RE: Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
वो अपनी चूत को बेपर्दा करके मसल रही थी ..... और साथ ही साथ बाहर की तरफ निकले हुए क्लिट के दाने को भी रगड़कर अपनी तृष्णा शांत करने की कोशिश कर रही थी
लेकिन जयसिंह और मनिका में से किसी का भी ध्यान उसकी तरफ नहीं था, वो दोनों तो बुरी तरह से एक दूसरे को चोदने में लगे हुए थे
जयसिंह भी अपनी पागल सी हुई जा रही बेटी को इस तरह से चोदकर बावला हुए जा रहा था, और वो इस मौके का भरपूर फायदा उठा रहा था....
आख़िरकार ज़ोर-2 से चिलाते हुए मनिका झड़ गयी ...
''आआआआआआआआहह ओह माय गॉड ................ पापा ..................... आई एम कमिंग ..................''
जयसिंह भी चिल्लाया : "मैं भी आआआआआआय्य्ाआआआआ... मेरी ज़ाआाआआनन्न....''
मनिका : "अंदर ही निकालो .......................... आज मेरे...................... अंदर ही निकााआआाआल्लो.....''
कनिका तो ये सुनते ही चोंक सी गयी....क्योंकि मनिका में आने से पहले उसने या बात उससे डिसकस की थी की कोई प्रोटेक्षन भी लेगी क्या...तो मनिका बोली थी की पापा इतने समझदार तो है ही...वो बाहर ही निकाल देंगे...या शायद वो कंडोम लगाकर करेंगे....
लेकिन यहाँ ना तो कंडोम लगाने का टाइम था और ना ही जयसिंह ने कुछ समझदारी दिखाई....और उपर से मनिका खुद ये बात बोल रही थी की उसके रस को अंदर ही निकाले....क्या वो प्रेगञेन्ट होना चाहती है....ये बात कनिका को परेशान कर रही थी.
मनिका ने भी ऐसा कुछ नही सोचा था....लेकिन इस मौके पर आकर वो एक बार अपने अंदर तक अपने पापा के प्यार को महसूस करना चाहती थी...इसलिए उसने एक सेकेंड में ही ये सोच लिया की आज जो हो रहा है, होने दो...बाद में टेबलेट ले लेगी...
जयसिंह ने भी एक सांड की तरह हुंकारते हुए अपने लंड का सारा पानी उसकी चूत के अंदर निकाल दिया....
''आआआआआआआआआआअहह मेरी ज़ाआाआआआअन्न् ......ये ले......................''
जयसिंह ने अपनी प्यारी बेटी के लिए सहेज के रखा हुआ प्रेम रस पूरी तरह से उसकी प्यासी चूत
मे उडेल दिया , अपनी बाल्स को पूरी तरह से खाली कर दिया उसने..
मनिका की चूत ने भी जयसिंह के लंड को किसी वेक्यूम क्लीनर की तरह चूस डाला और पूरी तरह से तृप्त होकर पस्त हो गयी
और फिर गहरी साँसे लेता हुआ उसके मुम्मों पर सिर रखकर लेट गया...उसका लंड अपने आप फिसलकर बाहर निकल आया...और पीछे से निकला दोनो के प्यार का मिला जुला पानी में लिपटा रंगीन जूस...
कनिका ने जो आज देखा था उसे सोचकर उसका पूरा शरीर काँप सा रहा था....वो भी कुछ देर में इसी तरह से चुदेगी ...और उसका भी ऐसे ही पानी निकलेगा...वो भी मज़े लेगी...वो भी चिल्लाएगी....ये सब सोचते-2 वो मुस्कुरा दी..
जयसिंह और मनिका दोनो ने नोट ही नही किया की उनके पीछे खड़ी कनिका उनके इस मिलन को देखकर कैसे अपने बूब्स और पुस्सी को रगड़ रही है...
उसे पता था की अभी तक उसका नंबर नही आया है,इसलिए वो इस तरह से दूर खड़ी होकर अभी के लिए तो बस यही कर सकती थी...पर वो छुटकी ऐसी थी नही...वो जानती थी की आजकल की दुनिया में ऐसे दूर रहकर कुछ नही मिलने वाला...बड़े लोग हमेशा छोटो को दबाते है..उनके हक को खुद छीनकर ले जाते है...भले ही अभी के लिए इन दोनों बहनों में ऐसी कोई भी भावना नही थी पर इस तरह दूर खड़े होकर वो निश्चिन्त तौर पर कुछ खो ही रही थी...या ये कह लो की उसकी बहन सारे मज़े खुद लेकर उसे ऐसे मज़े से वंचित रख रही थी..
और कुछ पाने के लिए वो उन दोनो के करीब आ गयी...
वो भी तो नंगी ही थी...इसने अपना वो नंगा बदन अपने पापा से लेजाकर चिपका दिया...
क्योंकि वो जानती थी की जो भी उसके साथ होगा वो पापा के चर-कमलों द्वारा ही होगा...
