर पर मार के भागते हुए कहती है, "ऐसे ही रोज इतने पराठे खाओगे तो ढोल बनने मे ज़्यादा टाइम नही लगेगा."
"आज मेरा दिमाग़ मत खराब कर."
"नही तो क्या कर लोगे.."
"नही तो पक्का आज नानी याद दूला दूँगा तुझे.."अरुण ने पीछे मुड़कर उसे देखते हुए कहा. और उसकी नज़रे वही टिक गयी. सोनिया उसके उल्टी तरफ मूह करके मिल्कशेक पी रही है. उसकी नज़रें अपने आप ही उसकी बॉडी को तराशने लगी और जैसे ही उसके हिप्स पर पहुँची तो बस देखता ही रह गया. बिल्कुल गोल, मुलायम, सुडोल.
अरुण ने किसी तरह से अपनी नज़रें दोबारा अपनी प्लेट पे वापस करी और खाने पर ध्यान देने लगा. लेकिन थोड़ी देर मे दोबारा उसकी नज़रे वापस सोनिया पर टिक गयी. तब तक वो अपना मिल्कशेक ख़त्म कर चुकी थी और मिल्कशेक की एक दो बूंदे उसके मूह और गर्दन से होते हुए उसके क्लीवेज तक जा रही थी. उसकी स्किन बिल्कुल ही चिकनी और मुलायम लग रही थी. अरुण ने सोचा कि लोशन की एक बोतल तो डेली ख़त्म ही हो जाती होगी.
"क्या बोली अरुंधती..?" सोनिया ने बनावटी आवाज़ मे बड़े प्यार मे पूछा.
अरुंधती निकनेम था अरुण का गिवन बाइ ओन्ली सोनिया.
"कोई लड़ाई नही." तुरंत ही सुप्रिया की आवाज़ अंदर से आई.
अरुण ने जब आरोही की तरफ देखा तो तुरंत ही आरोही ने अपनी नज़रे टीवी की ओर कर दी. वो जानबूझकर उसे इग्नोर कर रही थी. तब जाके अरुण को रीयलाइज़ हुआ आरोही ही थी. और वो सोचने लगा पक्का 2 दिन के अंदर उसे आरोही की हर बात माननी पड़ेगी.
"तो आज का क्या प्लान है..?" सुप्रिया ने बर्तन सिंक मे डालते हुए पूछा.
"मैं तो पूल की सफाई करने वाला हूँ. गर्मियाँ बस आने ही वाली हैं." अरुण ने अपने बर्तन सिंक मे रखते हुए जवाब दिया. उसने सोचा कि अपने उबलते हुए हॉर्मोन्स को कंट्रोल करने के लिए पूल सॉफ करने की मेहनत से बढ़कर कोई काम न्ही.
"मैं तो आज एक पार्टी मे जाने वाली हूँ..रॉयल क्लब मे..सोच रही हूँ एक दो अच्छे दोस्त ही मिल जाएँगे वहाँ.." सोनिया ने अंगड़ाई लेते हुए कहा.
इस बात को सुन कर अरुण को हल्की सी हँसी आ गयी.
"क्या बे जोकर.."
"हां..चमेलीबाई.."
इस बात को कहकर जैसे ही अरुण उसकी तरफ पलटा तुरंत ही नमक की डिब्बी उसके सीने पे धम्म से पड़ी. सोनिया के चमेलीबाई कहे जाने से बहुत नफ़रत थी. बचपन मे वो चमेली फिल्म को देखकर काफ़ी डॅन्स किया करती थी तबसे अरुण ने उसकी ये चिढ़ बना दी थी.
"कम से कम मेरा एक बाय्फ्रेंड तो है..तेरी तरह अपने रूम मे ब्लू फिल्म्स तो छुपा कर नही रखती हूँ.." सोनिया ने चीखते हुए पलटवार किया.
"मुज़रा ढंग से करना चमेली बाई.." अरुण ये कहकर सीढ़ियों की तरफ जाने लगा.
"जाओ जाओ हिलाओ जाके अरुंधती.." सोनिया ने जैसे ही ये कहा आरोही के मूह से मिल्कशेक निकल गया और फर्श पर गिर गया. और वो बहुत तेज़ी से खांसने लगी जिससे उसे टेबल का सहारा लेना पड़ा.
इस हरकत को देखकर अरुण का चेहरा पूरा लाल पड़ गया.
इधर स्नेहा और सुप्रिया भी बहुत तेज़ी से हँसने लगी.
"बस अब और नही..,"सुप्रिया अपनी हँसी को दबाते हुए बोली लेकिन और तेज़ी से हँसने लगी.
लेकिन तब तक सोनिया ने दोबारा वार किया, "तुम मेरे साथ आज रात क्यू नही चलते शायद किसी लड़के को तुम पसंद आ जाओ अरुणिया बेगम." उसने लड़के शब्द पर ज़्यादा ज़ोर देते हुए कहा. बस इतना बोलना था कि अरुण अपने रूम मे चला गया. पर सारी लड़कियाँ बहुत तेज़ी से हँसती रही. स्नेहा ने तो अपना सिर टेबल पर रख दिया और उसके कंधे हिलते रहे जब तक उसके पेट मे दर्द नही होने लगा.
"ए..इतना भी उससे मत सताया कर...." सुप्रिया अपनी हसी को कंट्रोल करते हुए बोली.
"कुतिया कहीं की.."
अरुण ने इस बार उसे नही टोका. वो सही मायने मे कुतिया ही थी. अरुण उसे कोसते हुए पुरानी टीशर्ट पहनने लगा.
अरुण बिना किचन की ओर देखे पीछे के दरवाजे से बाहर जाने लगा. उसे हँसी तो नही सुनाई दे रही थी पर गॉसिप की आवाज़ खूब आ रही थी. आख़िर ये लोग इतनी बातें कर कैसे लेती हैं. उससे अगर 5 दिन भी बिना कुछ बोले रहने के लिए कहा जाए तब भी रह लेगा. पर यहाँ तो ऐसा लगता जैसे हर वक़्त रेडियो ऑन ही रहता हो.
अरुण के दिमाग़ मे सुबह के किस्से आने लगे. सपना, फिर आरोही, फिर शवर. शिट. आख़िर सोनिया ही क्यूँ आई उसके दिमाग़ मे. जहाँ देखो वहाँ अपनी टाँगे ले के चली आएगी. मराए जाके कहीं ओर.
"तू क्यू नही मार लेता."
"तुम तो चुप ही रहो.. तुम्हारे कारण ही सुबह वो बवाल हुआ.." वो अपने मन को कोस्ता हुआ बाहर आ गया. कभी कभी उसे लगता था शायद ये टीनेजर होने का साइडइफेक्ट है. एक तो छोटी सी उम्र मे ही उसके मम्मी पापा गुजर गये. तो इसके कारण वो लोगो से थोड़ा कटा कटा रहने लगा. 11थ तक तो वो किसी लड़की से बात तक नही करता था (स्कूल मे). ऐसा नही था कि उसे लड़कियाँ अच्छी नही लगती थी पर फिर भी छोटी उम्र मे किसी फॅमिली मेंबर की डेत आपको काफ़ी हद तक बदल सकती है. वो अपनी सारी एनर्जी फुटबॉल मे लगा देता था. स्कूल के टॉप फुटबॉल प्लेयर्स मे उसका नाम आता था. पर कॉलेज मे आने पर उसने फुटबॉल को छोड़ ही दिया. उसका बिल्कुल मन ही हट गया उस खेल से.