इधर जयसिंह और मनिका अब दूसरे राउंड के लिए पूरी तरह तैयार थे, जयसिंह और मनीज दोबारा एक दूसरे के होठों को चबाने में मशगूल हो गए,पर जयसिंह को जब कनिका के गर्म बदन का एहसास हुआ तो उसने अपनी किस्स तोड़ी और कनिका की तरफ देखा...मनिका भी उसे देखकर समझ चुकी थी की उसकी चूत में भी अब कुलबुलाहट शुरू हो चुकी है....दोनो ने मुस्कुराते हुए कनिका को भी अपनी बाहों मे जगह देकर उसे अंदर घुसा लिया....और फिर एक साथ तीनो ने अपने-2 मुँह आगे कर दिए और तीन तरफ़ा स्मूच शुरू हो गयी....
दोनो बिलियों की तरह जयसिंह के होंठों को ही चूसने का प्रयास कर रही थी...जयसिंह भी कभी एक को तो कभी दूसरी को स्मूच कर रहा था...ऐसे अलग-2 नर्म होंठों को चूसने में उसे बहुत मज़ा आ रहा था...ऐसा ही कुछ वो उनकी चुतों के साथ भी करना चाहता था.
जयसिंह ने तुरंत वो सामूहिक किस्स तोड़ी और अपनी गोद मे बैठी मनिका को नीचे उतार दिया...वो तो उसपर से उतरने को ही राज़ी नही हो रही थी...पर जब जयसिंह ने उसकी गर्म चूत में उंगली डाली तब जाकर वो नीचे उतरी...
उन दोनो को जयसिंह ने धक्का देकर बेड पर लिटा दिया, जयसिंह अपने होठों पर जीभ फिर रहा था, दोनो बहने उसे ऐसा करते हुए देख रही थी और अपनी चूत में उंगली और मुम्मो पर पंजा लाकर उसके आगे बढ़ने का इंतजार कर रही थी...
जयसिंह के लण्ड को देखकर दोनो की चूत में से नींबू पानी निकल रहा था..
जयसिंह ने दोनो की बहती हुई चूत देखी और वो उनके पैरों के पास आकर बैठ गया...अब तक दोनो समझ चुकी थी की उनके साथ क्या होने वाला है...दोनो ने एक दूसरे का हाथ जोरों से पकड़ लिया...
जयसिंह ने दोबारा सबसे पहले मनिका की चूत में अपना मुँह डाला...वहाँ से इतना गीलापन निकल रहा था की उसे एक पल के लिए ऐसा लगा की वो लिम्का पी रहा है...एकदम शहद में लिपटा खट्टा-मीठा सा स्वाद था उसकी चूत के रस का...
कुछ देर तक उसे चूसने के बाद वो कनिका की तरफ पलटा...और अपनी जीभ लगाकर उसका स्वाद चखा...वो थोड़ा मीठा था...उसने अपने होंठों और दाँतों से उसकी चूत पर हमला कर दिया...
वो बिलख उठी...और तड़पकर उसने पास लेटी मनिका को पकड़कर अपने उपर खींच लिया...और उसके मम्मों को जोरों से चूसने लगी...
''आआआआआआआआआहह माय बैबी...''
मनिका को अपनी छोटी बहन अपनी बच्ची जैसी लग रही थी...जो अभी पैदा भी नही हुई थी...वो उसे माँ बनकर अपना दूध पिलाने लगी...नीचे से जयसिंह उसकी चूत चूस रहा था और उपर से वो मनिका के मुम्मे चूसकर अपना सारा मज़ा आगे ट्रान्स्फर कर रही थी...
कुछ देर बाद जयसिंह फिर से मनिका की चूत पर आ लगा...और ऐसा उसने करीब 3-4 बार किया....कभी कनिका तो कभी मनिका...
कनिका के ऊपर मनिका थी, इसलिए दोनों की चूत एक के ऊपर एक लगकर जयसिंह के सामने थी
कनिका काफ़ी देर से बिलख रही थी...और आख़िरकार उसकी चूत ने पानी छोड़ ही दिया...
वो भरभराकर झड़ने लगी....जयसिंह और मनिका ने मिलकर उसकी चूत का पानी पी डाला..
अब जयसिंह की बारी थी...मनिका ने उसे बेड पर लिटा कर पीछे पिल्लो लगा दिया और खुद उसकी टाँगो के बीच पहुँच गयी...दूसरी तरफ से कनिका भी आ गयी...फिर दोनो ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे को देखा और मिलकर जयसिंह के लंड पर टूट पड़ी...
जयसिंह ने तो बेड की चादर को ज़ोर से पकड़ लिया जब उसपर ये हमला हुआ तो...मनिका ने उसके लण्ड को निगल लिया था और कनिका ने उसकी गोटियों को....
ऐसा लग रहा था जैसे भूखे इंसानों को 1 महीने बाद कुछ खाने को मिला है...
जयसिंह के लंड को चबर-2 करके दोनों खाने लगी...उनकी गर्म जीभे , तेज दाँत और नर्म होंठों के मिश्रण से उसे बहुत गुदगुदी भी हो रही थी...पर उससे ज़्यादा मज़ा भी बहुत आ रहा था...