वो धीरे धीरे पूल के किनारे से पत्ते वग़ैरह हटाते हटाते अपनी पुरानी लाइफ के बारे मे सोचने लगा. उसकी भी एक गर्लफ्रेंड थी 12थ मे. वो काफ़ी भगवान से डरने वाली टाइप की थी तो कभी किस्सिंग और हल्की फुल्की टचिंग से आगे नही बढ़े दोनो. एक तरीके से सिंपल लव अफेर था दोनो मे. 12थ के बाद दोनो अलग हो गये. वो यही मुंबई मे एक कॉलेज मे पढ़ने लगा और वो विदेश चली गयी पढ़ने.
इधर अरुण पूल के अंदर उतर के सफाई करने लगता है. धूप भी तेज होने लगी है तो वो टीशर्ट उतार देता है और गॉगल्स पहेन लेता है. तब तक लॅडीस फ़ौज़ आ जाती है बॅकयार्ड मे. पूल के किनारे और घर की बाउंड्री के पास थोड़े बड़े पेड़ है जिनके नीचे सोनिया और स्नेहा चादर बिछा के बैठ जाते हैं. पीछे से आरोही और सुप्रिया आती हैं. सुप्रिया के हाथ मे एक जग है पानी का. सुप्रिया हमेशा से ही अरुण की लगभग हर ज़रूरत का ध्यान रखती थी तो वो अरुण को पानी पिला के अंदर चली जाती है. इधर अरुण पानी पी के पीछे देखता है तो देखता ही रह जाता है.सोनिया स्ट्रेक्टैंग कर रही होती है. उसने स्पोर्ट्स ब्रा तो वही पहनी हुई पर पॅंट की जगह शॉर्ट्स पहेन लिए हैं.और जब वो उसके उल्टी ओर देखती हुई दोनो हाथो और घुटनो पर आगे की ओर स्ट्रेचिंग करती है तो अरुण के गले मे पानी तो अटक के ही रह जाता है. वो अपने आप को गॉगल्स पहनने के लिए शाबाशी देता है.
"एक चपत...एक चपत....मज़ा आ जाएगा..देख तो कितनी गदराई है.." आवाज़ का अपना राग चालू है.
स्नेहा तो अपनी किताब मे खोई हुई है.
लेकिन 2 नज़रें बड़े ध्यान से अरुण की ओर देख रही होती हैं. ये नज़रें हैं आरोही की जो अपने नाख़ून काट रही है चुपके से अरुण को सोनिया की गान्ड की तरफ देखते हुए देख रही है. उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ जाती है. उसकी नज़र जब अरुण की आँखों से नीचे उसकी बॉडी पर पड़ती है तो उसको भी आज पहली बार कुछ अजीब लगता है. ऐसा नही है अरुण की बॉडी बहुत ही भारी भरकम किसी बॉडी बिल्डर की तरह हो. उसकी बॉडी सिंपल है जैसे सुशांत सिंग राजपूत की काइ पो छे मे थी वैसी. हल्के से पॅक्स. सिंपल क्लीन पर्फेक्ट. ऐसा भी नही है की आरोही ने पहले कभी अरुण को ऐसे देखा नही है. पर आज सुबह के इन्सिडेंट ने उसके नज़रिए को बदल दिया था. वो एक तरीके से अरुण की बॉडी से अट्रॅक्ट होने लगी थी.
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01-24-2019, 11:57 PM,
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RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
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अरुण ने दो गहरी साँस ली. एक बार सुप्रिया की ओर नज़र डालने पर उसे पता चल गया कि वो ऐसे नहीं जाने वाली. उसने अपने मूह को अपने हाथों से साफ किया और बोला---
"क्या करूँ? बताओ..."
"पकड़ और गिरा दे बिस्तेर पे..." मन ने कहा
"आ.आ..अगर तुम चाहो तो तुम म..मुझे द्द...." सुप्रिया बहुत ही ज़्यादा हकला के बोल रही थी. और उसकी छाती उपर नीचे हो रही थी और चहरी पर लाली छाइ हुई थी..
"बोलो दी..." अरुण ने आँखों मे देखते हुए ज़ोर देके कहा..\
"मैं कह रही हूँ कि अगर तुम चाहो तो म..मुझे देखते हुए म..मास्टरबेट कर सकते हो.." इतना कह के सुप्रिया ने अपना चेहरा दूसरी तरफ मोड़ लिया..
"दिस ईज़ दा सक्सेस बॉस..."
इधर अरुण का मूह खुला का खुला रह गया.
"आ...आ...आप सही मे मुझे देखने दोगे...." अरुण का गला सुख जाता है आगे के सीन इमॅजिन करके..
"ऑफ कोर्स.. इतनी हेल्प तो मैं तुम्हारी कर ही सकती हूँ."
"ओके..." और उसके बाद थूक अंदर निगल जाता है...
"तुम बेड पर लेट क्यूँ नही जाते..." सुप्रिया थोड़ा चेयर हटा कर बेड के सामने आते हुए बोलती है..
वो फिर खिड़की और डोर का लॉक चेक करके दोबारा बेड के नज़दीक आती हैं. अरुण के पैर बेड के नीचे लटके हुए हैं. और सिर तकिया के उपर रख उसने अपने उपर चादर डाल ली है और अपनी जीन्स और बॉक्सर नीचे करके अपना लंड अपने हाथ मे ले रखा है...
सुप्रिया बेड के पास आके धीरे से अपनी टीशर्ट के किनारे को पकड़ती है. और धीरे धीरे उसे उपर उठाती है जैसे ही उसकी टीशर्ट उसकी नाभि के उपर पहुँचती है..अरुण का धीरे धीरे अपने लंड पर उपर नीचे होने लगता है. उसके सामने उसकी बहेन सुप्रिया दी की चिकनी, चमकती, गहरी नाभि का नज़ारा आता है. फिर और उपर फिर एक झटके के साथ उसके सामने दुनिया के दो सबसे खूबसूरत फल आते हैं. और उसकी एक हल्की सी आह निकल जाती है. सुप्रिया टीशर्ट को बेड की दूसरी साइड फेक देती है.. और हल्का सा अपने दुधो को हिलाती हुई अरुण की तरफ देखती है.. इधर अरुण उन खरबूज़ों की एक एक चीज़ को आँखों मे भर लेना चाहता है. बिल्कुल गोल दूध हिलते वक़्त अपनी कयामत ढा रहे हैं. उनपर हल्के भूरे कलर के निपल हल्का हल्का ऐंठन के साथ टाइट होते जा रहे हैं(कमरे मे लाइट भरपूर है).. अरुण की इच्छा हो रही थी अभी जाए उनको पकड़ कर उनका रस पान करने लगे.
"कैसे लगे???" सुप्रिया अरुण की आँखों मे देखकर हल्का सा शरमाते हुए पूछती है...
"भाई पकड़....पकड़"
अरुण एक बार फिर उन सुंदरताओं की तरफ नज़र डालता है. उसे धीरे धीरे महसूस होता है कि सुप्रिया भी गर्म होती जा रही है जिसके कारण उसके छोटे छोटे निपल्स कड़क होते जा रहे हैं... सुप्रिया अपनी नज़रें नीचे कर लेती है..
अरुण दोबारा थूक निगलता है..
"दी...दे आर...." उसे इस टाइम बोलना मुश्किल पड़ रहा है "पर्फेक्ट, सो ब्यूटिफुल..."
"सुप्रिया हल्की सी स्माइल के साथ अरुण को देखती है और कहती है" इतने भी अच्छे नही हैं..मस्का मारने की ज़रूरत नही है..
"चूत मारने की ज़रूरत है..." मन ने कहा
"नही दी..दे आर रियली नाइस. पर्फेक्ट, राउंड, स्माल. आप सही मे हॉट हो...." अरुण भी मुस्कुराते हुए जवाब देता है. उसका हाथ अभी भी अपने लंड पर उपर नीचे हो रहा है..
"त..तुम चाहो तो च...छ्च..छू के देख सकते हो..." इस बार सुप्रिया के कान भी लाल पड़ने लगते है..
हवा मे एक सेक्षुयल टेन्षन बढ़ जाती है...पूरे कमरे मे सिर्फ़ सुप्रिया और अरुण की साँसों की आवाज़ और साथ मे उसके हाथों के उपर नीचे होने की आवाज़ सुनी जा सकती है..
"सच मे दी..." अरुण बहुत ही ज़्यादा खुश होते हुए पूछता है...
"हां...अगर तुम चाहो तो ??" ये कहते कहते सुप्रिया बेड के बिल्कुल नज़दीक पहुच जाती है..
अरुण उठता है और सुप्रिया की कमर मे दोनो हाथ डाल के उसे अपनी बॉडी के पास खींचता है. सुप्रिया के बिल्कुल पास आते ही उसे एक बहुत ही मदहोश करने वाली खुसबू आने लगती है.. उसकी नज़रें सुप्रिया के शर्म से मुस्कुराते चेहरे से उसके दूधों की तरफ जाती है...जो उसे बुला रहे हैं...
वो हल्की सी फूँक सुप्रिया के गले से लेकर दूधों के बीच की जगह पर मारता है...सुप्रिया की हल्की सी आह निकल जाती है..और उसके निपल और ज़्यादा तन जाते हैं.. साँसों के साथ साथ दूध उपर नीचे हो रहे हैं..अरुण के मूह मे पानी आ जाता है..उसके हाथ सुप्रिया की पीठ सहला रहे हैं. उसे अपने हाथों पर अपनी दी की चिकनी, मुलायम स्किन बहुत ही ज़्यादा उत्तेजित कर रही होती है..
वो हल्का सा झटका देके उसे अपनी एक जाँघ पर बैठा लेता है और उसकी आँखों मे देखते हुए पूछता है "कोई प्राब्लम तो नही हो रही ना दी..."
सुप्रिया मे बोलने की ताक़त नही बची है. वो बस अपना सिर इधर उधर हिला देती है..अरुण उसके होठों की तरफ देखता है. बिल्कुल गुलाबी और रस से भरपूर...फिर वो अपना लेफ्ट हाथ आगे लाके एक उंगली गले से लेकर दूधों के बीच मे सुप्रिया की साँसों के साथ साथ धीरे धीरे लेकर जाता है...उसके बाद लेफ्ट दूध की बाउन्ड्री पे हल्के से उंगली गोल गोल घूमाते हुए जैसे ही निपल पे उसकी उंगली पड़ती है. दोनो की आहें एक साथ मिलकर घुल जाती हैं. सुप्रिया और अरुण दोनो एक दूसरे की गर्म और मदहोशी भरी सासें अपने अपने चेहरों पर महसूस कर रहे हैं..जैसे ही निपल पर उंगली पड़ती है..सुप्रिया आ के साथ साँस अंदर खींचती है और अपने होंठ अरुण के होंठ से जोड़ देती है..ये पहला मिलन उन दोनो के रोमांच को और बढ़ा देता है..अरुण के होंठों पर जैसे ही उसे सुप्रिया के तपते होंठों का आभास होता है वो हल्के से अपने होंठ खोल देता है और सुप्रिया के उपर वाले होठ का रस्पान करने लगता है. उसे बहुत ही मीठी मीठी खुसबू आ रही है..उसका एक हाथ सुप्रिया के बालों मे दूसरा निपल के साथ हल्की छेड़खानी कर रहा है. सुप्रिया से भी रहा नही जाता वो एक हाथ अरुण के गले मे डालती है और दूसरे उसे उसके बालों मे उंगलियाँ फिराने लगती है..
अरुण उपर वाले होंठ के बाद नीचे वाले का रस्पान करने लगता है..थोड़ी देर बाद वो अपनी जीभ सुप्रिया के मूह मे डालने की कोशिस करता है तो सुप्रिया मना नही करती और अपने होठ खोल देती है.अरुण की जीभ अंदर जाके अपना सैर सपाटा करने लगती है. सुप्रिया से भी रहा नही जाता और वो भी अपनी जीभ अरुण के होंठों से अंदर डालने लगती है. दोनो ऐसे किस कर रहे हों जैसे एक दूसरे को खा जाएँगे. वो किस तब तक चालू रहता है जब तक दोनो को साँस लेना मुश्किल नही पड़ गया..
2 मिनिट बाद दोनो के होठ एक दूसरे से अलग हुए तो दोनो के बीच मे एक धागा बन जाता है लार का..अरुण जैसे ही साँस भरता है तुरंत ही अपना मूह नीचे ले जाता है और निपल को मूह मे रखके एक ज़ोर की साँस लेता है..
"आ.हा.हा" सुप्रिया के मूह से मदहोशी भरी आह निकल जाती है..और वो अपनी छाती और ज़्यादा अरुण के मूह मे फोर्स करते हुए अपनी पीठ को घुमाती है...उसकी जीभ भी अपने होंठों पर फिराती रहती है..
अरुण अपनी सुप्रिया दी को अपनी बाहों मे भरे भरे दोनो निपल्स बारी बारी चूस रहा होता है. ये उसकी जिंदगी के फर्स्ट दूध थे इस बात से वो और ज़्यादा उत्तेजित हो रहा था..उसी बाहों मे सुप्रिया ऐसी समाई हुई है जैसे कोई बच्चा अपनी माँ की गोद मे समा जाता है.. अरुण को इस समय सुप्रिया पर बड़ा प्यार आ रहा होता है..
अरुण 10 मिनिट तक सिर्फ़ एक निपल से दूसरे निपल पर ही लगा हुआ होता है..सुप्रिया के मूह से आह उः की आवाज़ें निकल रही होती हैं..
"निपल के अलावा भी दूसरी जगह किस करने पर भी मुझे अच्छा लगेगा..वैसे मुझे कोई प्राब्लम नही है निपल किस करने से.." सुप्रिया बहुत ही मदहोशी भरी आवाज़ मे अरुण के कान को मूह से लिक्क करके कहती है...तुरंत ही उसकी एक तेज आह निकल जाती है..जैसे ही अरुण एक निपल को दोबारा चूस्ता है और हल्का से उसे दाँतों से काट लेता है जिसके कारण सुप्रिया का निपल और ज़्यादा फूल जाता है..