जयसिंह ने हाथ आगे करके दोनों के मुम्मे सहलाने शुरू कर दिए...दोनो के निप्पल एकदम कड़क हो चुके थे...उन्हे मसलने में उसे बहुत मज़ा आ रहा था...
दोनों जयसिंह के लंड को बुरी तरह से चूस रहे थे, एक गोटियां चूस रही थी तो दूसरी लंड.
कनिका टॉपलेस होकर जयसिंह के सामने थी...जयसिंह के मुँह में पानी आ गया उन गोरी-2 छातियों को देखकर
और उसने मनिका को अपनी तरफ खींचकर अपने होंठ लगा दिए उसके मुम्मों पर और जोरों से चूसने लगा..
कनिका ने जयसिंह के सिर को पकड़कर और ज़ोर से अपनी छाती में घुसा लिया और चिल्लाई : "ओह पापा........ ज़ोर से सुक्क्क करो..... बहुत परेशान करते है ये.... दबाओ इन्हे..... चूसो.... काट लो दांतो से..... अहह ...ओह पापा ...... सस्सस्स ..''
जयसिंह ने उसके बूब्स पर मार्क बनाने शुरू कर दिए...
कुछ देर तक अपनी ब्रेस्ट चुसवाने के बाद वो बड़े ही प्यार से बोली : "पापा..... मुझे भी चूसना है...''
जयसिंह मुस्कुरा दिया उसके भोलेपन को देखकर...
कितनी मासूमियत से वो खुद ही उसके लंड को चूसने के लिए बोल रही थी...
इससे उसके उतावलेपन का सॉफ पता चल रहा था...
जयसिंह जानता था की वो ज़्यादा देर तक तो इस खेल को बड़ा नही पाएगा, पर जितने मज़े वो ले सकता है उतने वो ले लेना चाहता था.
जयसिंह ने हामी भर दी..
दोनों बहनें पूरी रंडी बनकर अपने पापा के लंड को खा जाने में जुटी थी, कुछ ही देर में उनकी मेहनत रंग लाने लगी, जयसिंह के लन्द में दोबारा तनाव आना शुरू हो चुका था और कुछ ही मिनट में अब वो तनकर पूरी तरह खड़ा था,
अब जयसिंह ने कनिका को सीधा लेटाया और एक ही झटके में अपने पूरे लंड को उसकी चुत में उतार दिया, कनिक की चुत लंड के इस घर्सन से उत्तपन्न गर्मी से पिघली जा रही थी, इधर मनिका ने भी कनिका के होठो और मुंम्मो पर लगातार हमला जारी रखा हुआ था
इस दोतरफा हमले को सह पाना कनिक के लिए बड़ा मुश्किल हुआ जा रहा था, जयसिंह पोजीशन बदल बदल कर कनिका की चुत की धज्जियां उड़ाई जा रहा था, बीच बीच मे अब वो अपना लंड निकालकर मनिका की चुत में भी घुसेड़ देता ,
तकरीबन 45 मिनट की घमासान धमाकेदार चुदाई के बाद जयसिंह ने अपना पानी दोनों बहनों के मुंम्मो पर छोड़ दिया जिसे दोनों बहनों ने अमृत समझ चाट लिया, इस बीच वो दोनों भी न जाने कितनी बार अपना पानी छोड़ चुकी थी
पूरी रात उन तीनों ने जबरदस्त चुदाई की, ओर थक हारकर लगभग 4 बजे सोये
अगले 2 दिन जब तक मधु और हितेश नही आये, उन तीनों का चुदाई का सिलसिला यूँ ही जारी रहा
फिर कनिका और हितेश तो अपनी एग्जाम की तैयारियों में मशगूल हो गए और जयसिंह मनिका को लेकर सिंगापुर चला गया, वहां 3 दिनों तक वो हनीमून मनाते रहे,
एग्जाम पूरी होने के बाद मधु हितेश को लेकर कुछ दिन अपने पिता के यहां चली गयी, मनिका और कनिका ने बहाना बना लिया किसी तरह और फिर 15 दिन तक वो लोग घर में ही हर कोने में रंगरेलियां मनाते रहे
तकरीबन महिने भर बाद मनिका जयसिंह और कनिका के साथ दिल्ली चली गयी, वहां भी 2- 3 दिन उन्होंने घुमाई और चुदाई दोनों की और फिर जयसिंह मनिका को होस्टल में छोड़कर कनिका के साथ वापस आ गया
जयसिंह और कनिका की चुदाई लगातार जारी रही, मनिका भी उनके साथ फ़ोन सेक्स करती, और जब भी मनिका को छुट्टी मिलती वो घर आ जाती, फिर उनका वही प्रोग्राम चलता, कभी कभी जयसिंह भी काम के बहाने से दिल्ली चला जाता, और इस तरह उनकी लाइफ खुशियो से भरपुर होती चली गयी
THE END
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