"अब किसका इंतेज़ार है चूतिए...गिरा और मार ले चूत...गाढ दे लन्डे ओह सॉरी झंडे"
अरुण उधर ध्यान ना देकर अपने मूह से निपल निकाल कर दोबारा उसे अपनी जीब बाहर निकालकर हिलाता है. फिर अपना ध्यान दूधों के बीच की जगह पर डालता है जहाँ पर हल्की सी नमी आ गयी है और अपनी जीभ से उसे चाटने लगता है. वो दोनो मम्मों को चाट चाट कर गीला कर देता है और आस पास के एरिया को भी..
अब वो धीरे धीरे उसकी गर्दन की तरफ बढ़ते हुए सुप्रिया की एक एक इंच स्किन को किस करते करते और साथ मे लिक्क भी करते चल रहा है. वो उसकी चिन को मूह मे भर के चूस लेता है..और एक हाथ से सुप्रिया के निपल को खींच कर मरोड़ देता है..बस सुप्रिया के मूह से "ओह अरून्न्ञन्..." निकलता है और वो और ज़्यादा उसमे घुसने की कोसिस करती है और मदहोशी मे अपना हाथ अरुण के लंड की तरफ ले जाती है..जैसे ही उसका हाथ अरुण के लंड से टच होता है वैसे ही अरुण का लंड एक तेज झटका मारता है और अरुण एक आह के साथ कस्के सुप्रिया के बालों को पकड़कर अपनी तरफ झुकाता है और अपनी जीब सुप्रिया के खुले मूह मे डालकर चूसने लगता है..एक तरफ उसकी जीभ सुप्रिया के मूह मे अपना कमाल दिखा रही है दूसरी तरफ उसके हाथ निपल को मरोड़े जा रहे हैं..वो अपनी एक उंगली को पहले अपने मूह से गीला करता है फिर सुप्रिया के निपल पर फिरा कर अपने मूह मे डाल के चूसने लगता है फिर साइड से सुप्रिया के मूह मे डालता है..सुप्रिया किसी लॉलिपोप की तरह उसकी उंगली चूसने लगती है...उसका हाथ अरुण के लंड को पकड़ लेता है और उसे चादर के उपर से भी उसमे से आग निकलते हुए महसूस होती है..
सुप्रिया और ज़्यादा अरुण के करीब आती है और अपनी चूत को अरुण के लंड के करीब छूने की कोसिस करने लगती है..एक हाथ से वो उसके लंड को उपर नीचे कर रही है दूसरा हाथ उसके गले मे डाल कर अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़ रही है..उसने नीचे पैंटी और उसके उपर बहुत ही पतले कपड़े वाला लोवर पहना हुआ है..इतना ज़्यादा धक्के के कारण दोनो बिस्तर पर गिर पड़ते हैं अरुण नीचे है सुप्रिया उसके उपर चढ़ के उसके लंड पर अपनी चूत रगड़ रही है.अरुण के दोनो हाथ सुप्रिया के बालों मे उलझे हुए हैं और दोनो बहुत ही आवाज़ के साथ एक दूसरे का रस्पान कर रहे हैं.. कमरे मे सिर्फ़ स्लर्प..आह..उहह की आवाज़ें ही सुनाई दे रही हैं.
सुप्रिया एक हाथ से चादर हटा देती है और अरुण के नंगे लंड पर अपनी गीली चूत रगड़ने लगती है. लोवर के उपर से गीलापन सॉफ सॉफ देखा जा सकता है..थोड़ी देर मे दोनो किस तोड़ते हैं और सुप्रिया के मूह से आह और उह और तेज हो जाती है..
"ओह..ओह्ह्ह..आह...उहह..ओह गॉड...अरून्न्ञणन्..." और अरुण के नाम के साथ उसे रीयलाइज़ होता है वो इतनी ज़्यादा गर्म हो गयी थी उसका भी छूटने वाला ही है..
"ओह गॉड...दी यू आर सो हॉट...दी......दीई. आइ.इम कूम्म्मिंगगगग..." और ये कहते कहते अरुण का छूट जाता है..जैसे ही सुप्रिया को अरुण का सीमेन अपने पेट पर महसूस होता है उसका भी ऑर्गॅज़म हो जाता है दोनो इतने कस के दूसरे को चूमने लगते हैं. दोनो एक दूसरे के शरीर को एक दूसरे के अंदर समा लेना चाहते हैं..
सुप्रिया की उंगलियों मे अरुण का स्पर्म लग जाता है और अरुण बिना जाने ही धक्के मारने लगता है जैसे की चूत के अंदर लंड को ले जाना चाहता हो.."ओह अरुण...
निकालो..निकाल दो अपने माल को अपनी दी के उपर....आह..उहह...फाड़ दो अपनी दी की चूत को अपने इस लंड से..."
सुप्रिया अपनी उत्तेजना मे पता नही क्या क्या बोले चली जाती है..
अरुण अपना सिर पीछे तकिया मे डाल देता है..उसके सिर मे हल्के हल्के विशफोट होने लगते हैं और उसका वीर्य बाहर सुप्रिया के हाथ पेट और बूब्स को ढक देता है..
सुप्रिया भी निढाल होकर अपना सिर उसकी छाती पर रख के ढेर हो जाती है.दोनो की साँसें बड़ी तेज़ी के साथ उपर नीचे हो रही हैं...अपनी सासों पे काबू करने के बाद अरुण सुप्रिया के चेहरे पर से बालों की लट को हटाता है और उसको अपने उपर खींच के पहले उसके लिप्स पे एक छोटी सी किस करता है फिर उसके सिर को चूमता है.सुप्रिया भी उसके सिर और गाल को चूमती है और दोबारा उसके उपर लेट जाती है..
थोड़ी देर बाद सुप्रिया उठती है उसके गालों को चूमती है. अरुण अपनी आँखें खोलता है तो सामने सुप्रिया का मुस्कुराता हुआ चेहरा पाता है..
"हाई.." अरुण कहता है..
"मुझे तुम्हे कुछ बताना है.." सुप्रिया मुस्कुराते हुए कहती है..
"यू आर प्रेग्नेंट.." ये कहके अरुण एक बड़ी सी स्माइल देता है..
सुप्रिया हँसते हुए उसके माथे पर मारती है और कहती है "नो यू ईडियट..थोड़ा सीरीयस होके सुनो...दट वाज़ सो हॉट..मुझे बहुत अच्छा लगा..मैने लाइफ मे पहली बार इतनी अच्छे तरीके से ऑर्गॅज़म को एंजाय किया है..और तुमने इस तरीके से किस करना कहाँ से सीखा..तट वाज़ पर्फेक्ट आंड सो एरॉटिक.."
"मुझे भी नही पता दी कहाँ से आपके साथ बस हो गया..यू आर सो हॉट..अब आगे से पॉर्न देख के तो मेरा कुछ नही होने वाला.." अरुण हल्की हँसी के साथ कहता है..
उसके मन मे तो पार्टी चल रही थी..
"अरुण सुनो..चाहे कुछ भी हो जाए यू आर माइ ब्रदर आंड आइ लव यू..मुझे नही लगता की अभी जो कुछ हमारे बीच हुआ वो ग़लत था..मुझे इससे कोई प्राब्लम नही है लेकिन अगर तुम्हे कोई प्राब्लम है तो हम आज के बाद कभी इस बारे मे कोई बात नही करेंगे.."
"फक हर"
सुप्रिया अपने आप को साइड मे कर के एक हाथ उसकी छाती पर रख देती है..
"मुझे तो नही लगता मैं कभी ये दिन भूल पाउन्गा.."अरुण बहुत ही बड़ी स्माइल के साथ बोलता है..
"देखो अरुण मैने बचपन से तुम्हारा ख़याल रखा है..तुम्हारी हर प्राब्लम मे मैने तुम्हारी मदद की और मुझे उसमे कोई प्राब्लम भी नही हुई..तो आज भी मुझे खुशी हुई जब मैने अपने छोटे भाई की किसी प्राब्लम को सॉल्व करने मे मदद की..मुझे खुशी है कि हमारे बीच ये हुआ.."सुप्रिया उसके सीने को सहलाते हुए बोली.
"दी..मैं भी कभी महसूस नही करूँगा कि ये ग़लत था..मैं सही मे आपसे बहुत ज़्यादा प्यार करता हूँ..आंड थॅंक योउ फॉर दिस..आंड थॅंक यू फॉर बीयिंग माइ फर्स्ट.."
"फर्स्ट?" सुप्रिया कन्फ्यूज़ हो जाती है..
"माइ फर्स्ट हॅंड जॉब दी..."अरुण स्माइल के साथ कहता है और सुप्रिया के गालों को सहलाता रहता है..
"आर यू ओके..?" सुप्रिया पूछती है
"एप..एक्सलेंट"
"अगर दोबारा कोई प्राब्लम हो तो तुम्हे पता ही है मैं कहाँ मिलूंगी.."सुप्रिया उसे आँख मारते हुए बोलती है.. और बिस्तर से उठ के अपनी टी शर्ट पहनने लगती है.."अब मुझे जल्दी नीचे चले जाना चाहिए वैसे भी अभी खाना भी नही बनाया है..और सोनिया को कुछ शक हो गया तो तुम्हारा तो जीना मुश्किल हो जाएगा...हां ये अलग बात है अगर तुम उसको अपना ये हथियार दिखा दो कुछ और मिल जाए.." सुप्रिया अपने बालों को सुलझाते हुए कहती है और आँख मार के कहती है..
"दी...शी ईज़ माइ सिस्टर"
"और मैं क्या हूँ...?" सुप्रिया उसको पिल्लो मारते हुए कहती है..
"मैं उस सेन्स मे नही कह रहा था दी..." अरुण फिर एक किस करता है सुप्रिया को और उसका माथा चूम लेता है..
सुप्रिया जैसे ही उसके रूम के दरवाजे तक पहुँचती है अरुण बोलता है..
"दी..मैने जब कहा था कि आप बहुत ही ब्यूटिफुल हो आंड आइ लव यू...आइ रियली मीन इट..." सुप्रिया उसकी ओर फ्लाइयिंग किस करके चली जाती है..और अरुण सपनो की दुनिया मे जाने की तय्यारी करने लगता है..
और धीरे धीरे नींद की आगोश मे चला जाता है..इस बार ना कोई जोकर..ना कोई आक्सिडेंट बस सुहानी नींद...
इसके बाद अरुण 3 4 घंटे तक आराम से सोता रहा. इतनी अच्छी और गहरी नींद थी कि जब सुप्रिया उसे लंच के लिए बुलाने आई तब भी नही उठा. तो सुप्रिया ने उसे सोने दिया लेकिन उसके उपर चादर ऊढा के चली गयी और उसके माथे को चूमा.
अरुण अपने सपनों की दुनिया मे खोया हुआ था. उसके सपने मे उसके पीछे बूब्स और चूतो की फ़ौज़ उसके पीछे पड़ी थी और वो बेतहाशा भागा जा रहा है. और वो पीछे से उसे आवाज़ भी दे रहे हैं..
"अरुण"
"अरुण"
"अरुंण" आरोही ने आख़िर तंग आकर उसके हाथ पे तेज़ी से मारते हुए उसे उठाने की कोसिस की...
"मैं कसम खा के कहता हूँ मैने सिर्फ़ किस किया था..." अरुण बहुत तेज़ी से उठ के बोलता है....उसका चेहरा पसीने से भीग जाता है. पहले तो उसे कुछ समझ मे नही आता लेकिन जब उसके कानों मे बहुत ही तेज हँसने की आवाज़ और बिस्तर हिलने का आभास होता है तो वो अपनी आँखों को मल के चारों ओर देखता है कि आरोही अपना पेट पकड़कर हंस रही है...
अगले 2 3 मिनिट तक कमरे मे केवल आरोही के हँसने की ही आवाज़ें आ रही थी..आख़िर मे उसने हान्फते हुए कहा.."दट वाज़ रियली फन्नी..."
इधर अरुण के मन मे भी हँसी ही हँसी की आवाज़ें आ रही थी..
"बेटा तू पक्का किसी दिन सपने की वजह से मर जाएगा..हाहहाहा...मैने सिर्फ़ किस किया था...हाहहहहह"
"हां...हां..वेरी फन्नी" अरुण मूह बनाते हुए बोला.
"कोई नही...वैसे सपना किसके बारे मे देख रहे थे.." आरोही ने हँसी को रोकते हुए कहा..
"जोकर..."
"जोकर का नाम आरोही था..." और दोबारा हँसने लगी..
"दट'स नोट फन्नी.." अरुण थोड़ा एंबॅरस होते हुए बोला..
फिर भी आरोही हँसती रही और रूम के दरवाजे के पास पहुँच के बोली.."तुमने लंच तो किया नही तो स्नेहा दी ने स्नॅक्स तय्यार करे हैं..जल्दी आ जाना.." अरुण के मूह पर ये बात सुनते ही मिलियन डॉलर स्माइल आ जाती है और वो उपर की ओर देखता है तो दिखाई देता है कि सोनिया अपने मूह से किस्सिंग का सीन का डिसप्ले कर रही है और उसकी ओर देख के हंस रही है. अरुण एक छोटी सी बॉल जो कि बेड के पास टेबल पे रखी है उसे उसके उपर फैंकता है लेकिन तब तक आरोही दरवाजा बंद करके बाहर पहुँच जाती है लेकिन दोबारा सिर अंदर करके "आहह...सोनियाआ...हहिहिहीः" बोल के भाग जाती है..
"ये तुझे पक्का अपना गुलाम बनाएगी...देख लियो...बस सेक्स स्लेव बनाए लेकिन.हिहीही"
इस बात को मन से हटाते हुए और स्नेहा दी के खाने के बारे मे सोचते हुए अरुण फ्रेश होकर क्लीन क्लोद्स पहेन कर नीचे जाता है तो आरोही तो सोफे पे बैठ के टीवी देख रही है.. सोनिया फोन पे चिपकी हुई है..स्नेहा दी किचन मे कुछ बना रही हैं और बाथरूम मे पानी चलने की आवाज़ आ रही है..
तो अरुण पानी पीने किचन मे जाता है तो देखता है कि स्नेहा किचन की टॉप शेल्फ से कुछ उतारने की कोसिस कर रही है जिसकी वजह से उसकी गान्ड का शेप काफ़ी अच्छा लगने लगता है अरुण को और वो उसी मे खो जाता है..
"अरुण.."
"अरुण..हेलो मैने कहा उपर से सॉस उतार दो ...ध्यान कहाँ हैं तुम्हारा"
अरुण एक दम से होश मे आता है और सॉस उतार कर स्नेहा को दे देता है लेकिन सॉस देते देते उसकी नज़र स्नेहा के फ्रंट पर पड़ती है और उसकी गर्मी बढ़ने लगती है..स्नेहा का क्लीवेज सॉफ सॉफ नज़र आ रहा है लेकिन स्नेहा तो स्नेहा है उसे इन चीज़ों के बारे मे ज़्यादा कामन सेन्स नही है..
(यहाँ पर मैं पहले ही क्लियर कर दूँ कि स्नेहा इंटेलिजेंट तो बहुत है लेकिन इसके कारण थोड़ा सा कामन सेन्स आंड बिहेवियर वाली थिंग्स हल्की सी कम है..)
खैर तब तक सुप्रिया किचन मे आती है और अरुण को कोई चीज़ बाथरूम मे उतारने के लिए अपने साथ लेके जाती है और बाथरूम मे पहुँचते ही पहले उसके होंठों पर एक छोटी सी किस फिर कहती है.."मैने तुम्हे जब उस कंडीशन मे स्नेहा के दूध देखते देखा तो मैं समझ गयी कि तुम हॉर्नी हो रहे हो..अरुण मैं अपने प्यारे भाई को तक़लीफ़ मे कैसे देख सकती हूँ" इतना कह के वो दोबारा अरुण को किस करने लगती है.. और उसके हाथ अरुण की पीठ सहलाने लगते हैं.. उसके हाथ अरुण की पीठ से होते होते अरुण के लंड पर पहुँच जाते हैं और उसका हाथ पड़ते ही अरुण का लंड खड़ा होने लगता है..
"अरुण तुम ऐसे नही रह सकते..हम लोग तो हमेशा ही यही रहेंगे..इस तरीके से हर घंटे अगर तुम हम को देख कर गर्म हो जाओगे तो कैसे चलेगा..यू हॅव टू कंट्रोल..." इतना कह के सुप्रिया अरुण की बेल्ट खोलने लगती है...
अरुण सर्प्राइज़ के साथ बाथरूम के गेट की तरफ देखता है जैसे ही सुप्रिया उसके बॉक्सर्स को नीचे करती है अरुण का लंड उसकी आँखों के सामने आ जाता है. जिसे देखकर सुप्रिया की आँखों मे चमक आ जाती है वो अपने होंठों पर जीभ फिराती है और एक हाथ से लंड को उपर उठाती है और टट्टो को मूह मे भरकर चुस्ती है...
"दी..ये..क..क्क्या..क.क्कार .र्र..रही हो..दूसरे. लोग..भी हैं बाहर..किसी ने सुन ल्ल.ल्लिया तो...आहह" अरुण सिर्फ़ इतना ही कह पाता है तब तक सुप्रिया उसे एक बार आँख मारती है और उसके लंड के अंदर की साइड को चाटती हुई उपर सुपाडे तक जाती है उसे मूह मे भरकर एक ज़ोर की चुस्की मारती है..जैसे अभी उस मे से जूस निकलेगा..फिर उसी सुपाडे पर अपने होंठ ज़ोर ज़ोर से घुमाने लगती है और एक हाथ से लंड को आगे पीछे कर रही है और दूसरे से टट्टो को सहला रही है..मदहोशी मे अरुण का हाथ सुप्रिया के बालों पर चला जाता है और वो उन्हे सहलाने लगता है...
सुप्रिया फिर पूरा लंड मूह मे भरकर चूसने लगती है...
ये दोनो अपनी मस्ती मे पूरी तरह खोए हुए होते हैं...
"दी..स्नॅक्स तय्यार हैं जल्दी आ जाओ...और ये अरुण कहाँ चला गया...आरृूंन्ञणणन्.."स्नेहा की आवाज़ आती है..
सुप्रिया तुरंत ही अरुण का लंड अपने मूह से झटके से निकालती है और इधर उधर देखती है और उपर उठ के अरुण को एक लीप किस के साथ आँख मार के चली जाती है..इधर अरुण का चेहरा पसीने से भीगा हुआ है..वो दोबारा मूह धोता है..
"कितनी कलपद होगी तेरी बे..."
वो भी चुपके से बाथरूम से निकलता है और आके डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता है..
सब लोग बैठे हैं सिवाय स्नेहा के वो भी सब समान लाके अरुण के सामने वाली चेयर पर बैठ जाती है....लेकिन आरोही बड़े ध्यान से अरुण की तरफ देखती है तो समझ जाती है कि कुछ तो गड़बड़ है..वो कुछ नही कहती...इधर स्नेहा सबको चाउमीन सर्व करती है..जितनी बार वो उठ कर आगे तरफ़ झुकती है उतनी बार अरुण का गला सुख जाता है. सुप्रिया ये देखकर अपनी हँसी को कंट्रोल करती है. फिर सब खाना शुरू करते हैं..
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01-24-2019, 11:57 PM,
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RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
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सुप्रिया अरुण को और परेशान करने के लिए नूडल बिल्कुल ऐसे सक करती है जैसे कि अरुण का लंड और उसकी तरफ देखती रहती है. जैसे ही अरुण की नज़र उसके उपर पड़ती है उसका लंड हल्का सा झटका मारता है. वो पानी पीता है जिससे कुछ आराम मिले.
स्नेहा भी बेचारी बिना जाने उसे परेशान कर देती है. उसके फोर्क से 2 नूडल्स निकल के उसके क्लीवेज़ के अंदर गिर जाते हैं..आंड सिन्स इट्स स्नेहा (थोड़ा सा कामन सेन्स की कमी है) तो जो सॉस साइड बूब्स पे लग गयी है वो उंगली से उठा कर मूह मे उंगली डाल कर सक करने लगती है..स्नेहा बहुत ही सेक्सी लग रही है..एक तो वो चश्मिस उपर से बड़े बूब्स और उपर से वाइट टीशर्ट वित डीप नेक..अरुण की तो मानो सासें ही बंद हो गयी हैं..उसके बाद स्नेहा बिना किसी की ओर देखे अपनी 2 उंगलियाँ अपने क्लीवेज के अंदर डालती है और नूडल्स निकालने की कोसिस करती है जिससे और सॉस लग जाता है लेकिन वो थोड़ा ज़्यादा अंदर होते हैं तो वो बिना किसी शर्म के थोड़ा सा बूब्स को हिलाती है और नूडल्स निकाल कर मूह मे डाल लेती है फिर वही उंगली से सॉस को उठा कर उंगली सक करने लगती है..
इधर अरुण का मूह खुला हुआ है..और उसके लंड महाराज तो बिल्कुल तूफान खड़ा कर चुके हैं पॅंट मे...
"भाई तू ये वाली सॉस खा..."
उसके लंड मे दर्द होने लगा है बॉक्सर और जीन्स मे बंद रहने के कारण.. इधर अरुण को होश ही नही है कि स्नेहा को छोड़कर तीनों लोग उसे ही ध्यान से देख रहे हैं जैसे ही अरुण का ध्यान सोनिया की तरफ जाता है तीनों बहुत ही तेज हँसने लगते हैं..और सोनिया कहने लगती है "देखो..देखो..खूब देखो तुम्हारी ही तो बहेन है तुम नही देखोगे तो कौन देखेगा..पेर्वेर्ट" और तीनों हंसते रहते हैं इधर अरुण का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है..वो अपनी नज़रें नीचे कर देता है..
स्नेहा को कुछ समझ मे नही आता वो अरुण से ही पूछती है "क्या हुआ?? ये लोग ऐसे हँस क्यू रहे हैं? क्या खाना अच्छा नही है अरुण?"
"आपकी डिश के सामने तो बेकार है दी..."
"नही दी..मस्त है.." अरुण बड़ी मुश्किल से बोलता है..
वो जल्दी से अपनी प्लेट सॉफ करके अपने कमरे मे चला जाता है पीछे से उसे सोनिया की चिढ़ाने वाली आवाज़ आती है "और नही देखना..यू परवर्ट.." अरुण बिना कुछ कहे अपने रूम मे जाकर दरवाजा बंद करके बेड पर लेट जाता है..और सोचता है इस बात पे पक्का सोनिया उसकी ले लेगी..
"वो तेरी ले इससे पहले तू उसकी ले ले"
इधर टेबल पर जब सब लोग स्नेहा को बताते हैं कि क्यू अरुण जल्दी उपर भाग गया तो वो सिर्फ़ ओह्ह्ह्ह कहती है फिर सब बातें करने लगते हैं..जब आरोही और सोनिया बताते हैं कि वो दोनो पार्टी करने क्लब जा रही हैं तो सुप्रिया को आइडिया आता है कि अरुण भी काफ़ी दिनो से बाहर नही गया तो वो दोनो से कहती है "अरे अरुण को भी ले जाओ..बहुत दिनो से वो भी बाहर नही गया है..उसका भी थोड़ा मूड ठीक हो जाएगा."
"दी किसे साथ मे पूछ की तरह भेज रही हो..मैं नही ले जाने वाली उसे कहो वो अपने फ्रेंड्स के साथ जाए.." सोनिया तपाक से बोल देती है.
"सोनिया..उसके सब फ्रेंड्स तो आउट ऑफ टाउन हैं. चले जाने दे ना..कौन सा वो तेरी जासूसी करेगा और उपर से अगर रात ज़्यादा हो गयी तो कोई मर्द भी होना चाहिए फॉर सेफ्टी आइ'म नोट सेयिंग यू कॅंट प्रोटेक्ट युवरसेल्फ बट स्टिल..प्ल्ज़्ज़ मेरे कहने पर मैं प्रॉमिस करती हूँ वो तुझे बिल्कुल भी डिस्टर्ब नही करेगा..प्ल्ज़्ज़" सुप्रिया सोनिया से कहती है
"ओके दी लेकिन सिर्फ़ आपके कहने पर..और उससे कहना ज़्यादा बहेन बहेन ना करे मेरे फ्रेंड्स के सामने..बड़ा आया" ये सुनके आरोही तो खुश हो जाती है कि अरुण भी चलेगा क्लब इधर सुप्रिया सोचती है कि अरुण को कैसे राज़ी करे..
अरुण के क्लब जाने से दो काम हो जाएँगे एक तो अरुण का थोड़ा मूड भी ठीक हो जाएगा बाहर निकलकर और सोनिया और आरोही की प्रोटेक्षन भी हो जाएगी..
ये सोचते सोचते सुप्रिया खाने लगती है..
थोड़ी देर मे सुप्रिया खाना ख़ाके अरुण के रूम मे जाती है तो अरुण कंप्यूटर पर नॉक करने पर वो दरवाजा खोलता है आंड सुप्रिया को देखकर एक स्माइल के साथ उसे अंदर खींचता है. और दरवाजा बंद करके उसके साथ बिस्तर पर लेट जाता है और दोनो किस करने लगते हैं. 2 3 दिन मिनिट के बाद सुप्रिया उसे अपने से अलग करती है और कहती है "आज रात तुम सोनिया और आरोही के साथ क्लब जा रहे हो..और मैं ना नही सुनना चाहती."सुप्रिया बिल्कुल एक बड़ी बहेन की तरह बोलती है.
"ले अच्छा ख़ासा चोदने का मौका था वो भी तेरी दी खुद ही कलपद कर रही हैं"
"दी..प्लीज़ मुझे नही जाना सोनिया के साथ कहीं..और बढ़िया है वो दोनो चले जाएँगे और स्नेहा दी पढ़ती ही रहती हैं अपन लोग थोड़ा टाइम साथ मे स्पेंड कर लेंगे..मान जाओ ना दी.." अरुण बड़े प्यार से 2 किस सुप्रिया के गाल पर करके कहता है.
"अरे नही मेरे शेर कुत्ते की तरह चाटना भी जानता है..हिहीही"
"नही कोई मस्का नही..एक तो तुम बहुत दिनो से बिल्कुल बाहर भी नही गये हो..अभी तुम्हारी उम्र है तो थोड़ा बहुत बाहर घुमो पार्टी करो.और उपर से तुम जाओगे उन दोनो के साथ तो मुझे ज़्यादा टेन्षन भी नही होगी.." सुप्रिया उसका हाथ पकड़कर बोली "और मैं कही भागी थोड़ी ना जा रही हूँ स्वीतू."
"दी आज पहली बार थोड़ी ना दोनो रात मे पार्टी करने जा रही हैं..प्लीज़ मत भेजो ना"
"ना मैने कह दिया तो कह दिया..हां अगर तुम उन दोनो के साथ जाओगे तो..तुम्हे एक सर्प्राइज़ गिफ्ट मिलेगा.." सुप्रिया ने एक स्माइल के साथ कहा और दो किस लीप पर कर दिए.
"सर्प्राइज़ मे चूत मिलेगी..हां बोल"
सर्प्राइज़ का नाम सुन के अरुण के चेहरे पर एक बड़ी स्माइल आ जाती है और वो पहले तो सुप्रिया का निचला होंठ अपने दाँतों से काट लेता है और फिर कहता है "ओके मैं चला जाउन्गा और एंजाय भी करूँगा लेकिन गिफ्ट शानदार होना चाहिए.." और दोनो किस करने लग जाते हैं. किस करते करते अरुण अपना हाथ टीशर्ट के उपर से ही सुप्रिया के दूध पर रख देता है और मसल्ने लगता है..
"ओह.ओह्ह्ह..लेट मी..." सुप्रिया बस इतना कहती है उठ के बिस्तर पर बैठ जाती है और अपनी टीशर्ट उतार देती है अंदर उसने ब्रा नही पहनी है और वो अरुण का जीन्स और बॉक्सर उतार देती है "बाथरूम वाला काम अधूरा छोड़ दिया था और मुझे कोई काम अधूरा छोड़ना पसंद नही.." और आँख मार के वो अपना मूह लंड के करीब ले जाती है. पहले तो वो बहुत सा थूक निकाल कर अरुण के लंड के सुपाडे पर निकालती है और फिर अपने दोनो हाथों से उसे रगड़ने लगती है..फिर पहले सुपाडे पर अपने होंठ लगा के उसे चूसने लगती है और साथ मे उस पर जीभ भी घुमाने लगती है..अरुण अपनी आँखें बंद करके आराम से बिस्तर पर लेट जाता है.. सुप्रिया उसका पूरा लंड इस बार मूह मे भर के चूसने लगती है और बहुत तेज़ी से सक करने लगती है..
"हां दी...ऐसे ही...ऐसे ही..अपने छोटे भाई को खूब प्यार करो..उम्म्म्म..आप दुनिया की बेस्ट दी हो...आह" अरुण आहें भर भर के ये कहने लगता है और एक हाथ से सुप्रिया के बाल सहलाने लगता है..थोड़ी देर ऐसे ही सकिंग करते करते अरुण सुप्रिया एक बार लंड से मूह हटाती है और अपना पूरा मूह खोल के दोबारा लंड को अपने गले तक ले जाती है इस बार उसके होंठ लंड की जड़ पर लग जाते हैं और अरुण को लगने लगता है कि उसका क्लाइमॅक्स होने वाला है..वो बिना किसी चेतावनी के मदहोशी मे सुप्रिया का सिर फोर्स्फुली अपने लंड पर बनाए रखता है और झटके मार के अपना स्पर्म उसके मूह मे उडेलने लगता है..इस हमले से सुप्रिया बिल्कुल अंजान थी तो उसकी साँस टूटने लगती है..मूह मे अंदर तक लंड होने से थोड़ा सा स्पर्म उसकी नाक के रास्ते बाहर आने लगता है और बाकी अंदर और बाकी मूह के किनारे से बाहर आने लगता है. सुप्रिया की आँखें चढ़ जाती हैं लेकिन उसके मूह से सिर्फ़ म्म्म्मम की आवाज़ें ही आती हैं.. इधर जब अरुण का क्लाइमॅक्स पूरा होता है तो उसे होश आता है कि सुप्रिया साँस के लिए तड़प रही वो जल्दी से सुप्रिया को अपने लंड से उपर उठाता है और उसकी पीठ सहलाने लगता है..
"सॉरी दी..मैने वो ...मुझे पता नही क्या हो गया था ..मेरा ध्यान ही नही गया आप पर सॉरी..."
सुप्रिया खाँसती है तो उसके मूह मे और सीमेन आ जाता है. वो उसे गटक जाती है और हाथ से नाक से निकला सीमेन पोछती है अपना सिर हिला कर कहती है.."कोई नही स्वीटी.. होता है.. तुमने तो मेरी जान ही ले ली थी लेकिन ऐसे मज़ा भी बहुत आया लेकिन आगे से साँस ले लेने देना" और वो दोबारा उसके लंड को सॉफ करने लगती है..थोड़ी देर मे दोनो कपड़े पहेन लेते हैं उसके बाद सुप्रिया अरुण को किस करके रूम से चली जाती है..
"तू पक्का आज उसे मार डालता"
"मेरी ग़लती थी..लेकिन इतनी नही पता नही मुझे क्या हो गया था बिल्कुल होश ही नही था..मैं तो जैसे हवा मे उड़ रहा था..खैर यार अब पार्टी मे उस सोनिया के साथ जाना पड़ेगा..अगर उसने उसके फ्रेंड्स के सामने मेरी इन्सल्ट करी तो,,," अरुण मन मे ही सोचता है.
"तो वही उसके दोस्तों के सामने उसे पटक के रेप कर देना साली का.."
"चूतियापा मत बको छोटी बहेन है मेरी ऐसा थोड़ी ना कर सकता हूँ उसके साथ.." अरुण सोचता है और ऐसे ही सोचते सोचते लेटा रहता है..
इधर 7 बजे आरोही अरुण के कमरे मे नॉक करके उसे बताती है कि तय्यार हो जाए..वो लोग आधे घंटे मे जाने वाले हैं..
तो अरुण तय्यार होके नीचे आ जाता है और टीवी देखते देखते उनका इंतेज़ार करने लगता है..
थोड़ी देर मे हील्स की आवाज़ आती है सीढ़ियों से तो वो पलट के देखता है तो तुरंत ही उसके लंड मे हरकत होने लगती है..
आरोही और सोनिया दोनो कमाल की लग रही थी..उसे लगा जैसे वो दोनो दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़कियाँ हों..आरोही ने स्कर्ट ओर क्रॉप टॉप पहना था और सोनिया उसका तो कहना ही क्या..ब्लॅक कलर की ड्रेस थी जो उसके अप्पर थाइस तक ही थी जिसमे से उसकी मखमली चिकनी दूध सी सफेद जांघे सॉफ सॉफ चमक रही थी और उपर कंधे से स्ट्रॅप्स के ज़रिए पीछे जा रही थी..डीप नेक के कारण बहुत ही अच्छे से उसका क्लीवेज दिख रहा था.. लेफ्ट वाले दूध से ठीक पहले उसके एक तिल था जो उसे और कातिलाना बना रहा था...ये तिल उसकी तीनों बहनो सुप्रिया, स्नेहा और सोनिया के लेफ्ट साइड यानी बूब्स के थोड़ा सा उपर या कह सकते हैं बूब्स की जड़ पर था लेकिन आरोही और अरुण के नही था..
और आरोही वो भी गजब ढा रही थी..उसका क्रॉप टॉप उसकी नाभि से उपर ही था तो उसकी नाभि देख के और सपाट पेट देख के उसके लंड मे हल्का सा झटका लगा. उसकी स्कर्ट भी शॉर्ट थी पर सोनिया से तो नीचे ही थी..
अरुण को ऐसे देख कर आरोही को तो बड़ी हँसी आ रही थी पर सोनिया को गुस्सा आ रहा था वो दोनो नीचे आती हैं और सोनिया 2 बार चुटकी बजाती है अरुण के सामने और कहती है "ड्राइवर अरुंधती चलें.. किसी को तो छोड़ दे बहेन हैं हम तेरी.."सोनिया बहुत ही गुस्से से बोलती है..
तब तक सुप्रिया वहाँ आ जाती है "तय्यार हो गये तुम लोग..वॉवव..कितनी खूबसूरत लग रही हो दोनो..और अरुण तुम भी काफ़ी अच्छे लग रहे हो जाओ तो फिर लेकिन थोड़ा जल्दी आने की कोशिस करना.." सुप्रिया के कारण वो दोनो नही लड़ते और फिर सब बाहर निकल कर अपनी गाड़ी से रॉयल क्लब मे चले जाते हैं..
क्लब मे पहुँच कर सोनिया और आरोही तो अपने फ्रेंड्स के साथ मस्ती करने लगते हैं और अरुण बार पर पहुच कर कुछ ड्रिंक करने के लिए लेने लगता है..तब तक आरोही पास मे आती है और कहती है "आह सोनिया..." जो सिर्फ़ अरुण को सुनाई देता है लेकिन वो थोड़ा गुस्से से आरोही को देखता है तो आरोही कान पकड़ के अरुण के गले मे हाथ डाल कर वही पास मे बैठ जाती है "बोर तो नही हो रहे.. किसी से बात ही कर लो.. इतने अच्छे लोग हैं. इतना अच्छा क्लब है डॅन्स के लिए हज़ार लड़कियाँ मिल जाएगी किसी से पूछो तो .." आरोही उसे समझाते हुए पूछती है..
उसके इस तरीके से बात करने से अरुण के चेहरे पर स्माइल आ जाती है और वो हां मे सिर हिला देता है.."तुम जाओ सोनिया के साथ एंजाय करो मैं किसी को ढूंड ही लूँगा.." तो आरोही वहाँ से चली जाती है..
"तू साले ऐसी जगह आता क्यूँ नही देख..चारों तरफ चूत, मम्मे, गंदे आहह.."
अरुण ये बात मन मे सुन के सोचने लगता है.
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